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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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poems

यूक्रेन की तबाही!

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ यूक्रेन की तबाही! ♦

रूसी सेना का सैन्य ऑपरेशन यूक्रेन में है जारी,
शहर शहर पर रूसी सेना कर रही है बमबारी।

क्रोमाटोस्क पर रूस ने मिसाइल गिरा दी भारी,
रूस के टैंक पर बम बरसा रहा यूक्रेन करारे।

यूरोपीय संसद ने रूस पर बैन लगाया करारी,
युद्ध यूक्रेन में जिसे बंद करने के लिए चेताया।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से रूस पहले से ही बाहर,
फिर भी न्यायालय में भारी उस पर लगाया पावर।

संयुक्त राष्ट्र की बड़की अदालत का ऐसा तेवर,
सैन्य अभियान तत्काल रुकने का फैसला सर!

अपना घर हम अपना ही कहते अपना अपनाना है।
रसिया ने भी ठाना है यूक्रेन को संदेश निभाना है।

खेरसन के रेलवे ट्रैक को पार करते दिखा रूसी टैंक,
सेना कर रही है जगह – जगह से भारी भरकम खर्च।

ला त विया में यूक्रेन सेना कर रही है पलटवार,
उधर बुल्गेरिया का रूस राजदूत को संदेश।

24 घंटे में उसके राजदूत छोड़ दें मेरा पूरा देश,
रूस के यूक्रेन की मदद करने वालों को कड़ा संदेश।

पुतिन ने यूक्रेन में जैविक लैब के किया दावा,
यू एन एस सी से चीन ने लैब जांच की मांग की!

आठ देशों का संगठन यूक्रेन के समर्थन में आया,
रूसी अरबपति की संपत्ति जप्त करने का फैसला सुनाया।

पुतिन ने tv पर आकर देश को किया संबोधित,
पश्चिमी देशों के समर्थक गद्दारों को यूक्रेन से निकाले!

सुमी में रूसी सेना ने किया भारी बमबारी,
ना जी को मेरे सामने लाओ पुतिन की है तैयारी।

यूक्रेन हमारा है हम उसमें जनता को बचाएंगे,
जलेस्की अपने हो अपने ही साथ तुम आओ।

आस्ट्रेलिया – स्वीडन की तर्ज पर कर्तव्य निभाओ,
अपनी बुद्धि का प्रयोग करके युक्रेन बचाओ।

उत्तर कोरिया ने शस्त्रागार आधुनिक कर रहा,
दक्षिण कोरिया उसे हवा ने विस्फोटों पर देखा।

उसका प्रक्षेपण नाकाम होने का दावा है ठोंका,
10 माह प्रक्षेपण उतर कोरिया दुनिया के सामने किया।

अमरीकी राष्ट्रपति जाे बाईडेन ने चीन को क्या चेताया,
ताइवान को लेकर चीन ने भी बिगुल बजाया।

ईरान हाल में इराक स्थित अमरीकी दूतावास,
पर सेना ने भारी मिसाइल दना दन गिराया।

कीव एयरपोर्ट पर हुई रूस की ओर से बमबारी,
कहां जाता है वहां अब तक सुरक्षित रहें अधिकारी।

रूस बम बस ऐसे बालक की जय हो खेल जैसी,
कालिया नाग पर जैसे ही देखें कूदे कृष्ण कन्हैया।

ओडिशा में एयरफोर्स विमान की होती थी मरम्मत,
रूसी सेना माइन बम गिराया यूक्रेन में दना दन।

सुखोई लड़ाकू विमान से रूस कर रहा है प्रहार,
यूक्रेनी सेना का शहर – शहर हो रहा है संहार!

