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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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poem in hindi

कामना।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ कामना। ♦

कामना – पिपासा द्वितीय।

पात रहा श्रीहत पिंडज, अब्धि में निराश्रित,
मेघ पलक में अस्तित् था, रश्मियों का संङ्घात।
कृति का अभिषंङ्ग दिवस, से कर रहा छल छंद,
पुष्पप्रिये का स्नेह संहृति, हो चला अब बंद।

चढ़ रही थी श्यामता कंजई दिगंत से हीन,
मिलता अन्त्य विक्रांत द्युतिमा कंचन दीन।
यह अनाढ्य संधान रहा जोग इक दया लोक,
रंज भर विजन आगार से छूटते थे कोक।

मनुज अभी तक चिंतन करते थे लगाये ध्यान,
कृत्य के संवाद से ही भर रहे थे कान।
यहाँ सदन में इकट्ठे थे करण दावेदार,
मोहना कीलाल या शस्य का होने लगा संञ्चार।

नूतन पिपासा खींच लाती पाहुन का संकेत,
विचल रहा था सुगम प्रभुत्व युक्त उत्तम रुचि समेत।
ताकते थे बाहुल – शाख से उत्कंठा संसृष्ट,
मानव अचंभित यथार्थ प्रारब्ध का खेले अंदु – अवेष्ट।

अर्थ : कंजई = मिट्टी का रंग, द्युतिमा= प्रकाश, कोक= चकवा,
मोहना= घास, कीलाल= जानवर, शस्य= अन्न,
बाहुल = आग, अंदु= बंधन,

आगे…

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

  • “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल`“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — किसान अच्छी फसल से अच्छे पैदावार के लिए सदैव ही कामना करता है। मौसम के मार से डरते हुए, सदैव ही प्रभु से यही प्रार्थना करता है की फसल तैयार होने तक कोई भी प्राकृतिक आपदा न आये प्रभु, हम आपके बच्चे है हम पर दया करे, कोई गलती हुई हो हमसे तो, हमें क्षमा करें। क्योकि हम अपने परिवार के साथ – साथ और भी मनुष्यों का पेट भरने का कार्य कर रहे है दिन रात एक कर। जहां एक ओर किसान चिंतित भी है तो वहीं दूसरी तरफ प्रभु का ध्यान भी कर रहा हैं। प्रभु सदैव ही सभी का अच्छा ही करते है, सभी को अपने – अपने कर्मो का भुगतान तो करना ही हैं।

—————

यह कविता (कामना – पिपासा द्वितीय) “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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कामना।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ कामना। ♦

पिपासा (प्रथम)

कब के चल पड़े, दो हृदय पंथगामी हो अविरत,
मिलने के लिये यहाँ, गाहते थे जो हो उन्मत्त।
इक आश्रय नाथ दूजा था, पाहुन अतीत विकार,
यदि इक प्रश्न था, तो दूजा उत्तर उदार।

इक उमर सिंधु समर था, तो वह अर्ण ह्रस्व विकल,
इक नूतन विहान तो, वह हिरण्य रश्मि निर्मोल।
इक था मेघद्वार पावस, का अश्रुपूर्ण प्रगल्भ,
दूजा अनुरागी मयूख से, पिंगल अधिगत वृषदर्भ।

स्रोतस्विनी कूल के दिगन्त में, नव्य तलधर दिनांत,
खेलता इठलाता जैसे, दो दामनियों से माधुर्य भ्रांत।
जूझ रहे प्रतिक्षण यमल रहे, जीवात्मा के पास,
इक – दूसरे से कोई, न कर सकता फाँस।

अभ्यर्पण में गाहन का था, एक गर्भित मनोभाव,
अभ्युदय पर हठ करती थी, था आसङ्ग उलझाव।
रहा था चल निभृत – अध्व, पर रुचिर प्राण खेल
दो अनचीन्हों से भावी, अब अपेक्षित था मेल।

