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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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Personal Development Hindi Quotes

निश्चित सफलता के २१ सूत्र।

Kmsraj51 की कलम से…..
Kmsraj51-CYMT-JUNE-15

ϒ निश्चित सफलता के २१ सूत्र। ϒ

प्रिय दोस्तों – आज मैं आप सबसे जीवन में निश्चित सफलता के जिन २१ सूत्राें की चर्चा करने वाला हूँ, इनका अनुसरण काेई भी साधारण इंसान भी अगर सच्चें मन से करें, ताे निश्चित सफलता सदैव उसके कदम चुमेगीं।

POFPQ-KMSRAJ51

  1. जीतने के लिए आपमें एक गुण हाेना ही चाहिए। वह है निश्चित उद्देश्य – यह ज्ञान कि आप क्या चाहते हैं – और उसे हासिल करने की तीव्र इच्छा।
    – नेपोलियन हिल
  2. याेजना बनाने का मतलब भविष्य काे वर्तमान में लाना है, ताकि आप उसके बारे में इसी वक़्त कुछ कर सकें।
    – एलन लकीन
  3. हमारे पास हमेशा पर्याप्त समय रहता है, बशर्ते हम उसका सही इस्तेमाल करें।
    – जाेहानन वाँल्फ़गैंग वाँन गेटे
  4. हर महान व्यक्ति उसी अनुपात में महान बना है और हर सफल व्यक्ति उसी अनुपात में सफल हुआ है, जिस अनुपात में उसने अपनी शक्तियाँ एक ख़ास क्षेत्र में सीमित की हैं।
    – आँरिसन स्वेट मार्डन
  5. हर दिन बड़े काम पुरे करने का समय निकालें। वे हर दिन के कामाें की याेजना पहले से बनाएँ। सिर्फ़ वे छाेटे काम ही पहले करें, जिन्हें सुबह तत्काल निबटाना ज़रूरी हाे। फिर सीधे बड़े कामाें की ओर बढ़ें और उन्हें पूरा करने में जुट जाएँ।
    – बोर्डरूम रिपोटर्स
  6. सफलता का पहला नियम है एकाग्रता – सारी ऊर्जा काे एक बिंदु पर केंद्रित करना और दाएं-बाएं देखे बिना उस बिंदु तक जाना।
    – विलियम मैथ्यूज़
  7. जब हर शारीरिक और मानसिक संसाधन केंद्रित हाे जाता है, ताे समस्या सुलझाने की मानवीय शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।
    – नॉर्मन विंसेंट पील
  8. आप जाे कर सकते हैं करें, जाे उपलब्ध है उसी से करें, जहाँ भी आप हैं वहीं से करें, बस कर डालें।
    – थियाेडाेर रूज़वेल्ट
  9. आपकी योग्यता का स्तर चाहे जाे हाे, आपमें इतनी ज्यादा संभावनाएँ हैं कि आप एक जीवन में उन तक नहीं पहुँच सकते।
    – जेम्स टी. मैके
  10. जिन लाेगाें में तुलनात्मक रूप से कम शक्तियाँ हाेती हैं, वे भी बहुँत कुछ हासिल कर सकते हैं, बशर्ते वे पुरी तरह जुट जाएँ और बिना थके एक वक़्त में एक ही चीज़ करते रहें।
    – सैम्युअल स्माइल्स
  11. आपका काम चाहे जाे भी हाे, उसमें सफलता का इकलाैता अचूक तरीक़ा अपेक्षा से ज्यादा और बेहतर सेवा देना है।
    – आँग मैन्डिनाे
  12. अपना काम करें; लकिन सिर्फ अपना काम ही नहीं, बल्कि ठाठ-बाट पाने के लिए कुछ ज्यादा भी करें – यह थाेड़ा ज्यादा भी बाक़ी जितना ही महत्त्वपूर्ण है।
    – डीन ब्रिग्स
  13. अपने सारे विचार उस काम पर केंद्रित कर लें, जाे फिलहाल आपके हाथ में हाे। सूरज की किरणें तब तक कुछ नहीं जला पातीं, जब तक कि उन्हें केंद्रित न किया जाए।
    – अलेक्ज़ेडर ग्राहम बेल
  14. सफलता की पहली शर्त है, बिना थके अपनी शारीरिक और मानसिक ऊर्जा काे किसी एक समस्या पर लगाने की योग्यता।
    – थॉमस एडिसन
  15. अपने सारे संसाधन जुटा लें, सभी इंद्रिया चाैकस कर लें, तमाम ऊर्जा समेट लें, सारी क्षमताएँ किसी एक क्षेत्र में माहिर बनने पर केंद्रित कर लें।
    – जॉन हैग्गई
  16. जबर्दस्त राेमांच, विजय और रचनात्मक कर्म के राेचक उत्साह में ही इंसान काे चरम सुख मिलता है।
    – एंटाइन डे सेंट एक्ज़ुपरी
  17. ज़िंदगी की रफ्तार बढ़ाने के अलावा भी इसमें बहुँत कुछ है।
    – गांधी
  18. शुरूआत में आदत एक अदृश्य धागे जैसी हाेती है, लेकिन जब भी हम उस काम काे दाेहराते हैं, ताे हम उसमें एक और रेशा जाेड़कर धागे काे मज़बूत कर लेते हैं और यह सिलसिला तब तक चलता रहता है, जब तक कि आदत माेटी रस्सी बनकर हमें कसकर बाँध नहीं लेती – हमारे विचाराें और कामाें काे।
    – ओरिसन स्वेट मार्डन
  19. सीमित लक्ष्याें पर अपनी सारी ऊर्जा केंद्रित करने से आपके जीवन में जितनी शक्ति आती है, उतनी किसी दूसरी चीज़ से नहीं आती।
    – नीडाे क्यूबीन
  20. इंतज़ार न करें। समय कभी “बिलकुल सही” नहीं हाेगा। वहीं से शुरु कर दें, जहाँ आप खड़े हैं। उन्हीं साधनाें से काम करें, जाे आपके पास माैजूद हैं। रास्ते में आपकाे बेहतर साधन अपने आप ही मिल जाएँगे।
    – नेपाेलियन हिल
  21. यही सच्ची शक्ति का रहस्य है। सतत अभ्यास से सीखें कि किसी पल में अपने संसाधनाें काे किसी निश्चित बिंदु पर किस तरह एकत्रित और एकाग्र किया जाता है।
    – जेम्स एलन

