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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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You are here: Home / Archives for poet shailesh kumar mishra

poet shailesh kumar mishra

बल के लिए।

Kmsraj51 की कलम से…..

Bal Ke Liye | बल के लिए।

देवभूमि की जड़, जमीन, जंगल के लिए,
नदिया, पर्वत, सेहरा, चरखा, हल के लिए।
बलखाती बेले, लहलहाती फसल के लिए,
सुखद सुरक्षित आज, सुनहरे कल के लिए।
क्यूँ ना सीना चौड़ा हो, क्यूँ ना मस्तक ऊँचा हो,
हमे चुना माँ भारती नें अपने सुहाग, आँचल के लिए।
हम प्रहरी क्यूँ ना गर्व करें, सीमा सुरक्षा बल के लिए।

सरहद से संसद तक जल और थल के लिए,
विघ्न और बाधाओं से दंगल के लिए।
शत्रुओं का दर्प-दलन ओ दहल के लिए,
हम तैयार खड़े सब अनल, गरल के लिए।
जब देश को सर की जरूरत हो,
त्यागी तेवर की जरूरत हो,
तब राष्ट्र हमारी ओर तके उस पल के लिए।
हम प्रहरी क्यूँ ना गर्व करें सीमा सुरक्षा बल के लिए।

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है – बॉर्डर ही उसका बिस्तर है, आकाश ही उसका चादर है। क्यूँ ना सीना चौड़ा हो, क्यूँ ना मस्तक ऊँचा हो, हमे चुना माँ भारती नें अपने सुहाग, आँचल के लिए। हम प्रहरी क्यूँ ना गर्व करें, सीमा सुरक्षा बल के लिए। सरहद से संसद तक जल और थल के लिए, हर प्रकार के विघ्न और बाधाओं से दंगल के लिए। शत्रुओं का दर्प-दलन ओ दहल के लिए, सदैव ही हम (सीमा सुरक्षा बल) तैयार खड़े सब अनल, गरल के लिए। जब देश को सर की जरूरत हो, त्यागी तेवर की जरूरत हो, तब राष्ट्र हमारी (सीमा सुरक्षा बल) ओर तके उस पल के लिए। हम प्रहरी क्यूँ ना गर्व करें सीमा सुरक्षा बल के लिए। जय हिन्द – जय भारत।

—•—•—•—

sk-mishra-kmsraj51.png

यह कविता (बल के लिए।) “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपने सच्चे मन से देश की सेवा के साथ-साथ एक कवि हृदय को भी बनाये रखा। आपने अपने कवि हृदय को दबाया नहीं। यही तो खासियत है हमारे देश के वीर जवानों की। आपकी कवितायें सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

About Yourself – आपके ही शब्दों में —

  • नाम: शैलेश कुमार मिश्र (शैल)
  • शिक्षा: स्नातकोत्तर (PG Diploma)
  • व्यवसाय: केन्द्रीय पुलिस बल में 2001 से राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत।
  • रुचि: साहित्य-पठन एवं लेखन, खेलकूद, वाद-विवाद, पर्यटन, मंच संचालन इत्यादि।
  • पूर्व प्रकाशन: कविता संग्रह – 4, विभागीय पुस्तक – 2
  • अनुभव: 5 साल प्रशिक्षण का अनुभव, संयुक्त राष्ट्रसंघ में अफ्रीका में शांति सेना का 1 साल का अनुभव।
  • पता: आप ग्राम-चिकना, मधुबनी, बिहार से है।

आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे, जनमानस के कल्याण के लिए। उस अनंत शक्ति की कृपा आप पर बनी रहे। इन्ही शुभकामनाओं के साथ इस लेख को विराम देता हूँ। तहे दिल से KMSRAJ51.COM — के ऑथर फैमिली में आपका स्वागत है। आपका अनुज – कृष्ण मोहन सिंह।

  • जरूर पढ़े: चली जाती है।
  • जरूर पढ़े: अच्छा लगता है।

—————

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Quotes, Poetry, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं। ____

Filed Under: हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Desh Bhakti Kavita in Hindi, Patriotic Poems in Hindi, poet shailesh kumar mishra, Shailesh Kumar Mishra, उत्साह बढ़ाने वाली कविता, जोश भर देने वाली देशभक्ति कविता, देश के जवान पर कविता, देशभक्ति कविता, देशभक्ति कविता बच्चों के लिए, देशभक्ति क्रांतिकारी कविता, देशभक्ति जोशीला कविता, देशभक्ति पर सर्वश्रेष्ठ कविताएँ, बल के लिए, बल के लिए - शैलेश कुमार मिश्र शैल, बहादुरी पर कविता, वीर जवानों पर कविता, वीरों पर कविता, शैलेश कुमार मिश्र, शैलेश कुमार मिश्र “शैल”, शैलेश कुमार मिश्र-शैल जी की कवितायें, सैनिकों पर हिंदी में देशभक्ति कविता

सैनिक का सैनिक।

Kmsraj51 की कलम से…..

