• Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • HOME
  • ABOUT
    • Authors Intro
  • QUOTES
  • POETRY
    • ग़ज़ल व शायरी
  • STORIES
  • निबंध व जीवनी
  • Health Tips
  • CAREER DEVELOPMENT
  • EXAM TIPS
  • योग व ध्यान
  • Privacy Policy
  • CONTACT US
  • Disclaimer

KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

Check out Namecheap’s best Promotions!

You are here: Home / Archives for kavi satish shekhar srivastava parimal

kavi satish shekhar srivastava parimal

मोहिनी।

Kmsraj51 की कलम से…..

Mohini | मोहिनी।

क्षम्य हो मेरा अपराध,
देख तुम्हारी अँखियों का सार।
मन को मोहने वाली हिरणी,
मोहित तो है तुमसे सारा संसार।

हार गया मैं तुमसे,
सुनकर बातें बेगानी थारी।
शब्दों के बाण चला-चला कर तुमने,
घायल कर दिया इस मन हारी।

दूर तक जहाँ नहीं कोई,
जीवन के इस निर्जन पानी।
कहां से आकर तुमने,
छेड़ी ये राग अनजानी।

शान्त शिखण्डी का मैं मारा,
ये नयन रण मेरे लिये असमान।
अकेला लड़ा इस आशय से,
जीत सकूँ मैं सारा जीवन विहान।

अगर पराजित हुआ तुमसे मैं,
तो जीत लूँगा सारा आसमान।
मैं तुमसे जो कर रहा तर्क-वितर्क,
इसमें है मेरी वाणी का समाधान।

तुम ही थी हृदय की पीड़ा,
अंतस् की गुंजन थी तुम बाला।
पढ़ा होगा मेरी आँखों में तुम,
एकाकी जीवन की मेरी हाला।

अपनी कृति देकर इन अँखियों को,
खो न जाना इस निदारुण वन में।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

यह कविता (मोहिनी।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख/दोहे सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

—————

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Hindi Poems, kavi satish shekhar srivastava parimal, Mohini, poem on true love in hindi, Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', जान से ज्यादा प्यार करने वाली शायरी, निस्वार्थ प्रेम शायरी, पवित्र प्रेम कविता, मोहिनी, मोहिनी - सतीश शेखर श्रीवास्तव परिमल, सच्चा प्रेम शायरी, सतीश शेखर श्रीवास्तव - परिमल

बरसो अब तो मेघ।

Kmsraj51 की कलम से…..

Baraso Ab Toh Megh | बरसो अब तो मेघ।

आओ-आओ क्षितिज तट पर,
छोड़ नभ आकाशगंगा को सेघ।
वरण करो स्वर्ण बूंद गंगा को,
घन बनकर बरसो अब तो मेघ।

घिर-घिर कर आओ,
चहुँ दिश छा जाओ।
बंद कर नयन अपने,
बूँदों से तृप्त कर जाओ।

भर दो निखिल रंगों से धरा को,
उज्जवल धवल नीरों को लाओ।
हे मेघ! बरसा के नेह,
प्रीति पवन के संग बह जाओ।

भीगे भुवन सारा पाकर नेह तुम्हारा,
निर्जन विजन को सुंदर कर जाओ।
अमृत सुधा का वर्षण कर तुम,
अतुल्य प्रीति देकर हरियाले हो जाओ।

भूले बिसरे क्षण की व्यथा वेदना,
पुष्कर अनंग पत्थर फूल जो खिन्न।
वरण करो स्वर्ण बूंद गंगा को,
घन बनकर बरसो अब तो मेघ।

घोष करो शंखनाद करो अपना,
सौम्य स्कन्ध बनकर घनमाली।
उड़े जैसे धरा पर तुरग शिरस वाली,
पुलकित हो प्रमुदित हो मराली।

खुले गगन में जड़ित अंध रस
वाताज बनकर तुम फिर-फिर आओ
वरण करो स्वर्ण बूंद गंगा को
घन बनकर बरसो बरस जाओ मेघ।