पढ़ें – विमल गांधी जी कि शिक्षाप्रद कविताओं का विशाल संग्रह।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान रुपी भोजन जरूरी हैं। ~ कृष्ण मोहन सिंह(KMS)

 ~Kmsraj51

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– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –

* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)

* KMSRAJ51 के महान विचार हिंदी में।

* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।

* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

* सकारात्‍मक सोच है जीवन का सक्‍सेस मंत्र 

* चांदी की छड़ी।

kmsraj51- C Y M T

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

Amazing changes the conversation yourself can be brought tolife by. By doing this you Recognize hidden within the buraiyaensolar radiation, and encourage good solar radiation to becomethemselves.

 ~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

-KMSRAJ51

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मानव जीवन विचारों का प्रतिबिम्ब।

Kmsraj51 की कलम से…..
Kmsraj51-CYMT-JUNE-15

ϒ मानव जीवन विचारों का प्रतिबिम्ब। ϒ

संसार एक शीशा है। इस पर हमारे विचारों की जैसी छाया पड़ेगी वैसा ही प्रतिबिम्ब दिखाई देगा। विचारों के आधार पर ही संसार सुखमय अनुभव होता है। पुरोगामी उत्कृष्ट उत्तम विचार जीवन को ऊपर उठाते हैं, उन्नति, सफलता, महानता का पथ प्रशस्त करते हैं तो हीन, निम्नगामी, कुत्सित विचार जीवन को गिराते हैं।

