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10 Reasons To Use Ayurveda | आयुर्वेद का उपयोग करने के 10 कारण।
आयुर्वेद क्या है?
आयुर्वेद एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति है जो शरीर, मन, और आत्मा के संतुलन को सुधारने और स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्राकृतिक तरीके से उपचार करती है। यह भारतीय संस्कृति और वैदिक शास्त्रों में प्रत्येक पहलू, विशेषतः आयुर्वेदीय ग्रंथ ‘चरक संहिता’, ‘सुश्रुत संहिता’, ‘अष्टांग हृदय’, और ‘अष्टांग संग्रह’ में विवरणित है।
आयुर्वेद विश्वास के अनुसार, हर व्यक्ति में तीन दोष या शारीरिक भावों का संतुलन होता है – वात, पित्त, और कफ। अगर ये तीनों दोष संतुलित रहते हैं, तो व्यक्ति स्वस्थ रहता है। लेकिन इनमें से किसी एक या अधिक दोषों का असंतुलन होने पर विविध रोग उत्पन्न हो सकते हैं।
आयुर्वेद में विभिन्न उपचार प्रणालियों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि:
- आहार और पौष्टिक तत्वों का उपयोग करके रोगों का उपचार।
- जड़ी-बूटियों, पौधों, और वनस्पतियों से बने औषधियों का उपयोग।
- रसायन, धार्मिक विधियों, और योग आसनों का उपयोग शरीर के और मन के संतुलन को सुधारने के लिए।
- पंचकर्म चिकित्सा विधि, जो शरीर की शुद्धि के लिए उपयुक्त है।
- स्वदेशी और प्राकृतिक उपचारों का प्रचलन करना।
आयुर्वेद का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को संतुलित और स्वस्थ जीवन जीने के लिए संदेहात्मक और पूर्वजन्म के अनुभवों पर आधारित सामग्री का उपयोग कर उपचार करना है। यह चिकित्सा पद्धति शरीर, मन, और आत्मा के बीच संतुलन को स्थायी रूप से सुधारने का प्रयास करती है और व्यक्ति को स्वस्थ और समृद्ध जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है।
औषधीय पौधे और जड़ी बूटियां
आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियों का उपयोग रोगों के उपचार में किया जाता है। नीचे कुछ जड़ी-बूटियों के नाम दिए गए हैं:
- अश्वगंधा (Ashwagandha)
- ब्राह्मी (Brahmi)
- गुडूची (Guduchi)
- शतावरी (Shatavari)
- अर्जुन (Arjuna)
- तुलसी (Tulsi)
- नीम (Neem)
- बिल्व (Bilva)
- खीरा (Kheera)
- कूटकी (Kutki)
- विदारिकंद (Vidarikand)
- मुलेठी (Mulethi)
- हरीतकी (Haritaki)
- बहेरा (Bahera)
- अमला(आंवला) (Amla)
- धतकी (Dhataki)
- गोखरू (Gokhru)
- गुग्गुल (Guggul)
- जीरक (Jeerak)
- जलपूरी (Jalapuri)
- कुलत्थ (Kulath)
- मांजिष्ठा (Manjishtha)
- पिप्पली (Pippali)
- पुनर्नवा (Punarnava)
- दारुहल्दा (Daruharidra)
- पशनभेद (Pashanbhed)
- वासा (Vasa)
- विदंग (Vidang)
- अरण्डी (Arandi)
- सोमवल (Somavalli)
- नागरमोथा (Nagarmotha)
- सर्पगंधा (Sarpagandha)
- गुडूची (Guduchi)
- सफेद मूसली (Safed Musli)
- चिरायता (Chirayata)
- काली मिर्च (Kali Mirch)
- निम्बू (Nimbu)
- पुदीना (Pudina)
- विदारी (Vidari)
- कुटज (Kutaj)
- लोध्र (Lodhra)
- स्थाली (Stahli)
- सोनाखड़ी (Sonakhadi)
- सारिवा (Sariva)
- द्राक्षा (Draksha)
- कृष्ण तुलसी (Krishna Tulsi)
- तेज पत्ता (Tej Patta)
- अमृता (Amrita)
- रामा तुलसी (Rama Tulsi)
- मोचरस (Mochras)
- जलनीम (Jalneem)
कृपया ध्यान दें कि जड़ी-बूटियों के उपयोग से पहले विशेषज्ञ वैद्य या चिकित्सक की सलाह लेना अनिवार्य है। वे आपके रोग के लिए उचित उपचार का सुझाव देंगे।
आयुर्वेदा अमृत की तरह क्यों है?