अनुदिन अगूढ़ हो रहे, रहा तब भी कुछ शेष,
अध्वस्त अंतस् का छुपा, रहता राज विशेष।
जैसे दूर घनेरे विपिन, पन्थ मरण का आलोक,
अनवरत होता जा रहा, हो दृग अमनि को रोक।

आगे…

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

  • “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल`“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — प्रेम मतलब दो हृदय का मिलन, ना की दो जिस्म का मिलन। कहते है प्रेम में यदि इक प्रश्न था, तो दूजा उत्तर उदार। इक उमर सिंधु समर था, तो वह अर्ण ह्रस्व विकल, इक नूतन विहान तो, वह हिरण्य रश्मि निर्मोल। जैसे आत्मा व जीवात्मा, आत्मा जीवात्मा से अलग हो तो कुछ भी अनुभव नहीं, व जीवात्मा का आत्मा के बगैर कोई कीमत नहीं। आत्मा व जीवात्मा एक दूजे के पूरक हैं। अभ्यर्पण में गाहन का था, एक गर्भित मनोभाव, अभ्युदय पर हठ करती थी, था आसङ्ग उलझाव। रहा था चल निभृत – अध्व, पर रुचिर प्राण खेल दो अनचीन्हों से भावी, अब अपेक्षित था मेल।

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यह कविता (कामना – पिपासा {प्रथम}) “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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ना कर बन्दे तू जग में ईर्ष्या।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ ना कर बन्दे तू जग में ईर्ष्या। ♦

ना कर बन्दे तू जग में ईर्ष्या,
तू भी एक दिन जल जाएगा।
माटी की काया है तेरी जग में,
एक दिन तु यहां मिल जाएगा।

ना कर ऐसे ईर्ष्या तू लोगों से,
तू भी इसका शिकार बन जाएगा।
प्रेम भाव को जीवन में अपना ले,
जीवन रंगीन फिर तेरा बन जाएगा।

ना कर बन्दे तू जग में ईर्ष्या……

जो है जितना ख़ुश रह उसमे,
मरने पर तू क्या साथ ले जाएगा।
खाली हाथ लेकर आया था यहां,
क्या साथ लेकर फिर तु जाएगा।

दूसरों की ख़ुशी को जब देखकर,
जब तु जलना शुरू हो जाएगा।
अंत समय में एक दिन खुद भी,
जल कर राख सा हो जाएगा।

♦ अजय नायर जी – कोच्चि, केरल ♦

—————

• Conclusion •

  • “अजय नायर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — आजकल लोगों को एक दूसरे से ईर्ष्या करने से फुर्सत ही नहीं मिलता हैं। लोगों की मानसिकता कितनी ख़राब हो गई है जो किसी की तरक्की देखा नहीं की ईर्ष्या करने से उन्हें कभी फुर्सत ही नहीं मिलता। एक बात मेरी याद रखें, “कभी भी किसी की तरक्की को देखकर उससे ईर्ष्या करने से आपकी आर्थिक, मानसिक, पारिवारिक या सामाजिक स्थिति में सुधार नहीं होगा।” इसलिए आपके अंदर जो ईर्ष्या करने कि आदत वाला वायरस है उसे नष्ट कर दे, तभी आपको सच्ची ख़ुशी व जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी।

—————

यह कविता (ना कर बन्दे तू जग में ईर्ष्या।) “अजय नायर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम अजय नायर है। मैं एक प्राइवेट मल्टीनेशनल कंपनी में पब्लिक रिलेशन ऑफीसर के पद पर चेन्नई में कार्यरत हूं। मुझे लिखने का शौक बचपन से रहा। १५ (15) वर्ष की आयु में हमने पहली कविता “दोस्त” इस नाम से लिखी जो पहली बार अखबार में प्रकाशित हुई। तब से आज तक करीबन ३५०० (3500) से अधिक कविता / गजल/ बाल कविताएं/ शेरो शायरी लिखी है। जो की भारत के सभी अखबारों में अब तक प्रकाशित हुई है। साहित्य संगम संस्थान के सभी मंचो से हमें श्रेष्ठ रचनाकार, श्रेष्ठ टिप्पणी कार, श्रेष्ठ विषय प्रवर्तक आदि सम्मानों से सम्मानित किया गया है। काव्य गौरव सम्मान, कलम वीर सम्मान, गौरव सम्मान, मदर टेरेसा सम्मान, बेस्ट ऑथर सम्मान, आदि सम्मान अलग अलग साहित्य जगत से प्राप्त हुआ है। हमारी पहली शेरो शायरी की पुस्तक का प्रकाशन संकल्प पब्लिकेशन द्वारा २०२१ (2021) में हुआ है। जो की सरल सुगम हिंदी भाषा में लिखा हुआ है।