विचारों में अपार शक्ति है। जो सदैव कर्म की प्रेरणा देती है। वह अच्छे कार्यों में लग जाय तो अच्छे और बुरे मार्ग की ओर प्रवृत्त हो जाय तो बुरे परिणाम प्राप्त होते हैं। विचारों में एक प्रकार की चेतना शक्ति होती है। किसी भी प्रकार के विचारों में एक स्थान पर केन्द्रित होते रहने पर उनकी सूक्ष्म चेतन शक्ति घनीभूत होती जाती है। प्रत्येक विचार आत्मा और बुद्धि के संसर्ग से पैदा होता है। बुद्धि उसका आकार- प्रकार निर्धारित करती है तो आत्मा उसमें चेतना फूँकती है।। इस तरह विचार अपने आप में एक सजीव किन्तु सूक्ष्म तत्त्व है। मनुष्य के विचार एक तरह की सजीव तरंगें हैं जो जीवन संसार और यहाँ के पदार्थों को प्रेरणा देती रहती है। इन सजीव विचारों का जब केन्द्रीयकरण हो जाता है तो एक प्रचण्ड शक्ति का उद्भव होता है। स्वामी विवेकानन्द ने विचारों की इस शक्ति का उल्लेख करते हुए बताया है- ‘‘कोई व्यक्ति भले ही किसी गुफा में जाकर विचार करे और विचार करते- करते ही वह मर भी जाय तो वे विचार कुछ समय उपरान्त गुफा की दीवारों का विच्छेद कर बाहर निकल पड़ेंगे और सर्वत्र फैल जायेंगे। वे विचार तब सबको प्रभावित करेंगे।’’ मनुष्य जैसे विचार करता है, उनकी सूक्ष्म तरंगें विश्वाकाश में फैल जाती हैं। सम स्वभाव के पदार्थ एक- दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं, इस नियम के अनुसार उन विचारों के अनुकूल दूसरे विचार आकर्षित होते हैं और व्यक्ति को वैसे ही प्रेरणा देते हैं। एक ही तरह के विचार घनीभूत होते रहने पर प्रचण्ड शक्ति धारण कर लेते हैं और मनुष्य के जीवन में जादू की तरह प्रकाश डालते हैं।

?  पं श्रीराम शर्मा आचार्य ?

पढ़ें – विमल गांधी जी कि शिक्षाप्रद कविताओं का विशाल संग्रह।

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सकारात्मक सोच + निरंतर कार्य = सफलता।

स्वयं पर और स्व-कर्माे पर विश्वास माना सफलता का आधार(नींव) मज़बूत।

 ~KMSRAJ51

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”

 ~KMSRAJ51

“अपने लक्ष्य को इतना महान बना दो, की व्यर्थ के लीये समय ही ना बचे” -Kmsraj51

 ~KMSRAJ51

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इन तीन का ध्यान रखिए।

Kmsraj51 की कलम से…..
Kmsraj51-CYMT-JUNE-15

ϒ इन तीन का ध्यान रखिए। ϒ

उत्पादन की जड़ – इन तीनों को सदैव अपने अधिकार में रखिये-

अपना क्रोध, अपनी जिह्वा और अपनी वासना। ये तीनों ही भयंकर उत्पादक की जड़ हैं।

?  क्रोध के आवेश में मनुष्य कत्ल करने तक नहीं रुकता। ऊटपटाँग बक जाता है और बाद में हाथ मल मल कर पछताता है।

?  जीभ के स्वाद के लालच में भक्ष्य अभक्ष्य का विवेक नष्ट हो जाता है। अनेक व्यक्ति चटपटे मसालों, चाट पकौड़ी और मिठाइयाँ खा खाकर अपनी पाचन शक्ति सदा के लिये नष्ट कर डालते हैं।