प्राचीनता: आयुर्वेद भारतीय चिकित्सा पद्धति में सबसे प्राचीन और विश्वसनीय चिकित्सा पद्धतियों में से एक है। इसका इतिहास हजारों वर्षों से भी पुराना है और वेदों और पुराणों में भी उल्लेख किया गया है। आयुर्वेद प्राकृतिक उपचारों का प्रचलन करता है जो जड़ी-बूटियों, पौधों, मिश्रण, और आयुर्वेदीय औषधियों से बने होते हैं। इन्हें बनाने के लिए केवल प्राकृतिक सामग्री का प्रयोग होता है, जो साधारणतः दुष्प्रभाव नहीं देती।
आयुर्वेद, भारतीय परंपरागत चिकित्सा पद्धति है जिसे हजारों वर्षों से प्रयोग किया जा रहा है। यह चिकित्सा पद्धति शरीर, मन, और आत्मा के संतुलन को सुधारने और रोगों को रोकने और उन्हें ठीक करने के लिए प्राकृतिक तरीके से उपचार करती है। आयुर्वेद को अपनाने के कुछ मुख्य कारण हैं:
- पूर्ण चिकित्सा पद्धति: आयुर्वेद शारीरिक, भावनात्मक, और आध्यात्मिक स्तर पर रोगों के कारणों को समझती है और इन्हें पूर्णता से ठीक करने का प्रयास करती है।
- प्राकृतिक चिकित्सा: आयुर्वेद नेचुरल और प्राकृतिक उपायों का प्रयोग करती है, जो साधारणतः दुष्प्रभाव नहीं देते हैं।
- व्यक्ति-विशेष चिकित्सा: आयुर्वेद व्यक्ति के प्रकृति और प्रकृति के अनुसार चिकित्सा विधि का चयन करती है, जिससे उपचार की प्रभावीता बढ़ती है।
- संतुलन को सुधारना: आयुर्वेद शरीर, मन, और आत्मा के बीच संतुलन को सुधारती है, जिससे रोगों के उत्थान को रोका जा सकता है।
- रोगों के प्राकृतिक उपचार: आयुर्वेद बीमारियों के उपचार के लिए जड़ी-बूटियों, औषधि पौधों, मिश्रण, रसायन, धार्मिक विधियों, और योग आसनों का उपयोग करती है।
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: आयुर्वेद शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को समान महत्व देती है, जिससे संपूर्ण चिकित्सा के लाभ मिल सकें।
- निरोगी जीवनशैली: आयुर्वेद नियमित और स्वाभाविक जीवनशैली के पालन को प्रोत्साहित करती है, जिससे बीमारियों का सामान्य जन्मना और उनका बढ़ना कम होता है।
- विश्वास की गहराई: आयुर्वेद को भारतीय संस्कृति में विश्वास की गहराई से जोड़ा गया है, और इसे लोग एक सतत और सुरक्षित उपचार विकल्प के रूप में देखते हैं।
- दुर्वास्तुप्रतिवाद: आयुर्वेद को दुर्वास्तुप्रतिवाद यानी नैदानिक चिकित्सा के अनुसार काम करने की दृष्टि से भी मान्यता मिलती है।
- ब्रह्मांड के साथ समन्वय: आयुर्वेद में ब्रह्मांड और मानव शरीर के बीच सम्बंध को ध्यान में रखते हुए उपचार किया जाता है।
यह कुछ कारण हैं, जिनके कारण लोग आयुर्वेद को अपना रहे हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि — आयुर्वेद के उपयोग से पहले एक विशेषज्ञ वैद्य या चिकित्सक की सलाह लेना जरूरी है।
♦ KMSRAJ51 – संपादकीय ♦
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— Conclusion —
- “KMSRAJ51“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस Article में समझाने की कोशिश की है — आयुर्वेद भारतीय चिकित्सा पद्धति में सबसे प्राचीन और विश्वसनीय चिकित्सा पद्धतियों में से एक है। इसका इतिहास हजारों वर्षों से भी पुराना है और वेदों और पुराणों में भी उल्लेख किया गया है। आयुर्वेद प्राकृतिक उपचारों का प्रचलन करता है जो जड़ी-बूटियों, पौधों, मिश्रण, और आयुर्वेदीय औषधियों से बने होते हैं। इन्हें बनाने के लिए केवल प्राकृतिक सामग्री का प्रयोग होता है, जो साधारणतः दुष्प्रभाव नहीं देती। आयुर्वेद, भारतीय परंपरागत चिकित्सा पद्धति है जिसे हजारों वर्षों से प्रयोग किया जा रहा है। यह चिकित्सा पद्धति शरीर, मन, और आत्मा के संतुलन को सुधारने और रोगों को रोकने और उन्हें ठीक करने के लिए प्राकृतिक तरीके से उपचार करती है।
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