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“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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Bhola Sharan Prasad

स्वागत विक्रम संवत 2080

Kmsraj51 की कलम से…..

Welcome Vikram Samvat 2080 | स्वागत विक्रम संवत 2080

भगवान चित्रगुप्त अवतरित हुए आज ही के दिन,
चित्र से बना चैत्र, बदला साल वो दिन।
नए साल में प्रवेश करने जा रहे हैं,
पुरानी यादों को दिल में जकड़े हुए,
नए वर्ष, चैत्र प्रतिपदा का स्वागत करने जा रहे हैं।

फिर से नए वर्ष में प्रवेश करने जा रहे हैं,
बुरी यादों को भूलाकर,
लेके संकल्प कामयाबी का।
कलम की ताकत आजमाने जा रहे हैं,
एक नए वर्ष में प्रवेश करने जा रहे हैं।

सिखा बहुत कुछ पुराने वर्षों से,
टूटा नहीं हौसला, दिल में है उमंग।
फिर नए वर्ष का अभिनंदन करने जा रहे हैं,
हम नए वर्ष में प्रवेश करने जा रहे हैं।

नया सवेरा लाएगा, नया साथी,
नए सपने, नई राहें, सब कुछ होगा नया – नया।
अब न निकलेंगी आहें,
हर नव प्रभात में होगी, खुशियों की बौछारें।
उस प्रभात का दीदार करने जा रहे हैं,
हम सभी नए साल में प्रवेश करने जा रहे हैं।

माता के जयकारा से गूंज रहा सारा घर द्वार,
ऐसा दिन बार – बार आए, लाए खुशियां अपार।
सिंह पर सवार मैया को हर घर में बुला रहे हैं,
फिर नए साल में प्रवेश करने जा रहे हैं।

♦ भोला शरण प्रसाद जी – सेक्टर – 150 / नोएडा – उत्तर प्रदेश ♦

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  • “भोला शरण प्रसाद जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — आत्मिक प्रेम, निस्वार्थ स्नेह, करुणा व मानवता का पवित्र महापर्व ‘विक्रम संवत’ हैं। विक्रम-संवत के अनुसार नव वर्ष का आरंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है। ‘विक्रम संवत’ अत्यंत प्राचीन संवत है। भारत के सांस्कृतिक इतिहास की दृष्टि से सर्वाधिक लोकप्रिय राष्ट्रीय संवत ‘विक्रम संवत’ ही है। ‘विक्रम संवत’ के उद्भव एवं प्रयोग के विषय में विद्वानों में मतभेद है। मान्यता है कि सम्राट विक्रमादित्य ने ईसा पूर्व ५७ में इसका प्रचलन आरम्भ कराया था। फ़ारसी ग्रंथ ‘कलितौ दिमनः’ में पंचतंत्र का एक पद्य ‘शशिदिवाकरयोर्ग्रहपीडनम्’ का भाव उद्धृत है। विद्वानों ने सामान्यतः ‘कृत संवत’ को ‘विक्रम संवत’ का पूर्ववर्ती माना है। विक्रम संवत :​​ विक्रम संवत में सभी का समावेश है।

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यह कविता (स्वागत विक्रम संवत 2080) “भोला शरण प्रसाद जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं भोला शरण प्रसाद बी. एस. सी. (बायो), एम. ए. अंग्रेजी, एम. एड. हूं। पहले केन्द्रीय विघालय में कार्यरत था। मेरी कई रचनाऍं विघालय पत्रिका एंव बाहर की भी पत्रिका में छप चूकी है। मैं अंग्रेजी एंव हिन्दी दोनों में अपनी रचनाऍं एंव कविताऍं लिखना पसन्द करता हूं। देश भक्ति की कविताऍं अधिक लिखता हूं। मैं कोलकाता संतजेवियर कालेज से बी. एड. किया एंव महर्षि दयानन्द विश्वविघालय रोहतक से एम. एड. किया। मैं उर्दू भी जानता हूं। मैं मैट्रीकुलेशन मुजफ्फरपुर से, आई. एस. सी. एंव बी. एस. सी. हाजीपुर (बिहार विश्वविघालय) बी. ए. (अंग्रेजी), एम. ए. (अंग्रेजी) बिहार विश्वविघालय मुजफ्फरपुर से किया। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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आया फाल्गुन का महीना।

Kmsraj51 की कलम से…..

Aaya Phagun Ka Mahina | आया फाल्गुन का महीना।

आया फाल्गुन का महीना,
लेके ढेर सारी सौगात।
प्रकृति को मानें या धर्म को,
अपने आप में है धार्मिक मास।

भारतवासियों के लिए बड़ा सुंदर महीना,
पंचांग में होता साल का आखरी मास।
ये महीना लाता दो बड़े त्योहार,
पहली महाशिवरात्रि, दूसरी होली का त्योहार।

सूरज की बढ़ती गर्मी की होती शुरुआत,
मौसम होती बड़ी सुहानी,
धरती पर आती वसंत की बहार।
ढोल, नगाड़े, झाल बजाते,
सभी गाते होली के गीत।