Sainik Ka Sainik | सैनिक का सैनिक।

उसके हिस्से चारदीवारी, शहर कहाँ आता है,
शब्दकोश में छुट्टी, आराम अक्षर कहाँ आता है।
दुनियाँ को सैनिक का शौर्य, त्याग तो दिखता है,
उस सैनिक के पीछे का सैनिक नजर कहाँ आता है।

जिसे जवानी कहते हैं वो उमर कहाँ आता है,
वो चार कदम वाला रोमांटिक सफर कहाँ आता है।
किस्मत में उसके मायके और ससुराल आया करती है,
उस सैनिक के हिस्से अपना घर कहाँ आता है।

उनके ख्वाबों के परिंदों को पर कहाँ आता है,
सरहद से उसकी जमीं उसका अंबर कहाँ आता है।
लोगों के दिन, दुनियाँ, तकदीर बदलते रहते हैं,
उस सैनिक के हिस्से नया कैलेंडर कहाँ आता है।

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है – बॉर्डर ही उसका बिस्तर है, आकाश ही उसका चादर है, उसके हिस्से में चारदीवारी या शहर का आराम कहाँ आता है। एक सैनिक के शब्दकोश में छुट्टी व आराम अक्षर कहाँ आता है भला। दुनियाँ को एक सैनिक का शौर्य, त्याग तो दिखता है, पर उस सैनिक के पीछे का सैनिक नजर कहाँ आता है। एक सैनिक के लिए जवानी का उमर व चार कदम वाला रोमांटिक सफर कहाँ आता है। किस्मत में उसके मायके और ससुराल आया करती है, उस सैनिक के हिस्से अपना घर कहाँ आता है, उसका घर तो पूरा देश ही है। आम लोगों के दिन, दुनियाँ, तकदीर बदलते रहते हैं, पर उस सैनिक के हिस्से नया कैलेंडर कहाँ आता है। गर्व करो अपने वीर सैनिकों पर जो बॉर्डर पर सीना ताने खड़े है हमारे सुख चैन के लिए। जय हिन्द – जय भारत।

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यह कविता (सैनिक का सैनिक।) “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपने सच्चे मन से देश की सेवा के साथ-साथ एक कवि हृदय को भी बनाये रखा। आपने अपने कवि हृदय को दबाया नहीं। यही तो खासियत है हमारे देश के वीर जवानों की। आपकी कवितायें सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

About Yourself – आपके ही शब्दों में —

  • नाम: शैलेश कुमार मिश्र (शैल)
  • शिक्षा: स्नातकोत्तर (PG Diploma)
  • व्यवसाय: केन्द्रीय पुलिस बल में 2001 से राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत।
  • रुचि: साहित्य-पठन एवं लेखन, खेलकूद, वाद-विवाद, पर्यटन, मंच संचालन इत्यादि।
  • पूर्व प्रकाशन: कविता संग्रह – 4, विभागीय पुस्तक – 2
  • अनुभव: 5 साल प्रशिक्षण का अनुभव, संयुक्त राष्ट्रसंघ में अफ्रीका में शांति सेना का 1 साल का अनुभव।
  • पता: आप ग्राम-चिकना, मधुबनी, बिहार से है।

आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे, जनमानस के कल्याण के लिए। उस अनंत शक्ति की कृपा आप पर बनी रहे। इन्ही शुभकामनाओं के साथ इस लेख को विराम देता हूँ। तहे दिल से KMSRAJ51.COM — के ऑथर फैमिली में आपका स्वागत है। आपका अनुज – कृष्ण मोहन सिंह।

