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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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poet sushila devi

नवरात्रि की पावन बेला आई।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ नवरात्रि की पावन बेला आई। ♦

बधाई हो! बधाई हो!

मंगल गीत गाओं, शुभ मंगल घड़ी आई।
सुख बरसाने नवरात्रि की पावन बेला आई॥

भक्तों, चैत्र माह में प्रतिपदा से सब माँ की पावन जोत जगा लो।
जगजननी माँ से फिर तुम मुहमांगी मुरादें पा लो॥

खूब तेरे नाम की मस्ती में हम झूमेंगे।
तेरी पावन चरण-रज को ही हम चूमेंगे॥

माँ, तेरा ये पावन पर्व सबकी झोली भर जायेगा।
इस जग के सारे संकटों को हर जायेगा॥

माँ, बस तेरे ही नाम की प्रेम – धुन हमें लगी रहें।
दिन – रात भक्तों के दिल में ये नवरात्रि सजी रहें॥

माँ तेरे सच्चे दरबार से सबकों हार्दिक बधाई।
तेरे आगमन से ही नववर्ष की बेला आई॥

कुमकुम के पगों से, हर भक्त के घर तू आएगी।
आओ माँ, तेरे आगमन का हर शह मंगल – गीत गायेगी॥

मंगल – गान से अम्बे माँ तेरा आगमन होगा।
तेरे वरहस्त से जीवन का सुंदर चमन होगा॥

माँ, तेरे जैसा अनुपम, अद्वितीय सौंदर्य और कहाँ।
तेरे रूप की ज्योति से होता है रोशन ये जहां॥

हे अष्ट भुजा दात्री, तेरी अनेक कलाएं इन हस्तों में रची।
तेरे हार श्रृंगार से ही ये दुनिया आज अनुपम सजी॥

तेरी लाल चुनरी लाल चोला सदैव ही करता कमाल दाती।
तू इस रूप में जब देने पर आती, दे जाती बेमिसाल तू दाती॥

सिंहासन पर विराजमान जो आज अनोखा रूप तेरा।
हे विश्व विनोदिनी माँ! सारा ब्रह्माण्ड झुकें तुझकों कोटिशः वन्दन मेरा॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — नवरात्र के प्रथम दिन छोटी देवकाली मंदिर में मां भगवती की आराधना और पूजन की जाती है। मां भगवती के आशीर्वाद से ही सभी मनोकामना पूर्ण होती है। पहले दिन छोटी देवकाली मंदिर में माता के शैलपुत्री स्वरूप का दर्शन किया जाता है। माता के 9 रूपों को देवताओं ने अपने-अपने शस्त्र देकर महिषासुर को वध करने का निवेदन किया। शस्त्र धारण करके माता शक्ति संपन्न हो गई। कहते हैं कि नौ रूपों को प्रकट करने का क्रम चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होकर नवमी तक चला। इसीलिए इन 9 दिनों को चैत्र नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। हे विश्व विनोदिनी माँ! सारा ब्रह्माण्ड झुकें तुझकों कोटिशः वन्दन मेरा।

—————

यह कविता (नवरात्रि की पावन बेला आई।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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विश्व कविता दिवस।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ विश्व कविता दिवस। ♦

काव्य जगत।

धरणि के खंडों में विकसित अपनी-अपनी बोली,
हर साँस में बसी गंगा साहित्य काव्य की लहरी।

रंग बिरंगी आभा जिसकी मधुर-मधुर है वाणी,
प्रेम प्रीति बसी वक्ष में आकर्षित करती शैली।

चारण चाक्रिक भट्ट मंख भू जग में भरे सभी,
पावन पुनीत कोमल पल्लवन से सजे सभी।

हर्षित हो लिखें सभ्यता हृदय की भावों से भरी,
मसीपथ बनी आदर्श सभी की उत्कीर्ण करे मन की।

खलक जगत में कविता की मीठी-मीठी स्वर लहरी,
सुर-सरगम से सदा रची रहे विश्व जगत की ये बोली।

साहित्य सभ्यता संदर्प यहां कथन काव्य की जननी,
चिर-काल से संघर्ष समर करे वर्णाका मसी लेखनी।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

