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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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Hindi Kahaniya

भटकता इंसान।

Kmsraj51 की कलम से…..
Kmsraj51-CYMT-JUNE-15

ϒ भटकता इंसान। ϒ

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भटकता इंसान।

एक किसान के घर एक दिन उसका कोई परिचित मिलने आया। उस समय वह घर पर नहीं था। उसकी पत्नी ने कहा-‘वह खेत पर गए हैं। मैं बच्चे को बुलाने के लिए भेजती हूं। तब तक आप इंतजार करें।’ कुछ ही देर में किसान खेत से अपने घर आ पहुंचा। उसके साथ-साथ उसका पालतू कुत्ता भी आया। कुत्ता जोरों से हांफ रहा था। उसकी यह हालत देख, मिलने आए व्यक्ति ने किसान से पूछा-‘क्या तुम्हारा खेत बहुत दूर है?’ किसान ने कहा-‘नहीं, पास ही है। लेकिन आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं?’ उस व्यक्ति ने कहा-‘मुझे यह देखकर आश्चर्य हो रहा है कि तुम और तुम्हारा कुत्ता दोनों साथ-साथ आए, लेकिन तुम्हारे चेहरे पर रंच मात्र थकान नहीं जबकि कुत्ता बुरी तरह से हांफ रहा है।’ किसान ने कहा-‘मैं और कुत्ता एक ही रास्ते से घर आए हैं। मेरा खेत भी कोई खास दूर नहीं है। मैं थका नहीं हूं। मेरा कुत्ता थक गया है। इसका कारण यह है कि मैं सीधे रास्ते से चलकर घर आया हूं, मगर कुत्ता अपनी आदत से मजबूर है। वह आसपास दूसरे कुत्ते देखकर उनको भगाने के लिए उसके पीछे दौड़ता था और भौंकता हुआ वापस मेरे पास आ जाता था।

फिर जैसे ही उसे और कोई कुत्ता नजर आता, वह उसके पीछे दौड़ने लगता। अपनी आदत के अनुसार उसका यह क्रम रास्ते भर जारी रहा।
इसलिए वह थक गया है।’ देखा जाए तो यही स्थिति आज के इंसान की भी है। जीवन के लक्ष्य तक पहुंचना यूं तो कठिन नहीं है, लेकिन लोभ, मोह अहंकार और ईर्ष्या जीव को उसके जीवन की सीधी और सरल राह से भटका रही है। अपनी क्षमता के अनुसार जिसके पास जितना है, उससे वह संतुष्ट नहीं। आज लखपति, कल करोड़पति, फिर अरबपति बनने की चाह में उलझकर इंसान दौड़ रहा है। अनेक लोग ऐसे हैं जिनके पास सब कुछ है।


भरा-पूरा परिवार, कोठी, बंगला, एक से एक बढ़िया कारें, क्या कुछ नहीं है। फिर भी उनमें बहुत से दुखी रहते हैं। बड़ा आदमी बनना, धनवान
बनना बुरी बात नहीं, बनना चाहिए। यह हसरत सबकी रहती है। उसके लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होगी तो थकान नहीं होगी। लेकिन दूसरों के सामने खुद को बड़ा दिखाने की चाह के चलते आदमी राह से भटक रहा है और यह भटकाव ही इंसान को थका रहा है।

पढ़ें – विमल गांधी जी कि शिक्षाप्रद कविताओं का विशाल संग्रह।

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आप सभी का प्रिय दोस्त,

Krishna Mohan Singh(KMS)
Head Editor, Founder & CEO
of,,  http://kmsraj51.com/

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cymt-kmsraj51

सकारात्मक सोच + निरंतर कार्य = सफलता।

स्वयं पर और स्व-कर्माे पर विश्वास माना सफलता का आधार(नींव) मज़बूत।

 ~KMSRAJ51

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

 ~KMSRAJ51

“अपने लक्ष्य को इतना महान बना दो, की व्यर्थ के लीये समय ही ना बचे” -Kmsraj51

 ~KMSRAJ51

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पिता का आशीर्वाद॥

kmsraj51 की कलम से

 “अपने लक्ष्य को इतना महान बना दो, की  व्यथ॔ के लीये समय ही ना बचे” -Kmsraj51

Soulword_kmsraj51 - Change Y M Tपिता का आशीर्वाद

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एक बार एक युवक अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने वाला था। उसकी बहुत दिनों से एक शोरूम में रखी स्पोर्टस कार लेने की इच्छा थी। उसने अपने पिता से कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने पर उपहारस्वरूप वह कार लेने की बात कही क्योंकि वह जानता था कि उसके पिता उसकी इच्छा पूरी करने में समर्थ हैं। कॉलेज के आखिरी दिन उसके पिता ने उसे अपने कमरे में बुलाया और कहा कि वे उसे बहुत प्यार करते हैं तथा उन्हें उस पर गर्व है। फिर उन्होंने उसे एक सुंदर कागज़ में लिपटा उपहार दिया । उत्सुकतापूर्वक जब युवक ने उस कागज़ को खोला तो उसे उसमें एक आकर्षक जिल्द वाली ‘भगवद् गीता’ मिली जिसपर उसका नाम भी सुनहरे अक्षरों में लिखा था। यह देखकर वह युवक आगबबूला हो उठा और अपने पिता से बोला कि इतना पैसा होने पर भी उन्होंने उसे केवल एक ‘भगवद् गीता’ दी। यह कहकर वह गुस्से से गीता वहीं पटककर घर छोड़कर निकल गया।

Father Day-kmsraj51

 

बहुत वर्ष बीत गए और वह युवक एक सफल व्यवसायी बन गया। उसके पास बहुत धन-दौलत और भरापूरा परिवार था। एक दिन उसने सोचा कि उसके पिता तो अब काफी वृद्ध हो गए होंगे। उसने अपने पिता से मिलने जाने का निश्चय किया क्योंकि उस दिन के बाद से वह उनसे मिलने कभी नहीं गया था। अभी वह अपने पिता से मिलने जाने की तैयारी कर ही रहा था कि अचानक उसे एक तार मिला जिसमें लिखा था कि उसके पिता की मृत्यु हो गई है और वे अपनी सारी संपत्ति उसके नाम कर गए हैं। उसे तुरंत वहाँ बुलाया गया था जिससे वह सारी संपत्ति संभाल सके।