  • जरूर पढ़े: चली जाती है।
  • जरूर पढ़े: अच्छा लगता है।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Desh Bhakti Kavita in Hindi, Patriotic Poems in Hindi, poet shailesh kumar mishra, Shailesh Kumar Mishra, उत्साह बढ़ाने वाली कविता, जोश भर देने वाली देशभक्ति कविता, देश के जवान पर कविता, देशभक्ति कविता, देशभक्ति कविता बच्चों के लिए, देशभक्ति क्रांतिकारी कविता, देशभक्ति जोशीला कविता, देशभक्ति पर सर्वश्रेष्ठ कविताएँ, बहादुरी पर कविता, वीर जवानों पर कविता, वीरों पर कविता, शैलेश कुमार मिश्र, शैलेश कुमार मिश्र “शैल”, शैलेश कुमार मिश्र-शैल जी की कवितायें, सैनिक का सैनिक, सैनिक का सैनिक - शैलेश कुमार मिश्र शैल, सैनिकों पर हिंदी में देशभक्ति कविता

माँ की शिकायत।

Kmsraj51 की कलम से…..

Maa ki Shikayat – माँ की शिकायत।

साँपों का अब देश नहीं सारी दुनियां स्वीकार करे,
इधर ना अब ताके-झाँकें ना खरी कोई दीवार करे।
महारूद्र सा सीमा प्रहरी सरहद पर हुंकार रहा,
जिसकी माँ ने दूध पिलाया हो वो सीमा पार करे।

काटके गर्दन रख दूँगा सीमा-स्तंभ के ऊपर ही,
हर वार सामने से होगा मस्तक, छाती औ धर पर ही।
सन सैंतालीस, बासठ का ना भारत हमें समझना तुम,
आँख हमारी दुश्मन पर और रहते कर खंजर पर ही।
कदम बढ़ाने से पहले अंजाम का सोच विचार करे,
जिसकी माँ ने दूध…….

कायर श्रृगालों चोरी छुप के सोये शेरों को मत छेड़ो,
अपने नापाक हाथ हमारे शीश, भाल पर मत फेरो।
थप्पड़ पड़ते ही दुम दबाकर राष्ट्रसंघ भाग जाते हो,
चूहे-बिल्ली की फौज बनाकर ऐरावत को मत घेरो।
या फिर बीवी-बहनों को बेवा बनने को तैयार करे,
जिसकी माँ ने दूध…….

एक से बढ़के एक हुतात्मा खड़े हैं दिल दहलाने को,
रणचंडी बन शत्रु के घर में त्राहिमाम मचाने को।
दो हाथ दिये, दो पाँव दिये, दो आँखे भी दी लड़ने को,
सिर्फ एक ही जिंदगी क्यूँ दी भारत माँ पे लुटाने को।
यही शिकायत माँ को भी है सुत दो से प्रभु चार करे,
जिसकी माँ ने दूध पिलाया हो वो सीमा पार करे।

जय हिन्द – जय भारत।

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है – मेरे देश के वीर सैनिक, महारूद्र सा सीमा प्रहरी सरहद पर हुंकार रहा, जिसकी माँ ने दूध पिलाया हो वो सीमा पार करे। वीर सैनिको की गर्जना है – काटके गर्दन रख दूँगा सीमा-स्तंभ के ऊपर ही, हर वार सामने से होगा मस्तक, छाती औ धर पर ही। सन सैंतालीस या बासठ का ना भारत हमें समझना तुम, आँख हमारी दुश्मन पर और रहते कर खंजर पर ही। कदम बढ़ाने से पहले अंजाम का सोच विचार करलो। कायर श्रृगालों चोरी छुप के जो वार करने की आदत है तुम्हारी, ये मत भूलो व सोये शेरों को मत छेड़ो, अपने नापाक हाथ हमारे शीश, भाल पर मत फेरो। जरा सा थप्पड़ पड़ते ही दुम दबाकर राष्ट्रसंघ भाग जाते हो तुम। एक से बढ़के एक वीर हुतात्मा खड़े हैं तुम्हारे दिल दहलाने को, रणचंडी बन शत्रु के घर में त्राहिमाम मचाने को। “हे प्रभु दो हाथ दिये, दो पाँव दिये, दो आँखे भी दी लड़ने को, सिर्फ एक ही जिंदगी क्यूँ दी भारत माँ पे लुटाने को।” यही शिकायत माँ को भी है सुत दो से प्रभु चार करे, जिसकी माँ ने दूध पिलाया हो वो सीमा जरा पार करे। जय हिन्द – जय भारत।