यूक्रेनी सेना प्रमुख रूप से जगह जगह पलटवार,
कहीं कहीं रूसी सेना को खदेड़ने के समाचार।

रूसी सेना ने यूक्रेन के ड्रोन सेंटर पर बम बरपाया,
जिस से रूस पे हमले उसे नष्ट कर ने आया।

जेलेस्की ने नाटो में शामिल होने की झुठलाया,
हमारी इच्छा पुरी नहीं हो सकी सबको सुनाया।

यूक्रेन तात्कालिक स्थित देखकर मांग में आया,
अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा गारंटी स्वीकार की बात दोहराया।

रूस ने कहा यूक्रेन आपने सेना वाला देश बनेगा,
दोनों देशों की प्राइवेट सेना का मदद करेगा।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — अत्यधिक घमंड चाहे व्यक्तिगत हो या राष्ट्रीय सदैव ही सर्वनाश का कारण बनता है। अभी जो माहौल रूस यूक्रेन संघर्ष युद्ध का चल रहा है, यह युद्ध पूरी दुनिया के लिए हानिकारक है। संस्कृत का बहुत प्रसिद्ध लघु सूत्र है “अति सर्वत्र वर्जयेत्” जिसका हिंदी शब्दार्थ है कि “अति करने से हमेशा बचना चाहिए”, अति का परिणाम हमेशा हानिकारक होता है। वास्तव में अति किसी भी चीज की अच्छी नही होती। “लेकिन प्रश्न यहां पर यह है की – मासूम जनता की क्या गलती है?” कुछ भी बनाने में वर्षों का समय लग जाता है, लेकिन बर्बाद यूँ ही मिनटों में हो जाता है। जो कल तक लाखो – करोड़ों, घर दूकान, मकान, कार के मालिक थे, वो आज भिखारी बन गए। उन्हें तो समझ में ही नही आ रहा की आखिर किस गलती का भुगतान हम कर रहे है, गलती कौन करें – भरे कौन ? क्या ज़ेलेंस्की के द्वारा भड़काऊ भाषण यूक्रेन को पूर्ण रूपेण खंडहर में तब्दील करके ही छोड़ेगा?

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह कविता (यूक्रेन की तबाही!) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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कीव पर कहर बरपा?

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ कीव पर कहर बरपा? ♦

रूसी – यूक्रेन पर कहर बरपाएगा,
यूक्रेनी सेना हाथ उठाकर आएगा?
आज की रात पुतिन यूक्रेन जाएंगे,
ज़ेलेंस्की के मंसूबे पानी फिर जाएंगे?

जिद में जनता को तबाह कर आया,
दुश्मनी की कीमत उसने चुकाया।
मनमानी करने की कीमत चुकाएगा,
पूरी दुनिया तमाशबीन रह जाएगा।

लोगों की भावना में ज़ेलेंस्की आया,
भड़काऊ भाषण दे पुतिन उकसाया।
जनता को ही रीफूजी सा बनवाया,
खंडहर में यूक्रेन को यह बदलवाया।

यूक्रेन अपने आप जाएगा यह हार,
प्रचंड उसका होना है उस पर प्रहार।
आधी छोड़ पूरी पर उसने भी ढाया,
नहीं पूरी ना आधी कीमत वह पाया।

फिल्मी कॉमेडी कर राष्ट्रपति आया,
जीनियस पुतिन से आकर टकराया।
कूटनीतिक ककहरा दूजे से पढ़ाया,
परास्त होने जिद में मैं हो उठ आया।

पास – पड़ोस ने प्रोपो गंडा चलाया,
भ्रामक प्रचार में यूक्रेन जंग चलाया।
बिना विचारे जो युद्ध में कूद जाता,
समय की मार पड़ते वही घबराता।

ब्रिटेनी सांसद महा विनाशकारी कहे,
विश्वयुद्ध निश्चित है दुनियां को बताते!
दुनिया के नेता अपनी-अपनी सुनाते,
समय और खराब हो सकता है कहे।

तीन देशों ने कहा विश्वयुद्ध है तय,
दुनिया दो भागों में सभी लोग दंग।
दुनिया के विनाश का हम देखेंगे रंग,
आप बताए आप शांति के हैं संग?