?  सबसे बड़े मूर्ख वे हैं जो अनियंत्रित वासना के शिकार हैं। विषय-वासना के वश में मनुष्य का नैतिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक पतन तो होता ही है, साथ ही गृहस्थ सुख, स्वास्थ्य और वीर्य नष्ट होता है। समाज ऐसे भोग विलासी पुरुष को घृणा की दृष्टि से अवलोकता है। गुरुजन उसका तिरस्कार करते हैं। ऐसे पापी मदहोश को स्वास्थ्य लक्ष्मी और आरोग्य सदा के लिये त्याग देते हैं। इन तीनों ही शत्रुओं पर पूरा पूरा नियंत्रण रखिये।

©– पं॰ श्रीराम शर्मा आचार्य जी।

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Carrying Feelings Experienced In Meditation Into My Interactions

Kmsraj51 की कलम से…..

KMSRAJ51-CYMT

© Carrying Feelings Experienced In Meditation Into My Interactions ®

If I keep close contact with my internal self, to check what my feelings are like and I maintain the meditativeawareness at many moments during the day, even if it is for very short periods of time, I will find that the good feelings I have experienced through conscious choice, in meditation, I carry them with me into my interactions with others. Then, in any exchange, although the other person’s thoughts, words or actions may not be as I would like them to be, I’ll be better equipped to maintain a good feeling towards that individual, and towards myself.

For example, I meditate in the morning and then leave home and find myself in a situation in the office where two of my colleagues are arguing over an issue. When I try and intervene, one of them gets aggressive with me as well, but the feelings of peace I experienced in my meditation a couple of hours ago are still with me, using which I do not reacting angrily or fearfully. In fact, if my peace is powerful enough, it will make the other one also peaceful.

So the key is to emerge and collect positive feelings through meditation at regular intervals during the day. And then become a donor of positive feelings to negative situations as discussed above is an invaluable achievement. It is good for my own wellbeing, and for contributing to the creation of a peaceful atmosphere wherever I am, whenever required.

∇ Message ∇

To pay constant attention towards positivity is to be free from tension.

Expression: To pay attention means not to think, speak or do anything waste, negative or even ordinary. The one who keeps attention in this way and also allows no negativity from outside to go within, is always free from tension. There is also the proper use of everything that is available.

Experience: When I am able to pay constant attention and also use the inner treasures within for a positive purpose, there is the use of the inner potential. When there is the recognition and use of this potential within in this way, negativity finishes; just as sunshine finishes darkness.

In Spiritual Service,
Brahma Kumaris

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* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

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 ~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)

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जीवन में दुःखाे से निराश हाेकर बैठ ना जाना तुम।

Kmsraj51 की कलम से…..

KMSRAJ51-CYMT

© जीवन में दुःखाे से निराश हाेकर बैठ ना जाना तुम। ®

बाज लगभग ७० वर्ष जीता है …..

परन्तु अपने जीवन के,
४० वें वर्ष में आते-आते उसे…..
एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना पड़ता है।

उस अवस्था में उसके शरीर के,
3 प्रमुख अंग निष्प्रभावी होने लगते हैं।

पंजे लम्बे और लचीले हो जाते है,
व शिकार पर पकड़ बनाने में,
असक्षम होने लगते हैं।

चोंच आगे की ओर मुड़ जाती है,
और भोजन निगलने में,
व्यवधान उत्पन्न करने लगती है।

पंख भारी हो जाते हैं….
और सीने से चिपकने के कारण,
पूरे खुल नहीं पाते हैं।
उड़ानें सीमित कर देते हैं।

भोजन ढूँढ़ना, भोजन पकड़ना,
और भोजन खाना … तीनों प्रक्रियायें,
अपनी धार खोने लगती हैं।

उसके पास तीन ही विकल्प बचते हैं…..
या तो देह त्याग दे,
या अपनी प्रवृत्ति छोड़ गिद्ध की तरह,
त्यक्त(छुटा हुआ) भोजन पर निर्वाह करे।

या फिर “स्वयं को पुनर्स्थापित करे”।
आकाश के निर्द्वन्द्व एकाधिपति के रूप में.