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जीतना ही जीवन है।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ जीतना ही जीवन है। ♦

हर प्राण का अस्तित्व में आना,
तन के साथ कर्म कर्तव्य का भी जन्म।
संघर्ष दायित्वों का निर्वहन बस,
आधार धरा का धरणी का जन्म।

प्रबल वेग से प्राण का बनना,
प्रचंड प्रकृति के कामों को।
भाव मान प्रतिष्ठा मानक का बनना,
सिद्धी प्रसिद्धि बुद्ध प्रबुद्ध को।

सृष्टि चिर-काल से निर्धारित करती,
मनु के जीवन की लड़ाई।
संघर्ष मन-तन से सदैव करती,
आत्मविश्वास की अडिग लड़ाई।

आक्रान्त हो नहीं जीत सका कोई,
जीवन और व्यक्तित्व के युद्ध को।
शान्त शील दुर्धर समय की कोई,
सीमा परिशिष्ट काल के बुद्ध की।

जीतना है जीवन को तो संघर्ष करो,
आत्मबल सामर्थ्य को कर प्रबल।
बढ़कर सामना करो समय के दुर्दिन का,
विश्वास न घटने दो अंतस्-तल।

एकाग्रचित्त होकर प्रचंड प्रयास करो,
भंग न होने दो अन्तर को।
निभृत तन रखकर केंद्र का विस्तार करो,
दंभ अपने उद्योग के पुर को।

संघर्ष मुझे जीना सिखा दो,
लड़ना और जीतना बता दो।
लड़ूं मैं… अपने वजूद से निरंतर,
संघर्ष तुम मुझे जीतना सिखा दो।

इस मृत्युलोक में आया हूं,
तन मानव का पाकर जीने को।
बुद्धि और विवेक मुझे दे दो,
जीत सकूं इस संघर्ष भरे जीवन को।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

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  • “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल`“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — मनुष्य जीवन में उतार – चढ़ाव तो आते रहते है, असफलता सदैव ही कुछ सीखा कर जाती है। आजकल के मनुष्य का मानना है की जीवन के किसी भी क्षेत्र में जीतना ही जीवन है। मनुष्य चाहता है की वह जो भी कार्य करें, उसमे उसकी विजय हो, लेकिन हमेशा ऐसा ही हो ये जरूरी तो नहीं। मेरी एक बात सदैव ही याद रखे – की कोई भी बुरा या अच्छा समय लम्बे समय के नहीं आता। बुरा या अच्छा समय निर्भर करता है हमारे अच्छे कर्म, व्यवहार व नज़रिये पर। इसलिए मन से कभी भी हताश निराश होकर जीवन में बैठ न जाये, सदैव ही अच्छे कर्म करते रहे। जब आपके कर्म अच्छे होंगे तो देर से ही सही आपको जीत जरूर मिलेगी।

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यह कविता (जीतना ही जीवन है।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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माँ शारदे वर दे।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ माँ शारदे वर दे। ♦

मां शारदे की महिमा से अछूता न कोई सार है,
मां के रूपों में ही छुपा जग संसार है।
उन्हीं के चरणों में ज्ञान का भंडार है,
विद्यादायिनी मां से आज रज है हमारी।
मां शारदे वर दे तू अपने ही रंग में रंग दे।