भेद भाव को भुलाकर, गले लगाते,
मुख पे लगाते रंग, गुलाल, अबीर,
भारतीय संस्कृति में हो जाते सब लीन।
हर घर से निकले, लेके रंग, अबीर,
रंगों में रंगा सबका चेहरा,
धन्य है हिंदुस्तान की जमीन।

ना कोइ हिन्दू, ना कोइ मुस्लिम,
ना कोइ सिक्ख, ईसाई, सबका चेहरा एक जैसा।
लगते हैं सब सगे भाई भाई,
ना कोइ ऊंचा, ना कोइ नीचा, होली है महान।
सारी नफरतें जल गई होलिका में,
यही है अनेकता में एकता, मेरा भारत है महान।

♦ भोला शरण प्रसाद जी – सेक्टर – 150 / नोएडा – उत्तर प्रदेश ♦

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  • “भोला शरण प्रसाद जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — आत्मिक प्रेम, निस्वार्थ स्नेह, करुणा व मानवता का पवित्र महापर्व होली हैं। अपने सम्पूर्ण विकारों को अग्नि को समर्पित कर एक अच्छे व सच्चे योगी जैसे पवित्र जीवन के नियमों के अनुसार जीवन जीना ही सच्ची होली हैं। याद रहे मलिन मन क्या जाने इस होली का उत्सव? पावनता तो जरूरी है। तन के रंगने से नहीं, मन के रंगे बिन, होली सबकी अधूरी है। मौसम के बदलाव की, नव फसलों के उगाव की, यह धुरी है। संस्कृति, सभ्यता और संस्कारों की, होली की क्रीड़ा पूरी है। बहन, भाई, मां, बेटी, पत्नी, पिता को, होली के रंग ही लहदे हैं। प्रेम है सब में, पर रूप अनेक है, यही तो रिश्तों के ओहदे हैं। अहंकार का नाश कर, सद्गुणों को धारण करने का महापर्व है होली।

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यह कविता (आया फाल्गुन का महीना।) “भोला शरण प्रसाद जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मैं भोला शरण प्रसाद बी. एस. सी. (बायो), एम. ए. अंग्रेजी, एम. एड. हूं। पहले केन्द्रीय विघालय में कार्यरत था। मेरी कई रचनाऍं विघालय पत्रिका एंव बाहर की भी पत्रिका में छप चूकी है। मैं अंग्रेजी एंव हिन्दी दोनों में अपनी रचनाऍं एंव कविताऍं लिखना पसन्द करता हूं। देश भक्ति की कविताऍं अधिक लिखता हूं। मैं कोलकाता संतजेवियर कालेज से बी. एड. किया एंव महर्षि दयानन्द विश्वविघालय रोहतक से एम. एड. किया। मैं उर्दू भी जानता हूं। मैं मैट्रीकुलेशन मुजफ्फरपुर से, आई. एस. सी. एंव बी. एस. सी. हाजीपुर (बिहार विश्वविघालय) बी. ए. (अंग्रेजी), एम. ए. (अंग्रेजी) बिहार विश्वविघालय मुजफ्फरपुर से किया। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

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माघ का सूरज।

Kmsraj51 की कलम से…..

Magh’s Sun | माघ का सूरज।

माघ का सूरज क्यूं इतना इतराता है,
आश लगाए बैठा हूं,
कभी आता है कभी जाता है।
सर्द हवाओं का झोंका लेकर,
क्यूं इतना इठलाता है,
तेरी गर्मी कहां गई,
क्यूं इतना तड़पाता है।

आने दे जेष्ठ का महीना,
तू खुद पछताएगा,
लोग बैठेंगे छांव में,
तेरा मोल क्या रह जाएगा,
तेरी आंखों का पानी मरा,
मरी शर्म और लाज।

तू कैसा मालिक जगत का,
कैसा तेरा राज,
बच्चे, बूढ़े बिलख़ रहे,
कहां तेरा दया, धरम, ईमान।
सर्द हवाओं ने ले ली
अब तक हज़ारों जान,
पूछता हूं, कहां है भगवान,
ए पत्थर दिल इंसान।

मैं पूजता रहा पत्थर में
छुपे भगवान को,
देख लो लगाता हूं
हर रोज छप्पन भोग।
क्यूं मर जाते फूटपाथ पर,
नंगे, कांपते, भूखे लोग,
पाखण्ड ही पाखंड है,
अंधकार है हर ओर।

दिखावा करता इंसान,
मचा – मचा कर शोर,
कड़ाके की सर्दी है,
थोड़ी सी भी धूप नहीं।
तन पर कपड़ा नहीं,
बिन चादर बैठी बूढ़ी माई,
मानवता हुई शर्मसार,
देखो अबला कैसे कांप रही।