जहाँ पहले दो विकल्प सरल और त्वरित हैं,
वहीं तीसरा अत्यन्त पीड़ादायी और लम्बा।

बाज पीड़ा चुनता है…..
और स्वयं को पुनर्स्थापित करता है।

वह किसी ऊँचे पहाड़ पर जाता है, एकान्त में अपना घोंसला बनाता है…..
और तब प्रारम्भ करता है पूरी प्रक्रिया।

सबसे पहले वह अपनी चोंच,
चट्टान पर मार-मार कर तोड़ देता है,
अपनी चोंच तोड़ने से अधिक पीड़ादायक,
कुछ भी नहीं पक्षीराज के लिये।

तब वह प्रतीक्षा करता है,
चोंच के पुनः उग आने की।

उसके बाद वह,
अपने पंजे भी उसी प्रकार तोड़ देता है,
और प्रतीक्षा करता है…..
पंजों के पुनः उग आने की।

नये चोंच और पंजे आने के बाद,
वह अपने भारी पंखों को,
एक-एक कर नोंच कर निकालता है।
और प्रतीक्षा करता है…..
पंखों के पुनः उग आने की।

१५० दिन की पीड़ा और प्रतीक्षा…..
और तब उसे मिलती है,
वही भव्य और ऊँची उड़ान पहले जैसी नयी।

इस पुनर्स्थापना के बाद,
वह ३० साल और जीता है…..
ऊर्जा, सम्मान और गरिमा के साथ।

इच्छा, सक्रियता और कल्पना,
तीनों निर्बल पड़ने लगते हैं हममें भी।

हमें भी भूतकाल में जकड़े,
अस्तित्व के भारीपन को त्याग कर,
कल्पना की उन्मुक्त उड़ाने भरनी होंगी।

१५० दिन न सही …..
तो एक माह ही बिताया जाये,
स्वयं को पुनर्स्थापित करने में।

जो शरीर और मन से चिपका हुआ है,
उसे तोड़ने और…..
नोंचने में पीड़ा तो होगी ही।

बाज तब उड़ानें भरने को तैयार होंगे…..
इस बार उड़ानें और ऊँची होंगी,
अनुभवी होंगी, अनन्तगामी होंगी।

हर दिन कुछ चिंतन किया जाए,
और आप ही वो व्यक्ति हे,
जो खुद को दुसरो से बेहतर जानते है।

सिर्फ इतना निवेदन की निष्पक्षता के साथ,
छोटी-छोटी शुरुवात कर परिवर्तन करें।

© कृष्ण मोहन सिंह(KMS) ©

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73 Motivational Quotes in Hindi

Kmsraj51 की कलम से…..

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1. आसक्ति का त्याग करते हुए सिद्बि और असिद्धि में समान बुद्धि वाला होकर कर्म करना चाहिए। समता का नाम ही योग है।

गीता

2. समानता की बात तो बहुत से लोग करते हैं, लेकिन जब उसका अवसर आता है तो खामोश रह जाते हैं।

प्रेमचंद

3. समानता का बर्ताव ऐसा होना चाहिए कि नीचे वाले को उसकी खबर भी न हो।

महात्मा गांधी

4. पूरी तरह से समता आए बिना कोई भी सिद्ध योगी, सिद्ध भक्त या सिद्ध ज्ञानी नहीं समझा जा सकता।

अज्ञात

5. बड़ों की कुछ समता हम विनीत होकर ही पाते हैं।

रवींद्रनाथ

6. मनुष्य के सारे व्यवहारों में ज्वार भाटा का सा उतार चढ़ाव होता है। यदि मनुष्य बाढ़ को पकड़े तो भाग्य की ड्योढ़ी पर पहुंच जाए।

शेक्सपियर

7. मनुष्य के लिए जीवन में सफलता का रहस्य हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना है।

डिजरायली

8. अवसर भी बुद्धिमान के ही पक्ष में लड़ता है, मूर्ख के नहीं।

यूरीपेडीज

9. अवसर बार बार हाथ नहीं लगता। ऐसा मत सोचो कि अवसर तुम्हारा द्वार दोबारा खटखटाएगा।