रिमझिम-रिमझिम झर-झरकर,
बरसो तुम रंग गगन से।
भीगे-भीगे से स्वप्नों से तुम,
स्वप्निल छटा बनकर आओ रे।

करे कल्पना मन तरंगों पर,
नर्तन करे मानव संसाधन।
वरण करो स्वर्ण बूंद गंगा को,
घन बनकर बरसो अब तो मेघ।

जय हो! जय हो! हे घनराज!
सज्जित करो रंजित शरासन को।
जोड़ो पुहुमी को गगन से,
भरो तुम आकंठ ताल तलैया को।

प्रियदत्ता करे आरती श्रुति तेरी,
निज अनुरंजन अनुराग बढ़ाये।
वरण करो स्वर्ण बूंद गंगा को,
घन बनकर बरसो अब तो मेघ।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

यह कविता (बरसो अब तो मेघ।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख/दोहे सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

—————

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: kavi satish shekhar srivastava parimal, Poem on Rain in Hindi, Poem on Varsha Ritu in Hindi, Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', Satish Shekhar Srivastava 'Parimal' poems, बरसो अब तो मेघ, बरसो अब तो मेघ - सतीश शेखर श्रीवास्तव परिमल, बादल और बारिश पर कविता, बारिश पर कविता : बरसो अब तो मेघ, बारिश पर कविताएं, वर्षा ऋतु पर कविता, वर्षा ऋतु पर कविताएँ, सतीश शेखर श्रीवास्तव - परिमल

मुलाकात।

Kmsraj51 की कलम से…..

Mulaakat | मुलाकात।

एकटक निहारता शान्त निरव तन से,
गूँजती गर्जन रह-रहकर निभृत संसार में।
अचानक उठती लहरों ने आकर,
चरण-रज लेकर चले गये हलचल मन आगार में,
दे-देकर हँसते हुए फिर खुद में समा गये।

कल्लोल कर आये अडिग पड़े कदमों तले,
मेरे हस्त-कमल में धरा गये।
रत्न कहें या प्रीति कहें सागर की फुलझड़ियां,
अपनी कोख से निकाल मुझ निर्बुद्ध को दे,
कोलाहल करते समेट आँचल चले गये।

था मैं चमत्कृत-सा ये मुझे क्या थमा गये,
कौतुहल भरा अंतस् में बार-बार पंखुड़ी रद की।
बुदबुदाये आखिर अधिरथी क्या दे गये,
इस बेगानी दुनियां में छली पग-पग पर मिले,
बेचैन हृदय को शक्ति स्वरूप क्या दे गये।

इस पहली मुलाकात में सिंधु-सुदामन ने,
दृढ़ निश्चय का रूप-संयोजन बता गये।
अकेला कलयुग में तू ही नहीं पगले,
विराट् मैं भी; नील-झील भी तन्हां है,
मुझ जैसा तू भी बन; छोड़ निशान चले गये।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

यह कविता (मुलाकात।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख/दोहे सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

—————

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: kavi satish shekhar srivastava parimal, kavi satish shekhar srivastava parimal poems, mulaakat, Poems of Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', अज्ञान से प्रकाश की ओर - कवि सतीश शेखर श्रीवास्तव – परिमल, मुलाकात, मुलाकात – सतीश शेखर श्रीवास्तव परिमल, सतीश शेखर श्रीवास्तव – परिमल

ये शिरोमणि सिंहासन है।

Kmsraj51 की कलम से…..

Ye Shiromani Singhasan Hai | ये शिरोमणि सिंहासन है।

ये शिरोमणि सिंहासन है।

यह वीरों का आसन है,
न किसी का इस पर स्वशासन है।
रहा बहुबल नित पद्मासन है,
यह शिरोमणि सिंहासन है।

यह विशिष्ट महाराजों से,
संग्रहित हैं राज दरबारों से।
इनके चरण-रज पोंछे जाते,
नृपों के शीश मुकुटों से।

जिसकी रक्षा के लिये हुई,
समर्पित कई बलिदानी है।
राणा तू कर रक्षा इसकी,
यह शिरोमणि सिंहासन है।