♦ भोला शरण प्रसाद जी – सेक्टर – 150 / नोएडा – उत्तर प्रदेश ♦

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  • “भोला शरण प्रसाद जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — माघ का सूरज क्यूं तू इतना इतराता है, आश लगाए बैठा हूं, कभी आता है तो कभी जाता है। सर्द हवाओं का झोंका लेकर, क्यूं इतना इठलाता है, तेरी गर्मी कहां गई, क्यूं इतना तड़पाता है।भूल ना जाओ, आने दे जेष्ठ का महीना, तू खुद पछताएगा, लोग बैठेंगे छांव में, तेरा मोल क्या रह जाएगा, तेरी आंखों का पानी मरा, मरी शर्म और लाज। सच्ची सेवा तो मानव सेवा है कब समझेगा आज का इंसान। इंसान होकर भी यदि जरूरतमंद की मदद ना कर पाए तो भला ऐसे जन्म का क्या फायदा? कोशिश सदैव यही करो की मानव सेवा को अपना परम धर्म बनाओ।

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यह कविता (माघ का सूरज।) “भोला शरण प्रसाद जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं भोला शरण प्रसाद बी. एस. सी. (बायो), एम. ए. अंग्रेजी, एम. एड. हूं। पहले केन्द्रीय विघालय में कार्यरत था। मेरी कई रचनाऍं विघालय पत्रिका एंव बाहर की भी पत्रिका में छप चूकी है। मैं अंग्रेजी एंव हिन्दी दोनों में अपनी रचनाऍं एंव कविताऍं लिखना पसन्द करता हूं। देश भक्ति की कविताऍं अधिक लिखता हूं। मैं कोलकाता संतजेवियर कालेज से बी. एड. किया एंव महर्षि दयानन्द विश्वविघालय रोहतक से एम. एड. किया। मैं उर्दू भी जानता हूं। मैं मैट्रीकुलेशन मुजफ्फरपुर से, आई. एस. सी. एंव बी. एस. सी. हाजीपुर (बिहार विश्वविघालय) बी. ए. (अंग्रेजी), एम. ए. (अंग्रेजी) बिहार विश्वविघालय मुजफ्फरपुर से किया। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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दर्दे दिल।

Kmsraj51 की कलम से…..

Dard e Dil | दर्दे दिल।

कोई चूस कर खून मुफलीसी का,
गांव से शहर नहीं बसा पाया।
रोज कहता रहा मिट जायेंगे,
पर कभी खुदकुशी नहीं कर पाया।

कब से इबादत के लिए “भोला”,
सिर झुकाए बैठे हैं।
इन्तज़ार में आँखें थक गई,
बंदगी की पहर नहीं आया।

मुनफरीद हूं, दिल नासाज है,
नाशिरात और सहाब के
बाद आफ्ताब भी निकला।
रंज नहीं नशेमन खाक होने का,
जिन्हें इख्तलाज समझा,
कारनामा उन्हीं का निकला।

वादा किया था हिफाज़त करेंगे हम,
हर मां, बहन, बेटी के आबरू की।
जो हुआ उसे भूल जाओ,
आगे न होने देंगे हम।
हम चौकीदार बनकर रहेंगे,
इख्तलात के खातिर जान भी दे देंगे हम।

जर्बत मिली मुकर्रब से,
अब होगी नाजिल।
आब ए हयात,
जिगर सोज से उम्मीद कैसी।
फैसला होगा हक में,
होगी कयामत की रात।

नासीपास से न पूछो,
कहां है उसका धर्म और ईमान।
इनहराफ जिसकी फितरत है,
कभी माफ़ नहीं करेगा भगवान।

शब्द अर्थ : जर्बत = चोट, मुकर्रब = घनिष्ट मित्र, नासी पास = नमक हराम,
इख्तलाज = दिल की धड़कन, इख्तलात = घनिष्टता,
इनहराफ = विद्रो, आब ए हयात = अमृत, नाजिल = गिरना,

♦ भोला शरण प्रसाद जी – सेक्टर – 150 / नोएडा – उत्तर प्रदेश ♦

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  • “भोला शरण प्रसाद जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — आज बहु, बेटी कहीं भी सुरक्षित नहीं है, उसे बचाना ही हम सबका फर्ज है लेकिन समाज में कुछ अराजक तत्वों ने उत्पात मचा रखा है। समय चाहे जितना भी खराब हो, हर अंधेरी, काली, रात के बाद सबेरा होता ही होता है, दुखी होने से कुछ नहीं होगा, मुसीबतों से लड़ना है, यह ना भूले की गलत करने वालों को भगवान कभी भी माफ़ नहीं करते।

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यह कविता (दर्दे दिल।) “भोला शरण प्रसाद जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मैं भोला शरण प्रसाद बी. एस. सी. (बायो), एम. ए. अंग्रेजी, एम. एड. हूं। पहले केन्द्रीय विघालय में कार्यरत था। मेरी कई रचनाऍं विघालय पत्रिका एंव बाहर की भी पत्रिका में छप चूकी है। मैं अंग्रेजी एंव हिन्दी दोनों में अपनी रचनाऍं एंव कविताऍं लिखना पसन्द करता हूं। देश भक्ति की कविताऍं अधिक लिखता हूं। मैं कोलकाता संतजेवियर कालेज से बी. एड. किया एंव महर्षि दयानन्द विश्वविघालय रोहतक से एम. एड. किया। मैं उर्दू भी जानता हूं। मैं मैट्रीकुलेशन मुजफ्फरपुर से, आई. एस. सी. एंव बी. एस. सी. हाजीपुर (बिहार विश्वविघालय) बी. ए. (अंग्रेजी), एम. ए. (अंग्रेजी) बिहार विश्वविघालय मुजफ्फरपुर से किया। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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गणतंत्र दिवस समारोह।

Kmsraj51 की कलम से…..

