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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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hindi poem

गुरु हमारे।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ गुरु हमारे। ♦

शिक्षक के पर्याय गुरु पर, आज इस कलम को लिखना है।
पर सच मानों, एक आदर्श शिक्षक की से भी, हमें सीखना है॥

इस शब्द की महानता तो, आज तक तो कोई सुना न पाया।
बस इनके गुणों के आगे, सबने शीश झुकाया॥

जितने गुणों को समाहित किया, वो सब इन्होंने दिया जिंदगी में।
बहुत कुछ नायाब मिला, सिर्फ इनकी बन्दगी में॥

जब ये पत्थर को भी तराशने पर आये, तो हीरा बन जाये कोहिनूर।
इनके जब आदर्शों पर चल पाए, तो जिंदगी में आये एक सरूर॥

ये तो वटवृक्ष है, जो जीवन में आदर्शों की छाया दे जाए।
ये वो अथाह सागर है, जहाँ बस प्रीत के मोती पाए॥

ये तो सितारा उस बुलंदी का, जिस पर आसमाँ भी हर्षाये।
ये तो जीवन की हरियाली है, जिस पर ये धरा भी इतराये॥

ये वो जौहरी है, जो परख – परख कर, खोटे को भी खरा बना जाए।
ये है वो कलाकार जो, पत्थर को भी तराश भगवान ले आये॥

कितनी ही उपाधियों से नवाजू इनको, ये भी नतमस्तक होती है इनके आगें।
जो एक सच्चे शिक्षक की उँगली भी थामे, उसके तो भाग्य जागें॥

मैं कौन हूँ, क्या हस्ती मेरी, सिर्फ इनके सजदे में ही शीश झुकाना।
इनके गुणों की रोशनी में, रहकर बस इस जिंदगी को जगमगाना है॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — कहते है की एक सच्चा शिक्षक जब अपने छात्र को तराशने पर आये तो पत्थर से हीरा बन जाये कोहिनूर। इस शब्द की महानता इतनी है की आज तक तो कोई सुना न पाया। बस इनके गुणों के आगे, सबने शीश झुकाया। ये तो वह वटवृक्ष है, जो जीवन में आदर्शों की छाया दे जाए। ये वो अथाह सागर है, जहाँ बस प्रीत ही प्रीत के मोती पाए सभी ने सदैव।

—————

यह कविता (गुरु हमारे।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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आप सभी का प्रिय दोस्त

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

 

 

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आज न जाने क्यों?

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ आज न जाने क्यों? ♦

आज न जाने क्यों मेरे हर हौसले है, यूं बेबजह पस्त हुए?
इस दुनियां में हर आदमी, क्यों बेपरवाह और व्यस्त हुए?

आज है फुरसत नहीं यहां, किसी को किसी से बतियाने की।
रही तहजीब नहीं है शेष अब, किसी में किसी को मनाने की।

जो रूठ गया सो रूठ गया, फिर करता ही कोई बात नहीं।
अरे भाई सुलह भी तो रास्ता है, हर बात का हल तलाक नहीं।

नेमत है यह जिन्दगी खुदा की, यूं ही तो कोई इतेफाक नहीं।
सौदे जिन्दगी के हैं ये दोस्त, कोई सड़कों पर बिछी खाक नहीं।

बुजुर्गों की अब सुनता ही कौन है? युवा नशों में है खो गए।
चोर – उचक्के घूम रहे हैं खुले आम आज, कोतवाल है सो रहे।

ऊपर से नीचे तक है फैल गया, देखो तो आज भ्रष्टाचार यहां।
आदमी से आदमी का रिश्ता है स्वार्थ का, रहा कहां अब प्यार यहां?