खनकती उन तलवारों की,
कौतुक होती थी कटारों से।
सारंगों की धारों से देखते ही,
छिन्न-भिन्न हो जाते अंगों से।

हल्दीघाटी के अरावली पथ पर,
सनी माटी वीर मेवाड़ी सानों से।
जननी जन्मभूमि का अर्चन करते,
जीवन के उत्थान फुलझड़ियों से।

न जाने कितनी बार चढ़ी घाटी में,
भीषण भैरवी जवानी पर।
कण-कण के उर में बसा राणा तू ,
कर रक्षा यह शिरोमणि सिंहासन है।

भीलों ने अभी रण-हुंकार भरी है,
हाथों में कटे खड्ग औ शीश लिए।
उर-झंझाओं में ललकार भरी है,
भोले-भाले भील लड़ने की तैयारी में।

गिरिराज के ऊँचे शिखरों पर,
विटपों के फूल-पत्ते अन्न बने।
रक्षक शिखर-शैल बने थे,
राणा के तुंग आस्थान-मंडल बने।

तुलजा भवानी की सौगंध ले,
शीश पग कफ़न बाँध चले।
रण-बाँकुरे मैदान चले,
करने को बलिदान चले।

खमनोर के दर्रों में,
रक्ततलाई में बहते रक्तों ने…
पुकार लगाई धरती ने रक्षा कर राणा तू ,
ये शिरोमणि सिंहासन है।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

यह कविता (ये शिरोमणि सिंहासन है।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख/दोहे सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

—————

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: kavi satish shekhar srivastava parimal, kavi satish shekhar srivastava parimal poems, Poems of Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', ये शिरोमणि सिंहासन है, ये शिरोमणि सिंहासन है - सतीश शेखर श्रीवास्तव परिमल, सतीश शेखर श्रीवास्तव - परिमल

अनुरागी लालिमा कपोलों पर।

Kmsraj51 की कलम से…..

Anuragi Lalima Kapolon Par | अनुरागी लालिमा कपोलों पर।

अनुरागी लालिमा कपोलों पर,
छटा इंद्रधनुषी-सी खिल गई।
प्रफुल्लित तरुणी की शायद,
कुमारत्व से नयन मिल गई।

दिन हो गये स्वप्निल-स्वप्निल,
आकुल बाट जोहती क्षुब्ध रजनी।
अंग-प्रत्यंगों में धूप बासंती,
नयन पटों पर खिली चाँदनी।
निंद्रित उर के धड़कन में,
मनभावन नवज्योति जल गई।

जगी मृदुल-मृदुल मादक वेदना,
अकेलेपन के आलिंगन में।
मधुर – मधुर मुग्धित कल्पना,
अरुनारा कमसिन नयन में।
हो गई निंदिया वैरागन-सी,
चेतना खोई निशा ढल गई।

परवाना पतंगे जैसी अभिलाषाएं,
श्वेत-श्याम विहंगों-सी घिरती।
अंतहीन अनंत महाशून्य में,
पंख फैलाये फिर बिचरती।
सशक्त शोभित भुजपाशों की,
बाँहों में आस लिये पल गई।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

यह कविता (अनुरागी लालिमा कपोलों पर।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख/दोहे सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

—————

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Anuragi Lalima Kapolon Par, kavi satish shekhar srivastava parimal, Poem on Nature in Hindi, Poems of Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', अनुरागी लालिमा कपोलों पर, प्रकृति की सुंदरता पर कविता, प्राकृतिक सौंदर्य पर कविता, सतीश शेखर श्रीवास्तव - परिमल, सुबह के दृश्य पर कविता, सूर्योदय और सूर्यास्त पर कविता, सूर्योदय पर कविता, सूर्योदय पर कविता हिंदी में, सूर्योदय पर शायरी, सूर्योदय स्टेटस

मेरी कविता।

Kmsraj51 की कलम से…..