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यह कविता (माँ की शिकायत।) “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपने सच्चे मन से देश की सेवा के साथ-साथ एक कवि हृदय को भी बनाये रखा। आपने अपने कवि हृदय को दबाया नहीं। यही तो खासियत है हमारे देश के वीर जवानों की। आपकी कवितायें सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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  • नाम: शैलेश कुमार मिश्र (शैल)
  • शिक्षा: स्नातकोत्तर (PG Diploma)
  • व्यवसाय: केन्द्रीय पुलिस बल में 2001 से राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत।
  • रुचि: साहित्य-पठन एवं लेखन, खेलकूद, वाद-विवाद, पर्यटन, मंच संचालन इत्यादि।
  • पूर्व प्रकाशन: कविता संग्रह – 4, विभागीय पुस्तक – 2
  • अनुभव: 5 साल प्रशिक्षण का अनुभव, संयुक्त राष्ट्रसंघ में अफ्रीका में शांति सेना का 1 साल का अनुभव।
  • पता: आप ग्राम-चिकना, मधुबनी, बिहार से है।

आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे, जनमानस के कल्याण के लिए। उस अनंत शक्ति की कृपा आप पर बनी रहे। इन्ही शुभकामनाओं के साथ इस लेख को विराम देता हूँ। तहे दिल से KMSRAJ51.COM — के ऑथर फैमिली में आपका स्वागत है। आपका अनुज – कृष्ण मोहन सिंह।

  • जरूर पढ़े: चली जाती है।
  • जरूर पढ़े: अच्छा लगता है।

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आप सभी का प्रिय दोस्त

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Quotes, Poetry, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: poet shailesh kumar mishra, Shailesh Kumar Mishra, जोश भर देने वाली देशभक्ति कविता, देश के जवान पर कविता, देशभक्ति कविता बच्चों के लिए, देशभक्ति क्रांतिकारी कविता, देशभक्ति जोशीला कविता, वीर जवानों पर कविता, वीरों पर कविता, शैलेश कुमार मिश्र, शैलेश कुमार मिश्र “शैल”, शैलेश कुमार मिश्र-शैल जी की कवितायें, सैनिकों पर हिंदी में देशभक्ति कविता

महिला दिवस बधाईयां।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ महिला दिवस बधाईयां। ♦

कौन सा दिन महिलाओं के लिए नहीं है,
कुछ बातें सिर्फ़ समझने की, अनकही है।

जो यह कहते हैं कि आज महिला दिवस है,
वो अज्ञानी, नादान हैं, ये बेकार का बहस है।

पश्चिम का दुष्प्रचार है, भ्रम है एक साजिश है,
भोले भाले भारतीयों को भटकाने की कोशिश है।

महिलाएं हैं तो हम हैं, इस धरती पे जिंदगी है,
सुबह की पहली चाय से लेकर रातों की दूध हल्दी है।

निर्जीव मिट्टी गारे पत्थर को घर बनाने वाली,
प्रेम, वात्सल्य, त्याग से जीवन अंदर लाने वाली।

कभी अपनी पहचान कभी सम्मान हार बैठती है,
बेशिकन आदि से अ़ंत दिलो-जान वार बैठती है।

कितना किरदार बदलती नित हँसते रोते,
हम पुरूष तो कब के टूट बिखर चुके होते।

पेट ही नहीं वो हृदय में ज्ञान ओ प्राण भरती है,
हम सत्यवानों के लिए यमराज से भी लड़ती है।

एक कदम भी चल ना पाएँ गर माताएँ ना हों,
राम कैसे श्रीराम बनेंगे गर सीताएँ ना हों।

और हम मूढ़ कहते हैं सिर्फ एक दिवस उनका है,
क्षमा करो देवी, आपका बालक अबोध तिनका है।

हे जड़मति! पहचानो अपनी माँ, शक्ति स्वरूपा नारी को,
जीवनदात्री, जग निर्मात्री, वास्तविक अधिकारी को।

स्नेह, आशीष बनाये रखें, आदम के वंशज पर,
आँचल की दें छाँव, सुरक्षा, सुत औ राष्ट्रध्वज पर।

हर दिन क्या हर लम्हा आपका दिवस हो जय जयकार हो,
हृदय की गहराइयों से सादर पदवंदन स्वीकार हो।

(अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर श्रद्धामना मातृशक्ति को समर्पित)