  • “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल`“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — कविता दिल की एक सच्ची अनुभूति है, जो एक कवि के हृदय की गहराई से निकली हुई कृति है। भाव स्वरूप कविता तो होता है जीवन का एक प्रवाह, जो सदैव ही प्रेरित करता है कार्यशील होने के लिए। हृदय की गहराई से निकली हुई कृति में न तो होती उसमें कोई भी बनावट, होती बस दिल के उदगारों की सजावट है। याद रखें – केवल शब्दों को लयबद्ध करना ही नही काफी होता है, सार्थक अर्थ के बिना तो शब्दों के संग नाइंसाफी होता है। गहरे अर्थ लिए हुए शब्दों का इक आईना होती है कविता, जिसमें अति सुंदर भाव के साथ-साथ होता हर शब्द का मायना है। ये कविता प्रेम का गहरा समुद्र है, दरिया इश्क का भी, जिसमें करुणा, जज्बात का अहसास, मरहम होता अश्क का भी। कहते है इंसान जब भी इसमें खो जाए तो हर शह में ही कविता गुनगुनाए, फिर जज्बातों की कलम से सदैव ही ह्रदय पर भाव अंकित करता जाए।

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यह कविता (विश्व कविता दिवस। – काव्य जगत।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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हर्षाती कविता।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ हर्षाती कविता। ♦

विश्व कविता दिवस पर।

कविता तो होता जीवन का एक प्रवाह है।
होता जिसमें हर भाव ही बस वाह है॥

कविता दिल की एक सच्ची अनुभूति है।
कवि के हृदय से निकली हुई कृति है॥

न तो होती उसमें कोई भी बनावट है।
होती बस दिल के उदगारों की सजावट है॥

केवल शब्दों को लयबद्ध करना ही नही काफी है।
सार्थक अर्थ के बिना तो शब्दों के संग नाइंसाफी है॥

गहरे अर्थ लिए हुए शब्दों का इक आईना है।
जिसमें अति सुंदर होता हर शब्द का मायना है॥

प्रेम का गहरा समुद्र है, दरिया इश्क का भी।
करुणा, जज्बात का अहसास, मरहम होता अश्क का भी॥

इंसान जब इसमें खो जाए हर शह में ही कविता गुनगुनाए।
फिर जज्बातों की कलम से ह्रदय पर भाव अंकित करता जाए॥

थाम कर कलम अपने लफ्ज़ो में किसी बात को कहना चाहे।
सच मानो दोस्तों स्वतः ही तैयार हो जाये लेखन की राहें॥

फिर हर किसी का दुख, सुख अपना लगता है।
लेखन उस मुकाम पर पहुँचा दे जो सपना लगता है॥

सभी कवियों के ह्रदय का करते हैं हम अभिनन्दन।
चेहरों पर खुशी लाने वाली हर कलम को मेरा वन्दन॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कविता दिल की एक सच्ची अनुभूति है, जो एक कवि के हृदय की गहराई से निकली हुई कृति है। भाव स्वरूप कविता तो होता है जीवन का एक प्रवाह, जो सदैव ही प्रेरित करता है कार्यशील होने के लिए। हृदय की गहराई से निकली हुई कृति में न तो होती उसमें कोई भी बनावट, होती बस दिल के उदगारों की सजावट है। याद रखें – केवल शब्दों को लयबद्ध करना ही नही काफी होता है, सार्थक अर्थ के बिना तो शब्दों के संग नाइंसाफी होता है। गहरे अर्थ लिए हुए शब्दों का इक आईना होती है कविता, जिसमें अति सुंदर भाव के साथ-साथ होता हर शब्द का मायना है। ये कविता प्रेम का गहरा समुद्र है, दरिया इश्क का भी, जिसमें करुणा, जज्बात का अहसास, मरहम होता अश्क का भी। कहते है इंसान जब भी इसमें खो जाए तो हर शह में ही कविता गुनगुनाए, फिर जज्बातों की कलम से सदैव ही ह्रदय पर भाव अंकित करता जाए।

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आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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तुझें बजानी होगी डमरू की मधुर तान।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ तुझें बजानी होगी डमरू की मधुर तान। ♦

भोलेबाबा आ गया तेरे पूजन का पावन त्यौहार।
तू सुन कर ही जाना भक्तों की करुण पुकार॥