Meri Kavita | मेरी कविता।

हर अक्षरों में रचा-बसा लेखन का धाता,
हर शब्दों की परिभाषा सृजन का दाता।
मैं कवि हूँ और तुम मेरी कविता,
वीरान मरुस्थल-सा जीवन मेरा,
उसमें तुम कल-निनाद करती सरिता।

हिय में कारुण्य अनुराग भरा,
अधरों में मधुर पराग झरा।
स्वर्णिम सौंदर्य निखरा-निखरा,
आलिंगन करती कृष्णा चोले से,
जैसे रुखड़े से लिपटी कोमल लता।

प्राणो की रम्य ‘परिमल’-सुंदरता,
साक्षात् सुघर प्रसंग की अनुपमता।
हृदय में खिलती कारुण्य मृदुता,
शर्वरी के आर्द्र बेला में,
अंतस् में भर देती मादकता।

राह दिखाती नैनों की ज्योति,
उर में बसते चाहत के मोती।
आँचल में तृप्त थकन सोती,
रैना में तनु सित ज्योत्स्ना-सी,
तनुरूहों में भरती शीतलता।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

यह कविता (मेरी कविता।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख/दोहे सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

—————

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Hindi Poems, kavi satish shekhar srivastava parimal, meri kavita, poem on river in hindi, satish sekhar poems, Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', कृष्णा नदी पर कविता हिंदी में, नदी पर कविता हिंदी में, नदी पर गीत, मेरी कविता, मेरी कविता - सतीश शेखर श्रीवास्तव परिमल, सतीश शेखर श्रीवास्तव - परिमल

फिर भी चलती साथ-साथ वो हमेशा।

Kmsraj51 की कलम से…..

Phir Bhi Chalti Saath-Saath Wo Hamesha | फिर भी चलती साथ-साथ वो हमेशा।

गुथे हुए हैं प्राणों से कुछ,
निर्वाक वैरागी से पतझड़।
खलती हैं मुझको तुम्हारी यादें,
फिर भी चलती साथ-साथ वो हमेशा।

राहों का सहचर सूनापन है,
आँसू और अकेलापन है।
वियोगिनी-सी दिल की धड़कन है,
निर्जन वन-कानन में चलते-चलते।
कामना थकी पर पाँव न थके मेरे,
फिर भी चलती साथ-साथ वो हमेशा।

जगी-जगी हैं दीप्तिपूर्ण रातें,
सुबकती है झम-झम बरसातें।
खोयी-खोयी सी अनंत सौगातें,
जल-जलकर बुझी हैं अभिलाषाएं।
दग्धित रही अँगारों-सी जिंदगी,
फिर भी चलती साथ-साथ वो हमेशा।

खानाबदोशों जैसी भटकन है,
रेगिस्तानों जैसा अंतर्मन है।
आकुल आशा घर आँगन है,
घायल हो श्रापित-सी जिंदगी।
रह-रहकर दुख रही चोटिल अंगों-सी,
फिर भी चलती साथ-साथ वो हमेशा।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

यह कविता (फिर भी चलती साथ-साथ वो हमेशा।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख/दोहे सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

—————

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Hindi Poems on Love, kavi satish shekhar srivastava parimal, love poetry in hindi, Loves Poem in Hindi, satish sekhar poems, प्यार पर कविता हिंदी में, प्रेम कविता, प्रेम मिलन कविता, फिर भी चलती साथ-साथ वो हमेशा - सतीश शेखर श्रीवास्तव परिमल, बेहद रोमांटिक कविता, रात पर रोमांटिक कविता, सतीश शेखर श्रीवास्तव - परिमल

रस आनन्द इस होली में।

Kmsraj51 की कलम से…..