खौलता है देख के खून तो अपना, यह लूटपाट होती खुले आम, में।
चाहकर भी न कर पाता हूं इच्छित कुछ, फंस जाता हूं बने विधान में।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से बताया है की “आजकल के युवाओं का जीवन किस राह पर भटक रहा है, उनको खुद ही नही मालूम। उनके अनियंत्रित भटकते हुए जीवन का कोई किनारा नहीं।” ये कैसा समय चल रहा है जहां खुले आम लूटपाट होती है। चोर – उचक्के घूम रहे हैं खुले आम आजकल, कोतवाल है सो रहे।

—————

यह कविता (आज न जाने क्यों?) “हेमराज ठाकुर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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Filed Under: 2021-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता, हेमराज ठाकुर जी की कविताये। Tagged With: author hemraj thakur, hemraj tahkur poems, hemraj thakur, hemraj thakur poems, hindi poem, hindi poem on life, kavi hemraj thakur poems, short kavita in hindi, short poem about youth today, short poem on youth in hindi, today youth lifestyle, today's youth lifestyle poem, आज न जाने क्यों?, दिशाहीन युवा पीढ़ी पर कविता, भटकती युवा पीढ़ी पर कविता, युवा जोश पर कविता, युवा पर स्लोगन, युवाओं को प्रेरित करने वाली कविता, विद्यार्थियों के लिए प्रेरक कविता, हिंदी कविता, हिंदी पोयम, हेमराज ठाकुर जी की कविताये

त्रासदी।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ त्रासदी। ♦

इस सदी की सुनकर त्रासदी,
नई नस्लें तो थरथर कांपेगी।
यह भी सच है, वे व्याधि की,
हर घटना का राज भी जांचेगी।

विश्व पटल पर जो है घटित हुआ आज,
कल को इतिहास वही तो बन जाएगा।
एक दूसरे देश का परदा फाश कर कर,
हर छुपाया राज भी तब सामने आएगा।

लोथ पे गिरती लोथों को देख देख,
मुलायम मोम सी जलती छाती है।
दारुण दंश देख दिल द्रवित न होवे,
वह इंसान नहीं खूनी खुराफाती है।

भव्य भवनों में ओ रहने वालो,
ये झुग्गियों के लोग भी अपने हैं।
जीने दो इत्मीनान से इनको भी,
इनके भी तो अपने कुछ सपने हैं।

जैविक युद्ध की सुगबुगाहट है या कि,
फिर कुदरत ने ही मचाई तबाही है?
शोध – चर्चाएं हैं विश्व में नित बड़ी बड़ी,
बन सकी न रोग की पक्की दवाई है।

पसीना चू – चू पड़ता है देखो तो,
भयभीत हो, होकर हर भालों से।
एक तो गुप्त यह व्याधि है व्यापी,
ऊपर से परेशानी दुगनी नकालों से।

श्वेत – ब्लैक और दो फंगस है आए अब,
कोरोना से कहां कोई कसर रही थी?
मानी कितनी वे बातें हमने अब तक, जो,
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हमसे कही थी।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से बखूबी समझाने की कोशिश की है – कोरोना काल के दौरान दुनिया भर में होने वाले उथल – पुथल, जान-माल की हानि को बखूबी दर्शाया है कविता के रूप में। विश्व पटल पर जो है घटित हुआ आज, कल को इतिहास वही तो बन जाएगा।। एक दूसरे देश का परदा फाश कर कर, हर छुपाया राज भी तब सामने आएगा।

—————

यह कविता (त्रासदी।) “हेमराज ठाकुर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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जगत जननी का परित्याग।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ जगत जननी का परित्याग। ♦

पता क्या जगत जननी सीता को,
फिर जंगल में जाना होगा।
घनी पश्चिम की पहाड़ी के जंगल में,
जीवन उन्हें बिताना होगा।

श्रीराम के निर्मल देह पर,
मृग – चर्म जूट जटाएं फाहरेंगी।
हवन चंदन गंध व दहकते,
गुगल से ऋचाएं होंगी।

रथ साथ सारथी पुत्रवत लखन,
घने जंगल में छोड़ेंगे।
जिसने अपने जीवन में,
सीता के मुख नहीं देखे होंगे।