सफोक्लीज

10. समय और उचित अवसर पर बोला गया एक शब्द युगों की बात है।

कार्लाइल

11. अवसर के अनुकूल आचरण हमें कहीं का कहीं पहुंचा देता है।

चेखव

12. संसार में ऐसा कोई भी नहीं है जो नीति का जानकार न हो, परंतु उसके प्रयोग से लोग विहीन होते हैं।

कल्हण

13. कभी-कभी समय के फेर से मित्र शत्रु बन जाता है और शत्रु भी मित्र हो जाता है, क्योंकि स्वार्थ बड़ा बलवान है।

वेदव्यास

14. जहां स्थूल जीवन का स्वार्थ समाप्त होता है, वहीं मनुष्यता प्रारंभ होती है।

हजारी प्रसाद द्विवेदी

15. नीच व्यक्ति किसी प्रशंसनीय पद पर पहुंचने के बाद सबसे पहले अपने स्वामी को ही मारने को उद्यत होता है।

नारायण पंडित

16. जो अत्याचारी के प्रति विद्रोह करता है, उसका साथ सब देना चाहते हैं।

माखनलाल चतुर्वेदी

17. अत्याचार जब निरंकुश होकर नग्न तांडव करने लगता है, तब बलिवेदी पर चढ़ने को तैयार होने के सिवा और कोई भी उपाय नहीं रह जाता।

हिंदू पंच

18. अनाचार और अत्याचार सिर झुकाकर वे ही सहन करते हैं जिनमें नैतिकता और चरित्र का अभाव हुआ करता है।

एक कहावत

19. अन्यायी और अत्याचारी की करतूतें मनुष्यता के नाम खुली चुनौती हैं जिसे वीर पुरुषों को स्वीकार करना ही चाहिए।

श्रीराम शर्मा आचार्य

20. कायर लोग अपने जीवन काल में कई बार मरते हैं, लेकिन वीर लोग केवल एक बार मरते हैं।

शेक्सपियर

21. संसार में कायरों के लिए कहीं स्थान नहीं है। हम सबको किसी न किसी प्रकार कठोर परिश्रम करने, दुख उठाने और मरने के लिए तैयार रहना चाहिए।

स्टीवेंसन

22. कायर व्यक्ति जीवन में हरदम चापलूसी करता रह जाता है और निर्भीक अपने श्रम के बल पर अपनी जगह बना लेने में सफल हो जाता है।

अस्त्रोवस्की

23. चुनौतियों को स्वीकार करने वाले ही असली बहादुर होते हैं।

लू शुन

24. स्वाधीनता ही स्वाधीनता का अंत नहीं है। धर्म , शांति और काव्य – आनंद , यह सब और भी बड़े हैं। इनकेविकास के लिए स्वाधीनता चाहिए , नहीं तो उसका मूल्य ही क्या है।

शरतचंद्र

25. पराधीनता की विजय से स्वाधीनता की पराजय हजार गुना बेहतर है।

अज्ञात

26. स्वाधीनता पा लेना आसान है , लेकिन उसे बनाए रखना आसान नहीं।

माखनलाल चतुर्वेदी 

27. बंधे बैल और छुटे सांड में बड़ा अंतर है। एक रातिब पाकर भी दुर्बल है , दूसरा घास – पात खाकर ही मस्त होरहा है। स्वाधीनता बड़ी पोषक वस्तु है।
 प्रेमचंद
28. सुधारक चाहे कितना भी श्रेष्ठ पंक्ति का क्यों न हो, जब तक जनता उसे परख नहीं लेगी, उसकी बात नहीं सुनेगी।
 विनोबा भावे
29. उपहास और विरोध तो किसी भी सुधारक के लिए पुरस्कार जैसे हैं।
प्रेमचंद
 
