Kmsraj51 की कलम से…..
♦ खाने में शामिल न करें। ♦
आम खाने में लगता मजेदार।
स्वास्थ्य वर्धक और लाजवाब।
आम में अच्छे तत्व पाए जाते।
इसी लिए तरह तरह से खाते।
सबके मन भाते तथा लुभाते।
शरीर को पुष्ट निरोग बनाते।
साल भर में पेड़ पर लटकते।
चाव से इसको लोग मिल खाते।
एक बात याद आई उस कराते,
आम खाने के बाद में करेला,
को कभी भी नहीं लोग खाते।
खाने से हानि शरीर में आते।
रायता और छाछ भी बराते।
यह काया में जहर पिला देते।
भिन्डी की सब्जी लगे लाजवाब।
पौष्टिक आहारों का यह संसार।
विविध रूपों में इसका प्रयोग।
खाने में बहुत लगती है मजेदार।
भोजन में सलाद का हो साथ।
कहते होता इससे बहुत लाभ।
पर कुछ वस्तु में होता बरताव।
साथ मिलकर लेने से करें इंकार।
वरना हो जाएंगे तंग और लाचार।
शरीर को कर देगा वह बेकार।
लीबर भी हो जाएगा कमजोर।
पर नहीं चलेगा किसी का जोर।
शरीर आप में करती रहेगी शोर।
भूल नहीं पाएंगे कभी यह रोग।
करेला खाने से हो होते निरोग।
भिंडी साथ खाएंगे होगा रोग।
दोनों को अलग-अलग खाइए।
सुखमय जीवन अपना बनाइए।
बड़े कष्ट से शरीर को बताइए।
करेला भिंडी को न मिलाइए।
यद्यपि शुगर में इसे खूब खाइए।
दोनों एक साथ नहीं लीजिए।
आजकल लोग खिचड़ी पकाते,
एक में सब कुछ मिला कर लेते?
वैज्ञानिक प्रभाव नहीं समझते।
मनमर्जी पे सब कुछ वे खाते।
निरोगी काया होती रोग बुलाते।
राष्ट्र विरोधी, मिल जस गाते।
वे कभी कभी स्टोरी सुनाते।
भ्रम में डालकर गरम हो जाते।
ठंडी-ठंडी मूली खाना में खाते।
अकड़ मूवी मसाला लगाये लाते।
मूली के बहुत फायदे हम बतला दे।
जड़ पत्ता पीने से अनेक फायदे।
मूली को खाने से गैस भाग जाते।
सलाद में मूली जो लोग मिला दे।
औषधीय गुण इसमें पाए जाते।
वैद्य ही लोग इसका गुण बताते।
भिंडी के साथ करेला नहीं खाते।
इसके खाने से पेट में रोग बढ़ाते।
सोच समझकर जो भोजन खाते।
निरोगी काया वे अपना बनाते।
स्वस्थ समाज वही लोग बनाते।
जो लोग निरोगी काया हैं पाते।
जो कुछ भी हम सब कभी खाते।
सोच समझकर उसे अपना बनाते।
♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦
—————
- “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – बहुत सारे उदाहरण के माध्यम से बताया है, किसके साथ क्या खाये और किसके साथ क्या न खाये। किसके साथ क्या-क्या खाने से लाभ होता है, और क्या-क्या खाने से नुकसान भी होता है शरीर को। इसलिए जो भी खाये बहुत सोच समझकर ही खाये, किसी भी खाने के साथ कुछ भी न खाये । जिसके साथ जो उपयुक्त हो, जिसके खाने से शरीर को नुकसान न हो वही साथ-साथ खाये केवल।
—————
यह कविता (खाने में शामिल न करें।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!
Please share your comments.
आप सभी का प्रिय दोस्त
©KMSRAJ51
———– © Best of Luck ® ———–
Note:-
यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है: kmsraj51@hotmail.com. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!
“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)