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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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You are here: Home / Archives for romantic love poems in hindi

romantic love poems in hindi

बेबस हारी कामनायें।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ बेबस हारी कामनायें। ♦

रात निगाहों में लगी ताकने,
बेबस हारी कामनायें।
आसमानों तक उड़ने वाले,
पंख-पंछियों के कट जायें।

गडमड केश सुलझाने में,
बीत गये बहारों के मौसम।
आतप उतरती रही प्राणों में,
भुलाते रहे प्रारब्ध निर्मम।
शिशिर के पीले पातों से,
जीर्ण – शीर्ण बदन कुम्हलायें।

दूर – दूर तक राहों में छितराये,
उष्णित दोपहर के सन्नाटे।
सुकोमल बिछावन पर चुभते,
क्लांतित उर में पैने काँटे।
सूखे रेगिस्तान के आँचल में,
कभी न उमड़ती गझिन घटायें।

आसक्त अभाषित अभिलाषा,
वीरानी आँखों से रो लेती है।
यामिका के निर्जन प्रहरों में,
बंद पलकों को भिगो लेती है।
धौल आलोक के चापों में,
नमित अँखियों को हम छुपायें।

वैरागन बन गई ज्योत्स्ना,
रह गई स्वप्निल आस प्यासी।
अबोल शब्दों में बातें करती,
दुर्दुम निशि से द्रवित उदासी।
धूमिल सिंधु भरी जल से,
इसमें डूब मरी सारी तृष्णायें।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

यह कविता (बेबस हारी कामनायें।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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ना मांगा मैं धन दौलत।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ ना मांगा मैं धन दौलत। ♦

ना मांगा मैं धन दौलत,
ना मांगा तुमसे हार सनम।
ना मांगा मैं हीरे मोती,
ना कोई उपहार सनम।

एक तेरी बोली सुनने को,
हरदम मैं बेताब सनम।
दिन – रात सोते जाग बस,
देखूं तेरा ख़्वाब सनम।

क्यों गई ना पता मुझे,
थी क्या खता तू बता मुझे।
होगी कुछ मजबुरी फिर,
या नापसंद था बता मुझे।

तू अभागीन किस्मत की,
या मेरे प्यार की कमी सनम।
मेरे हंसते नैनों में,
क्यों छोड़ गई तू नमी सनम।

एक तेरे जाने से जानम,
गया मैं फिर से हार सनम।
नाम तेरा लेकर सब मुझको,
करते हैं दुत्कार सनम।
नाम तेरा लेकर सब मुझको,
करते हैं दुत्कार सनम….

♦ अमित प्रेमशंकर जी — एदला-सिमरिया, जिला–चतरा, झारखण्ड ♦

—————

Conclusion

  • “अमित प्रेमशंकर“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — एक प्यार करने वाला सदैव ही अपनी प्रेमिका से केवल सच्चा प्रेम ही चाहता है। जब भी इंसान किसी से बेहद प्यार करते, जो दिल के बहुत करीब होते है और वो अपना बनने वाला होता है, लेकिन अपना बनने से पहले ही हमसे दूर चला जाता है उस समय मन की क्या परिस्थिति, मन में क्या उथल – पुथल चलता है, इसका बहुत सटीक वर्णन किया है।

—————

यह कविता (ना मांगा मैं धन दौलत।) “अमित प्रेमशंकर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। आपकी ज्यादातर कविताएं युवा पीढ़ी को जागृत करने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

नाम: अमित प्रेमशंकर
पता: एदला – सिमरिया
जिला: चतरा (झारखण्ड)
सम्प्रति: कवि, गीतकार व ढोलक वादक।

प्रकाशित पुस्तकें: आत्म सृजन, काव्य श्री, एक नई मधुशाला १, एक नई मधुशाला २, भावों के मोती, व अक्षर पुरूष।
प्रकाशित रचनाएं: देश के अलग-अलग पत्र पत्रिकाओं मे लगभग दो सौ रचनाएं प्रकाशित व समय समय पर सामाचार पत्रों के माध्यम से पत्राचार।
विशेष: “सीता माता सी कोई नहीं” तथा “आज राम जी आएंगे” महाराष्ट्र के वरिष्ठ साहित्यकार श्री ओ. सी. पटले द्वारा पोवारी भाषा में अनुवाद।

प्राप्त सम्मान: काव्य श्री साहित्य सम्मान, आत्म सृजन साहित्य सम्मान, सरदार भगतसिंह साहित्य सम्मान, सुमित्रानंदन पंत कृति सम्मान, साहित्य कर्नल सम्मान, रैदास साहित्य सम्मान, द फेस ऑफ इंडिया सम्मान, दिल्ली युथ डेवलपमेंट से सम्मानित।
प्रकाशनार्थ: मन की धारा