Republic Day Celebrations – गणतंत्र दिवस समारोह।

आओ झूमे, नाचे, जश्न मनाएं,
गणतंत्र दिवस आया है।
जिरादेई की धरती पर लिया जनम,
डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को कोटी कोटी नमन।
कलम के पुजारी ने संभाली कमान,
संविधान समिती के स्थाई अध्यक्ष बने।
देश को दिया नया संविधान।

भारत मां के सपूत प्रेम बिहारी रायजादा,
संविधान लिखने का लिया प्रण।
हर पन्ने पर नाम है अंकित,
समर्पण किया हर क्षण।
अधर में लटका हुआ था,
भारत की जनता का ख्वाब।
कई सपूत आगे आए,
ऐसे उभरे मानो खिलता हुआ गुलाब।

स्वतंत्र भारत की सांसों में,
नए जीवन का संचार किया।
ओजपूर्ण विचार धारा से,
जनता को जागृत किया।
अनेकता में एकता की भारत भूमी पर,
संविधान लाकर एकता का शंखनाद किया।

राष्ट्रभक्ति की ज्योति जलाकर,
जन – जन में प्रकाश भरे।
भारत तुम्हारा ऋणी रहेगा,
चारो ओर गुणगान करेगा।
नभ में चांद, सूरज जैसा,
हर रोज तुम्हारी यशगान करेगा।

२६ जनवरी १९५० का दिन था महान,
अंबेडकर जी ने,
राजेंद्र बाबू से हस्ताक्षर करवाई।
हर चेहरे पर आई रौनक,
नए संविधान ने समानता लाई।
बहुत नाम गुमनाम है,
सबको “भोला” का सत सत नमन।

अमर हैं आप सभी,
रचकर भारतीय संविधान।
नया संविधान लागू कर,
भारत में नया इतिहास रच दिया।
खून बहाकर आजादी पाने वाले,
हर सपूत के सपनों को सच कर दिया।

♦ भोला शरण प्रसाद जी – सेक्टर – 150 / नोएडा – उत्तर प्रदेश ♦

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  • “भोला शरण प्रसाद जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — 26 जनवरी 1950 ईस्वी को भारत का संविधान भारतीय संविधान की प्रस्तावना के तहत भारत में विधिवत लागू किया गया। इस दिन से भारत एक पूर्ण गणतंत्र राष्ट्र बन गया। इसलिए इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस संविधान को तैयार करने में 2 वर्ष 11 माह और 18 दिन का समय लगा था। भारतीय संविधान को अपने हाथों से लिखने वाले श्री प्रेम बिहारी नारायण रायजादा जी थे। गणतंत्र दिवस समारोह महान राष्ट्रीय नेता, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी को शुरू होकर 30 जनवरी को शहीद दिवस पर समाप्‍त होने के साथ सप्ताह भर चलेगा। यह समारोह आईएनए के दिग्गजों, स्वतंत्रता के लिए बलिदान देने वाले लोगों और आदिवासी समुदायों को श्रद्धांजलि होगी जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था।

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यह कविता (गणतंत्र दिवस समारोह।) “भोला शरण प्रसाद जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं भोला शरण प्रसाद बी. एस. सी. (बायो), एम. ए. अंग्रेजी, एम. एड. हूं। पहले केन्द्रीय विघालय में कार्यरत था। मेरी कई रचनाऍं विघालय पत्रिका एंव बाहर की भी पत्रिका में छप चूकी है। मैं अंग्रेजी एंव हिन्दी दोनों में अपनी रचनाऍं एंव कविताऍं लिखना पसन्द करता हूं। देश भक्ति की कविताऍं अधिक लिखता हूं। मैं कोलकाता संतजेवियर कालेज से बी. एड. किया एंव महर्षि दयानन्द विश्वविघालय रोहतक से एम. एड. किया। मैं उर्दू भी जानता हूं। मैं मैट्रीकुलेशन मुजफ्फरपुर से, आई. एस. सी. एंव बी. एस. सी. हाजीपुर (बिहार विश्वविघालय) बी. ए. (अंग्रेजी), एम. ए. (अंग्रेजी) बिहार विश्वविघालय मुजफ्फरपुर से किया। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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दर्द ए दिल।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ दर्द ए दिल। ♦

क्यूं पूछते हो मेरी खैरियत,
इस मतलबी जमाने में,
तेरी तारीफ़ सुना है हर जुबां से।
बड़े उस्ताद हो नश्तर चुभाने में,
कभी गूंजती थी किलकारी,
मेरे घर _आँगन में।

आपस की अदावत ने,
घर को सुनसान ओ श्मशान बना दिया।
कैसी फितरत हो गई पढ़े-लिखे इंसान की,
गुलजार गुलशन का गुल खिल न पाया,
नफ़रत की आड़ में पतझड़ बना दिया।