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — अत्यधिक घमंड चाहे व्यक्तिगत हो या राष्ट्रीय सदैव ही सर्वनाश का कारण बनता है। अभी जो माहौल रूस यूक्रेन संघर्ष युद्ध का चल रहा है, यह युद्ध पूरी दुनिया के लिए हानिकारक है। संस्कृत का बहुत प्रसिद्ध लघु सूत्र है “अति सर्वत्र वर्जयेत्” जिसका हिंदी शब्दार्थ है कि “अति करने से हमेशा बचना चाहिए”, अति का परिणाम हमेशा हानिकारक होता है। वास्तव में अति किसी भी चीज की अच्छी नही होती। “लेकिन प्रश्न यहां पर यह है की – मासूम जनता की क्या गलती है?” कुछ भी बनाने में वर्षों का समय लग जाता है, लेकिन बर्बाद यूँ ही मिनटों में हो जाता है। जो कल तक लाखो – करोड़ों, घर दूकान, मकान, कार के मालिक थे, वो आज भिखारी बन गए। उन्हें तो समझ में ही नही आ रहा की आखिर किस गलती का भुगतान हम कर रहे है, गलती कौन करें – भरे कौन ? क्या ज़ेलेंस्की के द्वारा भड़काऊ भाषण यूक्रेन को पूर्ण रूपेण खंडहर में तब्दील करके ही छोड़ेगा?

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यह कविता (कीव पर कहर बरपा?) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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उफ! ये मौसम।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ उफ! ये मौसम। ♦

उत्तरी भारत में सर्दी ने क्या सितम है ढाया।
इस मौसम के जर्रे-जर्रे ने बर्फ है बरसाया॥

लगता है सूर्यदेव भी कुछ खफा हो गया हमसे।
तभी तो दर्शन नही दे रहे हमें एक पखवाड़े से॥

पानी ने भी अपनी ठंडक चरम सीमा पर पहुँचाई।
पानी में हाथ डालते ही आँखों ने नीर की गंगा बहाई॥

हे सूर्यदेव! मकर संक्रांति पर तेरे दर्शनों की हमने आस लगाई।
पर उस दिन भी तेरी किरणों ने गरमाहट नही पहुँचाई॥

ए ख़ुदा! मौसम खुशनुमा नही लगता अब।
बता दे अब तो, तू खुशगवार बनेगा कब॥

ए मौसम! अब तो सितम ढाना कर दे बंद।
ठंड से अब सभी जरूरी कार्य हुए मंद॥

अलाव ने भी अब तो गर्मी पहुँचाने का छोड़ा अहसास।
अब तो सबकी सूर्यदेव की किरणों पर टिकी है आस॥

लगता है ये सितमगर ठंड जम गई अब कण-कण में।
हे सूर्यदेव! अपनी ऊर्जा का संचार कर जन-जन में॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — ये ठंडी का मौसम, जिसमे सूर्यदेव का दर्शन भी हुआ दुर्लभ। ठंडा इस कदर बढ़ गया की जिधर स्पर्श करो ठंड ही ठंड चाहे व्यक्ति हो या वस्तु। इस ठंड के कारण हर कार्य मंद हो गया, चाहे वह कोई भी कार्य क्यों न हो। अलाव ने भी अब तो गर्मी पहुँचाने का छोड़ा अहसास। अब तो सबकी सूर्यदेव की किरणों पर टिकी है आस। इस ठंड के कारण सभी के अंदर आलस्य का विस्तार हो गया। हे सूर्यदेव! अपनी ऊर्जा का संचार कर दो जन-जन में, सभी के मुरझाए हुए चेहरे फिर खिल उठे। पानी ने भी अपनी ठंडक चरम सीमा पर पहुँचाई। पानी में हाथ डालते ही आँखों ने नीर की गंगा बहाई। उत्तरी भारत में सर्दी ने क्या सितम है ढाया। इस मौसम के जर्रे-जर्रे ने बर्फ है बरसाया।

—————

यह कविता (उफ! ये मौसम।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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संक्रांति का पैगाम।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ संक्रांति का पैगाम। ♦

होशियार खबरदार…….
आ गया मकर संक्रांति का त्योहार।
सभी पर्वों से अलग, अनूठा, अनोखा,
दिलाता एक सुंदर एहसास।

तिल संक्रांति, खिचड़ी पर्व नाम से,
यह है जाना जाता।
प्रत्येक 14 या 15 जनवरी को,
सुनाता एक पैगाम।

गम के अधियारों की छंटा हटाकर,
करो एक नई शुरुआत।
मकर संक्रांति अर्थ बताता,
देता एक संकेत।

