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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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Kmsraj51

9th Anniversary of KMSRAJ51.COM

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ 9th Anniversary of KMSRAJ51.COM ♦

KMSRAJ51.COM की 9वीं वर्षगांठ

09-03-2013 – 09-03-2022

आज इस महायज्ञ (वेबसाइट) को 9 वर्ष पूर्ण हुए। इन 9 वर्षों में बहुत उतार चढ़ाव देखे हमने। यह महायज्ञ (वेबसाइट) हमने 09 मार्च 2013 को पूर्ण निश्वार्थ भाव से शुरू किया था जो अनवरत चल रहा है। इस महायज्ञ (वेबसाइट) का कार्य मेरे लिए सदैव ही प्रथम स्थान पर रहा है, चाहे कोई भी मौसम हो, या कोई भी परिस्थिति हमने इस कार्य को कभी भी रोका नहीं, इन 9 वर्षों में हमारे जीवन में भी बहुत ज्यादा उतार चढ़ाव आया। इन 9 वर्षों में हमने बहुत कुछ सीखा।

09 मार्च 2013 को इस महायज्ञ (वेबसाइट) की शुरुआत की थी, जिससे सम्पूर्ण विश्व में जन जन तक भारतीय साहित्य, संस्कृति, संस्कार व सभ्यता की जानकारी पहुंचे। वर्तमान और आने वाली पीढ़ी के दिलों दिमाग तक अपने महान भारतीय साहित्य, संस्कृति, संस्कार व सभ्यता को पहुंचाने के लिए। आज यह महायज्ञ (वेबसाइट) वट वृक्ष की तरह महान भारतीय साहित्य, संस्कृति, संस्कार व सभ्यता को सम्पूर्ण विश्व में जन जन तक पहुंचा रहा है। सम्पूर्ण विश्व में सभी उम्र के पाठकों द्वारा प्रेम से पढ़ा जा रहा है, इस महायज्ञ (वेबसाइट) से सभी लाभान्वित हो रहे हैं।

  • इस वेबसाइट पर आप सभी को पढ़ने को मिलेगा आधुनिक व प्राचीन भारतीय हिंदी साहित्य और ज्ञान, ध्यान, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेदिक चिकित्सा, सकारात्मक विचार, कैरियर मार्गदर्शन इत्यादि से संबंधित लेख, आर्टिकल, कविताएँ, निबंध व विचार, कोट्स मिलेंगे।
  • एक शांत दिमाग बेहतर साेच सकता है, एक थके हुए दिमाग की तुलना में।
  • मेरा स्लोगन ही है – “तू ना हो निराश कभी मन से” – मेरा लक्ष्य है सभी मनुष्यों को मानसिक रूप से पूर्ण Strong बनाना।
  • हर इंसान के अंदर असीमित शक्तियां निहित है, बस जरूरत है इन शक्तियों को सही तरीके से Use करना। मैं अपनी शक्तियों को Right Way में Use कर रहा हूँ, मुझे लिखना बहुत अच्छा लगता है मैं इस काम से कभी बोर नहीं होता।
  • आज के समय में लोगों की मदद करने के लिए – Internet किसी के लिए कितना उपयोगी हो सकता है इस बात को समझना कठिन नहीं है, पर दुःख की बात है कि हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी में Internet पर ना के बराबर Content उपलब्ध हैं। मैं इसी कमी को अपने स्तर से कम करने में प्रयासरत हूँ।

यह महायज्ञ (वेबसाइट) बहुत सारे पवित्र व महान आत्माओं के सहयोग से निरंतर आगे बढ़ रहा है। हमारे सहयोगी (पवित्र और महान आत्माएं) लेखक / लेखिका व कवि / कवयित्री निम्नवत है •……