जो खेलते थे मेरी गोद में, मुंह बिना दांत के
मेरी आंखो में आंसू देकर रुलाते रहते हैं।
रिश्तों को मरते देख नहीं सकता,
आंसू पोंछ कर रिश्ता निभाते रहते हैं।

पैसे का गुरुर उन्हें अंधा बना दिया,
जिनके मुंह में खिलाते थे रोटी का टुकड़ा।
मेरी छोटी-छोटी बात को राई का पहाड़ बना दिया।
जो कभी दिल से करते एहतराम,
बिना सच्चाई जाने, लाल आंखें दिखा दिया।

करता हूं गुजारिश आपसे,
न परेशान कीजिए न हैरान कीजिए।
कुछ दिन जीने दो खुदा के वास्ते,
सुन लो दर्द ए दिल मेरी,
मुस्कुरा कर छोड़ दीजिए।

बड़े तास्सुफ की बात है,
उन्सीयत का नमोनिशान नहीं।
हवाख्वाह को लोग भूल गए,
दिल में उल्फत का अरमान नहीं।
तेरे लव पे रहे तबस्सुम,
मांगता रहा दुआ सुबह शाम।

इफलाह के बदले गर मिली इफ्तरा,
तेरी हर दुआ कबूल हो,
मुझे मंजूर हर अंजाम,
दिल से दुआ है मेरी,
तू सदा रहे आबाद।
तुझे कभी न “भोला” याद आए,
कितनी भी वक्त गुजरे,
मेरी फूरकत के बाद।

♦ भोला शरण प्रसाद जी – सेक्टर – 150/नोएडा – उत्तर प्रदेश ♦

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  • “भोला शरण प्रसाद जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस संसार में जननी-जनक व जन्मभूमि के लिए जो सम्मान था वो आजकल के पीढ़ी में कही गुम सा हो गया है। पैसे का गुरुर उन्हें इस क़दर अंधा बना दिया की जिनके मुंह में खिलाते थे रोटी का टुकड़ा। मेरी छोटी-छोटी बात को राई का पहाड़ बना दिया आज। जो कभी दिल से करते एहतराम, बिना सच्चाई जाने, आज लाल आंखें दिखा दिया तुमने अपने जननी-जनक पर। जननी-जनक रिश्तों को मरते देख नहीं सकते, आंसू पोंछ कर रिश्ता निभाते रहते हैं। इस संसार में एक माता-पिता ही है जो सदैव ही अपने बच्चों को सुखी और प्रसन्न देखता चाहते है। इसलिए जननी-जनक व जन्मभूमि का सदैव ही दिल से सम्मान करे, वर्ना अंतिम समय में पछतावे के अलावा कुछ बचेगा नहीं आपके पास।

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यह कविता (दर्द ए दिल।) “भोला शरण प्रसाद जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं भोला शरण प्रसाद बी. एस. सी. (बायो), एम. ए. अंग्रेजी, एम. एड. हूं। पहले केन्द्रीय विघालय में कार्यरत था। मेरी कई रचनाऍं विघालय पत्रिका एंव बाहर की भी पत्रिका में छप चूकी है। मैं अंग्रेजी एंव हिन्दी दोनों में अपनी रचनाऍं एंव कविताऍं लिखना पसन्द करता हूं। देश भक्ति की कविताऍं अधिक लिखता हूं। मैं कोलकाता संतजेवियर कालेज से बी. एड. किया एंव महर्षि दयानन्द विश्वविघालय रोहतक से एम. एड. किया। मैं उर्दू भी जानता हूं। मैं मैट्रीकुलेशन मुजफ्फरपुर से, आई. एस. सी. एंव बी. एस. सी. हाजीपुर (बिहार विश्वविघालय) बी. ए. (अंग्रेजी), एम. ए. (अंग्रेजी) बिहार विश्वविघालय मुजफ्फरपुर से किया। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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Love and Prayer

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ Love & Prayer ♦

Love is the highest, the grandest, the most inspiring, the most sublime principle in creation. Love and forbearance are essential to the growth of harmony. Love nurtures all things that grow, it harmonizes and unites. On the other hand, hatred agitates and separates, and indifference destroys what could have been made good and beneficial. Love is harmony, and harmony is love. All human souls, the world, the entire universe, are attuned to the cosmic external harmony of love. Disharmony arises from ignorance of this divine unity, which is the heart of God pulsating in everything He has created. He is Love that flows through caring hearts and the bliss that expressed as Joy in all souls. When the summer of good fortune warms my tree of life, it easily burgeons with fragrant blossoms, during winter month of misfortune, “O Lord” may my denuded branches change lessly waft towards thee a secret scent of gratitude.

Absolute unquestioning faith in God is the greatest method of instantaneous healing. An unceasing effort to arouse that faith is the man’s highest and most reward duty. Prayer in which your soul is burning with desire for God is the only effectual prayer.You have prayed like that at some time, no doubt, perhaps when you wanted something very badly or urgently needed money.. then you burned up the ether with your desire. That is how you must feel about God. Talk to Him day and night; you see that He will respond. Only a pure heart can love and pray. In ill -doing, Providence leaves the work of conviction and chastisement to us mortals and the process is often fraught with difficulties.you must love everyone, nobody is a stranger.God dwells in all beings. Nothing exists without Him. Pray to God with tears in your eyes whenever you want illumination or fired yourself faced with any doubt or difficulty. The Lord will remove all your impurities, assuage your mental anguish, and give you enlightenment. Prayer should be done with a longing heart. He will surely listen to your prayer if it is sincere. Man is powerless, can do nothing by his own will.