वह उदासी और पश्चाताप की भावना से भरकर अपने पिता के घर पहुँचा। उसे अपने पिता की महत्वपूर्ण फाइलों में वह ‘भगवद् गीता’ भी मिली जिसे वह वर्षों पहले छोड़कर गया था। उसने भरी आँखों से उसके पन्ने पलटने शुरू किए। तभी उसमें से एक कार की चाबी नीचे गिरी जिसके साथ एक बिल भी था। उस बिल पर उसी शोरूम का नाम लिखा था जिसमें उसने वह स्पोर्टस कार पसंद की थी तथा उस पर उसके घर छोड़कर जाने से पिछले दिन की तिथि भी लिखी थी। उस बिल में लिखा था कि पूरा भुगतान कर दिया गया है।

कई बार हम भगवान की आशीषों और अपनी प्रार्थनाओं के उत्तरों को अनदेखा कर जाते हैं क्योंकि वे उस रूप में हमें प्राप्त नहीं होते जिस रूप में हम उनकी आशा करते हैं |

 

Post inspired by: 

Poojya Acharya Bal Krishan Ji Maharaj-KMSRAJ51

पूज्य आचार्य बाल कृष्ण जी महाराज

मैं श्री आचार्य बाल कृष्ण जी महाराज का बहुत आभारी हूँ!!

आपको दिल से शुक्रिया;

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जाे आपका आैर आपके समय के वैल्यू काे ना समझे।

उसके लिए कभी भी कार्य (Work) ना कराे॥

“अपने लक्ष्य को इतना महान बना दो, की  व्यथ॔ के लीये समय ही ना बचे” -Kmsraj51 

kmsraj51- C Y M T

kmsraj51 की कलम से …..

Coming soon book (जल्द ही आ रहा किताब)…..

“तू ना हो निराश कभी मन से”

 

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निन्यानबे का फेर !!

kmsraj51 की कलम से …..
nature_KMSRAJ51

निन्यानबे का फेर प्रेरक प्रसंग (ओशो द्वारा)

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दोस्तों,
एक सम्राट का एक नाई था। वह उसकी मालिश करता, हजामत बनाता। सम्राट बड़ा हैरान होता था कि वह हमेशा प्रसन्न, बड़ा आनंदित, बड़ा मस्त! उसको एक रुपया रोज मिलता था। बस, एक रुपया रोज में वह खूब खाता-पीता, मित्रों को भी खिलाता-पिलाता। सस्ते जमाने की बात थी। रात जब सोता तो उसके पास एक पैसा न होता; वह निश्चिन्त सोता। सुबह एक रुपया फिर उसे मिल जाता मालिश करके। वह बड़ा खुश था! इतना खुश था कि सम्राट को उससे ईर्ष्या होने लगी। सम्राट भी इतना खुश नहीं था। खुशी कहां! उदासी और चिंताओं के बोझ और पहाड़ उसके सिर पर थे।

उसने पूछा नाई से कि तेरी प्रसन्नता का राज क्या है? उसने कहा, मैं तो कुछ जानता नहीं, मैं कोई बड़ा बुद्धिमान नहीं। लेकिन, जैसे आप मुझे प्रसन्न देख कर चकित होते हो, मैं आपको देख कर चकित होता हूं कि आपके दुखी होने का कारण क्या है? मेरे पास तो कुछ भी नहीं है और मैं सुखी हूँ; आपके पास सब है, और आप सुखी नहीं! आप मुझे ज्यादा हैरानी में डाल देते हैं। मैं तो प्रसन्न हूँ, क्योंकि प्रसन्न होना स्वाभाविक है, और होने को है ही क्या?

वजीर से पूछा सम्राट ने एक दिन कि इसका राज खोजना पड़ेगा। यह नाई इतना प्रसन्न है कि मेरे मन में ईर्ष्या की आग जलती है कि इससे तो बेहतर नाई ही होते। यह सम्राट हो कर क्यों फंस गए? न रात नींद आती, न दिन चैन है; और रोज चिंताएं बढ़ती ही चली जाती हैं। घटता तो दूर, एक समस्या हल करो, दस खड़ी हो जाती हैं। तो नाई ही हो जाते।

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वजीर ने कहा, आप घबड़ाएं मत। मैं उस नाई को दुरुस्त किए देता हूँ।

वजीर तो गणित में कुशल था। सम्राट ने कहा, क्या करोगे? उसने कहा, कुछ नहीं। आप एक-दो-चार दिन में देखेंगे। वह एक निन्यानबे रुपये एक थैली में रख कर रात नाई के घर में फेंक आया। जब सुबह नाई उठा, तो उसने निन्यानबे गिने, बस वह चिंतित हो गया। उसने कहा, बस एक रुपया आज मिल जाए, तो आज उपवास ही रखेंगे, सौ पूरे कर लेंगे!

बस, उपद्रव शुरू हो गया। कभी उसने इकट्ठा करने का सोचा न था, इकट्ठा करने की सुविधा भी न थी। एक रुपया मिलता था, वह पर्याप्त था जरूरतों के लिए। कल की उसने कभी चिंता ही न की थी। ‘कल’ उसके मन में कभी छाया ही न डालता था; वह आज में ही जीया था। आज पहली दफा ‘कल’ उठा।

निन्यानबे पास में थे, सौ करने में देर ही क्या थी! सिर्फ एक दिन तकलीफ उठानी थी कि सौ हो जाएंगे। उसने दूसरे दिन उपवास कर दिया। लेकिन, जब दूसरे दिन वह आया सम्राट के पैर दबाने, तो वह मस्ती न थी, उदास था, चिंता में पड़ा था, कोई गणित चल रहा था। सम्राट ने पूछा, आज बड़े चिंतित मालूम होते हो? मामला क्या है?

उसने कहा: नहीं हजूर, कुछ भी नहीं, कुछ नहीं सब ठीक है।

मगर आज बात में वह सुगंध न थी जो सदा होती थी। ‘सब ठीक है’ ऐसे कह रहा था जैसे सभी कहते हैं, सब ठीक है। जब पहले कहता था तो सब ठीक था ही। आज औपचारिक कह रहा था।

सम्राट ने कहा, नहीं मैं न मानूंगा। तुम उदास दिखते हो, तुम्हारी आंख में रौनक नहीं। तुम रात सोए ठीक से?