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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कुछ यादें हैं – जो गुदगुदाया करती हैं।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ कुछ यादें हैं – जो गुदगुदाया करती हैं। ♦

सच कहा है किसी ने ओ संग दिल,
कि मुहब्बत कभी भी नहीं मरती है।
आज भी स्मृति के एक कोने में प्रिये,
कुछ यादें हैं, जो गुदगुदाया करती हैं।

मिलना, मिलकर फिर से बिछुडना,
यह रीत संसार की बहुत पुरानी है।
है कुछ नहीं और यह जिन्दगी प्रिये,
बस खट्टी – मीठी यादों की कहानी है।

क्यों लड़ते – झगड़ते हैं ये लोग यहां?
न जाने क्यों होती इन्हे यह परेशानी है?
मुहब्बत का फलक है विशाल इतना कि,
समेटने को छोटी पड़ जाती जिंदगानी है।

बहते जल की मानिद यह जिंदगानी,
क्षण – क्षण निरन्तर बह जाया करती है।
आज तुम नहीं हो पास तो क्या हुआ?
कुछ यादें हैं, जो गुदगुदाया करती हैं।

हो जाता हूं अकेला मैं भीड़ में भी जब,
तो तुम्हारी यादों के सहारे तब जीता हूं।
मायूसियां करती हैं जब परेशान घना तो,
तब तेरी यादों के साए में गमों को पिता हूं।

प्रियतम क्या होता है? ओ दिलजानी!
खोने के बाद जिंदगी महसूस करती है।
फिर भीगे से जिंदगी के इस दामन में,
कुछ यादें हैं, जो गुदगुदाया करती हैं।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

• Conclusion •

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — यादें ही इंसान के मन पटल पर लम्बे समय तक बनी रहती है। यादें ही वह ऊर्जा है जो बीते हुए कल व किसी अपने से बिछुडने पर हम यादों के जरिए अच्छा महसूस करते हैं। यादें किसी के भी साथ बिताये हुए पल का रिकॉर्डिंग हैं जो मन में रिकॉर्ड रहता है। यादों के बिना भावनाओं का कोई महत्व नहीं है इस संसार में। चाहे वो यादें किसी की भी हो।

—————

यह कविता (कुछ यादें हैं – जो गुदगुदाया करती हैं।) “हेमराज ठाकुर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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आज तन्हा हूं।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ आज तन्हा हूं। ♦

मन की आस उनकी प्यास,
हर घड़ी आस होती है।
हर जगह पास होती है।
जब दर्द हो तो इस कदर,
बार – बार पूंछरी नजर।

आईना लेकर अपने अन्दर,
तलाश करता हूं उस समय का।
कोई खूबी हो मुझमें उसे देखूं ,
मगर कुछ ऐसा नहीं पाता।

बस इक बार मिला था,
ना जाने उसने क्या देखा था।
ख्यालों में खोजता रहा,
सवालों में ढूंढता रहा।

आज तन्हा हूं,
अकेला हूं फिर भी,
बीते पल को याद करता हूं,
जो यादों में भी करीब है।

उसे नजरों से देखने का,
अपने करीब लाने का।
फिर से दिल में बसाने का,
प्रयास करता रहता हूं।

समय की ऐसी मार पड़ी,
आंधियों ने उसे उड़ा ले गई।
आज बीराने में बस,
उसे खोजता रहता हूं।

कसम अपनी दे गई,
रसम निभाने का वादा लें गई।
खुद तो ओढ़ ली कफ़न,
मुझे जलने के लिये छोड़ गई।

आंखों में बसी है,
मन में रची है।
इस दिल से कैसे उतार दूं,
कैसे दूसरे को अपना बना लूं।

इस जख्मी दिल की,
दवा बता दो यारों।
मेरी तड़प का कोई,
इलाज बता दो यारों।

हर चेहरे में उन्हें बस,
उन्हीं को खोजता रहता हूं।
वो जब नहीं दिखायी देते,
जार – जार रोता रहता हूं।

वो बस एहसास होकर रह गये,
हम क्या के क्या हो के रह गये।
इस फानी दुनियां में,
बस इक बुझा चिराग रह गये।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी — जिला–सिंगरौली , मध्य प्रदेश ♦