A generous heart always forgets the part of offences and is ready to re – establish harmony. Let your mind be always fixed on God. Surrender yourself completely to God and set aside all such things as fear and shame. One can’t have the vision of God as long as one has… shame, hatred, fear, caste, pride, secretiveness and the like are so many bonds. Man is free when he is liberated from all these, when bound one is “Jiva” and when free one is “Shiva”. God is the ocean of mercy. Be His slave and take refuge in Him. Love and prayer are the two sides of the same coin. Without either, there is neither. Love opens the door of prayer. To get butter from milk, you must let the milk set into a curd in a secluded spot. If it is too much disturbed, milk won’t turn into curd. Next you must put aside all other duties, sit in a quiet spot, and churn the curd, only then you get butter. True prayer and love are the means in which the mind acquires knowledge, dispassion and devotion… salvation. Swami Vivekanand, Paramhansa Yogananda, Sri Arvindo Ghosh, Maharishi Mahesh Yogi, Shri Thakur Anukul Chandra, lord Mahavir, Maharshi Dayanand Saraswati, Guru Nanakdev Ji, showed us the path of Love and prayer.

♦ Bhola Sharan Prasad – Sec – 150/Noida – Uttar Pradesh ♦

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  • “Bhola Sharan Prasad Ji“ has tried to explain in very simple words through this article in a beautiful way — Prayer in which your soul is burning with desire for God is the only effectual prayer.You have prayed like that at some time, no doubt, perhaps when you wanted something very badly or urgently needed money.. then you burned up the ether with your desire. That is how you must feel about God. Talk to Him day and night; you see that He will respond. Only a pure heart can love and pray. In ill -doing, Providence leaves the work of conviction and chastisement to us mortals and the process is often fraught with difficulties.you must love everyone, nobody is a stranger.God dwells in all beings. Nothing exists without Him. Pray to God with tears in your eyes whenever you want illumination or fired yourself faced with any doubt or difficulty. The Lord will remove all your impurities, assuage your mental anguish, and give you enlightenment. Prayer should be done with a longing heart. He will surely listen to your prayer if it is sincere. Man is powerless, can do nothing by his own will.

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यह लेख (Love & Prayer) “भोला शरण प्रसाद जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं भोला शरण प्रसाद बी. एस. सी. (बायो), एम. ए. अंग्रेजी, एम. एड. हूं। पहले केन्द्रीय विघालय में कार्यरत था। मेरी कई रचनाऍं विघालय पत्रिका एंव बाहर की भी पत्रिका में छप चूकी है। मैं अंग्रेजी एंव हिन्दी दोनों में अपनी रचनाऍं एंव कविताऍं लिखना पसन्द करता हूं। देश भक्ति की कविताऍं अधिक लिखता हूं। मैं कोलकाता संतजेवियर कालेज से बी. एड. किया एंव महर्षि दयानन्द विश्वविघालय रोहतक से एम. एड. किया। मैं उर्दू भी जानता हूं। मैं मैट्रीकुलेशन मुजफ्फरपुर से, आई. एस. सी. एंव बी. एस. सी. हाजीपुर (बिहार विश्वविघालय) बी. ए. (अंग्रेजी), एम. ए. (अंग्रेजी) बिहार विश्वविघालय मुजफ्फरपुर से किया। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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भक्त की अभिलाषा।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ भक्त की अभिलाषा। ♦

खुशी से वास्ता नहीं,
मुश्किलों से गहरा लगाव है।
मेरी जिंदगी कभी तपती दोपहरी,
कभी घनी छांव है।

अपनों ने दिए बेहिसाब दर्द,
मेरी कराहती वेदना की अपनी घाव है।
शब्द हुए अपाहिज,
दर्द से लथपथ पांव है।

रूह तक झुलस चूका हूं,
अपनों ने जलाए वही अलाव है।
पतझड़ के मौसम में जुर्रत नहीं,
बहार की ख्वाइश कैसे करूं।

आंखें नम हैं मेरी हे प्रभु,
लव पे तबस्सुम की ख्वाइस कैसे करूं।
इतना आसान नहीं मेरे लिए,
गुजरी बातों को भूल जाएं।

जिस राह पर चलूं मेरे प्रभु,
मेरे हिस्से में कंकड़।
अपनों के लिए फूल बन जाए।
एक स्वर गूंजता मार दूंगा,
क्यूं यही शोर सब ओर है।

समाज भ्रष्ट या फिर कमजोर है,
हे शिवशम्भू, कृष्णकन्हैया,
मां लक्ष्मी, चित्रगुप्त,।
मैं हूं निर्बल,,,
अब मेरी भी विनती सुन लो,
मंदिर-मंदिर माथा टेका,
पर कहीं भी मिली नहीं।