  • विमल गांधी जी।
  • नंदिता शर्मा जी।
  • डॉ विदुषी शर्मा जी।
  • सुखमंगल सिंह जी।
  • अशोक सिंह जी।
  • शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी।
  • हेमराज ठाकुर जी।
  • वेदस्मृति ‘कृती’ जी।
  • कृष्ण कुमार सैनी जी।
  • रवि रंजन पाण्डेय जी।
  • ‘अजीब’ आदित्य कुमार जी।
  • आलम आजाद जी।
  • सारांश सागर जी।
  • डॉ कौशल किशोर श्रीवास्तव जी।
  • डॉ मुकेश कुमार जी।
  • डॉ रूपेश जैन जी।
  • सुशीला देवी जी।
  • विजयलक्ष्मी जी।
  • विवेक कुमार जी।
  • कविता पाल जी।
  • प्रो. मीरा भारती जी।
  • सतीश शेखर श्रीवास्तव – परिमल जी।
  • अमित प्रेमशंकर जी।
  • पूनम गुप्ता जी।
  • दौलत राम गर्ग जी।

20+ हमारे और भी सहयोगी (पवित्र और महान आत्माएं) लेखक / लेखिका व कवि / कवयित्री हैं। सभी के सहयोग से यह महायज्ञ (वेबसाइट) अनवरत चल रहा है, और चलता रहेगा। हमारा मानना है की मेरा जन्म ही हुआ है मानव जाति के कल्याण के लिए। अपने अंतिम स्वास तक इतना करके जाना है की आने वाली पीढ़ियां अनंत काल तक हमारे द्वारा किये गए कार्यों से लाभान्वित होती रहे। कहने को तो बहुत कुछ है मन में, समय के अभाव के कारण अभी नहीं लिख रहा हूँ, लेकिन आने वाले समय में सम्पूर्ण विस्तार से लिखकर बताऊंगा।

अरे तेरे “मैं मैं – तू तू भ्रामक विचार, तेरा मन ! तू !! तेरी काया !!
क्या शाश्वती का स्वप्न देख रहे हैं ? “प्यारे” गुमराह न हो !
उठो होष में आवो और अपने को पहिचानों ! अमरत्व तेरे पॉव तले की धूल है !!–KMSRAJ51

—————

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आप सभी का प्रिय दोस्त

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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सच्चा गुरु कौन ?

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ सच्चा गुरु कौन ? ♦

गुरु पूर्णिमा व सच्चे गुरु पर KMSRAJ51 के विचार।

वास्तविक गुरु वह हाेता है जाे अपने अनुयाइयाें काे परमात्म मिलन का सच्चा मार्ग दिखाये, ना की केवल स्वयं की पूजा-अर्चना करवायें। जाे गुरु केवल स्वयं की पूजा-अर्चना करवाता हैं वह गुरु नहीं राक्षस(दैत्य) है, वह आपकाे परमात्मा से विमुख(दुर) कर रहा हैं। जबकी एक सच्चा गुरु ऐसा कभी नहीं करता।

मनुष्य कभी किसी मनुष्य का उद्धार(निर्वाण या मोक्ष) नहीं कर सकता, यहा तक कि साधु-संताे का भी उद्धार करने के लिए स्वयं परमात्मा काे आना पड़ता हैं। अर्थात: मनुष्य कभी किसी मनुष्य का उद्धार नहीं कर सकता।

सभी मनुष्याें का सच्चा गुरु परमात्मा (GOD) ही हैं।

यह बात “श्रीमद् भागवत गीता” के चौथे अध्याय के श्लोक संख्या “८” से:

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे॥

अर्थात: साधु पुरुषोंका उद्धार करने के लिये, पापकर्म करने वालाें का विनाश करने के लिये और धर्म की अच्छी तरह से स्थापना करने के लिये मैं युग-युग में (संगमयुग में) प्रकट (किसी सतपुरुष शरीर का माध्यम लेकर) हुआ करता हूँ॥८॥

ध्यान दें,

संगमयुग : वह समय जब कलियुग (कलयुग) का आखिरी कुछ वर्ष शेष रह जाये, जिसके बाद सतयुग आने वाला हाे। यहीं समय संगमयुग कहलाता हैं। – KMSRAJ51