Ras Anand is Holi Mein | रस आनन्द इस होली में।

आके हुई प्रकट वह रात होली में,
मिली फागुन की सौगात होली में।
बजी जलतरंग से मिलकर सितारों से,
हुआ तरानों का नृत्य अगाध होली में।
हर्ष-आनन्द का बढ़ा व्यापार होली में,
जिह्वा पर नाम आया बार-बार होली में।

घर-घर रंग सजे उल्लासों की चहल-पहल में,
भर-भर के थाल सजे रंग अबीर गुलालों से।
नश-नश में उमंग आवेग भरे गीत गोविंदों से,
बन-बन दमकती आभा रचते स्वाँगों में,
उमड़ा हुजूम गज़ब हर गली किनारों होली में।

गली चौबारों में शोर मचा इस अवसर में,
बिखरने लगी रंग की धार गली चौराहों में।
भीगे बदन मले गुलाल चेहरों में,
खुशियों की गवाही दे रहा घर-आँगन चौराहों में,
मेला देखने निकले प्रियतम् होली में।

रंग दी चुनरिया फागुन बहार से,
दिल की कामना उभर आई होंठों के द्वार से।
नैना लड़ा के पूँछे हर इक शैदाई से,
रंग – बिरंगी पोशाकों की पैमाईश से,
हसीन चेहरे-मोहरे हर्षोल्लास से भरे होली में।

देख मुखड़े पर मले गुलाल की लाली,
दिलों में भर आई हमारे खुशहाली।
नजर ने दी हमें रमणी रंग से भरी प्याली,
जो हमें दे हँस – हँसकर गाली,
तब हम समझे की ऐसी है प्यार भरी होली में।

हमनें तुमने की इक तरफा तैयारी होली की,
जिसने जिस तरह देखा इस तरफ होली की।
हमारी आन लगती हमको तो प्यारी,
लगा दो हाथ से न मारो पिचकारी होली की,
रंग – बिरंगी सतरंगी रंगों के सिंगार की होली में।

उड़ाओ तुम उधर से हम भी इधर तैयार खड़े,
मलो अबीर गुलाल हँस – हँसकर मुखड़े पर।
खुशी आनन्द का इजहार करो होली पर,
है कसम तुमको इस होली पर।
मिटा दो बैर अपने सारे गिले – शिकवे भी,
इसी उम्मीद में था वतन इंतजार होली में।

मूर्तिमान हो दे गाली हमें हँस – हँसकर,
रंग पड़ता है कपड़ों पर उड़ता गुलाल तन पर।
लगा के घात कोई मुखड़े पर लगाता है,
‘परिमल’ प्यार से कोई कहता है,
हमें भी दिखा तू रस आनन्द इस होली में।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

यह कविता (रस आनन्द इस होली में।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख/दोहे सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

—————

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: holi poems, kavi satish shekhar srivastava parimal, Poems of Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', फागुन की झूमती बहारों पर बेहतरीन कविताएं, रंगों का पर्व होली और हिंदी कविता, रस आनन्द इस होली में, रस आनन्द इस होली में - सतीश शेखर श्रीवास्तव परिमल, सतीश शेखर श्रीवास्तव - परिमल, होली पर कविता, होली पर कविता इन हिंदी, होली पर कविताएं, होली पर गीत और कवितायें, होली पर प्रेरणादायक कविता

कुछ पता नहीं।

Kmsraj51 की कलम से…..

Kuch Pata Nahin | कुछ पता नहीं।

कुछ पता नहीं,
आई कब-कब तेरी याद।
दिन बहुत बीत गये,
पर आई न तेरे चेहरे की सौगात,
कुछ पता नहीं…?

क्षीण होती यादों में,
उभरती कई रेखाएं।
माथे पर पड़ती,
सिकन की लकीरें।
सुधों वाली वह काली रात,
इतनी शान्त थी।
की पत्ता भी हिले,
तो शोर मचाती वह काली रात।
अचानक तंद्रा को भेदकर,
अंतस् तक को झकझोरती सी,
कुछ पता नहीं…?

ऐसा लगा मानों कानों में,
कोई सरगोशी कर रहा।
छाती के द्वार पर चोट कर रहा,
दबे पाँव चुपके-चुपके।
दिल में उतर रहा,
अपनी यादों को।
मेरे जेहन में नाखूनों से,
कुरेद कुरेद कर उभार रहा,
कुछ पता नहीं…?

अँधेरें में उठ-उठकर,
उसके आने की आहट,
सुनता रहा।
न आने की चुभन हिय में लिये,
सूनी अँखियों से,
झरोखे से निहारता रहा।
कहीं से; यादों से उतर कर,
सामने आ जाये।
जिसकी यादों को,
आँखों में बसाये हुए।
चलते आ रहे हैं,
हम वीराने भरे जीवन में,
कुछ पता नहीं…?