तुम्हारे दर्शन बिन प्रभु,
लगता है मन कहीं नहीं।
आश लगाए बैठा हूं,
माता, जगत पिता संग आयेगी,
बहुतेरे भक्त हैं तेरे,
दुःख हर कर, गले जरूर लगाएगी।

♦ भोला शरण प्रसाद जी – सेक्टर – 150/नोएडा – उत्तर प्रदेश ♦

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  • “भोला शरण प्रसाद जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — एक सच्चा भक्त सदैव ही मानव कल्याण के लिए प्रभु से प्रार्थना करता है, वह अपने लिए कभी भी कुछ नहीं मांगता है। वह सदैव ही सभी के लिए सुख ही सुख की कामना करता है प्रभु से, चाहे दुनिया वाले या उसके अपने कितना भी उसे तकलीफ़ दे। मानव जीवन में उतार-चढ़ाव तो लगा ही रहता है, इसका मतलब ये नहीं की अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए किसी को भी तकलीफ़ दिया जाएं। एक बात सदैव ही याद रखें – विकर्म का फल सदैव ही तकलीफ़ देने वाला ही होगा, अच्छे कर्मों का फल देर से भले ही मिले लेकिन आपके लिए सुखदायी होता है। इसलिए अच्छे कर्म करे, मानवता को शर्मशार करने वाले कोई भी कर्म ना करें।

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यह कविता (भक्त की अभिलाषा।) “भोला शरण प्रसाद जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं भोला शरण प्रसाद बी. एस. सी. (बायो), एम. ए. अंग्रेजी, एम. एड. हूं। पहले केन्द्रीय विघालय में कार्यरत था। मेरी कई रचनाऍं विघालय पत्रिका एंव बाहर की भी पत्रिका में छप चूकी है। मैं अंग्रेजी एंव हिन्दी दोनों में अपनी रचनाऍं एंव कविताऍं लिखना पसन्द करता हूं। देश भक्ति की कविताऍं अधिक लिखता हूं। मैं कोलकाता संतजेवियर कालेज से बी. एड. किया एंव महर्षि दयानन्द विश्वविघालय रोहतक से एम. एड. किया। मैं उर्दू भी जानता हूं। मैं मैट्रीकुलेशन मुजफ्फरपुर से, आई. एस. सी. एंव बी. एस. सी. हाजीपुर (बिहार विश्वविघालय) बी. ए. (अंग्रेजी), एम. ए. (अंग्रेजी) बिहार विश्वविघालय मुजफ्फरपुर से किया। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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Inner Power

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ Inner Power ♦

We light a lamp and temporarily dispense with darkness. A lamp doesn’t have the power to eradicate darkness completely, similarly by the law, we never feel satisfied, even after our questions have been answered. Our castes and religions have come to existence by breaking down the single truth into multiple parts. That is why we don’t get the sense of completeness. Since the inner conscious of every sect is different, it is difficult to perceive completeness through it.

One end of the road leads to hell and the other end leads to a joyful heaven. What we will get is decided on the basis of where our face is turned. A body is being pulled by gravity on one end and the sky on the other. However, since the heart is baseless, it can accommodate only weightless things like.. Love, sympathy, spiritual power… Shakti.

Power is embodied by goddess Shakti, known as the goddess Durga. But every God has Shakti within him. Durga is created out side when gods release their inner Shakti. Shakti is a power that is invisible and inside us.. our inner confidence. Durga is power that is outside us, in the form of recognition, praise, status, respect etc. Finding the inner Shakti is very difficult, an onerous task so we crave for external Shakti.

Language plays a very important role. If we are praised, we feel powerful, if we are insulted, we feel powerless. Language is a weapon used by highly educated people, politicians to fill the brain of common people to motivate them, to do what they like, equally important in the field of religion.

How long will the pearl of goodness be covered with the dust of misunderstanding? The only way to realise the light above you is to strike the spiritual light within you; and the darkness of sin and impurity will flee away. Ego is the veil that serves to cover the truth. Where there is ego, there the truth can never be apparent. We need to make this veil of self importance very powerful due to external power more and more transparent and that is the true meaning of Shakti. Inner power makes very powerful in a real sense.

Spiritual power is the source of happiness, respect, status, etc. Inner power is more powerful than outside power. Inner Shakti leads to heaven and the outer power leads to hell. We worship Lord Shiva, Lord Ram, Lord Chitragupta, Lord Mahavir, Lord Buddha, Guru Nanak Dev Ji due to their inner power.

We bow down and follow the precious teachings of Swami Vivekananda, Maharishi Mahesh Yogi, Paramhansa Yogananda ji, Maharshi Mehi, Shri Arvindo Ghosh, Maharshi Dayanand Saraswati because of their inner Shakti. They are alive in our hearts. On the other hand, very powerful rulers and warriors, owners of big kingdoms, were forgotten with passaging time because they had outer power. Inner power makes one alive forever.