⋅—⋅♦⋅—⋅♦⋅—⋅♦⋅—⋅

कहने का तात्पर्य यह है की – सच्चा गुरु कभी भी खुद की पूजा अर्चना नहीं करवाता। एक सच्चा गुरु सदैव ही आपको परमात्म मिलन का सच्चा मार्ग दिखाता है, जिस पर चलकर आप पूर्ण समर्पित मन से, पूर्ण श्रद्धा से साधना करते है तो अपनी सुषुप्त शक्तियों को जागृत करते है।

जब आत्मा की सुषुप्त शक्तियां जागृत होने लगती है, आपको सत्य का बोध होने लगता है। आपको सर्वोच्च आनंद की अनुभूति होने लगती है, इस आनंद के सामने अन्य आनंद फीकी लगने लगती है।

जो सत्य है, सास्वत है उसका बोध होने लगता है, संसार में रहते हुए भी आप संसार के बंधनो से मुक्त होने की अनुभूति करने लगते है।

सच्चे गुरु का सदैव ही आदर, सत्कार और सम्मान करें, पूर्ण समर्पित मन से! याद रहे मैं यहां बात कर रहा हूं सच्चे गुरु की।

गुरु पूर्णिमा: सच्चे अर्थो में गुरु पूर्णिमा का मतलब है गुरु के द्वारा बताये हुए मार्ग पर पूर्ण समर्पित मन से चलकर साधना करना। जिससे आपको उस सत्य का बोध हो, जिसकी आपको तलाश है।

एक सच्चा गुरु आपसे यही चाहता है की आप उसके बताये हुए मार्ग पर चलते हुए पूर्ण समर्पित मन से साधना करें। जिससे आपको पूर्ण सत्य की पहचान हो, और आप बुरे कर्मो से मुक्त होकर अच्छे कर्मो की तरफ अपना कदम बढ़ाये। आपके अच्छे कर्म से मानवता का कल्याण हो।

इस संसार में आने पर किसी भी इंसान की प्रथम गुरु माँ है।

अपने सच्चे गुरु का पूर्ण समर्पित मन से आदर, सेवा, सत्कार व सम्मान करें। पूर्ण विश्वास और समर्पित मन से सच्चे गुरु के द्वारा बताए हुए मार्ग पर चलकर सच्चे मन से साधना करें। जिससे आपका कल्याण हो। आपका यह मनुष्य जीवन सार्थक हो। सच्चे गुरु के द्वारा बताए हुए मार्ग पर चलकर सच्चे मन से साधना करते है तो आपको सत्य का बोध जरूर होता है।

प्यारे दोस्तों – यहाँ आपको सच्चे आध्यात्मिक गुरु के बारे में बताया है।

यह लेख KMSRAJ51 की स्वयं रचित रचना है।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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KMSRAJ51 – Motivational Speaker

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ KMSRAJ51 – Motivational Speaker ϒ

प्यारे दोस्तों – काम करियर और जीवन में सफलता के लिए – ब्लू प्रिंट जरूर बनाये। अगर चाहते है निश्चित सफलता तो – step by step अनुसरण करें… Positive Way का।

I have created a new YouTube channel for your Success.

♥⇒ New YouTube Channel Name is :

KMSRAJ51: Motivational Speaker

 

आप सभी से निवेदन है कि – हमारे यूट्यूब चैनल को like, subscribe, and share जरूर करें। अपने मित्रों और जान पहचान के लोगों को । आपका सहयोग हमारे लिए एनर्जी होगा। मुझें पूर्ण विश्वास है सदैव कि तरह आपका पूरा सहयोग जरूर मिलेगा।

आप सभी का प्रिय दोस्त

Krishna Mohan Singh(KMS)
Editor in Chief, Founder & CEO
of,,  https://kmsraj51.com/

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न रख इतना नाजुक दिल।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ न रख इतना नाजुक दिल। ϒ

🙂 दिल की गहराइयों तक जो उतर जाये – वही शब्द असल में नज़्म कहलायें – न रख इतना नाजुक दिल।