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है – कवि इस संसार के लोगो से प्रश्न कर रहे हैं – आखिर क्यों केवल एक दिन ही नारी को वह मान सम्मान दे जिसकी वह सदैव से हकदार हैं? क्या केवल एक दिन का मान सम्मान ही काफी हैं उनके लिए? इस पर गंभीरता से विचार करें। आखिर जो हर शक्ति से सम्पूर्ण हैं चाहे वो किसी भी रूप में हो, माँ, बहन, दादी, पत्नी, काकी हर रूप में सदैव ही हम पर प्यार, ममता बरसाती हैं। आज के समय में नारी हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रही हैं, चाहे वह आसमान हो, या समुद्र हर जगह अपना सम्पूर्ण योगदान दे रही हैं। माँ बन कर जीवन में पूर्णता पा लेती है नारी, सर्वस्व अपना सौंप कर, बच्चों को महान बनाती हैं नारी। जैसे प्रकृति धरती सदैव ही देना जानती है, उसी की तरह, बस देना ही जानती है नारी, प्रेम, भाव, इज्जत, बस यही तो मांगती हैं नारी। जीवन के हर पड़ाव में, बस आलंबन चाहती है नारी, वरना तो वो स्वयं शक्ति है, और हर किसी पर भारी है नारी। नारी को सरल समझने की भूल न करो, ईश्वरत्व का मिश्रण है नारी, हम खुद अपना सम्मान करें, और मान करें हम हैं नारी। ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ पर साहस व शौर्य की प्रतिमूर्ति नारी शक्ति को नमन। नारी सशक्तिकरण के बिना मानवता का विकास अधूरा है।

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यह कविता (महिला दिवस बधाईयां।) “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपने सच्चे मन से देश की सेवा के साथ-साथ एक कवि हृदय को भी बनाये रखा। आपने अपने कवि हृदय को दबाया नहीं। यही तो खासियत है हमारे देश के वीर जवानों की। आपकी कवितायें सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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  • नाम: शैलेश कुमार मिश्र (शैल)
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  • रुचि: साहित्य-पठन एवं लेखन, खेलकूद, वाद-विवाद, पर्यटन, मंच संचालन इत्यादि।
  • पूर्व प्रकाशन: कविता संग्रह – 4, विभागीय पुस्तक – 2
  • अनुभव: 5 साल प्रशिक्षण का अनुभव, संयुक्त राष्ट्रसंघ में अफ्रीका में शांति सेना का 1 साल का अनुभव।
  • पता: आप ग्राम-चिकना, मधुबनी, बिहार से है।

आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे, जनमानस के कल्याण के लिए। उस अनंत शक्ति की कृपा आप पर बनी रहे। इन्ही शुभकामनाओं के साथ इस लेख को विराम देता हूँ। तहे दिल से KMSRAJ51.COM — के ऑथर फैमिली में आपका स्वागत है। आपका अनुज – कृष्ण मोहन सिंह।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, शैलेश कुमार मिश्र शैल जी की कविताएं।, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: poet shailesh kumar mishra, poetry of shailesh mishra, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, नारी सशक्तिकरण, महिला दिवस बधाईयां, शैलेश कुमार मिश्र की कविताएं, शैलेश कुमार मिश्र शैल की कविताएं, साहस व शौर्य की प्रतिमूर्ति नारी शक्ति

शस्त्र या शास्त्र।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ शस्त्र या शास्त्र। ♦

यूक्रेन को अब पक्ष नहीं प्रक्षेपास्त्र चाहिये,
बर्बाद बहकती दुनियां को ब्रम्हास्त्र चाहिये।
उन्माद की लहर उठी है सभ्य देशों में,
सबको अपना घर, सुरक्षित राष्ट्र चाहिये।

सब अपना हित साध रहे बारुदी गंध में,
किसी को लाशें किसी को दानपात्र चाहिये।
पश्चिम वालों सीखो कुछ हम हिंदुस्तानी से,
जो सदा कहा है शस्त्र से पहले शास्त्र चाहिये।

♦ सीरी और अलेक्सा। ♦

वर्षों विकास करते रहे लड़ने-मरने के लिए,
चाँद का माथा चूम लाशों पे उतरने के लिए।
जिन हाथों में कलम, किताबें, कंघी होनी थी,
खंजर लिए घूम रहे हैं कत्ल करने के लिए।