30. जो सुधारक अपने संदेश के अस्वीकार होने पर क्रोधित हो जाता है, उसे सावधानी, प्रतीक्षा और प्रार्थना सीखने के लिए वन में चले जाना चाहिए।
महात्मा गांधी
31. आत्मा को आत्मा की ही आवाज जगा सकती है।
प्रेमचंद
32. परमात्मा की प्रार्थना करने के लिए एकत्र होने वाले लोग हृदय से एक हो जाते हैं।
विनोबा
33. निर्मल अंत:करण को जिस समय जो प्रतीत हो वही सत्य है। उस पर दृढ़ रहने से शुद्ध सत्य की प्राप्ति हो जाती है।
महात्मा गांधी
34. जिस प्रकार दीपक दूसरी वस्तुओं को प्रकाशित करता है और अपने स्वरूप को भी प्रकाशित करता है, उसी प्रकार अंत:करण दूसरी वस्तुओं को भी प्रत्यक्ष करता है और अपने आप को भी।
संपूर्णानंद
35. संदेह की स्थिति में सज्जनों के अंत:करण की प्रवृत्ति ही प्रमाण होती है।
कालिदास

36. मानव से संबंधित सभी वस्तुएं यदि उन्नति नहीं करतीं तो उनका ह्रास होने लगता है।

गिबन
37. केवल वही व्यक्ति जीवन में उन्नति कर रहा है जिसका हृदय कोमल , खून गर्म , दिमाग तेज होता जाता है औरजिसके मन को शांति मिलती जाती है।
रस्किन
38. यदि समाज के हर वर्ग तक उन्नति का भाग नहीं पहुंचता तो समझ लीजिए जरूर कहीं कुछ गड़बड़ है।
सेनेका

39. स्त्री की उन्नति या अवनति पर ही राष्ट्र की उन्नति या अवनति निर्भर करती है।

अरस्तू

40. प्रकृति अपनी उन्नति और विकास में रुकना नहीं जानती। वह अपना अभिशाप प्रत्येक अकर्मण्यता पर लगाती है।
गेटे

41. हमारे यथार्थ शत्रु तीन हैं-दरिद्रता, रोग और मूर्खता। वे वीर धन्य हैं जो इन तीनोें के विरुद्ध युद्ध छेड़ते हैं। वे मानवता के यथार्थ के उपासक और हमारे सच्चे सेनानायक हैं।

रामवृक्ष बेनीपुरी

42. छोटे शत्रु को छोटे उपाय करके ही काबू मेें लाना चाहिए। जैसे चूहे को सिंह नहीं बिल्ली ही मारती है।

माघ

43. अपने शत्रु को कभी छोटा मत समझो। देखो, तिनकोें के बड़े ढेर को आग की छोटी सी चिंगारी भस्म कर देती है।
वृंद

44. आपके पास पचास मित्र हैं, यह अधिक नहीं है। आपके पास एक शत्रु है, यह बहुत अधिक है।
एक कहावत

45. विपत्ति में पड़े हुए मनुष्यों का प्रिय करने वाले दुर्लभ होते हैं।

शूद्रक

46. चंद्रमा की किरणों से खिल उठने वाला कुमुद पुष्प सूर्य की किरणों से नहीं खिला करता।
कालिदास

47. संपूर्ण कला केवल प्रकृति का ही अनुसरण है।

 सेनेका

48. मानव की बहुमुखी भावनाओं का प्रबल प्रवाह जब रोके नहीं रुकता है, तभी वह कला के रूप में फूट पड़ता है।

 रस्किन

49. कला विचार को मूर्ति में परिणित करती है।

 एमर्सन

50. दुनिया में दो ही ताकतें हैं, तलवार और कलम। और अंत में तलवार हमेशा कलम से हारती है।

 नेपोलियन

51. कला प्रकृति द्वारा देखा हुआ जीवन है।

 एमिल जोला

52. धर्म का उपदेश सुनने से कोई धर्मात्मा नहीं हो जाता, किंतु उपदेशानुसार व्यवहार करने से मनुष्य धर्मात्मा हो सकता है।