तेरे जयकारे को सुनने को कितने हम तरसे।
अब तो तेरी मधुर डमरू की धुन ही बरसे॥

हेभोलेनाथ! गंगा-माँ जो समाई है जटाओं में तेरी।
बरसा दे पावन जल इसका हो जाये सुविचारों की फेरी॥

तेरा त्रिशूल करें त्रिदोष पापों का नाश समूल।
हे भोलेबाबा सब माफ कर जाना हमारी भूल॥

हे जटाधारी तेरा भोलापन सब भक्तों को ही भाए।
विषपान कर तू इस ब्रह्मांड को अमृत बरसाए॥

सुमधुर नृत्य होता जब डमरू-संग तेरा।
ब्रह्मांड में होता तब नवजीवन का सवेरा॥

बहुत तरसे भक्तों के नयन भोले अब दर्शन दो।
शिवलिंग पर दूध-जल अभिषेक से तू प्रसन्न हो॥

भक्ति से खुश होकर तू सबके दुख लेता हर।
सुर-असुर सबको ही तू प्रसन्न हो दे जाए वर॥

बसंत ऋतु में तेरा आगमन दिल को हर्षाये।
तेरे स्वागत में प्रकृति भी पुष्पों को बरसाए॥

दिलों के श्रद्धा-सुमन स्वीकार कर धरा को पावन कर जाना।
डमरू की मधुर तान पर प्रसन्नता बरसाने वाला नृत्य करते आना॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — भगवान शिव के करोड़ों भक्त महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से भगवान शिवजी की चार पहर की पूजा-अर्चना करते हैं, महादेव उनकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते है। इस दिन भगवान शिव जी को प्रसन्न करने के लिए भक्तों को सच्चे मन से दिन व रात में शिवपुराण का पाठ करना चाहिए। जो भी भक्त सच्चे मन से इस दिन भोलेनाथ की पूजा-अर्चना व ध्यान करता है उसकी सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती है। महाशिवरात्रि मतलब पावन रात्रि वह रात्रि जिसमे अपने सम्पूर्ण विकारों को जलाकर भष्म कर भगवान शिवजी से सर्व सद्गति प्राप्त करने की रात्रि। आओ हम सब मिलकर सच्चे मन से महापर्व महाशिवरात्रि को मनाए।

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यह कविता (तुझें बजानी होगी डमरू की मधुर तान।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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सूर्य देव! आओ तुम्हारा स्वागत है।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ सूर्य देव! आओ तुम्हारा स्वागत है। ♦

हाथ जोड़ नमस्कार कर तेरा स्वागत करते है हम।
हे देव! तेरे दर्शनों के बिना सब आँखें हो गयी थी नम॥

हे सूर्य देव! लगभग एक महीने में दर्शन दिए हैं तुमने।
अपनी प्रकाश भरी किरणों से सराबोर किये तुमने॥

नमन तुझकों बारम्बार तुम्हारी बहुत बाट निहारी हमने।
दर्शन देकर ठंड से ठिठुरती हर जिंदगी सँवारी तुमने॥

इस बर्फीले मौसम में हर इंसान का खून भी जम सा गया था।
जरूरी कार्यों को करने का दौर भी थम सा गया था॥

तेरी रोशनी बिखराती किरणों ने उजियारा भर दिया।
जन-जन के दिलों के अंदर ऊर्जा का संचार कर दिया॥

छंट गया अब सब अंधकार धुंध, कोहरे, बरसात का।
ये सब चमत्कार है तेरे आने की करामात का॥

पचहत्तर करोड़ लोगों ने भी तुझें एक साथ नमस्कार किया।
नमन को स्वीकार कर तूनें अपनी रहमत को बरसा ही दिया॥

जो गुहार लगाई थी हर दिल ने तेरे आने की।
धन्य किया तुमने कृपा की जो धूप बरसाने की॥