—————

ज़रूर पढ़ें — शिक्षक की महानता।

  • “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल`“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — जब भी इंसान किसी से बेइंतहा प्यार करता है, उससे जब भी बिछड़ता है, उसे बहुत दर्द महसूस होता है। उसकी यादों वाली भावनाएँ दूर नहीं जातीं, उससे। अब महसूस होता है – आज तन्हा हूं, अकेला हूं फिर भी बीते पल को याद करता हूं, जो यादों में भी करीब है। इस बिछड़ने के दर्द को वही महसूस कर सकता है जो किसी से बेइंतहा प्यार करता है।

—————

यह कविता (आज तन्हा हूं।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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मेरा मन।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ मेरा मन। ♦

घड़ी दो घड़ी तो मेरे पास भी बैठ।
कभी खामोश कभी उदास भी बैठ।
तितलियों सा बेफिक्र डोलते रहते हो।
कभी परेशान कभी हताश भी बैठ।
आसमान में उड़ते रहते चिड़ियों सा,
सबके खेत में घुस जाते हो नदियों सा।

अपने पराये, लोकलाज का कोई शर्म नहीं।
ठहर क्यूँ नहीं जाते, ऐ मन, सदियों सा।
नजर लग जाएगी थक के कभी तू ,
मेरे पहलू में आ बदहवास भी बैठ
घड़ी दो घड़ी…..

मत भूल ये अपना गाँव नहीं शहर है।
जमाने की टेढी, तुम ही पे नजर है।
सभी को खबर है तेरी दिलनवाजी का।
तुमको ही अपनी नही कोई खबर है।
पर्दे का थोड़ा तो लिहाज लाजिमी है।
कभी नाउम्मीद, हो निराश भी बैठ।
घड़ी दो घड़ी…..

पंथी, ग्रंथी औ पुजारी, महापौर का,
तू मेरा ही है या है किसी और का।
तन-स्पंदन में भी कभी मिलते नहीं।
तू इसी दौर का है या है उस दौर का।
बता तुझे ला दूंगा सारे खेल खिलौने।
ला दूंगा तुझको जमीं आकाश भी बैठ।
घड़ी दो घड़ी…..

बीच – बीच में लंबी ताजी साँसें लो सुस्ता लो।
कभी – कभी अपने घर का भी रस्ता लो।
मेहमान नवाजी, आवारगी कुछ दिन ही अच्छी।
वतन वापसी का विकल्प भी बावस्ता लो।
रोज दीवान-ए-आम तू जाया करता है।
आज हृदय के साथ दीवान-ए-खास भी बैठ।
घड़ी दो घड़ी…..

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है – मन के यूँ उमड़ने – घुमड़ने की प्रक्रिया को समझाने की कोशिश की है। मन से संवाद किया है, सभी को खबर है तेरी दिलनवाजी का तुमको ही अपनी नही कोई खबर है। मेरे पहलू में आ बदहवास भी बैठ घड़ी दो घड़ी।

—•—•—•—

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यह कविता (मेरा मन।) “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपने सच्चे मन से देश की सेवा के साथ-साथ एक कवि हृदय को भी बनाये रखा। आपने अपने कवि हृदय को दबाया नहीं। यही तो खासियत है हमारे देश के वीर जवानों की। आपकी कवितायें सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

About Yourself – आपके ही शब्दों में —

  • नाम: शैलेश कुमार मिश्र (शैल)
  • शिक्षा: स्नातकोत्तर (PG Diploma)
  • व्यवसाय: केन्द्रीय पुलिस बल में 2001 से राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत।
  • रुचि: साहित्य-पठन एवं लेखन, खेलकूद, वाद-विवाद, पर्यटन, मंच संचालन इत्यादि।
  • पूर्व प्रकाशन: कविता संग्रह – 4, विभागीय पुस्तक – 2
  • अनुभव: 5 साल प्रशिक्षण का अनुभव, संयुक्त राष्ट्रसंघ में अफ्रीका में शांति सेना का 1 साल का अनुभव।
  • पता: आप ग्राम-चिकना, मधुबनी, बिहार से है।

आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे, जनमानस के कल्याण के लिए। उस अनंत शक्ति की कृपा आप पर बनी रहे। इन्ही शुभकामनाओं के साथ इस लेख को विराम देता हूँ। तहे दिल से KMSRAJ51.COM — के ऑथर फैमिली में आपका स्वागत है। आपका अनुज – कृष्ण मोहन सिंह।

  • जरूर पढ़े: चली जाती है।
  • जरूर पढ़े: अच्छा लगता है।

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तोते में जान।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ तोते में जान। ♦

मुहब्बत की यूँ इब्तिदा नजर आती है।
उसकी सूरत में मुझे माँ नजर आती है,
दिल ये मानने को हरगिज राजी नहीं।
उसकी ना – ना में भी हाँ नजर आती है।