इश्क़ किया तो फिर न रख इतना नाज़ुक दिल
माशूक़ से मिलना नहीं आसां ये राहे मुस्तक़िल
तैयार मुसीबत को न कर सकूंगा दिल मुंतकिल
क़ुर्बान इस ग़म को तिरि ख़्वाहिश मिरि मंज़िल

मुक़द्दर यूँ सही महबूब तिरि उल्फ़त में बिस्मिल
तसव्वुर में तिरा छूना हक़ीक़त में हुआ दाख़िल
कोई हद नहीं बेसब्र दिल जो कभी था मुतहम्मिल
गले जो लगे अब हिजाब कैसा हो रहा मैं ग़ाफ़िल

तिरे आने से हैं अरमान जवाँ हसरतें हुई कामिल
हो रहा बेहाल सँभालो मुझे मिरे हमदम फ़ाज़िल
नाशाद न देखूं तुझे कभी तिरे होने से है महफ़िल
कैसे जा सकोगे दूर रखता हूँ यादों को मुत्तसिल

डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ – हैदराबाद, तेलंगाना ®

हम दिलसे आभारी है – डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ जी के, हिंदी में नज़्म शेयर करने के लिए। KMSRAJ51.COM के Author Team पैनल में तहेदिल से स्वागत है – आपका।

डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ जी के लिए मेरे विचार:

♣ “डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ जी” ने “न रख इतना नाजुक दिल।…“ काे नज़्म के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – इक – इक शब्द दिल की गहराइयों तक उतरते है। आपके लेखन की खासियत है की बिलकुल खुले मन से लिखते है, आपके लेख के हर एक शब्द दिल को छूने वाले होते है। हर एक शब्द अपने आप में एक पूर्ण सुझाव देता है, फिर चाहे वो नज़्म, गज़ल हो या कवितायें हो या अन्य लेख। जो भी इंसान इनके लेख को दिल से समझकर आत्मसात करेगा उसका जीवन धन्य हो जायेगा।

♥••—••♥

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

Amazing changes the conversation yourself can be brought to life by. By doing this you Recognize hidden within the buraiya ensolar radiation, and encourage good solar radiation to become themselves.

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAJ51

 

 

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Filed Under: 2018-Kmsraj51 की कलम से….., नज़्म हिंदी में Tagged With: baccho ki hindi kavita, Hindi Kavita, hindi poetry, Hindi Shayari, Kmsraj51, Large Collection of Nazms, Nazm, nazm in hindi, roopesh jain, Sher-o-Shayari, कुछ नज्में, डॉ. रूपेश जैन 'राहत', न रख इतना नाजुक दिल।, नज़्म - शायरी हिंदी में, मशहूर नज़्में, शेर-ओ-शायरी, सबसे मशहूर नज़्मों का संकलन

आँखों से आंसू बहते है।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ आँखों से आंसू बहते है। ϒ

दिल टूट जाता है तो –
आवाज नहीं होती।

आँखों से आंसू बहते है।
मगर फ़रियाद नही होती।

किसी को मोहब्बत मिलती है।
तो किसी को रास नहीं आती।

ये तो अपने-अपने नसीब की –
बात है कि कोई किसी को…
भूलता नही।

तो किसी को किसी –
की याद भी नही आती।

∗ ⇔ ∗ ♥ ∗ ⇔ ∗

जो उड़ते है अहंकार के आसमान पर –
उन्हें जमीन पर आने मे वक्त नही लगता।

हर तरह का समय आता है जिंदगी मे –
अच्छा या बुरा।
समय के गुज़रने मे समय नही लगता॥

©- विमल गांधी जी। ∇

Vimal Gandhi-kmsraj51
विमल गांधी जी।

हम दिल से आभारी हैं विमल गांधी जी के प्रेरणादायक हिन्दी कविता साझा करने के लिए।

विमल गांधी जी के लिए मेरे विचार:

♣ “विमल गांधी जी” की कविताआे के हर एक शब्द में अलाैकिक सार भरा हैं। जाे हर एक शब्द पर विचार सागर-मंथन कर हृदयसात करने योग्य हैं। कविताऐं छोटी और सरल शब्दाे में हाेते हुँये भी हृदयसात करने योग्य हैं। जाे भी इंसान इन कविताओं काे गहराई(हर शब्दाे का सार) से समझकर आत्मसात करें, उसका जीवन धन्य हाे जायें।

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मुस्कुराती आँखों में आंसुओं के सैलाब होते है।

Kmsraj51 की कलम से…..