हे सूर्य देव! हर अंधेरे को हरने वाली तेरी प्रकाशित किरणों को कोटिशः नमन मेरा।
अपने दर्शन देकर कर दिया तूनें हर घर – आँगन सुखों का सवेरा॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — आधा से ज्यादा भारत में सर्द मौसम का कहर और उसके ऊपर बारिश का कहर और तो और सूर्य देव का यूँ लुकाछुपी, अचानक से मौसम में सर्द-गर्म होने की वजह से लोगों में ठिठुरन के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं सर्दी – जुकाम, बुखार का होना। सर्दी से ठिठुरन के कारण जरूरी कार्यों को भी समय से न कर पाना। इस तरह की और भी बहुत सारी समस्याएं थी, लेकिन अभी “तेरी रोशनी बिखराती किरणों ने उजियारा भर दिया। जन-जन के दिलों के अंदर ऊर्जा का संचार कर दिया। छंट गया अब सब अंधकार धुंध, कोहरे, बरसात का। ये सब चमत्कार है तेरे आने की करामात का।” पचहत्तर करोड़ लोगों ने भी तुझें एक साथ नमस्कार किया। नमन को स्वीकार कर तूनें अपनी रहमत को बरसा ही दिया।

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यह कविता (सूर्य देव! आओ तुम्हारा स्वागत है।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि। ♦

आज धरा भी खूब रोयी, रो रहा है खूब आसमान।
कितना दुख दे गया, ये 8 दिसम्बर के दिन का समा॥

देश के जांबाज वीर, असमय ही काल के मुख में आये।
नाम से रोशन किया देश को, वही आज अग्नि में समाये॥

हे! भगवान क्यूँ आज ऐसा समय तुमने दिखाया।
हर भारतवासी की आँखों में आँसू आया॥

खो दिए हमने आज वो रत्न, जो बहुत ही थे अनमोल।
कितना ह्रदय विदारक दृश्य था दुखों को गया छोड़॥

हे भारत-माता!

तेरे ही लाल, तेरी ही मिट्टी में आज खाक हो गए।
हाय! अग्नि में समर्पित होकर, कैसे राख हो गए॥

आंखों में आंसुओं का सैलाब, दे गई ये शाम।
अधूरा ही छोड़ गए वो, करने चले थे जो काम॥

हे धरती माँ! गोद में तेरी आज समाये, कई देश के वीर जवान।
तेरी ही मिट्टी में मिले आज, जीवन में बढ़ाई जिन्होंने तेरी ही शान॥

ये वतन क्षतिपूर्ति नही कर पायेगा, इन वीर जवानों की।
क्यूँ बलि चढ़ गई, जो पोटली बंधी थी दिल में अरमानों की॥

सलाम कर, भावपूर्ण श्रद्धाजंलि आँसुओं की दे रहे हम।
हे वीरजवानों तुम्हें खोने के दुख में, आज हुई हर आंख नम॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — हमे गर्व है सच्चे देशभक्त महान निर्भीक CDS जनरल बिपिन रावत जी पर और उनके साथ शहीद हुए वीर जवानों व उनकी धर्म पत्नी मधुलिका रावत जी पर। सभी के नाम क्रमशः — Chief of Defence Staff (CDS) Bipin Rawat, Madhulika Rawat (CDS Bipin Rawat’s wife), Brig LS Lidder, Lt Col H Singh, Wg Cdr PS Chauhan, Sqn Ldr K Singh, JWO Das, JWO Pradeep A, Hav Satpal, Nk Gursewak Singh, Nk Jitender, L/Nk Vivek, L/Nk S Teja, जिन्होंने अपने अंतिम सांस तक सच्चे मन से देश की सेवा की। आपके रिक्त जगह को कभी भी कोई नहीं भर पायेगा। अदम्य साहस से भरपूर हंसमुख चेहरा सदैव सच्चे मन से देश की सेवा में समर्पित ऐसे महानायक जिससे दुश्मन देश चीन व पाकिस्तान डरकर कांपते थे। CDS जनरल बिपिन रावत जी जैसे महान वीर योद्धा सदियों में एक या दो ही जन्म लेते है। आप सदैव ही हर भारतीय के दिलो में जीवित रहेंगे। आपके वीरता पूर्ण कार्य से सदैव ही भारतीय सेना प्रेरित होती रहेगी। आपके वीरता पूर्ण कार्य से प्रेरित आने वाली पीढ़ी भारत माँ के सेवा में दिल से समर्पित होगा। तहे दिल से नमन है आपको सर CDS जनरल बिपिन रावत जी।

—————

यह कविता (अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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ये इश्क।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ ये इश्क।  ♦

सुना करते है ये इश्क तो होता है बहुत लाजवाब।
न किया तो सोचों खो दिया एक सुनहरा ख्वाब॥