पर विधाता का लिखा लिखनी,
कौन मिटा सकता है यहां।
वहीं विश्व विख्यात विधाता,
सीता को जंगल पहुंचा सकता जहां।

धैर्य – धर्म की मूर्ति मई कल्याणी तुम,
खंडित व्यक्तित्व लिए विलख रही।
सच कहूं प्रिय! मेरी सीते!
मैं राम तत्वों का आदर्श लिए थक रहा।

विवश हूं प्रजा की बात पर,
धर्म की मर्यादा और राज पाठ पर।
स्वयं दंड दूंगा मैं अपने आप को,
धर्म की धात्री तुम अयोध्या राज की।

लोका पवाद में घिरा अवध की,
शाम मंत्रणा राज लखन से बोले राम।
राजा का राज्य पर निष्ठा निर्विवाद,
विधि के विधान पर किसका अधिकार।

संकल्पों का विकल्प नहीं होता,
वैराग्य धर्म बन वासी मेरी नियति।
विकल्प केवल सीता का परित्याग,
प्रिये मेरी अभिन्न अंग हो, ना होना खिन्न।

मेरी निर्णय को कहना ना तू कठोर,
सीता कल निर्वासन का है भोर।
अभिषेक करेगी तेरी वन्य भोर,
संदेशवाहक दिल से निकलेगा चोर।

रथारूढ़ जाना गंगा तट पर लेकिन,
उद्घाटित अभी करना ना भेद गूढ़।
लक्ष्मण राम के मंत्रणा परिपूर्ण,
आरण्य निकट सीते को छोड़ना तुम।

देना धो आंचल का उभरा कालुष्य,
रूधने लगा कहते कंठ राम।
बिकट लगा उस संध्या का गुंजा शूल,
कर प्रणाम अस्ताचल ढल गया सूर्य।

छलक उठे लक्ष्मण के भरे नैन,
थरथर कांप उठा धरती का स्वर्ग मौन।
देख रहा मौन रहकर राजमहल,
धार सरयू की हुई स्तब्ध अंतर्मन।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – जगत जननी माता सीता जी का परित्याग, करते समय श्री राम जी के मनःस्थिति का खूबसूरत वर्णन किया है। माता सीता जी से श्री राम जी कहते है “धैर्य – धर्म की मूर्ति मई कल्याणी तुम खंडित व्यक्तित्व लिए विलख रही। सच कहूं प्रिय! मेरी सीते! मैं राम तत्वों का आदर्श लिए थक रहा। विवश हूं प्रजा की बात पर धर्म की मर्यादा और राज पाठ पर। स्वयं दंड दूंगा मैं अपने आप को धर्म की धात्री तुम अयोध्या राज की।”

—————

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यह कविता (जगत जननी का परित्याग।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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आखिरी खत

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMS

आखिरी खत-

Last latter-kmsraj51

 

 

 

यह खत है
एसएमएस के युग में
इसीलिए संभवत: अंतिम हो/

खत
उस पागल हवा के नाम
जो तुम्‍हारे नगमे सुनाती थी
और कहती थी
ख़तों जितनी हो
इस दुनिया की उम्र/
उस खुशबू के नाम
जो अब तक कहती है मैं हूं/
लगता है गलत था कि खत कभी
मरते नहीं
भटकते नहीं
उलझते नहीं
अटकते नहीं/

मैं हैरत लिए पूछ रहा हूं
कोई मुझे
एसएमएस की उम्र बताए
जो छोटा होकर भी खतों को निगल गया/
खतरे हैं कई
कुछ बौनों ने आदमकदों को नेपथ्‍य में धकेल दिया
कुछ बहरों ने सुरों को किया है तसदीक/

कहना हवाओं से
मैं फिर आऊंगा
इस बार नहीं कहा जा सका सबसे सब कुछ/
नदिया से कहना बहती रहे/
समंदर से कहना
पहाड़ याद करता है/
बादलों को देना
धूप में तपती भाषा का पता/

