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♦ आज के युग में बच्चों को पढ़ाने के तरीके। ♦
या » — आज के दौर में बच्चों को पढ़ाने के 11 तरीके।
वर्तमान समय में कुछ सीखने और कुछ नया कर जाने के लिए पढ़ाई बहुत आवश्यक है। लेकिन कुछ बच्चे पढ़ाई को लेकर परेशान रहते हैं, वे पढ़ाई से दूर भागते हैं, किताबें, नोटबुक आदि उनके लिए समस्या बन जाती है, उन्हें पढ़ना अच्छा नहीं लगता। ऐसी स्थिति में शिक्षक और अभिभावक दोनों की ही बच्चों की शिक्षा में भूमिका और भी महत्वपूर्ण बन जाती है।
ऑनलाइन शिक्षा —
आज कोरोना महामारी के साथ ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा मिला है, इसमें शिक्षक बच्चों को पढ़ाने हेतु अपनी कक्षा को रूचिपूर्ण बनाने के लिए प्रयासरत रहते हैं, जबकि अभिभावकों के लिए इस समय बच्चों को पढ़ाना काफी चुनौतीपूर्ण होता है।
लेकिन फिर भी आज के प्रतियोगिताओं से भरे युग में बच्चों के लिए पढ़ाई नितांत आवश्यक है।
शिक्षक द्वारा बच्चों को पढ़ाने के लिए निम्न तरीके प्रयोग में लाये जा सकते हैं —
- प्रस्तुति को आनंद से भरपूर रखें — यदि हम बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेजेंटेशन तैयार करते हैं तो उसमें कुछ मज़ेदार जोड़ सकते हैं। बच्चों से सम्बंधित वास्तविक तथ्य, कहानी आदि जोड़कर प्रस्तुति को अधिक आनंददायक बनाया जा सकता है।
- परस्पर संवादात्मक कालांश बनाने की कोशिश करें — कक्षा में विषय को पढ़ाने के लिए सेशन को इंटरेक्टिव रखना अच्छे परिणाम दे सकता है क्योंकि इसके द्वारा बच्चों को भी अपने विचार रखने के अवसर प्राप्त हो सकेंगे।
- किताबी ज्ञान का दबाव न बनाएं — बच्चों को केवल किताब द्वारा शिक्षा देने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। इससे बच्चे को पढ़ाई नीरस लगने लगती है और वे पढ़ाई से कटते चले जाते हैं।
- पढ़ाई को मजेदार बनाकर प्रस्तुत करें — आजकल विभिन्न प्रकार की ऐप से प्रश्नोत्तरी आदि का निर्माण करके समबन्धित विषय बच्चों को समझाया जा सकता है। कुछ चित्र बनाकर उन पर लिखने को दिया जा सकता है। इसी तरह से अन्य गतिविधियाँ कराकर उनके विचारों को जान सकते हैं।
- बच्चों के प्रयास को सराहें — शिक्षक को चाहिए कि वे बच्चों द्वारा किये गए प्रयास को समझते हुए उनकी सराहना करें।
अभिभावकों द्वारा बच्चों को पढ़ाने के तरीके —
बच्चों को सिखाने के क्षेत्र में शिक्षक के साथ – साथ अभिभावक की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। देखा जाए तो अभिभावक ही बच्चों के प्रथम गुरु हैं, घर ही उनकी प्रथम पाठशाला है, ऐसी स्थिति में बच्चों के जीवन में अभिभावक का योगदान और भी महत्वपूर्ण बन जाता है। अतः उन्हें पढ़ाने के लिए कुछ कारगर उपाय हो सकते है जैसे —
- परीक्षा से अधिक सीखने पर बल दें — बच्चे के अंदर ये डर पैदा न होने दे कि परीक्षा है और उन्हें दिन रात पढ़ना होगा। इसके स्थान पर उन्हें कहें कि तुम्हारा सीखना अधिक ज़रूरी है। इससे बच्चों को सीखने की प्रेरणा मिलेगी और वे अपने आप ही परीक्षा के लिए तैयार हो सकेंगे।
- परिणाम से अधिक प्रयास कराने की चर्चा करें — अभिभावकों को कभी भी बच्चे के परीक्षा परिणाम को बच्चों पर हावी नहीं होने देना चाहिए कि तुम्हारे परीक्षा में इतने प्रतिशत अंक अवश्य आने ही चाहिए। ऐसा करने से बच्चे पर अतिरिक्त दबाव आ सकता है। इसके स्थान पर उन्हें प्रयास/कोशिश करने को कहें। परिणाम अपने आप बेहतर होंगे।
- बच्चे के साथ प्यार से पेश आएं — बच्चे को मारना या धमकाना नहीं चाहिए। उन्हें प्यार से समझाना चाहिए।