मेरे नाम पे उसकी भी नजर झुक जाती।
थोड़ी – थोड़ी वो भी मेहरबां नजर आती है।
वो जो नहीं भी कहती मैं समझ जाता हूँ।
आँखें आईना ही नहीं जुबां नजर आती है।

जबसे मन नें नजरिया, लिबास बदला है।
बहुत खूबसूरत ये दुनियाँ नजर आती है।
खुद से भी लंबी गुप्तगू होने लगी है अब।
साँसों में एक दरिया रवां नजर आती है।

ये दुनियाँ कहती है कि तू बावरा हो गया है।
मुझे ये दुनियाँ बावरा, दरमियाँ नजर आती है।
हो सकता है कि वो ठीक भी कह रहे हों,
पर मुझे बारहा ये उल्टा चश्मा नजर आती है।

मतलब साफ है कि हमें इश्क़ हो गया है।
आशिकों को और कुछ कहाँ नजर आती है।
अब समझ में आ रहा, क्यों किसी को खुदा,
और एक तोते में अपनी जाँ नजर आती है।

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है – प्यार के दौरान मन में उमड़ने वाले भावनावों को सरल शब्दों में बयां किया है। किस-किस तरह के विचार मन में उमड़ने लगते है, यह भी समझाने की कोशिश की हैं।

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About Yourself – आपके ही शब्दों में —

  • नाम: शैलेश कुमार मिश्र (शैल)
  • शिक्षा: स्नातकोत्तर (PG Diploma)
  • व्यवसाय: केन्द्रीय पुलिस बल में 2001 से राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत।
  • रुचि: साहित्य-पठन एवं लेखन, खेलकूद, वाद-विवाद, पर्यटन, मंच संचालन इत्यादि।
  • पूर्व प्रकाशन: कविता संग्रह – 4, विभागीय पुस्तक – 2
  • अनुभव: 5 साल प्रशिक्षण का अनुभव, संयुक्त राष्ट्रसंघ में अफ्रीका में शांति सेना का 1 साल का अनुभव।
  • पता: आप ग्राम-चिकना, मधुबनी, बिहार से है।

आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे, जनमानस के कल्याण के लिए। उस अनंत शक्ति की कृपा आप पर बनी रहे। इन्ही शुभकामनाओं के साथ इस लेख को विराम देता हूँ। तहे दिल से KMSRAJ51.COM — के ऑथर फैमिली में आपका स्वागत है। आपका अनुज – कृष्ण मोहन सिंह।

  • जरूर पढ़े: चली जाती है।
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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

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सूरत दिल में जगह बनाई।

Kmsraj51 की कलम से…..

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♦ सूरत दिल में जगह बनाई। ♦

तेरी सूरत मेरे दिल में आई।
दिल कहता तू दिल में समाई।
झलक से मेरा दिल बहला ई।
काया उमंगी तो होती दिखाई।

अफसोस उफ करने की तनिक न दी दिखाई।
प्यारी चितवन और नशीली आंखें लेकर आई।
आंखों – आंखों से जब उसने अपने मिलाई।
जीवन जीने का अंदाज, साथ लेकर आई।

बेचैनी में दिन – रात हमने जब तलक बिताई।
खूबसूरत ख्वाब देखने झील में लेकर आई।
तेरी सूरत दिल के मेरे जब से दरवाजा खट-खटाई।
जीवन जीने का मजा होलिया तब से मेरे भाई।

मेरी आंख से आंख तूने अपनी है लड़ाई।
लगी दाग दिल में कभी भी मिट नहीं पाई।
आंखों में आंखें डाल कर जानम क्यों नहीं आई।
उम्मीदों की फायदे जाने क्यों दुख में गंवाईं।

प्यारी चितवन नशीली आंखों में समुद्र दिखाईं।
वादों की सुखद समुंदर में जाकर गोते लगाई।
मेरा दिल कहता है तू दिल में उतर है आई।
तेरी सूरत खूबसूरत मेरे दिल में आकर समाई।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से बखूबी समझाने की कोशिश की है – प्यार के दौरान मन के अंदर चलने वाले उथल – पुथल को “सूरत, चीत्त, दिल, व आँख से आँख मिलाना” का उदाहरण देकर बहुत ही सटीक वर्णन किया हैं।

—•—•—•—

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यह कविता “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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किस्मत की लकीर।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

♦ किस्मत की लकीर। ♦

जब मेरे हाथों में तेरी तस्वीर होती है।
अंगुलियां साँस लेती हुई शरीर होती है।
मन आप ही निकल पड़ता आखेट को।
निगाहें शमशीर, आलमगीर होती है॥