उसने कहा, अब आप पूछते हैं तो आपसे झूठ कैसे बोलूं! रात नहीं सो पाया। लेकिन सब ठीक हो जाएगा, एक दिन की बात है। आप घबड़ाएं मत।

लेकिन वह चिंता उसकी रोज बढ़ती गई। सौ पूरे हो गए, तो वह सोचने लगा कि अब सौ तो हो ही गए; अब धीरे-धीरे इकट्ठा कर लें, तो कभी दो सौ हो जाएंगे। अब एक-एक कदम उठने लगा। वह पंद्रह दिन में बिलकुल ही ढीला-ढाला हो गया, उसकी सब खुशी चली गई। सम्राट ने कहा, अब तू बता ही दे सच-सच, मामला क्या है? मेरे वजीर ने कुछ किया?

तब वह चौंका। नाई बोला, क्या मतलब? आपका वजीर? अच्छा, तो अब मैं समझा। अचानक मेरे घर में एक थैली पड़ी मिली मुझे – निन्यानबे रुपए। बस, उसी दिन से मैं मुश्किल में पड़ गया हूं। निन्यानबे का फेर!

मित्रों अपने बहुमूल्य विचार हमें नीचे Comment के माध्यम से दें! धन्यवाद्!!

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7 Habits जो बना सकती हैं आपको Super Successful !!


kmsraj51 की कलम से …..
PEN KMSRAJ51-PEN


7-Habits-of-Highly-Effective-People-Hindi7 Habits of Highly Effective People

7 Habits जो बना सकतीं हैं आपको Super Successful

आपकी ज़िन्दगी बस यूँ ही नहीं घट जाती. चाहे आप जानते हों या नहीं , ये आपही के द्वारा डिजाईन की जाती है. आखिरकार आप ही अपने विकल्प चुनते हैं. आप खुशियाँ चुनते हैं . आप दुःख चुनते हैं.आप निश्चितता चुनते हैं. आप अपनी अनिश्चितता चुनते हैं.आप अपनी सफलता चुनते हैं. आप अपनी असफलता चुनते हैं.आप साहस चुनते हैं.आप डर चुनते हैं.इतना याद रखिये कि हर एक क्षण, हर एक परिस्थिति आपको एक नया विकल्प देती है.और ऐसे में आपके पास हमेशा ये opportunity होती है कि आप चीजों को अलग तेरीके से करें और अपने लिए और positive result produce करें.

Habit 1 : Be Proactive / प्रोएक्टिव बनिए

Proactive होने का मतलब है कि अपनी life के लिए खुद ज़िम्मेदार बनना. आप हर चीज केलिए अपने parents या grandparents को नही blame कर सकते . Proactive लोग इस बात को समझते हैं कि वो “response-able” हैं . वो अपने आचरण के लिए जेनेटिक्स , परिस्थितियों, या परिवेष को दोष नहीं देते हैं.उन्हें पता होताहै कि वो अपना व्यवहार खुद चुनते हैं. वहीँ दूसरी तरफ जो लोग reactive होते हैं वो ज्यादातर अपने भौतिक वातावरण से प्रभावितहोते हैं. वो अपने behaviour के लिए बाहरी चीजों को दोष देते हैं. अगर मौसम अच्छा है, तोउन्हें अच्छा लगता है.और अगर नहीं है तो यह उनके attitude और performance को प्रभावित करता है, और वो मौसम को दोष देते हैं. सभी बाहरी ताकतें एक उत्तेजना की तरह काम करती हैं , जिन पर हम react करते हैं. इसी उत्तेजना और आप उसपर जो प्रतिक्रिया करते हैं के बीच में आपकी सबसे बड़ी ताकत छिपी होती है- और वो होती है इस बात कि स्वतंत्रता कि आप अपनी प्रतिक्रिया का चयन स्वयम कर सकते हैं. एक बेहद महत्त्वपूर्ण चीज होती है कि आप इस बात का चुनाव कर सकते हैं कि आप क्या बोलते हैं.आप जो भाषा प्रयोग करते हैं वो इस बात को indicate करती है कि आप खुद को कैसे देखते हैं.एक proactive व्यक्ति proactive भाषा का प्रयोग करता है.–मैं कर सकता हूँ, मैं करूँगा, etc. एक reactive व्यक्ति reactive भाषा का प्रयोग करता है- मैं नहीं कर सकता, काश अगर ऐसा होता , etc. Reactive लोग सोचते हैं कि वो जो कहते और करते हैं उसके लिए वो खुद जिम्मेदार नहीं हैं-उनके पास कोई विकल्प नहीं है.
ऐसी परिस्थितियां जिन पर बिलकुल भी नहीं या थोड़ा-बहुत control किया जा सकता है , उसपर react या चिंता करने के बजाये proactive लोग अपना time और energy ऐसी चीजों में लगाते हैं जिनको वो control कर सकें. हमारे सामने जो भी समस्याएं ,चुनतिया या अवसर होते हैं उन्हें हम दो क्षेत्रों में बाँट सकते हैं:


Circles

1)Circle of Concern ( चिंता का क्षेत्र )

2)Circle of Influence. (प्रभाव का क्षेत्र )

Proactive लोग अपना प्रयत्न Circle of Influence पर केन्द्रित करते हैं.वो ऐसी चीजों पर काम करते हैं जिनके बारे में वो कुछ कर सकते हैं: स्वास्थ्य , बच्चे , कार्य क्षेत्र कि समस्याएं. Reactive लोग अपना प्रयत्न Circle of Concern पर केन्द्रित करते हैं: देश पर ऋण , आतंकवाद, मौसम. इसबात कि जानकारी होना कि हम अपनी energy किन चीजों में खर्च करते हैं, Proactive बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है.

Habit 2: Begin with the End in Mind अंत को ध्यान में रख कर शुरुआत करें.

तो , आप बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं? शायद यह सवाल थोड़ा अटपटा लगे,लेकिन आप इसके बारे में एक क्षण के लिए सोचिये. क्या आप अभी वो हैं जो आप बनना चाहते थे, जिसका सपना आपने देखा था, क्या आप वो कर रहे हैं जो आप हमेशा से करना चाहते थे. इमानदारी से सोचिये. कई बार ऐसा होता है कि लोग खुद को ऐसी जीत हांसिल करते हुए देखते हैं जो दरअसल खोखली होती हैं–ऐसी सफलता, जिसके बदले में उससे कहीं बड़ी चीजों को गवाना पड़ा. यदि आपकी सीढ़ी सही दीवार पर नहीं लगी है तो आप जो भी कदम उठाते हैं वो आपको गलत जगह पर लेकर जाता है.