सोचा चलो हम भी इश्क कर ही लेते है।
इस दिल को एक नया उपहार देते है॥

कुछ नियम तो नहीं, मालूम नही थे इसके हमको।
बस शिद्दत से चाहना होता है इश्क करो जिसको॥

हम करने लगे उसको दिल जान से प्यार।
बना लिया उसको रात – दिन का यार॥

दुनिया वाला इश्क दिल से आकर चला गया न जाने कब।
यूँ प्यार भरी नजरों से देखते ही रहें हमें सब॥

पर हम तो बहुत दीवाने हुए हो गए मस्ताने।
अपनी प्यारी कलम के इश्क में बन गए परवाने॥

सच कहूँ तो मुझें भी खबर न लगी ये हुआ कब।
मेरे इश्क ने इसको सच्ची प्रेमिका बना लिया अब॥

कुछ जुनून कुछ इश्क मेरा, मेरी कलम से।
मेरी मंजिल तक पहुँचा देगी, कसम से॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — एक सच्चे और अच्छे रचनाकार का पूर्ण प्रेम मात्र अपनी कलम और अपनी रचना से होती है। एक सच्चा रचनाकार अपनी रचनाओं से सभी दिलों में सच्चा व पवित्र सात्विक प्रेम जागृत करता है। इस संसार के प्रेम की बात करे तो… इश्क का मतलब क्या केवल दो जिस्मों का मिलन ही होता है या फिर कुछ और ? अगर सच कहु तो सच्चा इश्क वो होता है जिसमे दो आत्माओ का मन का तार जुड़ता है, पूर्ण मन से एक दूजे को समझते है। सच्चे इश्क में स्वार्थ का कोई स्थान नहीं होता है। बस होता है तो पूर्ण मन से प्रेम ही प्रेम। प्रेम का मतलब दो जिस्मों का मिलन नहीं होता, प्रेम का मतलब होता है पूर्ण मन से एक दूजे का सम्मान करना, रक्षा करना, ख्याल रखना।

—————

यह कविता (ये इश्क।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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पावन रिश्ता।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ पावन रिश्ता। ♦

कार्तिक की चतुर्थी पर…
ए चाँद देख लेना तेरा नूर भी फीका होगा।

तेरी चंद्र कलाओं से भी सुंदर,
सजने का इनका सलीका होगा।

पर तेरी चाँदनी का ही दर्श पाने के बाद,
आएगी सबको अपने चाँद की याद।

तेरे दर्श की शीतलता,
रिश्तों में मिठास भर जायेगी।

तेरा दीदार ही सुहागिनों की,
माँग प्यार से भर जाएगी।

मेहंदी का शगुन होगा, कलाइयाँ,
रंग-बिरंगे चूड़ियों पर इतरायेगी।

होगी सिंदूरी मांग, गजरे की कलियां,
भी अपनी सुगंध बिखेर जाएगी।

पावन कथा सुन सूर्य को,
भी जल अर्पित कर देगी।

इसकी किरणें भी सबके जीवन में,
खुशियों का उजाला भर देगी।

बस प्रेम … प्रीत कर ले,
पावन रिश्ते में बसेरा।

सबके वैवाहिक जीवन में,
हो सुखों का सवेरा…।

श्रृंगार तो हो बस हमसफ़र की,
प्रीत का, तो क्या कहने।

पर सोने पर सुहागा होता,
जब पत्नी प्यार और विश्वास के पहने गहने।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से — पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते को और अधिक मजबूती देने वाले पर्व करवा चौथ के बारे में विस्तार से बताया है। तेरी चंद्र कलाओं से भी सुंदर, सजने का इनका सलीका होगा। चाँद और नारी के गुणों व पति के प्यार संग सोलह श्रृंगार का सुंदर मधुर वर्णन किया है।

—————

यह कविता (पावन रिश्ता।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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हे आदिशक्ति।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ हे आदिशक्ति। ♦

अब तो आजा!
हे करुणावतार!
कुमकुम लगें पैरों से अब आजा।
इस दुनिया को चैन,
अमन का रास्ता दिखा जा॥

तेरी राहें बुहारें हैं, कब से हम।
आ मिटा दे ये चारों ओर फैला तम।
भीगी पलकों से तड़पते ह्रदय ने …
तुम्हें ही पुकारा है।
हम तेरे दीवानों को न कोई और सहारा है॥