जिस यूरोप पे गर्व होता था आज शर्मशार है,
तय करना कठिन है कौन असली गुनाहगार है।
यू एन, सीरी और एलेक्सा सब बेबस हैं आज,
हे ईश्वर! ये कैसा मानवता का बलात्कार है।

सभ्यता का अंत है या मानसिक दिवालियापन,
इंसानियत देख रही है पाषाण युग का आगमन।
मिसाइलों से ये मसले कभी हल नहीं होंगे, भेजो,
शायरों, कवियों को जिनके पास होता प्रेम धन।

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है – अत्यधिक घमंड चाहे व्यक्तिगत हो या राष्ट्रीय सदैव ही सर्वनाश का कारण बनता है। अभी जो माहौल रूस यूक्रेन संघर्ष युद्ध का चल रहा है, यह युद्ध पूरी दुनिया के लिए हानिकारक है। संस्कृत का बहुत प्रसिद्ध लघु सूत्र है “अति सर्वत्र वर्जयेत्” जिसका हिंदी शब्दार्थ है कि “अति करने से हमेशा बचना चाहिए”, अति का परिणाम हमेशा हानिकारक होता है। वास्तव में अति किसी भी चीज की अच्छी नही होती। इस सूत्र की जांच-परख हम स्वयं अपने घरों में बैठकर कर सकते हैं, कहीं दूर जाने की आवश्यकता नही। गुड़ की एक छोटी सी ढेली का स्वाद सबको अच्छा लगता है लेकिन उसी गुड़ के एक छोटे से टुकड़े को बड़े टुकड़े में बदल कर उसका रस-पान किया जाय तो वही शरीर में विकार उत्पन करता है। एक गुब्बारे में अगर हम उसकी क्षमता से ज्यादा हवा भरने की कोशिश करेंगे तो परिणाम कोई सुखद नही मिलेगा बल्कि दुःख देने वाला ही मिलेगा। यूक्रेन भी आज इसी “अति” का शिकार हो रहा है।

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यह कविता (शस्त्र या शास्त्र।) “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपने सच्चे मन से देश की सेवा के साथ-साथ एक कवि हृदय को भी बनाये रखा। आपने अपने कवि हृदय को दबाया नहीं। यही तो खासियत है हमारे देश के वीर जवानों की। आपकी कवितायें सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

About Yourself – आपके ही शब्दों में —

  • नाम: शैलेश कुमार मिश्र (शैल)
  • शिक्षा: स्नातकोत्तर (PG Diploma)
  • व्यवसाय: केन्द्रीय पुलिस बल में 2001 से राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत।
  • रुचि: साहित्य-पठन एवं लेखन, खेलकूद, वाद-विवाद, पर्यटन, मंच संचालन इत्यादि।
  • पूर्व प्रकाशन: कविता संग्रह – 4, विभागीय पुस्तक – 2
  • अनुभव: 5 साल प्रशिक्षण का अनुभव, संयुक्त राष्ट्रसंघ में अफ्रीका में शांति सेना का 1 साल का अनुभव।
  • पता: आप ग्राम-चिकना, मधुबनी, बिहार से है।

आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे, जनमानस के कल्याण के लिए। उस अनंत शक्ति की कृपा आप पर बनी रहे। इन्ही शुभकामनाओं के साथ इस लेख को विराम देता हूँ। तहे दिल से KMSRAJ51.COM — के ऑथर फैमिली में आपका स्वागत है। आपका अनुज – कृष्ण मोहन सिंह।

  • जरूर पढ़े: चली जाती है।
  • जरूर पढ़े: अच्छा लगता है।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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कच्चा मकान।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ कच्चा मकान। ♦

वो शख्स परेशान है मेरी उड़ान से,
गहरी है जिसकी दोस्ती उस आसमान से।
घर तो उनका बड़ा है शानदार महलों सा,
परिंदे क्यूँ खुश हैं मेरे कच्चे मकान से।

उसे ये भी शिकायत है मैं हँसता बहुत हूँ,
बगावत की बू आती है मेरे बयान से।
साजिशें बहुत करता है मेरा सर झुकाने की,
पर हार जाता है वो मेरी ईमान से।

कागज की कश्ती भला कब तक लड़ेगी,
उफनती दरिया से गरजते तूफान से।
यही सोचकर तो छोड़ दी सब कुछ मैने,
एक अना नहीं जाती हमारे दरम्यान से।