मां की कृपा के बिना न होता ज्ञान का संचार है,
इनकी करुणा बड़ी अपरम्पार है।
अपने रूपों में धारित वस्तु से,
मां जग को सबक देती खास है।
विद्यादायिनी मां से आज रज है हमारी,
मां शारदे वर दे तू अपने ही रंग में रंग दे।

नकारात्मक प्रवृतियों से सकारात्मकता का,
कराए भान, पुस्तक ही बस एक नाम।
निरस जीवन में सरसता का,
रंग भरती, वीणा ही वो सरगम।
विद्यादायिनी मां से आज रज है हमारी,
मां शारदे वर दे तू अपने ही रंग में रंग दे।

स्फटिक माला दर्शाती वैराग्य और,
ध्यान बिन, न मिलता संपूर्णता का है भाव।
अपनाने के लिए तो बहुत है मगर,
कल्याणकारी अपनाने की कला हंस है सिखलाता।
विद्यादायिनी मां से आज रज है हमारी,
मां शारदे वर दे तू अपने ही रंग में रंग दे।

कीचड़ में ही कमल है खिलता,
कोमलता और सुंदरता का क्या अनुपम सार है।
वीणापाणी मां के सर्वस्व संरचना में, सबक बेहिसाब है,
विद्यादायिनी मां से आज रज है हमारी।
मां शारदे वर दे तू अपने ही रंग में रंग दे।

हम अज्ञानी मुरख हमें ज्ञान का दर्श दिखा दे मां,
अपने ज्ञान के रस में हमें तू सराबोर कर दे मां।
विद्यादायिनी मां से आज रज है हमारी,
मां शारदे वर दे तू अपने ही रंग में रंग दे।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

मेरे प्रिय पाठकों आपको सपरिवार बसंत पंचमी की शुभकामनाएं।-KMSRAJ51

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — ज्ञान और बुद्धि के बिना ये जीवन किसी काम का नहीं। ज्ञान, बुद्धि की देवी अपनी कृपा व करुणा का संचार कर हम पर, हे माँ तुम्हारी करुणा बड़ी अपरम्पार है। मां शारदे की महिमा से अछूता न कोई मनुष्य है, मां के रूपों में ही छुपा हुआ पूर्ण जग संसार है। उन्हीं के चरणों में ज्ञान का भंडार है, विद्यादायिनी मां से आज रज है हमारी। मां शारदे वर दे तू अपने ही रंग में रंग दे। जो नकारात्मक प्रवृतियों से सकारात्मकता का कराए सदैव भान, पुस्तक ही बस एक नाम। जो निरस जीवन में सरसता का, रंग भरती, वीणा ही वो सरगम। स्फटिक माला दर्शाती वैराग्य और ध्यान बिन, न मिलता संपूर्णता का है भाव। अपनाने के लिए तो बहुत है मगर, कल्याणकारी अपनाने की कला हंस है सिखलाता। कीचड़ में ही कमल है खिलता, अर्थात: सर्व विघ्न से न्यारे व पवित्र, कोमलता और सुंदरता का क्या अनुपम सार है। वीणापाणी मां के सर्वस्व संरचना में, सबक बहुत बेहिसाब है। आओ हम सब मिलकर सच्चे मन से माँ की वंदना करे।

—————

यह कविता (माँ शारदे वर दे।) “विवेक कुमार जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं एक शिक्षक हूं। मुजफ्फरपुर जिला, बिहार राज्य का निवासी हूं। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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चरण स्पर्श।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ चरण स्पर्श। ♦

पिता ही ईश्वर समान होता है,
वह जगत में महान होता है।
चरण अपने पिता का जो छूता है,
वह व्यक्ति सदैव धनवान होता है।

माता सृष्टि की रचना करती है,
गर्भ में नौ माह अपने पालती है।
जो व्यक्ति मां का चरण छूता है,
वह व्यक्ति शक्तिहीन नहीं होता है।