Habit 2 आपके imagination या कल्पना पर आधारित है– imagination , यानि आपकी वो क्षमता जो आपको अपने दिमाग में उन चीजों को दिखा सके जो आप अभी अपनी आँखों से नहीं देख सकते. यह इस सिधांत पर आधारित है कि हर एक चीज का निर्माण दो बार होता है. पहला mental creation, और दूसरा physical creation. जिस तरह blue-print तैयार होने केबाद मकान बनता है , उसी प्रकार mental creation होने के बाद ही physical creation होती है.अगर आप खुद visualize नहीं करते हैं कि आप क्या हैं और क्या बनना चाहते हैं तो आप, आपकी life कैसी होगी इस बात का फैसला औरों पर और परिस्थितियों पर छोड़ देते हैं. Habit 2 इस बारे में है कि आप किस तरह से अपनी विशेषता को पहचानते हैं,और फिर अपनी personal, moral और ethical guidelines के अन्दर खुद को खुश रख सकते और पूर्ण कर सकते हैं.अंत को ध्यान में रख कर आरम्भ करने का अर्थ है, हर दिन ,काम या project की शुरआत एक clear vision के साथ करना कि हमारी क्या दिशा और क्या मंजिल होनी चाहिए, और फिर proactively उस काम को पूर्ण करने में लग जाना.
Habit 2 को practice मेंलाने का सबसे अच्छा तरीका है कि अपना खुद का एक Personal Mission Statement बनाना. इसका फोकस इस बात पर होगा कि आप क्या बनना चाहते हैं और क्या करना चाहते हैं.ये success के लिए की गयी आपकी planning है.ये इस बात की पुष्टिकरता है कि आप कौन हैं,आपके goals को focus में रखता है, और आपके ideas को इस दुनिया में लाता है. आपका Mission Statement आपको अपनी ज़िन्दगी का leader बनाता है. आप अपना भाग्य खुद बनाते हैं, और जो सपने आपने देखे हैं उन्हें साकार करते हैं.


Habit 3 : Put First Things First प्राथमिक चीजों को वरीयता दें

एक balanced life जीने के लिए, आपको इस बात को समझना होगा कि आप इस ज़िन्दगीमें हर एक चीज नहीं कर सकते. खुद को अपनी क्षमता से अधिक कामो में व्यस्त करने की ज़रुरत नहीं है. जब ज़रूरी हो तो “ना” कहने में मत हिचकिये, और फिर अपनी important priorities पर focus कीजिये.
Habit 1 कहतीहै कि , ” आप in charge हैं .आप creator हैं”. Proactive होना आपकी अपनी choice है. Habit 2 पहले दिमाग में चीजों को visualize करने के बारे में है. अंत को ध्यान में रख कर शुरआत करना vision से सम्बंधित है. Habit 3 दूसरी creation , यानि physical creation के बारे में है. इस habit में Habit 1 और Habit 2 का समागम होता है. और यह हर समय हर क्षण होता है. यह Time Management से related कई प्रश्नों को deal करता है.

लेकिन यह सिर्फ इतना ही नहीं है. Habit 3 life management के बारे में भी है—आपका purpose, values, roles ,और priorities. “प्राथमिक चीजें” क्या हैं? प्राथमिक चीजें वह हैं , जिसको आप व्यक्तिगत रूप से सबसे मूल्यवान मानते हों. यदि आप प्राथमिक कार्यों को तरजीह देने का मतलब है कि , आप अपना समय , अपनी उर्जा Habit 2 में अपने द्वारा set की गयीं priorities पर लगा रहे हैं.

Habit 4: Think Win-Win हमेशा जीत के बारे में सोचें

Think Win-Win अच्छा होने के बारे में नहीं है, ना ही यह कोईshort-cut है. यहcharacter पर आधारित एक कोड है जो आपको बाकी लोगों सेinteract और सहयोग करने के लिए है.
हममे से ज्यादातर लोग अपना मुल्यांकन दूसरों सेcomparison और competition के आधार पर करते हैं. हम अपनी सफलता दूसरों की असफलता में देखते हैं—यानि अगर मैं जीता, तो तुम हारे, तुम जीते तो मैं हारा. इस तरह life एकzero-sum game बन जाती है. मानो एक ही रोटी हो, और अगर दूसरा बड़ा हिस्सा ले लेता है तो मुझे कम मिलेगा, और मेरी कोशिश होगी कि दूसरा अधिक ना पाए. हम सभी येgame खेलते हैं, लेकिन आप ही सोचिये कि इसमें कितना मज़ा है?
Win -Win ज़िन्दगी कोco-operation की तरह देखती है, competition कीतरह नहीं.Win-Win दिल और दिमाग की ऐसी स्थिति है जो हमेंलगातार सभी काहित सोचने के लिए प्रेरित करती है.Win-Win का अर्थ है ऐसे समझौते और समाधान जो सभी के लिए लाभप्रद और संतोषजनक हैं. इसमें सभी खाने को मिलती है, और वो काफी अच्छाtaste करती है.
एक व्यक्ति या संगठन जोWin-Win attitude के साथ समस्याओं को हल करने की कोशिश करता है उसके अन्दर तीन मुख्य बातें होती हैं:
Integrity / वफादारी :अपनेvalues, commitments औरfeelings के साथ समझौता ना करना.
Maturity / परिपक्वता : अपनेideas औरfeelings को साहस के साथ दूसरों के सामने रखना और दूसरों के विचारों और भावनाओं की भी कद्र करना.
Abundance Mentality / प्रचुरता की मानसिकता :इस बात में यकीन रखना की सभी के लिए बहुत कुछ है.
बहुत लोग either/or केterms में सोचते हैं: या तो आप अच्छे हैं या आप सख्त हैं. Win-Win में दोनों की आवश्यकता होती है. यह साहस और सूझबूझ के बीचbalance करने जैसा है.Win-Win को अपनाने के लिए आपको सिर्फ सहानभूतिपूर्ण ही नहीं बल्कि आत्मविश्वाश से लबरेज़ भी होना होगा.आपको सिर्फ विचारशील और संवेदनशील ही नहीं बल्कि बहादुर भी होना होगा.ऐसा करनाकि -courage और consideration मेंbalance स्थापित हो, यहीreal maturity है, और Win-Win के लिए बेहद ज़रूरी है.

Habit 5: Seek First to Understand, Then to Be Understood / पहले दूसरों को समझो फिर अपनी बात समझाओ.