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ϒ मुस्कुराती आँखों में आंसुओं के सैलाब होते है। ϒ

हर किसी की आँखों में –
ख्वाब होते है।

हर किसी के दिल मे –
कुछ राज होते है।

ज़रूरी नही कि –
ज़माने को बताये।

मगर सपने तो –
सपने हाेते है।

ज़रूरी नही कि –
सपने सारे पूरे हो।

चेहरे से चाहे –
हँस कर बताये।

मगर, मुस्कुराती आँखों में –
आंसुओं के सैलाब होते है।

∗ ⇔ ∗ ♥ ∗ ⇔ ∗

कोई अगर आप को अच्छा लगता है तो –
अच्छा वो नही आप हो क्योंकि –
उसमें अच्छाई देखने वाली नज़र आपके पास है।

इंसान अगर ख़ुद अच्छा है तो –
उसका मन अच्छा है तो –
उसे सब अच्छे ही लगते है –
बुरे इंसान को सब बुरे ही लगते है॥

©- विमल गांधी जी। ∇

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विमल गांधी जी।

हम दिल से आभारी हैं विमल गांधी जी के प्रेरणादायक हिन्दी कविता साझा करने के लिए।

विमल गांधी जी के लिए मेरे विचार:

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~Kmsraj51

 

 

 

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स्व का पहचान सर्व ज्ञान का स्रोत।

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ϒ स्व का पहचान सर्व ज्ञान का स्रोत। ϒ

प्यारे दोस्तों – आज मैं आप सभी को बहुत समय पहले की एक सत्य से अवगत करवाता हूँ।

महर्षि उद्दालक के पुत्र श्वेतकेतु अत्यंत प्रतिभाशाली थे। गुरुकुल में निरंतर १२ वर्षो तक शास्त्रों का अध्ययन करने के पश्चात् – जब वे महर्षि के पास लौटे तो उन्होंने उनसे प्रश्न किया – “वत्स ! वह क्या है, जिसका ज्ञान होने से सृष्टि के समस्त पहलुओं का ज्ञान हो जाता है।”

इस प्रश्न का उत्तर श्वेतकेतु से न देते बना तो – उसकी जिज्ञासा का समाधान करते हुए महर्षि उद्दालक बोले – “पुत्र जिस प्रकार स्वर्ण का ज्ञान हो जाने से स्वर्ण से बनी सभी वस्तुओं का ज्ञान हो जाता है, कृषि का ज्ञान हो जाने से सभी अन्य वनस्पतियो को उगाने का ज्ञान हो जाता है।”

“वैसे ही आत्मा का ज्ञान हो जाने से सृष्टि के समस्त पहलुओं का ज्ञान हो जाता है। तुम अब अपना जीवन उसी आत्मज्ञान को प्राप्त करने में लगाओं।”

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आपसे मिलकर हमें भी मुस्कुराना आ गया।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ आपसे मिलकर हमें भी मुस्कुराना आ गया। ϒ

(सादर समीक्षार्थ प्रस्तुत है आदरणीय गुरुदेव इस्लाह की गुजारिश के साथ)