सूर्य का एक राशि से,
दूसरी राशि में गोचर का,
कराता है भान,
इस वैदिक उत्सव में, करते सब दान।

खिचड़ी भोग का,
इस दिन होता है मान।
भिन्न भिन्न जगहों पर, भिन्न भिन्न नामों से,
जाना जाता, बड़े ही शान।

दही, चुरा, तिल, गुड़ का पान,
होता बड़ा अभिमान।
नए साल में संग लाती,
सुख शांति और समृद्धि की आस।

पतंग उड़ाने की प्रथा बनाती,
इसे और भी खास।
शुभ संदेश का होता वाहक,
लाता सबको पास।
करता एक नई ऊर्जा का संचार।

आओ मिलकर संग मनाएं,
खुशियों का त्योहार।
करें एक नई शुरुआत,
लाए जीवन में खुशियां अपार।

आप सभी पाठकों को सपरिवार तहे दिल से मकर संक्रांति पर्व की शुभकामनाएं।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — मकर संक्रांति या उत्तरायण या माघी या बस संक्रांति, जिसे बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल में पौष संक्रांति के रूप में भी जाना जाता है, और नेपाल में माघ संक्रांति के रूप में, यहाँ संक्रांति का अर्थ है ‘स्थानांतरण’, इस दिन को सूर्य के मकर राशि में संक्रमण का दिन माना जाता है। मकर संक्रांति, या बस संक्रांति, भगवान सूर्य (सूर्य भगवान) को समर्पित है। आज के दिन तिल के दान को बेहद शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति को तिल संक्रांति भी कहा जाता है। इसलिए इस दिन काले तिल के दान से जीवन की सभी तरह की परेशानियां दूर होती है। मकर संक्रांति के त्योहार को देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग रूप में मनाया जाता है। पंजाब में यह लोहड़ी (Lohri), उत्तराखंड में उत्तरायणी, गुजरात में उत्तरायण, केरल (Kerala) में पोंगल (Pongal) और असम में बिहू (Bihu) के रूप में मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे खिचड़ी पर्व के नाम से भी जाना जाता है। आज यानी 14 जनवरी 2022 को शुक्ल पक्ष की द्वादशी की तिथि को यह त्योहार मनाया जा रहा है।

—————

यह कविता (संक्रांति का पैगाम।) “विवेक कुमार जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं एक शिक्षक हूं। मुजफ्फरपुर जिला, बिहार राज्य का निवासी हूं। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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प्रातः उठ हरि हर को भज।

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♦ प्रातः उठ हरि हर को भज। ♦

प्रातः उठ हरि हर को भज लो,
धरती का अभिनंदन कर लो।
उल्लसत मनसे बंदन कर लो,
मुक्त कंठ में चंदन धर लो॥

निर्मल पानी गुनगुन पी लो,
चाय की चुस्की रुक कर ले लो।
लिखनी ले साहित्य लिख लो,
प्रातः उठ हरि हर भज लो॥

नित्य – क्रिया में निवृत्ति हो,
गंगा जल ले काया धो लो।
धूप – दीप ले प्रभु से बोलो,
प्रातः उठकर आंखें खोलो॥

पेपर आया उसको पढ़ लो,
देश दुनिया की खबर ले लो।
दूरदर्शन से – मेल कर लो,
प्रातः उठ हरि विनती कर लो॥

भूखा – नंगा जो भी भेजा,
झोली सबकी भर के दे दो।
कोई खाली हाथ न जाये,
प्रातः उठकर प्रभु से बोलो॥

कभी न गलती हरि करने दो,
स्वच्छ हृदय मन भरने को।
अपना हमको प्रभु बना लो,
प्रातः उठ हरिहर को जप लो॥

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में बताया है, सुबह उठकर आपका नित्य क्रिया कर्म, का क्या क्रम होना चाहिए। जिससे आपका हर एक कार्य शांति पूर्वक, सही समय पर पूर्ण हो जाये।

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह कविता (प्रातः उठ हरि हर को भज।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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ज़रूर पढ़ें: पृथु का प्रादुर्भाव।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

 

 

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Today’s Technology

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ Today’s Technology ♦

I have seen people
blaming today’s technology
For spoiling their health n children