Communication लाइफ की सबसे ज़रूरी skill है. आप अपने कई साल पढना-लिखना और बोलना सीखने में लगा देते हैं. लेकिन सुनने का क्या है? आपको ऐसी कौनसी training मिली है, जो आपको दूसरों को सुनना सीखाती है,ताकि आप सामने वाले को सच-मुच अच्छे से समझ सकें? शायद कोई नहीं? क्यों?
अगर आप ज्यादातर लोगों की तरह हैं तो शायद आप भी पहले खुद आपनी बात समझाना चाहते होंगे. और ऐसा करने में आप दुसरे व्यक्तिको पूरी तरह ignore कर देते होंगे , ऐसा दिखाते होंगे कि आप सुन रहे हैं,पर दरअसल आप बस शब्दों को सुनते हैं परउनके असली मतलब को पूरी तरह से miss कर जाते हैं.

सोचिये ऐसा क्यों होता है? क्योंकि ज्यादातर लोग इस intention के साथ सुनते हैं कि उन्हें reply करना है, समझना नहीं है.आप अन्दर ही अन्दर खुद को सुनते हैं और तैयारी करते हैं कि आपको आगे क्या कहना है,क्या सवाल पूछने हैं, etc. आप जो कुछ भी सुनते हैं वो आपके life-experiences से छनकर आप तक पहुचता है.
आप जो सुनते हैं उसे अपनी आत्मकथा से तुलना कर देखते हैं कि ये सही है या गलत. और इस वजह से आप दुसरे की बात ख़तम होने से पहले ही अपने मन में एक धारणा बना लेते हैं कि अगला क्या कहना चाहता है. क्या ये वाक्य कुछ सुने-सुने से लगते है?
“अरे, मुझे पता है कि तुम कैसा feel कर रहे हो.मुझे भी ऐसा ही लगा था.” “मेरे साथ भी भी ऐसा ही हुआ था.” ” मैं तुम्हे बताता हूँ कि ऐसे वक़्तमें मैंने क्या किया था.”
चूँकि आप अपने जीवन के अनुभवों के हिसाब से ही दूसरों को सुनते हैं. आप इन चारों में से किसी एक तरीके से ज़वाब देते हैं:
Evaluating/ मूल्यांकन:पहले आप judge करते हैं उसके बाद सहमत या असहमत होते हैं.
Probing / जाँच :आप अपने हिसाब से सवाल-जवाब करते हैं.
Advising/ सलाह :आप सलाह देते हैं और उपाय सुझाते हैं.
Interpreting/ व्याख्या :आप दूसरों के मकसद और व्यवहार को अपने experience के हिसाब से analyze करते हैं.
शायदआप सोच रहे हों कि, अपनेexperience के हिसाब से किसी सेrelate करने में बुराई क्याहै?कुछsituations में ऐसा करना उचित हो सकत है, जैसे कि जब कोई आपसे आपके अनुभवों के आधार पर कुछ बतानेके लिए कहे, जब आप दोनों के बीच एकtrust कीrelationship हो. पर हमेशा ऐसा करना उचित नहीं है.

Habit 6: Synergize / ताल-मेल बैठाना

सरल शब्दों में समझें तो , “दो दिमाग एक से बेहतर हैं ” Synergize करने का अर्थ है रचनात्मक सहयोग देना. यह team-work है. यह खुले दिमाग से पुरानी समस्याओं के नए निदान ढूँढना है.

पर ये युहीं बस अपने आप ही नहीं हो जाता. यह एक process है , और उसी process से, लोग अपनेexperience और expertise को उपयोग में ला पाते हैं .अकेले की अपेक्षा वो एक साथ कहीं अच्छाresult दे पाते हैं. Synergy से हम एक साथ ऐसा बहुत कुछ खोज पाते हैं जो हमारे अकेले खोजने पर शायद ही कभी मिलता. ये वो idea है जिसमे the whole is greater than the sum of the parts. One plus one equals three, or six, or sixty–या उससे भी ज्यादा.

जब लोग आपस में इमानदारी से interact करने लगते हैं, और एक दुसरे से प्रभावित होने के लिए खुले होते हैं , तब उन्हें नयी जानकारीयाँ मिलना प्रारम्भ हो जाता है. आपस में मतभेद नए तरीकों के आविष्कार की क्षमता कई गुना बढ़ा देते हैं.

मतभेदों को महत्त्व देना synergy का मूल है. क्या आप सच-मुच लोगों के बीच जो mental, emotional, और psychological differences होते हैं, उन्हें महत्त्व देते हैं? या फिर आप ये चाहते हैं कि सभी लोग आपकी बात मान जायें ताकि आप आसानी से आगे बढ़ सकें? कई लोग एकरूपता को एकता समझ लेते हैं. आपसी मतभेदों को weakness नहीं strength के रूप में देखना चाहिए. वो हमारे जीवन में उत्साह भरते हैं.

Habit 7: Sharpen the Saw कुल्हाड़ी को तेज करें

Sharpen the Saw का मतलब है अपने सबसे बड़ी सम्पत्ति यानि खुद को सुरक्षित रखना. इसका अर्थ है अपने लिए एक प्रोग्राम डिजाईन करना जो आपके जीवन के चार क्षेत्रों physical, social/emotional, mental, and spiritual में आपका नवीनीकरण करे. नीचे ऐसी कुछ activities केexample दिए गए हैं:

 Physical / शारीरिक :अच्छा खाना, व्यायाम करना, आराम करना
 Social/Emotional /:सामजिक/भावनात्मक :औरों के ससाथ सामाजिक और अर्थपूर्ण सम्बन्ध बनाना.
 Mental / मानसिक :पढना-लिखना, सीखना , सीखना.
 Spiritual / आध्यात्मिक :प्रकृति के साथ समय बीताना , ध्यान करना, सेवा करना.

आप जैसे -जैसे हर एक क्षेत्र में खुद को सुधारेंगे, आप अपने जीवन में प्रगति और बदलाव लायेंगे.Sharpen the Saw आपको fresh रखता है ताकि आप बाकी की six habits अच्छे से practice कर सकें. ऐसा करने से आप challenges face करने की अपनी क्षमता को बढ़ा लेते हैं. बिना ऐसा किये आपका शरीर कमजोर पड़ जाता है , मस्तिष्क बुद्धिरहित हो जाता है, भावनाए ठंडी पड़ जाती हैं,स्वाभाव असंवेदनशील हो जाता है,और इंसान स्वार्थी हो जाता है. और यह एक अच्छी तस्वीर नहीं है, क्यों?