हथेलियां धक – धक धड़कने लगती है।
जादुई तुम्हारे लम्स की तासीर होती है।
उस वक्त मैं कई जन्म, कई रुप लेता हूँ।
उस घड़ी जिंदगानी बेनजीर होती है॥

दो पल सीने पे जब विश्राम करते हो।
अनकही अनसुलझी बातें गंभीर होती है।
नैनो के पेंच, लबो की कुछ गुफ्तगू, तेरे।
माथे पे, मेरी किस्मत की लकीर होती है॥

दो अश्क मिलकर समंदर बन जाते हैं।
आँधी खुद कस्ती की दस्तगीर होती है।
जमीं पर वहीं जन्नत उतारकर उस दिन।
अना मेरी सबसे ऊँची, अमीर होती है॥

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से सच्चे प्यार को समझाने की कोशिश की है।

—•—•—•—

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यह कविता “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपने सच्चे मन से देश की सेवा के साथ-साथ एक कवि हृदय को भी बनाये रखा। आपने अपने कवि हृदय को दबाया नहीं। यही तो खासियत है हमारे देश के वीर जवानों की। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

About Yourself – आपके ही शब्दों में —

  • नाम: शैलेश कुमार मिश्र (शैल)
  • शिक्षा: स्नातकोत्तर (PG Diploma)
  • व्यवसाय: केन्द्रीय पुलिस बल में 2001 से राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत।
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आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे, जनमानस के कल्याण के लिए। उस अनंत शक्ति की कृपा आप पर बनी रहे। इन्ही शुभकामनाओं के साथ इस लेख को विराम देता हूँ। तहे दिल से KMSRAJ51.COM — के ऑथर फैमिली में आपका स्वागत है। आपका अनुज – कृष्ण मोहन सिंह।

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हलन्त।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

♦ हलन्त। ♦

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मुझसे भाग के कहाँ जाओगे, आसमां का कोई अंत नहीं है।
खुशबू कभी कैद नहीं होती, हकीकत ये मनगढ़ंत नहीं है।
आज के आशिकों का दिल और शीशा टूटता रहता है।
मामला गंभीर तो है पर मुद्दा उतना भी ज्वलंत नहीं है॥

आपकी खुशफहमी दरअसल गलतफहमी धोखा है।
आईना आधा ही दिखाता, यहाँ कोई भी संत नहीं है।
प्रेम, प्यार, इश्क, मुहब्बत, देखो सभी आधे अधूरे हैं।
“शैल” शब्द छोटा जरूर है, पर मुझमें कोई हलन्त नहीं है॥

मत ठुकराओ अपने झुर्रियों तक का सहारा हमनफ़स।
जमीं तो क्या, जन्नत का भी हर मौसम बसंत नहीं है।
वो दिन गए जब तारामती को भी कर देना होता था।
कलियुग है ये कैसी शकुन्तला अब कोई दुष्यंत नहीं है॥

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से कई सारे उदाहरण देकर समझाने की कोशिश की है – रियलिटी से मुँह न फेरे जो सत्य है उसे स्वीकार करे।

—•—•—•—

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यह कविता “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपने सच्चे मन से देश की सेवा के साथ-साथ एक कवि हृदय को भी बनाये रखा। आपने अपने कवि हृदय को दबाया नहीं। यही तो खासियत है हमारे देश के वीर जवानों की। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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श्रृंगारदान।

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♦ श्रृंगारदान। ♦

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जरूरत का सारा सामान लाया हूँ।
मीना बाजार, घर, दुकान लाया हूँ।
कुछ ज़ाम भी है कुछ जख्म भी है।
कुछ तले भुने हुए अरमान लाया हूँ॥

अपनी अना को सस्ते में बेचकर।
तुम्हारा खोया स्वाभिमान लाया हूँ।
तू मेरी खिसकती जमीन मत देख।
तेरे हिस्से का धुला आसमान लाया हूँ॥

कस्ती से उसका पतवार छीनकर।
समंदर से साहिल, गुमान लाया हूँ।
और क्या क्या चाहिए बतला मुझे।
श्रृंगारदान में भरकर ईमान लाया हूँ॥

तुम कहते थे कायर हूँ, कंजूस हूँ मैं।
देख खिदमत में दिलो-जान लाया हूँ।
मत कहना अब मुझे बेवफा कभी तुम।
अपनी ग्रीवा तेरे लिए कृपाण लाया हूँ॥

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” ने, कविता के माध्यम से कई सारे उदाहरण देकर बहुत ही सुंदर वर्णन किया है कि जीवन में कितना भी उतार – चढ़ाव आये कभी भी इंसानी गुणों को ना भूलो।

—•—•—•—

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