सुर्खियों से इतर कभी देखिये बुनियाद भी,
वाकिफ नहीं हैं आप मेरी दास्तान से।
तेज रोशनी में साहिब भूल गए हैं शायद,
हीरा भी निकलता है कोयले की खान से।

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है – इस संसार में छोटी से छोटी चीज़ भी समय आने पर बड़े काम की होती है। जहां सुई की जरूरत है वहां तलवार काम नही आती। अहंकार इतना भी न करे की आपका अहंकार आपको ही अंत में ले डूबे। समय और प्रकृति में इतना ताकत है की कोयले को भी हीरे में परिवर्तित कर देता है। इसलिए अपने धन और दौलत या शक्ति का ज्यादा दिखावा व अहंकार न करें। अपने अंदर के इंसानियत को न मारे, अपने अंदर के दया व करुणा को बाहर आने दे। जहां तक हो सके एक दूसरे की मदद करे सदैव।

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  • नाम: शैलेश कुमार मिश्र (शैल)
  • शिक्षा: स्नातकोत्तर (PG Diploma)
  • व्यवसाय: केन्द्रीय पुलिस बल में 2001 से राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत।
  • रुचि: साहित्य-पठन एवं लेखन, खेलकूद, वाद-विवाद, पर्यटन, मंच संचालन इत्यादि।
  • पूर्व प्रकाशन: कविता संग्रह – 4, विभागीय पुस्तक – 2
  • अनुभव: 5 साल प्रशिक्षण का अनुभव, संयुक्त राष्ट्रसंघ में अफ्रीका में शांति सेना का 1 साल का अनुभव।
  • पता: आप ग्राम-चिकना, मधुबनी, बिहार से है।

आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे, जनमानस के कल्याण के लिए। उस अनंत शक्ति की कृपा आप पर बनी रहे। इन्ही शुभकामनाओं के साथ इस लेख को विराम देता हूँ। तहे दिल से KMSRAJ51.COM — के ऑथर फैमिली में आपका स्वागत है। आपका अनुज – कृष्ण मोहन सिंह।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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नेताजी तो एक ही थे।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ नेताजी तो एक ही थे। ♦

नेताजी तो एक ही थे बाकी सब तो व्यापारी हैं।
माँ की आजादी के लिए जिसने खुद को तड़ीपार किया,
गोरों की तोपों के आगे झुकने से भी इंकार किया।
जापान से जर्मनी तक क्या पीड़ा नहीं सहा उसने,
बिन संसाधन सिंगापुर में ‘आजाद हिंद फौज’ तैयार किया।
उस दूरदृष्टि पावन जज्बे के हम दिल से आभारी हैं।
नेताजी तो एक…

कौन खून देता है अब लोग बेच रहे पानी को भी,
चालाकी से भुना रहे जुर्म, प्रजा पे मनमानी को भी।
बेच दिया खुद का ज़मीर और जमीन, शुचिता माँ की,
अब बेच रहे हैं जात-पात, सपने, हिंदुस्तानी को भी।
वो गुलाम थे फर्ज था उनका हम प्रतिनिधि सांसारी हैं।
नेताजी तो एक…

ना दमन चक्र ना ही लाठी, तलवारों से डरते थे वो,
हर उच्छवास में “अंग्रेजों भारत छोड़ो” भरते थे वो।
अब तो जेल के नाम से ही घिग्घी बंध जाया करती है,
कारागार से भी “जय हिंद” हुंकार भरा करते थे वो।
वो सेवक थे वो सैनिक थे हम राजा हैं अधिकारी हैं।
नेताजी तो एक…

आज के नेता दिल्ली जाते हैं व्यक्तिगत स्वार्थ से,
हैं बैठते प्रायोजित धरने पे पार्टी के परमार्थ से।
अब “दिल्ली चलो” के नारे से दिल्ली क्या गली भी ना हिलती।
बड़ी-बड़ी कुर्बानियाँ देते टी वी पर शास्त्रार्थ से,
राष्ट्र बना धृतराष्ट्र लुट रही जनता, माँ गांधारी हैं।
नेताजी तो एक…