आपसे मिल कर हमें भी मुस्कुराना आ गया।
मर नहीं सकता था फिर भी जहर खाना आ गया।

प्यार का किस्सा कभी लोगों से सुनता था यहां।
आज करके इश्क खुद को आजमाना आ गया।

गम हमें भी खूब लोगों से मिले हैं आज तक।
गम को सह-सह कर हमे भी दर्द सहना आ गया।

नफरतों के बीज दिल में आज तक बोये नहीं।
गैर को अपना बनाकर दिल लगाना आ गया।

जिंदगी भर खर्च की है बाप की दौलत मगर,
करके मेहनत आज मुझको भी कमाना आ गया।

जुल्म मैंने भी किए हैं जिंदगी में खूब पर-
आज सबके सामने मुझको लजाना आ गया।

पहले दुनिया देखकर खो जाता था मैं भी यहां।
रूप अपना ही निखारा और लुभाना आ गया।

“राज” आगे बढ़ के राहें खुद बनाई जब यहां।
पीछे – पीछे फिर मेरे सारा जमाना आ गया।

©-कृष्ण कुमार सैनी -राज, दौसा (राजस्थान) ∇

हम दिल से आभारी हैं कृष्ण कुमार सैनी जी के प्रेरणादायक हिन्दी ग़ज़ल साझा करने के लिए।

पढ़ें – विमल गांधी जी कि शिक्षाप्रद कविताओं का विशाल संग्रह।

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– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –

* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)

* अपनी आदतों को कैसे बदलें।

∗ निश्चित सफलता के २१ सूत्र।

* क्या करें – क्या ना करें।

∗ जीवन परिवर्तक 51 सकारात्मक Quotes of KMSRAJ51

* विचारों का स्तर श्रेष्ठ व पवित्र हो।

* अच्छी आदतें कैसे डालें।

* KMSRAJ51 के महान विचार हिंदी में।

* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।

* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

* चांदी की छड़ी।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

Amazing changes the conversation yourself can be brought tolife by. By doing this you Recognize hidden within the buraiya ensolar radiation, and encourage good solar radiation to become them selves. ~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAJ51

 

 

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मृत्यु एक सिलसिला है परिवर्तन का।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ मृत्यु एक सिलसिला है परिवर्तन का। ϒ

परमतत्व परमात्मा ने एक से अनेक होने की इच्छा से सृष्टि का निर्माण किया और जन्म और मृत्यु का विधान भी साथ-साथ बनाया।इसलिये सृष्टि में जो भी आया है उसका जाना भी निश्चित है। जब कोई भी जन्म लेता है तभी उसकी मृत्यु भी तय हो जाती है। मौत का झपट्टा तो कई पहरों के बीच से भी उठा कर ले जाता है। इससे ना राजा बच सका ना रंक, ना देवता ना राक्षस, ना साधु ना सन्यासी।
जिन्होंने हजारों वर्षों की तपस्या करके अजर अमर होने का वरदान पाया था वे भी नहीं, क्योंकि जन्म और मृत्यु तो एक शाश्वत सत्य है।

वैसे मेरा ऐसा मानना है कि मृत्यु एक रूपान्तरण है अर्थात् वस्तु अथवा व्यक्ति का रूप परिवर्तन होना। जब कोई मनुष्य मर जाता है तो उसका शरीर यहीं रह जाता है। जिसका अपने-अपने धर्मो के अनुसार मनुष्य क्रिया-कर्म करता है। कोई जलाकर, कोई बहाकर अथवा कोई दफनाकर, यानि ये शरीर इस संसार के पंच तत्वों में ही विलीन हो जाता है। और इस शरीर में निहित जो परमात्मतत्व है, निकल कर वह पुनः अपने-अपने कर्मो के अनुसार इस संसार में अन्य किसी रूप में जन्म ले लेता है, और समयानुसार पुनः समाप्त हो जाता है इस तरह यह प्रक्रिया अबाध गति से चलती रहती है। श्रीमद्भ गवद्गीता में श्रीकृष्ण जी का इस सम्बन्ध में अर्जुन को दिया उपदेश तो देखिये…

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय
नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि ।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्य-
न्यानि संयाति नवानि देही (अ.)।।२२।।

जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नये वस्त्रों को ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरों को त्यागकर दूसरे नये शरीरों को प्राप्त होता है। ।।२२।।