बहन छोटी हो या बड़ी उसका,
भाई जो उसका सम्मान करता है।
मुख्य समय में उसका चरण छूता,
वह भाई कभी चरित्रहीन नहीं होता है।

गुरु सृष्टि में बड़ा महान होता है,
गुरु बहुत आध्यात्मिक होता है।
उनमें सूक्ष्म ज्ञान का भंडार होता है,
गुरु गोविंद तक पहुंचाता कर्ता है।

जो व्यक्ति गुरु का चरण छूता है,
वह कभी भी ज्ञानहीन नहीं होता है।
चरण स्पर्श की महिमा बड़ी निराली
वहीं करती सृष्टि की रखवाली है।

चरण स्पर्श से संस्कार पलता है,
संस्कार में संस्कृति विकास होता।
संस्कृति से ही यह संसार चलता है,
संसार में समाज का विकास होता है।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — कड़वा है मगर सत्य है, इस संसार में पिता ही ईश्वर समान होता है, जो इंसान चरण अपने पिता का छूता है, वह व्यक्ति सदैव ही धनवान होता है। माता सृष्टि की रचना करती है, गर्भ में अपने नौ माह वह पालती है, जो भी व्यक्ति मां का चरण छूता है, वह कभी भी शक्तिहीन नहीं होता है। बहन छोटी हो या बड़ी जो भाई उसका सदैव सम्मान करता है। मुख्य समय में उसका चरण छूता, वह भाई कभी भी जीवन में चरित्रहीन नहीं होता है। गुरु सृष्टि में बड़ा महान होता है, उनमें अद्भुत ज्ञान का भंडार होता है, सच्चा गुरु सदैव ही गोविंद तक पहुंचने का मार्ग सरल करता है। जो भी व्यक्ति गुरु का चरण छूता है, वह कभी भी ज्ञानहीन नहीं होता है। अपने भारत देश में प्राचीन काल से ही चरण स्पर्श की महिमा बड़ी निराली, वहीं करती सृष्टि की रखवाली है। चरण स्पर्श से संस्कार पलता है, संस्कार में संस्कृति का विकास होता। संस्कृति से ही यह संसार चलता है, संसार में समाज का विकास होता है।

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह कविता (चरण स्पर्श।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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शिक्षा पुनर्विहान।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ शिक्षा पुनर्विहान। ♦

जन मानस ह्रदय परम निर्भीक हो,
दृष्टि गुणदर्शी मस्तक गर्वोन्नत हो।
मन-वचन-कर्म में एकत्व दरश हो,
वाणी निःशंक हो, हृदय – तल की।

गहराई का सन्मार्ग स्वतः प्रशस्त हो,
संकीर्ण राष्ट्रवादी विचार, नफरत करे।
पर – धर्म से, देखे वह सूर्यास्त,
माल्यार्पण हो, विश्व-स्तर विचार को।

शिक्षा में समदृष्टि हो, हर छात्र हो उपदिष्ट,
गुरुवाणी के सब पात्र हों…
तर्कशक्ति जन-संवेदना नहीं पथभ्रष्ट हो,
अंधविश्वास – रूढ़ि न भटके मरुस्थल में।

न जाति – धर्म-वर्ग भेद हो, शिक्षा-वलय में,
मानव – मूल्य ही जहाँ पूज्य ईश – मूर्ति हो।
गुणवती हो शिक्षा, न शिष्य – पलायन हो,
सर्व – शिक्षित भारत के चरण सदा थिरकें,
चिर-जागृत पुनर्विहान दृश्य भारती निरखें।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

—————

  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — बच्चे और युवा किसी भी देश के नीव होते है, उन्हीं के कंधों पर देश का भविष्य निर्भर होता है। बच्चों में अपने देश के प्रति सच्चा राष्ट्र प्रेम होना चाहिए। हर बच्चे के लिए देश हित सर्वोपरि होना चाहिए। ज्ञान, ध्यान, योग, भारतीय संस्कृति, संस्कार व सभ्यता उनमें कूट-कूट कर भरा होना चाहिए। ऐसे बच्चे ही किसी भी देश को ऊंचाइयों पर ले जाते हैं। आज की पीढ़ी और आने वाली पीढ़ी को पूर्ण मन व विचार शक्ति से ऊर्जावान बनाये। आओ हम सब मिलकर एक मजबूत और सर्वसम्पन्न भारत का निर्माण करें।