बावड़ी से कहना
अगली बार ऐसे नहीं आऊंगा
साथ होंगे मजबूत हाथ
तब झाडि़यां नहीं बावड़ी होगी/

कोयल से कहना
कोई सुने न सुने
गाती रहे
ठीक वैसे
जैसे बांसुरी चुप नहीं बैठती/

भीड़ से घबराई बच्‍ची को कहना
रास्‍ता भीड़ से ही निकलता है/

कहना मां से
बेटे इतने भी बुरे नहीं होते
तपती धरती पर ठिठुर रहे हैं संबंध/

भाइयों से कहना
बाजू मजबूरी नहीं, जरूरी होते हैं/

इस सदी में
बड़ा चाहिए बाजार
लेकिन
परिवार
त्‍योहार
विचार
आहार
व्‍यवहार
सब छोटे हों एसएमएस की तरह/
खतों की तफसील
नहीं है
युग की रफ्तार की मांग/

मरते हुए खतों की आखिरी बात याद रखना
भाषाविदों से कहना
व्‍याकरण को गंगाजी को न सौंप देना
उसकी जरूरत हो्गी फिर एक दिन/
समाजशास्त्रियों से कहना
अभी बैठे रहें
रात बीतते ही
अकेलेपन से ठिठुरे लोग आएंगे
उनके लिए रख लेना
संबंधों का थोड़ा सा ताप
मुक्‍त करने में समय लेता है कोई भी शाप

-नवनीत शर्मा

Post share by: नवनीत शर्मा

I am grateful to नवनीत शर्मा for sharing this inspirational poetry with KMSRAJ51. Thanks a lot for a bright future.

Note::-

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Also mail me ID: cymtkmsraj51@hotmail.com (Fast reply)

 

Kmsraj51 की कलम से …..

Coming soon book (जल्द ही आ रहा किताब) …..

CYMT-KMSRAJ51

“तू ना हो निराश कभी मन से”

 

“अपने लक्ष्य को इतना महान बना दो, की व्यर्थ के लीये समय ही ना बचे” –Kmsraj51 

 

 

_________ all @rights reserve under Kmsraj51-2013-2014 __________

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Filed Under: 2014 - KMSRAJ51 KI PEN SE ....., Hindi - Quotes, Hindi Poetry, आखिरी खत Tagged With: hindi poem, hindi poetry, inspirational poetry in hindi, kids motivational poetry in hindi, kms, Kmsraj51, mrssonkms, Poetry, poetry in hindi, poetry worlds, Short Hindi Poetry

“तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है, समझता हूँ”

kmsraj51 की कलम से…..

Soulword_kmsraj51 - Change Y M T

KR VISHWAS

“तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है, समझता हूँ ,

तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है, समझता हूँ ,

तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन ,

तुम्हीं को भूलना सबसे जरूरी है, समझता हूँ …!”

 

 

 

Note::-

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“अपने लक्ष्य को इतना महान बना दो, की  व्यथ॔ के लीये समय ही ना बचे” -Kmsraj51 

 

kmsraj51 की कलम से …..

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“तू ना हो निराश कभी मन से”

 

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Filed Under: Dr-Kumar-Vishwas, Hindi Poetry Tagged With: dr-kumar-vishwas poetry, hindi poem, hindi poetry, Inspirational Hindi Poem, kms, Kmsraj51, kmsraj51 की कलम से ....., moral poetry in hindi, mrssonkms, mrssonkmsraj51 & groups of companis, poetry in hindi

रिश्तों के होते हैं दो छोर, एक सहयोग और एक विश्वास !!