ये इंतजार कब खतम होगा,
कभी लगता है मुझे,
वो यादों में रहकर,
करता होगा इंतजार।
मेरे मरने का,
कफ़न तो पहना है हमने।
बस उनकी यादों का,
सूनी अँखियों के पैमानों का,
कुछ पता नहीं…?

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

यह कविता (कुछ पता नहीं।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख/दोहे सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

—————

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Hindi Poems, kavi satish shekhar srivastava parimal, kavita in hindi, Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', कुछ पता नहीं, कुछ पता नहीं - सतीश शेखर श्रीवास्तव परिमल, प्यार पर कविता इन हिंदी, सतीश शेखर श्रीवास्तव - परिमल, सुंदर कविता हिंदी में

अंदाजे बयां — पार्ट – 4

Kmsraj51 की कलम से…..

Andaze Bayan Part-4 | अंदाजे बयां — पार्ट – 4

खुद के ही भाव हैं, है अपनी ही अनुभूति,
निज अभिव्यक्ति में कहीं, अपने मन की बात।

भूल – चूक से हो गई, छोड़ो वो बात,
लिखा-पढ़ी रात्रि की, बीत गई उसके साथ।

छोटी – छोटी बात पर, भिड़ने को हो तैयार,
जैसा अधम आदमी, वैसी दुराशय वार।

जो उपजा रोड पर, वही उसका अधिवास,
आश्रय की आध्या वो करे, हो आलय जिसके पास।

‘परिमल’ की ऐसी परम्परा, मिलने को कतराय,
अपनों से बोले नहीं, दूसरे से बतियाय।

यथार्थ सिद्ध हो, दु:ख में भी सुख पाय,
पवित्र निर्मल बात पर, सबका मन मैला हो जाय।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

यह दोहे (अंदाजे बयां — पार्ट – 4) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख/दोहे सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

—————

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, दोहे - अंदाजे बयां, हिन्दी साहित्य Tagged With: kavi satish shekhar srivastava parimal, Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', अंदाजे बयां, अंदाजे बयां — पार्ट - 4, अंदाजे बयां पार्ट - 4 - सतीश शेखर श्रीवास्तव परिमल, दोहे हिंदी में, प्रसिद्द दोहे और उनके अर्थ, सतीश शेखर श्रीवास्तव - परिमल

Next Page »

Primary Sidebar

Recent Posts

  • देश भक्ति देख तुम्हारी।
  • दर्द – ए – कश्मीर।
  • ऑपरेशन सिंदूर।
  • संघर्ष है कहानी हर जीवन की।
  • हमारा क्या कसूर।
  • टूटता विश्वास।
  • मोबाइल फोन का असर।
  • चाह नव वर्ष की।
  • व्यवस्था ही हुई अब लंगड़ी है।
  • माँ बाप।
  • सास बहू।
  • अखंड।
  • अगर साथ होते तुम हमारे।
  • हिमाचल की राजधानी “शिमला”।
  • खुशी नहीं मिलती।
  • मैं हूँ जीभ।
  • मुहब्बत के नशे की लत।

KMSRAJ51: Motivational Speaker

https://www.youtube.com/watch?v=0XYeLGPGmII

BEST OF KMSRAJ51.COM

देश भक्ति देख तुम्हारी।

दर्द – ए – कश्मीर।

ऑपरेशन सिंदूर।

संघर्ष है कहानी हर जीवन की।

हमारा क्या कसूर।

टूटता विश्वास।

मोबाइल फोन का असर।

चाह नव वर्ष की।

व्यवस्था ही हुई अब लंगड़ी है।

माँ बाप।

सास बहू।

Footer

Protected by Copyscape

KMSRAJ51

DMCA.com Protection Status

Disclaimer

Copyright © 2013 - 2025 KMSRAJ51.COM - All Rights Reserved. KMSRAJ51® is a registered trademark.