—————

यह कविता (शिक्षा पुनर्विहान।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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पायल में समन्वय – मंत्र।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ पायल में समन्वय – मंत्र। ♦

पायल की रुनझुन में, युग – मर्यादा,
के लिए मां सीता की स्वीकार्यता है।

पायल की छम – छम में, कृष्ण-भक्ति,
भाव यज्ञ की राधा-नाम चरितार्थता है।

पायल के गतिमान संगीत में, नारी,
की सेवा निष्ठा, स्नेह की साधना है।

पायल की झंकार में, सहजीवन संग,
भोग वैराग्य मध्य अनासक्ति अर्चना है।

पायल झूमते जेवर – पिटक में, धारक,
नारी मानस शोध करें, नव तकनीक।

क्षेम, नेह, मैत्री हेतु, कुटुंब बंधे हैं,
पायल में, नारी के सब रूप सजे हैं।

प्रणम्य हैं, पायल-स्पर्शित नारी चरण,
अर्पित सुमन उन्हें, करें वे नवनिर्माण।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

—————

  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — पायल का उदाहरण देकर नारी के आंतरिक गुणों का वर्णन किया है। पायल की छम-छम में भक्ति, प्रेम, स्नेह की साधना, सेवा निष्ठा का समन्वय है। पायल की झंकार में, सहजीवन संग, भोग वैराग्य मध्य अनासक्ति अर्चना है। पायल झूमते जेवर – पिटक में, धारक, नारी का मन शोध करें, व नव तकनीक और ऊर्जा से सब सरल करें। जैसे पायल में सभी घुंघरू बांधे है एक साथ उसी तरह क्षेम, नेह, मैत्री हेतु, कुटुंब बंधे हैं, पायल में, नारी के सब रूप सजे हैं पायल में। प्रणम्य हैं, पायल-स्पर्शित नारी चरण, जिनके गर्भ में नजीवन पलता, तहे दिल से अर्पित सुमन उन्हें, करें वे नवनिर्माण।

—————

यह कविता (पायल में समन्वय – मंत्र।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि। ♦

आज धरा भी खूब रोयी, रो रहा है खूब आसमान।
कितना दुख दे गया, ये 8 दिसम्बर के दिन का समा॥

देश के जांबाज वीर, असमय ही काल के मुख में आये।
नाम से रोशन किया देश को, वही आज अग्नि में समाये॥

हे! भगवान क्यूँ आज ऐसा समय तुमने दिखाया।
हर भारतवासी की आँखों में आँसू आया॥

खो दिए हमने आज वो रत्न, जो बहुत ही थे अनमोल।
कितना ह्रदय विदारक दृश्य था दुखों को गया छोड़॥

हे भारत-माता!

तेरे ही लाल, तेरी ही मिट्टी में आज खाक हो गए।
हाय! अग्नि में समर्पित होकर, कैसे राख हो गए॥

आंखों में आंसुओं का सैलाब, दे गई ये शाम।
अधूरा ही छोड़ गए वो, करने चले थे जो काम॥

हे धरती माँ! गोद में तेरी आज समाये, कई देश के वीर जवान।
तेरी ही मिट्टी में मिले आज, जीवन में बढ़ाई जिन्होंने तेरी ही शान॥

ये वतन क्षतिपूर्ति नही कर पायेगा, इन वीर जवानों की।
क्यूँ बलि चढ़ गई, जो पोटली बंधी थी दिल में अरमानों की॥