They say vehemently
All revolutionary creations are
Responsible for this destruction

They argue for hours
To describe the negative effects
Of wireless new age electronic gadgets

How our dependency
On these unavoidable devices
Is making us lazy and emotionless

But the truth is
Except weapons no contraptions
Is made with ill intentions

Enormous amount of
Hard-work has been invested
By some kind hearted geniuses

They worked consistently
And diligently all their life
To serve human beings by their visions

Our own inability
In handling these devices
Is the root cause of all the crises

Our addiction to technology
Will make this boon a curse
So no point to blame inventions

Our command over it
Can make us free from all stress
And will keep it at our services

♦ Vedsmriti ‘Kritee’ Ji – Pune, Maharashtra ♦

—————

  • ” Vedsmriti ‘Kritee’ Ji “ Describe In very simple words – I have seen people, blaming today’s technology, for spoiling their health n children, They say vehemently, all revolutionary creations are, Responsible for this destruction. But the truth is except weapons no contraptions is made with ill intentions. Enormous amount of Hard-work has been invested by some kind hearted geniuses. They worked consistently And diligently all their life to serve human beings by their visions. Our own inability In handling these devices Is the root cause of all the crises. “Our addiction to technology, Will make this boon a curse. So no point to blame inventions.”

—————

This poem (Today’s Technology) is Written by ” Vedsmriti ‘Kritee’ Ji “ for – KMSRAJ51.COM readers. Your poems are life-changing by getting down to the depths of the heart in simple words. I have full faith that your poems and articles will benefit the public. May your writing activity continue like this for the welfare of the people.

Brief introduction of Poet
__________________
Name : Vedsmriti Gour
Name for publication : Vedsmriti ‘Kritee’
Education : M. A. English litrature
B. Ed. ( Physical )
Diploma in Information Technology
Teacher : Private coaching classes, Freelance writer, poet, critic, translator, lyricist, social – worker.
Adhyaksh : ‘Siddhi Ek Sahityik Samooh’
State Head : ‘Akhil Bhartiya Sahitya Sadan’ ( Maharashtra )
Mahila Prakoshtth : ‘Rashtriya Aanchalik Sahitya Sansthan Bihar Prant’.
Sah Sangthan Mantri : ‘Antarrashtriya Hindi Parishad Mahila Prakoshtth, Mumbai, Maharashtra.
Representative ( Maharashtra ) : Shri Sanstha Charitable Trust
Write in both the languages – Hindi & English

—————

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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My Belief

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

♦ My Belief ♦

my-belief-kmsraj51.png

Lost in the mist and smog of memories.
Searching you in the fragrant love stories.
To find some solace and relief.
Sooner or later, will get you, my belief.

I see you smiling in flowers bloom.
I hear your voice in birds chirping.
You tickle my heart like dew on the grass.
Spontaneously pulling me, usurping.
If you don’t mind becoming my boss.
I won’t mind becoming a thief.
Sooner or later…

My fire, my desire, fuming inside.
Don’t know how to control, satiate.
And you knock the door of my heart.
Punch out the senses and captivate.
Helplessness and numbness all around.
Your black magic does un thought mischief.
Sooner or later…

Day dreaming, voidness and wilderness.
How long this injustice to me.
Can’t you feel the pain and warmth.
Why don’t you see the way I see.
Come out from mirror and hold me.
“I love you” will just say in brief.
Sooner or later, will get you, my belief.

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “Shailesh Kumar Mishra (Shail) Ji”, through the poem has described very beautifully – Wrote deeply everything about belief accurately.

—•—•—•—

sk-mishra-kmsraj51.png

यह कविता “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपने सच्चे मन से देश की सेवा के साथ-साथ एक कवि हृदय को भी बनाये रखा। आपने अपने कवि हृदय को दबाया नहीं। यही तो खासियत है हमारे देश के वीर जवानों की। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