अज्ञात

53. फल मनुष्य के कर्म के अधीन है , बुद्धि कर्म के अनुसार आगे बढ़ने वाली है , फिर भी विद्वान और महात्मालोग अच्छी तरह से विचार कर ही कोई कर्म करते हैं।

चाणक्य

54. अधिक बलवान तो वे ही होते हैं जिनके पास बुद्धि बल होता है। जिनमें केवल शारीरिक बल होता है, वे वास्तविक बलवान नहीं होते।

वेदव्यास

55. सच्चा बलवान तो वही होता है, जिसने अपने मन पर पूरी तरह से नियंत्रण कर लिया हो।

विनोबा भावे

56. इच्छाओं के सामने आते ही बड़ी से बड़ी प्रतिज्ञाएं भी ताक पर धरी रह जाती हैं। समस्त भय और चिंता इच्छाओं का परिणाम है।

स्वामी रामकृष्ण

57. यदि हमारी इच्छाशक्ति ही कमजोर होने लगेगी तो मानसिक शक्तियां भी उसी तरह काम करने लगेंगी।

महात्मा गांधी

58. काम आरंभ करने मेें देर न करो। और अगर काम शुरू कर दिया है तो उसे पूरा कर के ही छोड़ो।
विनोबा भावे

59. सच्चे इंसान द्वारा किए गए कर्म न सिर्फ खुशबू देते हैं बल्कि दूसरोें को खुश भी करते हैं।
विष्णु प्रभाकर

60. चरित्र संपत्ति है। यह संपत्ति में सबसे उत्तम है।

स्माइल्स

61. चरित्र जीवन में शासन करने वाला तत्व है और इसका स्थान प्रतिभा से ऊंचा है।
फ्रेडरिक सांडर्स

62. गुण एकांत में अच्छी तरह विकसित होता है। चरित्र का निर्माण संसार के भीषण कोलाहल में होता है।

गेटे

63. चरित्र एक वृक्ष के समान है और ख्याति उसकी छाया है। छाया वही है जो हम उसके बारे में सोचते हैं, परंतु वृक्ष वास्तविक वस्तु है।

लिंकन

64. चरित्र एक ऐसा हीरा है जो हर पत्थर को घिस सकता है।

बर्टल

65. चोरी से कोई धनवान नहीं बन सकता, दान से कोई कंगाल नहीं हो सकता। थोड़ा सा झूठ भी कभी छिप नहीं सकता। यदि तुम सच बोलोगे तो सारी प्रकृति और सब जीव तुम्हारी सहायता करेंगे। चरित्र ही मनुष्य की पूंजी है।

एमर् सन

66. संसार में ऐसा कोई नहीं हुआ है जो मनुष्य की आशा का पेट भर सके। पुरुष की आशा समुद्र के समान है, वह कभी भरती ही नहीं।
वेदव्यास

67. आत्मविश्वास सरीखा दूसरा मित्र नहीं। आत्मविश्वास ही भावी उन्नति की प्रथम सीढ़ी है।

स्वामी विवेकानंद

68. केवल आत्मज्ञान ही ऐसा है जो हमें सब जरूरतों से परे कर सकता है।

स्वामी रामतीरथ

69. विश्वास वह पक्षी है जो प्रभात के पूर्व अंधकार में ही प्रकाश का अनुभव करता है और गाने लगता है।
रवींद्रनाथ

70. विश्वास के बिना काम करना सतहविहीन गड्ढे में पहुंचने के प्रयत्नों के समान है।
महात्मा गांधी

71. यदि तुम भूख से पीडि़त किसी कुत्ते को उठा लो और उसकी देखभाल करके उसे खुश करो तो वह तुम्हें कभी नहीं काटेगा। मनुष्य और कुत्ते में यही प्रधान अंतर है।

मार्क ट्वेन

72. कृतज्ञ और प्रसन्न हृदय से की गई पूजा ईश्वर को सबसे अधिक प्रिय है।

प्लूटार्क

73. कृतज्ञता मित्रता को चिरस्थायी रखती है और नए मित्र बनाती है।

एक कहावत

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