इसी तरह संसार की समस्त जड़-चेतन वस्तुयें भी इसी संसार में विलीन होकर रूप परवर्तित करती रहती हैं। जैसे कुछ राख होकर, कुछ भस्म रूप होकर, कुछ मिट्टी रूप होकर, कुछ जल रूप होकर और कुछ ठोस रूप होकर आदि-आदि। रूप परिवर्तन की यह प्रक्रिया निर्बाध गति से निरन्तर चलती रहती है। इस शरीर में निहित जो परमतत्व है वह पुनः अपने कर्मों के अनुसार इसी संसार में अन्य किसी रूप में जन्म लेकर पुनः_पुनः आता है और समयानुसार पुनः समाप्त होकर और फिर पुनः अन्य किसी रूप में जन्म ले लेता है। पर हम सभी इस शरीर की मूल्यवानता को ना पहचानकर यूँ ही इसे गँवा रहे हैं। कहा भी है…

जन्म से लेकर मरण तक, दौड़ता है आदमी
एक रोटी दो लंगोटी, तीन गज कच्ची ज़मीं।
तीन चीजें चार दिन में, जोड़ता है आदमी
है यहाँ विश्वास कितना?
आदमी, की मौत पर
मौत के हाथों सभी कुछ छोड़ता है आदमी।।

तात्पर्य है – मनुष्य जीवन भर खाने कमाने में ही सारा जीवन खपा देता है, और जोड़-जोड़कर रखता जाता है। और जब मौत आ जाती तब सब कुछ मौत के हाथों में छोड़कर यहाँ से विदा हो जाता है।

मगर अन्य किसी रूप में पुनः आ जाता है और दुनियाँ में आवागमन का, परिवर्तन का चक्र यूँ ही चलता रहता है। अतः यह सत्य है कि मृत्यु नाम है एक परिवर्तन का चाहे वह वस्तु का हुआ हो अथवा शरीर का…

दुनियाँ में जीना है, तो
मेहमान बनकर जीते रहें,
मालिक बनकर ना जीयें।

सन्त जन अथवा शास्त्रमतानुसार चौरासी लाख योनियों में वह परम तत्व भ्रमण करते-करते अन्त में मनुष्य रूप धारण करता है। जो बड़ा ही अनमोल होता है। क्योंकि मनुष्य रूप के माध्यम से ही, जो परमतत्व हमारे शरीर में आया है उन्हीं में मिलाकर आवागमन के चक्र से मुक्त हुआ जा सकता है। प्रभु नाम स्मरण, अभिमान रहित मन बुध्दि, शुभ कर्म और प्रेम-भक्ति से ही उन परमप्रभु परमात्मा को पाया जा सकता है।

मृत्यु पर आधिपत्य करने के लिये बड़े-बड़े वैज्ञानिकों ने भी प्रयास किया, मगर वे भी सभी असफल ही रहे। वह परमतत्व शरीर में से कब कहां से बाहर निकल जाता है पता ही नहीं चलता। उन्होंने एक परीक्षण भी किया था।

⇒ एक कांचनुमा बॉक्स में एक मरणासन्न व्यक्ति को रखा लेकिन जब उसके प्राण निकले तो वह तत्व कांच को फोड़ता हुआ बाहर निकल गया और वैज्ञानिक कुछ ना कर पाये।

हिरण्याक्ष, हिरण्यकश्पु, कंस, रावण आदि-आदि राक्षसों ने तो स्वंय की मृत्यु ना आये इसके लिये बड़े-बड़े तप करके वरदान भी पाये। मगर मृत्यु के पाश से अपने आपको कोई भी ना बचा पाया। वरन् प्रभु ने अवतार ले लेकर उनको उन सभी के वरदानों के अनुसार ही मृत्यु प्रदान की, और उनके आत्मतत्व को अपने में ही समाहित कर लिया। “मृत्यु रूपी अजगर तो अपना मुंह खोले” हमेशा ही खड़ा रहता है वह किसको कब कहां “निगल” जायेगा कुछ पता नहीं। कहा भी है…