♦ Bhola Sharan Prasad – Sec – 150/Noida – Uttar Pradesh ♦

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  • “Bhola Sharan Prasad Ji“ has tried to explain in very simple words through this article in a beautiful way — Spiritual power is the source of happiness, respect, status, etc. Inner power is more powerful than outside power. Inner Shakti leads to heaven and the outer power leads to hell. We worship Lord Shiva, Lord Ram, Lord Chitragupta, Lord Mahavir, Lord Buddha, Guru Nanak Dev Ji due to their inner power. One end of the road leads to hell and the other end leads to a joyful heaven. What we will get is decided on the basis of where our face is turned. A body is being pulled by gravity on one end and the sky on the other. However, since the heart is baseless, it can accommodate only weightless things like.. Love, sympathy, spiritual power… Shakti.

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यह लेख (Inner Power) “भोला शरण प्रसाद जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मैं भोला शरण प्रसाद बी. एस. सी. (बायो), एम. ए. अंग्रेजी, एम. एड. हूं। पहले केन्द्रीय विघालय में कार्यरत था। मेरी कई रचनाऍं विघालय पत्रिका एंव बाहर की भी पत्रिका में छप चूकी है। मैं अंग्रेजी एंव हिन्दी दोनों में अपनी रचनाऍं एंव कविताऍं लिखना पसन्द करता हूं। देश भक्ति की कविताऍं अधिक लिखता हूं। मैं कोलकाता संतजेवियर कालेज से बी. एड. किया एंव महर्षि दयानन्द विश्वविघालय रोहतक से एम. एड. किया। मैं उर्दू भी जानता हूं। मैं मैट्रीकुलेशन मुजफ्फरपुर से, आई. एस. सी. एंव बी. एस. सी. हाजीपुर (बिहार विश्वविघालय) बी. ए. (अंग्रेजी), एम. ए. (अंग्रेजी) बिहार विश्वविघालय मुजफ्फरपुर से किया। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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आप सभी का प्रिय दोस्त

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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जरूरत।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ जरूरत। ♦

मेरे दोस्त, तुम्हारी नजरें गर पाक है,
तो कसम खुदा की, पर्दे की जरूरत नहीं।
काले – काले बादल को गर बरसना है,
तो उसे गरजने की जरूरत नहीं।

बेइंतहां मुहब्बत करते हो अगर,
तो इज़हार क्यूं नहीं करते।
मेरे दोस्त मुहब्बत छुपाए नहीं छुपती,
इसे छुपाने की जरूरत क्या है।

चाहे रहो भौंरा या गिद्ध बन जाओ,
गर तेरे खून में फितरत है शिकार करने की,
तो इस सैयाद को डरने की जरूरत क्या है।
तुम्हारी आंखें ही काफी हैं रमजा के लिए,
बोलने की जरूरत क्या है।

मैं तेरी ख़ामोशी समझता हूं, मेरे दोस्त,
कुछ भी बोलने की जरूरत क्या है।
सच बोलना और लिखना मेरी फितरत है बुरी,
अंजाम से डरता नहीं, कभी विचार करता नहीं।

नाज़ है तुझपे, तेरे जैसा होशियार तो नहीं,
रहता हूं जमीन पर, पर जमींदार नहीं।

♦ भोला शरण प्रसाद जी – सेक्टर – 150/नोएडा – उत्तर प्रदेश ♦

—————

  • “भोला शरण प्रसाद जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — सच्चा प्यार एक-दूसरे के लिए एक मजबूत, गहरा और स्थायी स्नेह है। यह किसी के लिए गर्मजोशी और देखभाल की भावना है, और उन्हें खुश करने की इच्छा है। सच्चे प्यार में आपसी सम्मान, विश्वास और निस्वार्थता की भावना के साथ-साथ एक-दूसरे के लिए त्याग करने की इच्छा शामिल है। यह एक ऐसा प्यार है जो बिना शर्त है, जिसका अर्थ है कि यह एक-दूसरे के कार्यों या भावनाओं पर निर्भर नहीं है, बल्कि स्वतंत्र रूप से और बिना शर्त के दिया जाता है। सच्चा प्यार एक दुर्लभ और खास चीज है, और यह उन लोगों के लिए बहुत खुशी और खुशी ला सकता है जो इसका अनुभव दिलसे करते हैं।

—————

यह कविता (जरूरत।) “भोला शरण प्रसाद जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं भोला शरण प्रसाद बी. एस. सी. (बायो), एम. ए. अंग्रेजी, एम. एड. हूं। पहले केन्द्रीय विघालय में कार्यरत था। मेरी कई रचनाऍं विघालय पत्रिका एंव बाहर की भी पत्रिका में छप चूकी है। मैं अंग्रेजी एंव हिन्दी दोनों में अपनी रचनाऍं एंव कविताऍं लिखना पसन्द करता हूं। देश भक्ति की कविताऍं अधिक लिखता हूं। मैं कोलकाता संतजेवियर कालेज से बी. एड. किया एंव महर्षि दयानन्द विश्वविघालय रोहतक से एम. एड. किया। मैं उर्दू भी जानता हूं। मैं मैट्रीकुलेशन मुजफ्फरपुर से, आई. एस. सी. एंव बी. एस. सी. हाजीपुर (बिहार विश्वविघालय) बी. ए. (अंग्रेजी), एम. ए. (अंग्रेजी) बिहार विश्वविघालय मुजफ्फरपुर से किया। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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