आप अच्छा feel करें , ऐसा अपने आप नहीं होता. एक balanced life जीने काअर्थ है खुद कोrenew करने के लिए ज़रूरी वक़्त निकालना.ये सब आपके ऊपरहै .आप खुद को आराम करकेrenew कर सकते हैं. या हर काम अत्यधिक करके खुद को जला सकते हैं . आप खुद को mentallyऔर spiritually प्यार कर सकते हैं , या फिर अपने well-being से बेखबर यूँ ही अपनी ज़िन्दगी बिता सकते हैं.आप अपने अन्दर जीवंत उर्जा का अनुभव कर सकते हैं या फिर टाल-मटोल कर अच्छे स्वास्थ्य और व्यायाम के फायदों को खो सकते हैं.

आप खुद को पुनर्जीवित कर सकते हैं और एक नए दिन का स्वागत शांति और सद्भावके साथ कर सकते हैं.या फिर आप उदासी के साथ उठकर दिन को गुजरते देख सकतेहैं. बस इतना याद रखिये कि हर दिन आपको खुद को renew करने का एक नया अवसरदेता है, अवसर देता है खुद को recharge करने का. बस ज़रुरत है Desire (इच्छा),Knowledge( ज्ञान)और Skills(कौशल) की.

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Post inspired by AKC. I am grateful to Mr. Gopal Mishra & AKC (http://www.achhikhabar.com/) Thanks a lot !!


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दो प्रेरक कहानी हिन्दी में ~ Two Motivational Story in Hindi !!



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अच्छाई से क्यूँ बाज़ आऊं ?



First =>
एक बार अकबर , बीरबल के साथ दरिया के किनारे बेठे थे, उनकी नज़र एक बिच्छू पर पड़ी जो पानी में डूब रहा था. अकबर ने उसे डूबने से बचाने के लिए पकड़ा तो उसने डंक मार दिया. कुछ देर बाद वो दोबारा पानी में जा गिरा , इस बार फिर अकबर उसे बचने के लिए आगे बढे, पर उसने फिर डंक मार दिया . चार बार ऐसा ही हुआ, तब बीरबल से रहा न गया तो उसने पूछा हुजुर आपका ये काम हमारी समझ के बाहर है, ये डंक मार रहा है और आप इसे बचने से बाज़ नहीं आते. उन्होंने बहुत तकलीफ में मुस्कुराते हुए कहा कि जब ये बुराई से बाज़ नहीं आता तो मैं अच्छाई से क्यूँ बाज़ आऊं!

::::::::::: – And – :::::::::::



Second =>
रमन के पड़ोस में एक मोची रहता था. वह दिन भर तो अपनी झोंपड़ी के दरवाज़े पर सुकून से बैठकर जूते गांठता रहता मगर शाम को शराब पीकर उधम मचाता और जोर-जोर से गाने गाता. रमन अपने मकान के किसी कोने में रात भर हर चीज़ से बेपरवा पूजा पाठ में मशगूल रहते. पडोसी का शोर उनके कानो तक पहुँचता मगर उन्हें कभी गुस्सा नहीं आता. एक रात उन्हें उस मोची का शोर सुनाई नहीं दिया . इमाम बेचैन हो गए और बेचैनी से सुबह का इंतज़ार करने लगे. सुबह होते ही उन्होंने आस-पड़ोस में मोची के बारे में पूछा. मालूम हुआ कि सिपाही उसे पकड़ कर ले गए हैं क्यूंकि वह रात में शोर मचा मचा कर दूसरों कि नींदें हराम करता था.

उस समय अकबर की हुकूमत थी. बार-बार आमंत्रित करने पर भी रमन ने कभी उसकी देहलीज़ पर कदम नहीं रखा था मगर उस रोज़ वह पडोसी को छुड़ाने के लिए पहली बार अकबर के दरबार में पहुंचे. अकबर को उनका मकसद मालूम हुआ तो वह कुछ देर रुका फिर कहा – “रमन ये बहुत ख़ुशी का मौका है कि आप दरबार में तशरीफ़ लाये. आपकी इज्ज़त में हम सिर्फ आपके पडोसी नहीं बल्कि तमाम कैदियों कि रिहाई का हुक्म देते हैं “. इस वाकये का रमन के पडोसी पर इतना गहरा असर हुआ कि उसने शराब छोड़ दी और फिर उसने मोहल्ले वालों को कभी परेशान नहीं किया!!



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अपने दिल की आवाज सुनो !!


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^^ अपने दिल की आवाज सुनो ^^
heart


एक बार किसी गाँव में एक बुढ़िया रात के अँधेरे में अपनी झोपडी के बाहर कुछ खोज रही थी .तभी गाँव के ही एक व्यक्ति की नजर उस पर पड़ी , “अम्मा इतनी रात में रोड लाइट के नीचे क्या ढूंढ रही हो ?””व्यक्ति ने पूछा.”
कुछ नहीं मेरी सुई गम हो गयी है बस वही खोज रही हूँ.”, बुढ़िया ने उत्तर दिया.

फिर क्या था, वो व्यक्ति भी महिला की मदद करनेके लिए रुक गया और साथमें सुई खोजने लगा. कुछ देर में और भी लोग इस खोज अभियान में शामिल होगए और देखते- देखते लगभग पूरा गाँव ही इकठ्ठा हो गया.

सभी बड़े ध्यान से सुई खोजने में लगे हुए थे कि तभी किसी ने बुढ़िया से पूछा ,” अरे अम्मा !ज़रा ये तो बताओ कि सुई गिरी कहाँ थी?”

”बेटा , सुई तो झोपड़ी के अन्दर गिरी थी .”, बुढ़िया ने ज़वाब दिया.

ये सुनते ही सभी बड़े क्रोधित हो गए और भीड़ में से किसी ने ऊँची आवाज में कहा , ” कमाल करती हो अम्मा ,हम इतनी देर से सुई यहाँ ढूंढ रहे हैं जबकि सुई अन्दर झोपड़े में गिरी थी, आखिर सुई वहां खोजने की बजाये यहाँ बाहर क्यों खोज रही हो ?”

“क्योंकि रोड पर लाइट जल रही है…इसलिए .”, बुढ़िया बोली.

मित्रों, शायद ऐसा ही आज के युवा अपने भविष्य को लेकर सोचते हैं कि लाइट कहाँ जल रही है वो ये नहीं सोचते कि हमारा दिल क्या कह रहा है ; हमारी सुई कहाँ गिरी है .