- लेखन अभ्यास पर ध्यान केंद्रित करें — हम अक्सर सोचते हैं कि हमारे बच्चे ने आज क्या पढ़ा है ? हम भूल जाते है कि उसके लेखन अभ्यास की स्थिति क्या है ? अतः हमें उसका लेखन अभ्यास भी कराना चाहिए।
- पढ़ाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियां भी कराएं — माता-पिता को चाहिए कि कुछ समय पढ़ाई के अतिरिक्त बच्चों की पसंद के कार्यकलाप को स्थान दे। जैसे – नृत्य, गिटार, संगीत, चित्रकला आदि। इससे बच्चों को कार्य करने के लिए एक नई ऊर्जा मिलेगी।
- भरपूर नींद दिलाएं — आज जहाँ स्क्रीन पर बच्चे अधिक पढ़ाई कर रहे हैं तो कहीं न कहीं वे शारीरिक और मानसिक रूप से इससे प्रभावित होते हैं। उन्हें भरपूर नींद लेने के लिए कहें।
- जिज्ञासा को शांत करें — बच्चे का स्वभाव चंचल होता है। वह एक ही प्रश्न को बार- बार पूछ सकता है, उस पर झुँझलाएं नहीं अपितु उसकी जिज्ञासा शांत कर उसकी समस्या का समाधान करें।
- पाठ को रोचक बनाकर पढ़ाएं — कविता, खिलौने, मॉडल, चार्ट आदि के माध्यम से बच्चों को पढ़ाकर उन्हें अच्छे से समझाया जा सकता है।
- अनुकूल स्थिति होने पर घूमने जाएँ — बच्चों को कई बार सुनने से अधिक देखकर बातें समझने में सरलता होती है, अतः पार्क, बगीचे आदि में उनका भ्रमण कराएं।
- बच्चे का मनोबल बढ़ाएं — बच्चे को समय-समय पर प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है। उनका हौसला बढ़ाते रहे। उनके मनोबल को बिल्कुल भी टूटने न दें।
- बच्चों की पीठ थपथपाएँ — बच्चों के अच्छे कार्य पर उनकी प्रशंसा अवश्य करें। तारीफ़ के रूप में उनकी पीठ थपथपाई जा सकती है।
अतः कुछ बातों को ध्यान में रखकर बच्चों को सही तरीके से समझाकर उचित परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।
♦ नंदिता शर्मा जी। – नोएडा, उत्तर प्रदेश ♦
♦ अध्यापिका – बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल, नोएडा, उत्तर प्रदेश ♦
लेखिका नंदिता शर्मा जी अभी अध्यापिका के पद पर कार्यरत है — बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल, नोएडा, उत्तर प्रदेश में। नंदिता शर्मा जी KMSRAJ51.COM की सीनियर लेखक टीम पैनल की सदस्य भी है। (Nandita Sharma Ji, is also a member of the Senior Writers Team Panel of KMSRAJ51.COM.)
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- “नंदिता शर्मा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, इस कारगर लेख में लेखिका ने बताया है की बच्चों को सिखाने के क्षेत्र में शिक्षक के साथ – साथ अभिभावक की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। देखा जाए तो अभिभावक ही बच्चों के प्रथम गुरु हैं, घर ही उनकी प्रथम पाठशाला है, ऐसी स्थिति में बच्चों के जीवन में अभिभावक का योगदान और भी महत्वपूर्ण बन जाता है। लेख के हर एक शब्द पर विचार सागर-मंथन कर हृदयसात करने योग्य हैं। छोटे – छोटे बदलाव है पर काफी कारगर है, हर एक शिक्षक और अभिभावक व शिक्षार्थी को इस विषय में गंभीरता से साेचने कि जरुरत हैं।
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यह लेख (आज के युग में बच्चों को पढ़ाने के तरीके।) “नंदिता शर्मा जी।“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे। हम दिल से आभारी हैं नंदिता शर्मा जी के “आज के युग में बच्चों को पढ़ाने के तरीके।” विषय पर हिन्दी में Article साझा करने के लिए।
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