सलाम कर, भावपूर्ण श्रद्धाजंलि आँसुओं की दे रहे हम।
हे वीरजवानों तुम्हें खोने के दुख में, आज हुई हर आंख नम॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — हमे गर्व है सच्चे देशभक्त महान निर्भीक CDS जनरल बिपिन रावत जी पर और उनके साथ शहीद हुए वीर जवानों व उनकी धर्म पत्नी मधुलिका रावत जी पर। सभी के नाम क्रमशः — Chief of Defence Staff (CDS) Bipin Rawat, Madhulika Rawat (CDS Bipin Rawat’s wife), Brig LS Lidder, Lt Col H Singh, Wg Cdr PS Chauhan, Sqn Ldr K Singh, JWO Das, JWO Pradeep A, Hav Satpal, Nk Gursewak Singh, Nk Jitender, L/Nk Vivek, L/Nk S Teja, जिन्होंने अपने अंतिम सांस तक सच्चे मन से देश की सेवा की। आपके रिक्त जगह को कभी भी कोई नहीं भर पायेगा। अदम्य साहस से भरपूर हंसमुख चेहरा सदैव सच्चे मन से देश की सेवा में समर्पित ऐसे महानायक जिससे दुश्मन देश चीन व पाकिस्तान डरकर कांपते थे। CDS जनरल बिपिन रावत जी जैसे महान वीर योद्धा सदियों में एक या दो ही जन्म लेते है। आप सदैव ही हर भारतीय के दिलो में जीवित रहेंगे। आपके वीरता पूर्ण कार्य से सदैव ही भारतीय सेना प्रेरित होती रहेगी। आपके वीरता पूर्ण कार्य से प्रेरित आने वाली पीढ़ी भारत माँ के सेवा में दिल से समर्पित होगा। तहे दिल से नमन है आपको सर CDS जनरल बिपिन रावत जी।

—————

यह कविता (अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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बिहार के लाल भारत के भाल।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ बिहार के लाल भारत के भाल। ♦

बहुमुखी प्रतिभा के धनी, बिहार का लाल,
जिसने अपने कार्यों से किया, देश को निहाल।

जिरादेई के कमलेश्वरी, महादेव का सितारा,
अपने कर्मो से बढ़ाया, लोगों के सोंच का पिटारा।

सरल जीवन, ऊंचे विचार, यही था उनका व्यवहार,
सच्चाई और सादगी के, अवतार।

अंदर और बाहर का जीवन था, जिनका एक समान,
भारतवासी जिन्हें करते है, सदा नमन।

मध्यम परिवार से निकला, बिहार का बाबू,
जानते है नाम से जिन्हें, हम सब राजेंद्र बाबू।

बापू जिनके थे परम आदरणीय आदर्श,
मजबूत जिजीविषा ने पहुंचाया, उन्हें फर्श से अर्श।

शरीर था दुबला पतला, मगर फौलाद सा था मन,
आजादी के संग्राम में सक्रिय हो, निभाई भूमिका समान।

विलक्षण प्रतिभा एवं राष्ट्र प्रेम ने बनाया, उन्हें मनोयोगी,
प्रथम राष्ट्रपति सह संविधान के बने, सहयोगी।

भारत रत्न सम्मान ने बढ़ाया, उनका बल,
बिहार के थे लाल, भारत के बने भाल।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — डॉ. राजेंद्र प्रसाद की आज जयंती (Dr. Rajendra Prasad Jayanti) है। पूरा देश आज उनकी जयंती (Rajendra Prasad Birth Anniversary) के मौके पर उन्हें याद कर रहा है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म (Rajendra Prasad Birthday) 3 दिसंबर 1884 में बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव में हुआ था। राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति (First President Of India) थे। वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था। पूरे देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू (Rajendra Babu) या देशरत्न कहकर पुकारा जाता था। राजेंद्र प्रसाद एकमात्र नेता रहे, जिन्हें दो बार लगातार राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया।

—————

यह कविता (बिहार के लाल भारत के भाल।) “विवेक कुमार जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं एक शिक्षक हूं। मुजफ्फरपुर जिला, बिहार राज्य का निवासी हूं। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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