हमेंचाहिए कि हम ये जानने की कोशिश करें कि हम किस फील्ड में अच्छा कर सकते हैं और उसी में अपना करीयर बनाएं ना कि भेड़ चाल चलते हुए किसी ऐसी फील्ड में घुस जाएं जिसमे बाकी लोग जा रहे हों या जिसमे हमें अधिक पैसा नज़र आ रहा हो .



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दिल को छूने वाली – एक बच्चे के ख्वाइश ~ A heart touching child story !!


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^^ दिल को छूने वाली – एक बच्चे के ख्वाइश ^^
Kids_Education-KMSRAJ51


वह प्राइमरी स्कूल की टीचर थी | सुबह उसने बच्चो का टेस्ट लिया था और उनकी कॉपिया जाचने के लिए घर ले आई थी |बच्चो की कॉपिया देखते देखते उसके आंसू बहने लगे | उसका पति वही लेटे TV देख रहा था | उसने रोने का कारण पूछा ।

टीचर बोली , सुबह मैंने बच्चो को ‘मेरी सबसे बड़ी ख्वाइश’ विषय पर कुछ पंक्तिया लिखने को कहा था ; एक बच्चे ने इच्छा जाहिर करी है की भगवन उसे टेलीविजन बना दे |

यह सुनकर पतिदेव हंसने लगे |

टीचर बोली , आगे तो सुनो बच्चे ने लिखा है यदि मै TV बन जाऊंगा, तो घर में मेरी एक खास जगह होगी और सारा परिवार मेरे इर्द-गिर्द रहेगा | जब मै बोलूँगा, तो सारे लोग मुझे ध्यान से सुनेंगे | मुझे रोका टोका नहीं जायेंगा और नहीं उल्टे सवाल होंगे | जब मै TV बनूंगा, तो पापा ऑफिस से आने के बाद थके होने के बावजूद मेरे साथ बैठेंगे | मम्मी को जब तनाव होगा, तो वे मुझे डाटेंगी नहीं, बल्कि मेरे साथ रहना चाहेंगी | मेरे बड़े भाई-बहनों के बीच मेरे पास रहने के लिए झगडा होगा | यहाँ तक की जब TV बंद रहेंगा, तब भी उसकी अच्छी तरह देखभाल होंगी | और हा, TV के रूप में मै सबको ख़ुशी भी दे सकूँगा | “

यह सब सुनने के बाद पति भी थोड़ा गंभीर होते हुए बोला , ‘हे भगवान ! बेचारा बच्चा …. उसके माँ-बाप तो उस पर जरा भी ध्यान नहीं देते !’

टीचर पत्नी ने आंसूं भरी आँखों से उसकी तरफ देखा और बोली, जानते हो, यह बच्चा कौन है?
…..हमारा अपना बच्चा…..हमारा छोटू |”

सोचिये, यह छोटू कही आपका बच्चा तो नहीं ।

मित्रों , आज की भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में हमें वैसे ही एक दूसरे के लिए कम वक़्त मिलता है , और अगर हम वो भी सिर्फ टीवी देखने , मोबाइल पर गेम खेलने और फेसबुक से चिपके रहने में गँवा देंगे तो हम कभी अपने रिश्तों की अहमियत और उससे मिलने वाले प्यार को नहीं समझ पायेंगे। चलिए प्रयास करें की हमारी वजह से किसी छोटू को टीवी बनने के बारे में ना सोचना पड़े!

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घमंडी कौवा !!



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^^ घमंडी कौवा ^^


crow


हंसों का एक झुण्ड समुद्र तट के ऊपर से गुज़र रहा था , उसी जगह एक कौवा भी मौज मस्ती कर रहा था . उसने हंसों को उपेक्षा भरी नज़रों से देखा “तुम लोग कितनी अच्छी उड़ान भर लेते हो !” कौवा मज़ाक के लहजे में बोला, “तुम लोग और कर ही क्या सकते हो बस अपना पंख फड़फड़ा कर उड़ान भर सकते हो !!! क्या तुम मेरी तरह फूर्ती से उड़ सकते हो ??? मेरी तरह हवा में कलाबाजियां दिखा सकते हो ???…नहीं , तुम तो ठीक से जानते भी नहीं कि उड़ना किसे कहते हैं !”

कौवे की बात सुनकर एक वृद्ध हंस बोला ,” ये अच्छी बात है कि तुम ये सब कर लेते हो , लेकिन तुम्हे इस बात पर घमंड नहीं करना चाहिए .”

” मैं घमंड – वमंड नहीं जानता , अगर तुम में से कोई भी मेरा मुकाबला कर सकत है तो सामने आये और मुझे हरा कर दिखाए .”

एक युवा नर हंस ने कौवे की चुनौती स्वीकार कर ली . यह तय हुआ कि प्रतियोगिता दो चरणों में होगी , पहले चरण में कौवा अपने करतब दिखायेगा और हंस को भी वही करके दिखाना होगा और दूसरे चरण में कौवे को हंस के करतब दोहराने होंगे .

प्रतियोगिता शुरू हुई , पहले चरण की शुरुआत कौवे ने की और एक से बढ़कर एक कलाबजिया दिखाने लगा , वह कभी गोल-गोल चक्कर खाता तो कभी ज़मीन छूते हुए ऊपर उड़ जाता . वहीँ हंस उसके मुकाबले कुछ ख़ास नहीं कर पाया . कौवा अब और भी बढ़-चढ़ कर बोलने लगा ,” मैं तो पहले ही कह रहा था कि तुम लोगों को और कुछ भी नहीं आता …ही ही ही …”

फिर दूसरा चरण शुरू हुआ , हंस ने उड़ान भरी और समुद्र की तरफ उड़ने लगा . कौवा भी उसके पीछे हो लिया ,” ये कौन सा कमाल दिखा रहे हो , भला सीधे -सीधे उड़ना भी कोई चुनौती है ??? सच में तुम मूर्ख हो !”, कौवा बोला .

पर हंस ने कोई ज़वाब नही दिया और चुप-चाप उड़ता रहा, धीरे-धीरे वे ज़मीन से बहुत दूर होते गए और कौवे का बडबडाना भी कम होता गया , और कुछ देर में बिलकुल ही बंद हो गया . कौवा अब बुरी तरह थक चुका था , इतना कि अब उसके लिए खुद को हवा में रखना भी मुश्किल हो रहा था और वो बार -बार पानी के करीब पहुच जा रहा था . हंस कौवे की स्थिति समझ रहा था , पर उसने अनजान बनते हुए कहा ,” तुम बार-बार पानी क्यों छू रहे हो , क्या ये भी तुम्हारा कोई करतब है ?””नहीं ” कौवा बोला ,” मुझे माफ़ कर दो , मैं अब बिलकुल थक चूका हूँ और यदि तुमने मेरी मदद नहीं की तो मैं यहीं दम तोड़ दूंगा ….मुझे बचा लो मैं कभी घमंड नहीं दिखाऊंगा …”

हंस को कौवे पर दया आ गयी, उसने सोचा कि चलो कौवा सबक तो सीख ही चुका है , अब उसकी जान बचाना ही ठीक होगा ,और वह कौवे को अपने पीठ पर बैठा कर वापस तट की और उड़ चला .