About Yourself – आपके ही शब्दों में —

  • नाम: शैलेश कुमार मिश्र (शैल)
  • शिक्षा: स्नातकोत्तर (PG Diploma)
  • व्यवसाय: केन्द्रीय पुलिस बल में 2001 से राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत।
  • रुचि: साहित्य-पठन एवं लेखन, खेलकूद, वाद-विवाद, पर्यटन, मंच संचालन इत्यादि।
  • पूर्व प्रकाशन: कविता संग्रह – 4, विभागीय पुस्तक – 2
  • अनुभव: 5 साल प्रशिक्षण का अनुभव, संयुक्त राष्ट्रसंघ में अफ्रीका में शांति सेना का 1 साल का अनुभव।
  • पता: आप ग्राम-चिकना, मधुबनी, बिहार से है।

आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे, जनमानस के कल्याण के लिए। उस अनंत शक्ति की कृपा आप पर बनी रहे। इन्ही शुभकामनाओं के साथ इस लेख को विराम देता हूँ। तहे दिल से KMSRAJ51.COM — के ऑथर फैमिली में आपका स्वागत है। आपका अनुज – कृष्ण मोहन सिंह।

  • जरूर पढ़े: स्वाद बदलना होगा।
  • जरूर पढ़े: क्या-क्या देखें।

—————

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें।

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Hope Alive

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

♦ Hope Alive ♦

‘or’

Keep Hope Alive Poem

hope-alive-kmsraj51.png

Whenever I try to please her.
Just to be a friend, appease her.
To impress her, to bridge the gap.
Keep on trying all tricks and trap.
But she gives a mysterious smile.
Say nothing and just glance a while.
Yes ! No ! what ? I get confused.
My passion bomb get defused.
Yet her deceitful eyes say “Strive”
That’s how she keeps my hope alive.

Sometimes I try to help her out.
By offering my free service on the spot.
From shopping to dropping to lifting the mood.
From Chauffeur to Mentor to Robin-hood.
But she has others preference over me.
Not with me even a coffee or tea.
My morning evening greets also fall flat.
As if I am an old fashioned brat.
But from balcony, she gives a High Five.
That’s how she keeps my hope alive.

Yesterday I found a missed call of her.
She said it was by fault “Duffer”.
“Don’t take such silly things seriously”.
Though my heart says it was purposely.
She is the first sees my WhatsApp Status.
Updates her Insta and FB for focus.
Nervous, puzzled thinking time and again.
“Better you try to catch some other train”.
But aunty says “Saw you in her “Archive”.
That’s how she keeps my hope alive.

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “Shailesh Kumar Mishra (Shail) Ji”, through the poem has described very beautifully – Wrote Hope Alive, with social media and modern life accurately.

—•—•—•—

sk-mishra-kmsraj51.png

यह कविता “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपने सच्चे मन से देश की सेवा के साथ-साथ एक कवि हृदय को भी बनाये रखा। आपने अपने कवि हृदय को दबाया नहीं। यही तो खासियत है हमारे देश के वीर जवानों की। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

About Yourself – आपके ही शब्दों में —

  • नाम: शैलेश कुमार मिश्र (शैल)
  • शिक्षा: स्नातकोत्तर (PG Diploma)
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  • रुचि: साहित्य-पठन एवं लेखन, खेलकूद, वाद-विवाद, पर्यटन, मंच संचालन इत्यादि।
  • पूर्व प्रकाशन: कविता संग्रह – 4, विभागीय पुस्तक – 2
  • अनुभव: 5 साल प्रशिक्षण का अनुभव, संयुक्त राष्ट्रसंघ में अफ्रीका में शांति सेना का 1 साल का अनुभव।
  • पता: आप ग्राम-चिकना, मधुबनी, बिहार से है।

आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे, जनमानस के कल्याण के लिए। उस अनंत शक्ति की कृपा आप पर बनी रहे। इन्ही शुभकामनाओं के साथ इस लेख को विराम देता हूँ। तहे दिल से KMSRAJ51.COM — के ऑथर फैमिली में आपका स्वागत है। आपका अनुज – कृष्ण मोहन सिंह।

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कुछ दिन पहले।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ कुछ दिन पहले। ϒ

