Kmsraj51 की कलम से…..
♦ हर बार अंदाजा सही नहीं होता। ♦
ट्रेन अपनी स्पीड से चली जा रही थी। परन्तु रमा की टिकट कन्फर्म नहीं हुई थी, परन्तु उनका जाना बहुत जरूरी था इसलिए रमा अपने तीन बच्चों के साथ बिना टिकट कन्फर्म ही ट्रेन में चढ़ गए थे। सोचे हो ही जाएगी, पर बैठने के बाद पता चला टिकट कन्फर्म नहीं हुई। टीटी ने उन्हें सीट पर बैठने को कहा, जैसे ही बैठे एक महिला ने कहा ये हमारी सीट है बड़े ही रोब से। बेचारी को कुछ राहत मिली ही थी। उसे क्या पता था कि उसकी खुशी बस कुछ ही पल की थी। एक आस लगाए टकटकी लगाए उसी महिला को बार-बार इस उम्मीद में निहार रही थी कि शायद वह अपनी एक सीट हमें दे-दें क्योंकि उसके दो बच्चे थे और एक बच्चा लगभग 4 साल का था। उसकी मां ने उसे पास ही अपनी सीट पर सुला रखा था। पर उन्होंने चार सीट बुक करवा रखी थी।
3 सीटों पर ही बैठे थे चौथी सीट खाली थी। रमा ने जैसा सोचा था ऐसा कुछ नहीं हुआ उस महिला ने उसकी तरफ मुड़ के देखा भी नहीं, उसी की बगल वाली सीट पर एक आदमी काफी देर से रमा को घूरे जा रहा था। रमा बार-बार उसे देखकर अपनी नजरें झुका मन ही मन बुदबुदा रही थी। कैसा आदमी है कब से घूरे जा रहा है शर्म नहीं आती है ऐसे लोग बुरे ही होते हैं। क्योंकि वह आदमी देखने में ऐसा लग रहा था शायद कई दिन से नहाया नहीं था। उसके कपड़े भी बहुत मैले- कुचैले थे। ऐसा करते-करते ट्रेन ने कब गति पकड़ ली और रात्रि का समय कब हो गया रमा को आभास ही नहीं हुआ।
वह आदमी अपनी सीट से उठकर आया और बोला बहन जी आप मेरी सीट पर आकर बैठ जाए। आप ऐसे कब तक बच्चों का हाथ पकड़े खड़ी रहेंगी। रमा का तो जैसे खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा था और वह धन्यवाद करते हुए शर्म के मारे गर्दन नीचे किए हुए और अपने तीनों बच्चों को सीट पर बैठा दिया और खुद भी बैठ गई।
आदमी ट्रेन के दरवाजे पर जाकर खड़ा हो गया। रमा लगातार उसे ही देखे जा रही थी। जैसे-जैसे ट्रेन अपनी रफ्तार पकड़ती जा रही थी रमा के अंदर भी प्रश्नों का भूचाल आ रहा था। मन ही मन सोच रही थी कि मैंने इनके कपड़ों को देखकर और इनके हाल को देखकर अंदाजा लगा लिया था कि यह कोई अपराधी प्रवृत्ति का आदमी है, परंतु मेरा अंदाजा बिल्कुल गलत निकला और मुझे अब अपनी सोच पर बहुत शर्म आ रही है। आज जब भी रमा को ट्रेन यात्रा की याद आती है तो हर बार रमा यही सोचती है कि हर बार हमारा अंदाजा सही नहीं होता।
♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦
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- “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — जरुरी नही की हर बार आपका अंदाज़ा सही ही हो, कभी भी किसी के चेहरे और हावभाव को देखकर तुरंत उसके प्रति अपना नकारात्मक विचार नहीं बना लेना चाहिए। पहले सच्चाई के तह तक जाए और दिलसे सोचकर अपना विचार बनाएं। जैसे-जैसे ट्रेन अपनी रफ्तार पकड़ती जा रही थी रमा के अंदर भी प्रश्नों का भूचाल आ रहा था। मन ही मन सोच रही थी कि मैंने इनके कपड़ों को देखकर और इनके हाल को देखकर अंदाजा लगा लिया था कि यह कोई अपराधी प्रवृत्ति का आदमी है, परंतु मेरा अंदाजा बिल्कुल गलत निकला और मुझे अब अपनी सोच पर बहुत शर्म आ रही है। आज जब भी रमा को ट्रेन यात्रा की याद आती है तो हर बार रमा यही सोचती है कि हर बार हमारा अंदाजा सही नहीं होता।
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यह लेख (हर बार अंदाजा सही नहीं होता।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख, कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम सीमा रंगा इंद्रा है। मेरी शिक्षा बी एड, एम. ए. हिंदी। व्यवसाय – लेखिका, प्रेरक वक्ता व कवयित्री। प्रकाशन – सतरंगी कविताएं, देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं व लेख, दैनिक भास्कर, दैनिक भास्कर बाल पत्रिका, अमर उजाला, संडे रिपोर्टर, दिव्य शक्ति टाइम्स ऑफ़ डेजर्ट, कोल्डफीरर, प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, इंदौर समाचार लोकांतर, वूमेन एक्सप्रेस सीमांत रक्षक युगपक्ष, रेड हैंडेड, मालवा हेराल्ड, टीम मंथन, उत्कर्ष मेल काव्य संगम पत्रिका, मातृत्व पत्रिका, कोलकाता से प्रकाशित दैनिक पत्रिका, सुभाषित पत्रिका शब्दों की आत्मा पत्रिका, अकोदिया सम्राट दिव्या पंचायत, खबर वाहिनी, समतावादी मासिक पत्रिका, सर्वण दर्पण पत्रिका, मेरी कलम पूजा पत्रिका, सुवासित पत्रिका, 249 कविता के लेखक कहानियां प्रकाशित देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में समय-समय पर।
सम्मान पत्र -180 ऑनलाइन सम्मान पत्र, चार बार BSF से सम्मानित, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर सोसायटी से सम्मानित, नेहरू युवा केंद्र बाड़मेर से सम्मानित, शुभम संस्थान और विश्वास सेवा संस्थान द्वारा सम्मानित, प्रज्ञा क्लासेस बाड़मेर द्वारा, आकाशवाणी से लगातार काव्य पाठ, सम्मानित, बीएसएफ में वेलफेयर के कार्यों को सुचारु रुप से चलाने हेतु सम्मानित। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, प्रेसिडेंट ग्लोबल चेकर अवार्ड।
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