क्या भरोसा है इस जिदंगी का।
साथ देती नहीं ये किसी का।
सांस रुक जायेगी चलते-चलते।
शंमा बुझ जायेगी जलते-जलते।
दम निकल जायेगा-दम निकल जायेगा-
दम निकल जायेगा।
दम निकल जायेगा आदमी का।
क्या भरोसा है इस जिंदगी का।

विडम्बना तो देखिये, आदमी ऐसे जीता है कि वह कभी मरेगा ही नहीं और मर जाता है तो लगता है कि वो था ही नहीं। यद्धपि यह भी सत्य है कि वह अन्य रूप में इसी संसार में पुनः आ जाता है और रूपों के परिवर्तन की, भिन्न-भिन्न योंनियों में आवागमन के परिवर्तन की यह प्रकिया सृष्टि में निरन्तर चलती रहती है। श्रीमद्भगवदगीता में कितना सत्य समझाया है, भगवान श्री कृष्ण ने…

जातस्य ही ध्रुवो मृत्यु, ध्रुवम् जन्म मृतस्य च,
तस्माद् अपरिहार्येर्थे, न त्वम् शोचितुमर्हसि”( गीता 2-27 )

“जो जन्म लेता है, उसकी मृत्यु अवश्य होती है। और मृत्यु के बाद जन्म अवश्य होता है। जिसमें कोई परिवर्तन न हो सके ऐसी यह कुदरती व्यवस्था है। इसी लिए शोक करना तेरे लिए उचित नहीं है।”

अतः अपना ये अनमोल जीवन सार्थक हो सके, इसके लिये कर्तव्य और कर्म का निर्वहन करते हुये प्रभु नाम ध्यान भी अवश्य करते रहना चाहिये। किसी ने बहुत अच्छी बात कही –

“जो जाके न आए, वो जवानी भी देखी,
जो आके न जाये, वो बुढापा भी देखा।”

“प्रभु कृपा दृष्टि सभी पर सदा बनी रहे।”

©- सुमित्रा गुप्ता ‘सखी’। – कल्याण (महाराष्ट्र) ∇

हम दिल से आभारी हैं सुमित्रा गुप्ता ‘सखी’ जी के प्रेरणादायक हिन्दी Article साझा करने के लिए।

सुमित्रा गुप्ता ‘सखी’ जी के लिए मेरे विचार:

♣ “सुमित्रा गुप्ता ‘सखी’ जी” ने बहुत ही सरल शब्दों में – जन्म और मृत्यु के सत्य से अवगत कराया हैं। हर एक शब्द में अलाैकिक सार भरा हैं। जाे हर एक शब्द पर विचार सागर-मंथन कर हृदयसात करने योग्य हैं। जाे भी इंसान इन शब्दों को गहराई(हर शब्दाे का सार) से समझकर आत्मसात करें, उसका जीवन धन्य हाे जायें।

पढ़ें – विमल गांधी जी कि शिक्षाप्रद कविताओं का विशाल संग्रह।

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विश्वास।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ विश्वास। ϒ

जब विश्वास किसी पर –
होता है तब…पराये भी –
अपने बन जाते है।

और जब – जब
विश्वास किसी पर –
टूटता है तब…
अपने भी पराये हो जाते है।

सारी बात तो –
विश्वास पर ही टिकी है।

जिस पर पक्का –
विश्वास हो जाये वो…
अपना ही लगता है।

जिस पर विश्वास –
ना हो वो कभी भी…
अपना नहीं लगता।

¤~≈~¤

दिल के रिश्ते –
खून के रिश्तों से…
ज्यादा मजबूत होते है।

कही कही –
खून के रिश्ते में…
लड़ाई झगड़े –
भी बहुत होते है।

रिश्ते हमेशा –
दिल से होने चाहिये।

जीवन मे सच्चा सुख दूसरों को सुख देने में ही है। दूसरों को दुःख देने और उनका सुख लूटने में नहीं है।

©- विमल गांधी जी। ∇

Vimal Gandhi-kmsraj51
विमल गांधी जी।

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विमल गांधी जी के लिए मेरे विचार:

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