कुछ दिन पहले इस किताब में –
महक रहे थे बरक नये।

जिल्दसाज तुम बतलाओ।
वे सफे सुनहरे किधर गये।

जहाँ इत्र की महक रवां थी।
जलने की बू आती है।

दहशत वाले बादल कैसे।
आसमान में पसर गये।

बूढ़ा होकर इंकलाब क्यों –
लगा चापलूसी करने।

कलमों को चाकू होना था।
क्यों चमच्च में बदल गये।

बंधे रहेंगे सब किताब में।
मजबूती के धागे से।

एक तमन्ना रखने वाले।
बरक-बरक क्यों बिखर गए।

जिल्दों से नाजुक बरकों को।
क्या तहरीर बचाएगी।

क्या मजनून बदलने होंगे।
गढ़ने होंगे लफ़्ज नए।

©- डॉ कौशल किशोर श्रीवास्तव, – छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश। ∇
हम दिल से आभारी हैं – डॉ कौशल किशोर श्रीवास्तव जी के प्रेरणादायक हिन्दी कविता साझा करने के लिए।

डॉ कौशल किशोर श्रीवास्तव जी के लिए मेरे विचार:

आपकी कविताओं को गहराई से जो भी समझे – मानो उसका जीवन धन्य हो जाएं। मानो उसने हीरा ही पा लिया हो। दिल को छूनेवाली – अत्यंत सुंदर कविता।

पढ़ें – विमल गांधी जी कि शिक्षाप्रद कविताओं का विशाल संग्रह।

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Krishna Mohan Singh(KMS)
Editor in Chief, Founder & CEO
of,, https://kmsraj51.com/

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In English

Amazing changes the conversation yourself can be brought tolife by. By doing this you Recognize hidden within the buraiyaensolar radiation, and encourage good solar radiation to become themselves.

 ~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)

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माँ मेरी माँ।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ माँ मेरी माँ। ϒ

माँ है वो मेरी।

मुझको जग में लाने वाली ममतामयी है माँ मेरी।
कैसे करू मै उसकी सेवा ये समझ आता नहीं।
अपने ममता के स्पर्श से जिसने किया मुझे बहुत लाड।
याद आती है उसकी जब नहीं रहती वो मेरे साथ॥

किया बचपन में हम दोनों ने खूब सारी मस्ती।
घूमती थी मुझे लेकर कभी शहर तो कभी बस्ती।
ऐसे मस्त समय के बाद फिर कभी न वो समय आया।
जब हम दोनों ने एक दूसरे के साथ बहुत सारा वक्त बिताया।

बढ़ा हुआ तो समझदारी और जिम्मेदारी का बंधन छाया।
उम्र के बढ़ते बढ़ते मैंने माँ का अनेक दर्शन पाया।
हालात और समय ने माँ को क्या से क्या बनाया।
कभी काली तो कभी दुर्गा तो कभी करुणामयी रूप का दर्शन करवाया॥

क्लेश सागर से प्रेमसागर तक मुझे तैरना सिखालाया।
खुद डूब गयी थी उसमें ये अनुभव मुझे अपना बताया।
मैंने अश्रु को पोंछते हुए ये अनुभव उससे पाया।
न जाने कैसी धैर्य की नौका से उसने अपने आप को इस क्लेश से बचाया॥

जीवन के अधिकांश भाग में उसने कष्ट ही पाया।
फिर इस कष्ट को नष्ट कैसे करना है ये मार्ग उसने बतलाया।
मेरे जीवन की जननी है वो इस बात का सौभाग्य मैंने पाया।
माँ है वो मेरी, प्रेरणा स्रोत है वो तभी तो प्रेरणा की ज्योत जलाना सिख पाया॥

वैसे माँ से प्रेम प्रदर्शित करने के लिए कोई दिन, कोई समय काफी नही है क्योंकि माँ का प्यार हमसे हमेशा ज्यादा ही रहेगा लेकिन ये एक रचना है जिससे मै माँ के प्रति अपनी भावनाओ को व्यक्त करके उनको कुछ पल के लिए खुश कर सकू।

इस कविता को बनाने के लिए प्रेरित करने वाली प्रेरणा स्रोत को बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार।

© सारांश सागर जी – नोएडा, उत्तर प्रदेश ®

हम दिल से आभारी हैं सारांश सागर जी के प्रेरणादायक हिन्दी कविता “माँ मेरी माँ” साझा करने के लिए। हम आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।

CYMT-KMSRAJ51

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