तुझें बरसाना ही होगा,
अपनी करुणा का जल।
दहकती ज्वाला को शांत,
तुझें ही करना होगा।
चाहे तू आज करें या कल॥

हमने तो भिखारी बन,
दामन यहां ही पसारा है।
हे आदिशक्ति, झोली भर,
एक तूही तो जीवन का उजियारा है॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से — आदिशक्ति माँ का आह्वान किया है। इस कविता में भक्त के मन में चलने वाले भावों को बखूबी व्यक्त किया है। हे आदिशक्ति माँ हम पर बरसा अपनी करुणा का जल, हमने तो दामन यहां ही पसारा है। हे आदिशक्ति, झोली भर, एक तूही तो जीवन का उजियारा है।

—————

यह कविता (हे आदिशक्ति।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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गुरु हमारे।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ गुरु हमारे। ♦

शिक्षक के पर्याय गुरु पर, आज इस कलम को लिखना है।
पर सच मानों, एक आदर्श शिक्षक की से भी, हमें सीखना है॥

इस शब्द की महानता तो, आज तक तो कोई सुना न पाया।
बस इनके गुणों के आगे, सबने शीश झुकाया॥

जितने गुणों को समाहित किया, वो सब इन्होंने दिया जिंदगी में।
बहुत कुछ नायाब मिला, सिर्फ इनकी बन्दगी में॥

जब ये पत्थर को भी तराशने पर आये, तो हीरा बन जाये कोहिनूर।
इनके जब आदर्शों पर चल पाए, तो जिंदगी में आये एक सरूर॥

ये तो वटवृक्ष है, जो जीवन में आदर्शों की छाया दे जाए।
ये वो अथाह सागर है, जहाँ बस प्रीत के मोती पाए॥

ये तो सितारा उस बुलंदी का, जिस पर आसमाँ भी हर्षाये।
ये तो जीवन की हरियाली है, जिस पर ये धरा भी इतराये॥

ये वो जौहरी है, जो परख – परख कर, खोटे को भी खरा बना जाए।
ये है वो कलाकार जो, पत्थर को भी तराश भगवान ले आये॥

कितनी ही उपाधियों से नवाजू इनको, ये भी नतमस्तक होती है इनके आगें।
जो एक सच्चे शिक्षक की उँगली भी थामे, उसके तो भाग्य जागें॥

मैं कौन हूँ, क्या हस्ती मेरी, सिर्फ इनके सजदे में ही शीश झुकाना।
इनके गुणों की रोशनी में, रहकर बस इस जिंदगी को जगमगाना है॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — कहते है की एक सच्चा शिक्षक जब अपने छात्र को तराशने पर आये तो पत्थर से हीरा बन जाये कोहिनूर। इस शब्द की महानता इतनी है की आज तक तो कोई सुना न पाया। बस इनके गुणों के आगे, सबने शीश झुकाया। ये तो वह वटवृक्ष है, जो जीवन में आदर्शों की छाया दे जाए। ये वो अथाह सागर है, जहाँ बस प्रीत ही प्रीत के मोती पाए सभी ने सदैव।

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यह कविता (गुरु हमारे।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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  • बहारों के दिन आ गये।
  • बुद्ध एक नाम नहीं भाव है।
  • माँ की जय हो।
  • अन्तर ज्वाला धधक रही है।
  • चेस्ट नंबर 13 हाजिर हो।
  • शिवलिंग को गुप्तांग की संज्ञा कैसे दी गई?
  • दीक्षा बिना अधूरी शिक्षा।
  • माँ मेरी प्यारी माँ।
  • उसका आशियाना।
  • गर्मी की छुट्टी।
  • सुन ले पुकार चलो शिक्षा के द्वार।
  • आओ मिलकर चलें स्कूल।
  • क्या निजीकरण का विरोध जायज है?
  • बस भी करो अब।

KMSRAJ51: Motivational Speaker

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दुनियादारी।

बुद्ध के संदेश।

श्रीगन्ध बयार।

बहारों के दिन आ गये।

बुद्ध एक नाम नहीं भाव है।

माँ की जय हो।

अन्तर ज्वाला धधक रही है।

चेस्ट नंबर 13 हाजिर हो।

शिवलिंग को गुप्तांग की संज्ञा कैसे दी गई?

दीक्षा बिना अधूरी शिक्षा।

माँ मेरी प्यारी माँ।

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