kmsraj51 की कलम से …..
nature_KMSRAJ51

poetryरिश्तों के होते हैं दो छोर, एक सहयोग और एक विश्वास

रिश्तों के होते हैं दो छोर
एक सहयोग और एक विश्वास

रिश्तों में उठती तब भोर
जब हो उसमें प्रेम और अनुराग

रिश्तों में हो तभी मधुरता
ना हो शक और झूठ की दीवार

रिश्तें बनते तभी अनमोल
जब हो समझ और मधुर व्यवहार

रिश्तों में हो तभी मिठास
जब हो उसमें सांच और सोहार्द

रिश्तों में बन जाती दरार
जब हो दौलत की भूख और स्वार्थ

रिश्तों को बढ़ायें ये आधार
एक मधुर वाणी और दूसरा सम्मान

रिश्तों में पड़ जाती गांठ
जब होती उसमें इर्ष्या और जलन

रिश्तों में हो तभी महोब्बत
जब हो उसमें त्याग और समर्पण

ये कविता मैंने इसलिए लिखी-

क्यूंकि आजकल के रिश्तें ताश के पत्तों की तरह है ।
ना जानें कब और कहाँ पे आकर बिखर जाएँ ।
क्यूंकि आज के रिश्तों में सिर्फ स्वार्थ ही नजर आया ।
रिश्तें चलते हैं दो ही कड़ी पे तू मेरा हैं मैं तेरा हूँ ।
पर आज का रिश्ता दौलत की भूख और जलन से भरा पड़ा हैं ।
ना जाने क्यों लोग ख़ुद ही ख़ुद में खो गए है ।
किसी को किसी की ना तो आस है और ना विश्वास हैं ।
बदलते युग में खो गए ये अनमोल रिश्तें,
हर किसी को रोज मधुर-मधुर रिश्तो की तलाश हैं ।



poetry

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मित्रता – Friendship !!

Happy Anniversary!!
anniversary-1x

kmsraj51 की कलम से …..

f r shFriendship

तुम्हारा साथ

तुम्हारा साथ होता है
बसंत की तरह
जिसमे मुस्कराती हैं कलियाँ
लहलहाते हैं खेत
मचलती हैं हवायें
इठलाते है बादल और
उन्ही में से झांकता है सूरज….

तुम्हारा साथ होता है
बारिश की तरह
जो पुलकित कर देता है
तन-मन को,
एक पल के लिए
इनकी छोटी बूंदों पर
होते है हमारे सपने,
जो टूट कर, बिखरकर मिल जाते हैं
और बनाते है आशाओं की नदियाँ….

तुम्हारा साथ होता है
बचपने की तरह,
जिसकी हर किलकारी पर
उमड़ पड़ता ‘माँ’ का मातृत्व
देखते है कौतुहल भरे नेत्रों से
हर किसी के प्यार को…
जो थाम लेना चाहता है
नन्हीं-नन्हीं अँगुलियों से
पूरा का पूरा संसार,
घूम लेना चाहता है
लड़खड़ाते कदम से
पूरा का पूरा जहाँ
जिसकी चाँद जैसी मुख-भंगिमा पर मुग्ध हो
हिलोरे लेने लगता है
पूरा का पूरा समुद्र….

तुम्हारा साथ होता है
झरनों की तरह,
जिससे फिसलकर गिरता है वक्त
निश्च्छल, कान्त और पवित्र,
जो सिंचित करता है आत्मा को
मधुर, मलय, शीतलता
उद्धेलित कर जाती तन-मन को……….

तुम्हारा साथ होता है
भावनाओं का सम्प्रेषण,
मुश्किल होता है
जज्बातों को लफ्जों में बांधना,
कहाँ है वो
वाक्यों की सुन्दरतम वाय परिसीमा
जो शब्दों की लड़ियों से
परिभाषित कर सके
हमारे-तुम्हारे साथ को…..

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कुछ करके दिखायो !!


kmsraj51 की कलम से …..
ladali

– कुछ करके दिखायो –

“कुछ करके दिखायो” ……..”कुछ करके दिखायो” ,
ये जीवन मिला है……..इसमें नए सपने सजायो ।

हम आए हैं यहाँ ……न अपनी मर्ज़ी से ,
फिर कैसे चले जाएँ ……..खुद की खुदगर्जी से ?