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है – नेताजी तो एक ही थे, उनके जैसा सच्चा देशभक्त कोई नहीं। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस भारत के एक महान देशभक्त और बहादुर स्वतंत्रता सेनानी थे। वो स्वदेशानुराग और जोशपूर्ण देशभक्ति के एक प्रतीक थे। हर भारतीय बच्चे को उनको और भारत की स्वतंत्रता के लिये किये गये उनके कार्यों के बारे में जरुर जानना चाहिये। इनका जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में एक हिन्दू परिवार में हुआ था।

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  • पूर्व प्रकाशन: कविता संग्रह – 4, विभागीय पुस्तक – 2
  • अनुभव: 5 साल प्रशिक्षण का अनुभव, संयुक्त राष्ट्रसंघ में अफ्रीका में शांति सेना का 1 साल का अनुभव।
  • पता: आप ग्राम-चिकना, मधुबनी, बिहार से है।

आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे, जनमानस के कल्याण के लिए। उस अनंत शक्ति की कृपा आप पर बनी रहे। इन्ही शुभकामनाओं के साथ इस लेख को विराम देता हूँ। तहे दिल से KMSRAJ51.COM — के ऑथर फैमिली में आपका स्वागत है। आपका अनुज – कृष्ण मोहन सिंह।

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मत बहाओ आँसू।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ मत बहाओ आँसू। ♦

मत बहाओ आँसुओं को बेवजह तुम,
मैं तुम्हारे पीर को नव रूप दूँगा।
देश की मिट्टी को है इसकी जरूरत,
रात का जुगनू, सुबह की धूप दूँगा।

दुनियां को अक्षय धन-दौलत दूँगा मैं,
कमजोर कलम को ऐसे ताकत दूँगा मैं।
वेदना को व्यथा को साँसों में भरकर,
खारेपन को ममतामयी सूरत दूँगा मैं।
दुनियां जलेगी जलती रहे अपनी बला से,
हर हाल में हारेंगे तेरी करूणा, कला से।
सियासतदानों, ठेकेदारों, चौधरियों को,
टूटा हुआ आईना संग चेहरा विद्रूप दूंगा।
मत बहाओ…..

दूब को छाले से तेरे इश्क हो जाये,
ओस की बूँदें तुम्हारे चरण धो जाये।
फटी बिवाई की सिसकती राग सुन,
पंखुड़ियां गुलाब की भी रो-रो जाये।
हथेलियों की घिस चुकी हिना को मैं,
रेखाओं को मिटाती नर्म पसीना को मैं।
शब्दों की सम्मान की मय चाशनी में,
डुबोकर जहान को नया स्वरूप दूँगा।
मत बहाओ…..

आँसू वही जो क्रांति की शुरूआत दे,
कलम को शमशीर कर रक्तिम दवात दे।
मौन को मुखरित करे विस्तार दे अनंत,
शोषितों को वंचितों को कर्जमुक्त प्रभात दे।
सड़ी-गली कुरीतियों को परंपराओं को,
नया लिवास दूँगा कर्तव्य, मान्यताओं को।
अर्द्धांगिनी को सर्वांगिनी का हक दिलाकर,
सामाजिकता को सुखद प्रारूप दूँगा।
मत बहाओ…..

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है – भावनाओं के समय मन के यूँ उमड़ने – घुमड़ने की प्रक्रिया को समझाने की कोशिश की है। मन से संवाद किया है, आँसू की शक्ति अनंत है इसलिए आँसू की शक्ति को पहचानो और सही समय पर सही तरीके से उपयोग करो। कवि का कहना है आँसू वही जो क्रांति की शुरूआत दे, कलम को शमशीर कर रक्तिम दवात दे। मौन को मुखरित करे विस्तार दे अनंत, शोषितों को वंचितों को कर्जमुक्त प्रभात दे। सड़ी-गली कुरीतियों को परंपराओं को, नया लिवास दूँगा कर्तव्य, मान्यताओं को। अर्द्धांगिनी को सर्वांगिनी का हक दिलाकर, सामाजिकता को सुखद प्रारूप दूँगा।

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यह कविता (मत बहाओ आँसू।) “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपने सच्चे मन से देश की सेवा के साथ-साथ एक कवि हृदय को भी बनाये रखा। आपने अपने कवि हृदय को दबाया नहीं। यही तो खासियत है हमारे देश के वीर जवानों की। आपकी कवितायें सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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  • पूर्व प्रकाशन: कविता संग्रह – 4, विभागीय पुस्तक – 2
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  • पता: आप ग्राम-चिकना, मधुबनी, बिहार से है।

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