दोस्तों,हमे इस बात को समझना चाहिए कि भले हमें पता ना हो पर हर किसी में कुछ न कुछ quality होती है जो उसे विशेष बनाती है. और भले ही हमारे अन्दर हज़ारों अच्छाईयां हों , पर यदि हम उसपे घमंड करते हैं तो देर-सबेर हमें भी कौवे की तरह शर्मिंदा होना पड़ता है। एक पुरानी कहावत भी है ,”घमंडी का सर हमेशा नीचा होता है।” , इसलिए ध्यान रखिये कि कहीं जाने -अनजाने आप भी कौवे वाली गलती तो नहीं कर रहे ?


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दर्जी की सीख ~ Short Motivational Story in Hindi !!


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दर्जी की सीख


एक दिन किसी कारण से स्कूल में छुट्टी की घोषणा होने के कारण, एक दर्जी का बेटा, अपने पापा की दुकान पर चला गया ।वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पापा को काम करते हुए देखने लगा । उसने देखा कि उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास टांग से दबा कर रख देते हैं । फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सु ई को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं । जब उसने इसी क्रिया को चार-पाँच बार देखा तो उससे रहा नहीं गया .
तो उसने अपने पापा से कहा कि वह एक बात उनसे पूछना चाहता है ?
पापा ने कहा- बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो ?
बेटा बोला- पापा मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं , आप जब भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद कैंची को पैर के नीचे दबा देते हैं, और सुई से कपड़ा सीने के बाद, उसे टोपी पर लगा लेते हैं, ऐसा क्यों ?
इसका जो उत्तर पापा ने दिया- उन दो पंक्तियाँ में मानों उसने ज़िन्दगी का सार समझा दिया ।


उत्तर था- ” बेटा, कैंची काटने का काम करती है, और सुई जोड़ने का काम करती है, और काटने वाले की जगह हमेशा नीची होती है परन्तु जोड़ने वाले की जगह हमेशा ऊपर होती है । यही कारण है कि मैं सुई को टोपी पर लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे रखता हूं ।”


KMSRAJ51-GREAT THOUGHTS-3

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भगवान बचाएगा !!

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^^ भगवान बचाएगा !! ^^


एक समय की बात है किसी गाँव में एक साधु रहता था, वह भगवान का बहुत बड़ा भक्त था और निरंतर एक पेड़ के नीचे बैठ कर तपस्या किया करता था | उसका भागवान पर अटूट विश्वास था और गाँव वाले भी उसकी इज्ज़त करते थे|

एक बार गाँव में बहुत भीषण बाढ़ आ गई | चारो तरफ पानी ही पानी दिखाई देने लगा, सभी लोग अपनी जान बचाने के लिए ऊँचे स्थानों की तरफ बढ़ने लगे | जब लोगों ने देखा कि साधु महाराज अभी भी पेड़ के नीचे बैठे भगवान का नाम जप रहे हैं तो उन्हें यह जगह छोड़ने की सलाह दी|

पर साधु ने कहा – तुम लोग अपनी जान बचाओ मुझे तो मेरा भगवान बचाएगा!

op

धीरे-धीरे पानी का स्तर बढ़ता गया , और पानी साधु के कमर तक आ पहुंचा , इतने में वहां से एक नाव गुजरी| मल्लाह ने कहा – हे साधू महाराज आप इस नाव पर सवार हो जाइए मैं आपको सुरक्षित स्थान तक पहुंचा दूंगा |”

“नहीं, मुझे तुम्हारी मदद की आवश्यकता नहीं है , मुझे तो मेरा भगवान बचाएगा !! “, साधु ने उत्तर दिया.

नाव वाला चुप-चाप वहां से चला गया.

कुछ देर बाद बाढ़ और प्रचंड हो गयी , साधु ने पेड़ पर चढ़ना उचित समझा और वहां बैठ कर ईश्वर को याद करने लगा | तभी अचानक उन्हें गड़गडाहत की आवाज़ सुनाई दी, एक हेलिकोप्टर उनकी मदद के लिए आ पहुंचा, बचाव दल ने एक रस्सी लटकाई और साधु को उसे जोर से पकड़ने का आग्रह किया|

पर साधु फिर बोला – मैं इसे नहीं पकडूँगा, मुझे तो मेरा भगवान बचाएगा |

उनकी हठ के आगे बचाव दल भी उन्हें लिए बगैर वहां से चला गया | कुछ ही देर में पेड़ बाढ़ की धारा में बह गया और साधु की मृत्यु हो गयी |

मरने के बाद साधु महाराज स्वर्ग पहुचे और भगवान से बोले -. हे प्रभु मैंने तुम्हारी पूरी लगन के साथ आराधना की… तपस्या की पर जब मै पानी में डूब कर मर रहा था तब तुम मुझे बचाने नहीं आये, ऐसा क्यों प्रभु ?

भगवान बोले , हे साधु महात्मा मै तुम्हारी रक्षा करने एक नहीं बल्कि तीन बार आया , पहला, ग्रामीणों के रूप में , दूसरा नाव वाले के रूप में , और तीसरा ,हेलीकाप्टर बचाव दल के रूप में. किन्तु तुम मेरे इन अवसरों को पहचान नहीं पाए |”

मित्रों, इस जीवन में ईश्वर हमें कई अवसर देता है , इन अवसरों की प्रकृति कुछ ऐसी होती है कि वे किसी की प्रतीक्षा नहीं करते है , वे एक दौड़ते हुआ घोड़े के सामान होते हैं जो हमारे सामने से तेजी से गुजरते हैं , यदि हम उन्हें पहचान कर उनका लाभ उठा लेते है तो वे हमें हमारी मंजिल तक पंहुचा देते है, अन्यथा हमें बाद में पछताना ही पड़ता है !!

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प्रकृति के रंग।

फिर भी चलती साथ-साथ वो हमेशा।

यह डूबती सांझ।

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