बहुत कुछ है देने को ……इस समाज को ,
बहुत कुछ है लेने को ……इस समाज से ।

इस मनुष्य योनि में ……अपनी पहचान बनायो ,
जो भी मिला है …..उसे औरों के संग बाँटते जायो ।

पैदा होने पर ……माँ-बाप सोचा करते हैं ,
हाँ यही करेगा ……..हमारा नाम रोशन ।

पीड़ी दर पीड़ी चलेगी …..ये कहानी ,
कि करके दिखायो तुम भी …….अपने खून को गरम ।

रोज़ कहते हैं सभी ………कि दम है तो सामने आयो ,
ताकत से नहीं ……अपने दिमाग से …..कुछ खेल जाओ ।

आज जो मेहनत करेगा ………वो कल मीठा फल चखेगा ,
जो लड़खड़ा गया पहले कदम पर …….वो उम्र भर फिर चल न सकेगा ।

हर पल-पल में छिपी है ……एक ज्ञान की लम्बी दास्तां ,
उस दास्तां में डूबते जाओ ……..और तय करो अपना रास्ता ।

बहुत से विद्यार्थी हार जाते हैं …..चलकर कुछ कदम ,
टूट जाते हैं वो अक्सर ……कहते हैं हममे नहीं है दम ।

हौसले अपने हो बुलंद …..तो हार में भी जीत है ,
ज़ज्बा है कुछ करने का ……तो हर घड़ी में प्रीत है ।

रोज़ इन शब्दों को सुनकर …..मन अब भरने सा लगा है ,
“कुछ करके दिखायो” ऐसे कटाक्षों से …….ये जिस्म भी अब डरने लगा है ।

इल्तजा इतनी है समाज से ……..कि हमें भी सोचने का ….एक मौक़ा तो दो ,
हाँ दिखाएँगे करके हम भी कुछ …..थोडा सब्र करना तुम भी सीख लो ।

करके हम भी दिखाएँगे …..इस युग में चमत्कार ,
मत कहो “कुछ करके दिखायो “…….नहीं हैं हम इतने भी बेकार ॥

A Message To All-

मत करो हतोत्साहित अपने शब्दों से ……आने वाली नयी पीढ़ी को ,
वो भी करेंगे कुछ ऐसा एक दिन…. जिसे देखेगा ज़माना ….पकड़ती हुई नयी सीढ़ी को ॥

—————- —– kmsraj51 —– —————


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हम भाग्यशाली है ~ We are lucky !!


kmsraj51 की कलम से …..
luck

^^ हम भाग्यशाली है ^^

जीवन एक सफर हैं
जहां हैं पहाड़ भी नदी नाले भी
जहां फुलवारी भी है जंगल भी
जहां खुशी भी है गम भी
जहां दुख भी है सुख भी
जहां सूरज रोज उगता है
जंहा चंद्रमा भी उगता हैं
जहां हम कठपुतली है
क्या स्वार्थ था भगवान् का
क्या स्वार्थ था मम्मी का
क्या स्वार्थ था पापा का
जो हमें संसार में लाये
हमें पढ़ाने लिखाने में
कोई कसर नहीं छोड़ी
क्या स्वार्थ था भारत माँ का
जो हमें इस पावन मिटटी पर
जन्म लेने का मौक़ा दिया
जंहा मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने
जन्म लेकर इस मिटटी को
सदा सदा के पावन कर गए
आगे हमें देखना जरुरी हैं
क्यों मैं निस्वार्थ हो नहीं सकता
फिर सोचेंगे कौन ज्यादा
या कौन कम स्वार्थी हैं !!!!!
——– प्रेमचंद मुरारका

I am grateful to Mr. “प्रेमचंद मुरारका”,for sharing this inspirational poetry.


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