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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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Mai Nurse Hun - मैं नर्स हूँ

नर्स।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ नर्स। ♦

त्याग की है मूर्ति,
समर्पण का श्रृंगार है।
श्वेत वस्त्र में मानो,
‘नर्स’ देवी का अवतार है।

विपदा की विकट समस्या थी,
देश कितना परेशान था।
कोई बचालो कोई सम्भालो,
जग का ऐसा आह्वान था।

सेवा धर्म की रक्षा में उसने,
न जाने कितने बलिदान दिए।
अपनी चिंता को भूल कर,
कइयों को जीवन दान दिए।

रखा अडिग विश्वास स्वयं पर,
सबको हिम्मत से बांधा है।
मातृत्व भरा हृदय है कोमल,
पर कितना दृढ़ उसका कंधा है।

लिया संकल्प की डटी रहूंगी,
चाहे जान भी बारुंगी।
जब तक सीने में श्वास प्रबल है,
मैं हिम्मत नहीं हारूँगी।

दुबके थे सब अपने घरों में,
कैसा संक्रमण का प्रहार था।
योद्धा बन कर युद्ध भी जीती,
सेवा सुश्रुषा ही तलवार था।

करुणा मन में रख कर उसने,
सबका ही देखभाल किया।
ढाल बन कर डटी रही,
जब जब कोरोना विकराल हुआ।

अथक परिश्रम के बल पर,
जब किसी का जीवन बचाया है।
आत्मसंतोष की भाव ने,
उसका सुंदर मुख सजाया है।

देते है सभी बधाई डॉक्टरों को,
आप ईश्वर के रूप को।
कैसे भूल जाये नर्स जी आपको,
आप देवी का स्वरूप हो।

शब्दो का सुमन अर्पित,
कहो कैसे गुणगान करू!
अंतःकरण है द्रवित हमारा,
मैं तेरा सम्मान करू!

♦ अमित पाठक `शाकद्वीपी` जी – जिला – बोकारो, झारखण्ड ♦

—————

• Conclusion •

  • “अमित पाठक `शाकद्वीपी` जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — सदा अपने अधरों पर लिए, मधुर मुस्कान, वो तरुणाई। सदा सेवा में तत्पर रहती, जो किसी ने आवाज लगाई, सिस्टर कहा किसी ने, तो किसी ने नर्स, कोई कहता नर्स बाई, वात्सल्य, सेवा, त्याग की, मूरत, सदा करती हैं सबकी भलाई। कोरोना काल में रखा अडिग विश्वास स्वयं पर, सबको हिम्मत से बांधा है। मातृत्व भरा हृदय है कोमल, पर कितना दृढ़ उसका कंधा है। उसने दिल से लिया संकल्प की डटी रहूंगी, चाहे जान भी बारुंगी। जब तक सीने में श्वास प्रबल है, मैं हिम्मत नहीं हारूँगी।

—————

यह कविता (नर्स।) “अमित पाठक `शाकद्वीपी` जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं अमित पाठक ‘शाकद्वीपी’; मूलतः गया, बिहार का निवासी हूँ, वर्तमान में बोकारो झारखण्ड में रहता हूँ। यहाँ एक शिक्षक के रूप में कार्य करता हूँ। लिखना मेरी पहली अभिरुचि है। मेरी कुछ रचनाओं को विविध संकलनों में तथा समाचार पत्रों में स्थान मिला है। सोशल मीडिया मंचों पर सक्रिय रूप से लिख रहा हूँ। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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