Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ हमेशा सीखते रहना। ϒ
अगर है लक्ष्य काे पाना ⇒ हमेशा सीखते रहना – “किसी व्यक्ति की शिक्षा तब तक ख़त्म नहीं होती – जब तक की वो खुद ही सीखना छोड़ दे।”
_ अगर आप वाकई अपने लक्ष्य काे पाना चाहते हैं ताे _ “अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकले।” कम्फर्ट जोन से बाहर निकले बिना आपको कुछ भी नहीं मिलेगा।
♥ – “जिस व्यक्ति का निश्चित प्रमुख लक्ष्य(The major goal) बहुत बड़ा है, उसे हमेशा सीखते रहना चाहिए। उसे हर संभव स्रोत से सीखना चाहिए, ख़ासकर उन स्रोताें से जिनसे उसे अपने प्रमुख लक्ष्य से संबंधित ज्ञान और अनुभव हासिल हो सकता हो।”
♥ – “सार्वजनिक पुस्तकालय ज्ञान का भंडार है। वहाँ हर विषय पर बहुत सा ज्ञान मुफ़्त मिलता है, वहाँ हर भाषा में हर विषय पर सम्पूर्ण मानवीय ज्ञान उपलब्ध है। निश्चित प्रमुख लक्ष्य वाला सफल व्यक्ति दृढ़ निश्चय करके अपने लक्ष्य से संबंधित पुस्तकें पढ़ता है। इस प्रकार उसे अपने से पहले सफल हुए लोगों के अनुभव से महत्वपूर्ण ज्ञान मिलता है।”
♥ – “पढ़ने की योजना भी उतनी ही सावधानी से बनाना चाहिए, जितनी सावधानी से दैनिक आहार की योजना बनाई जाती है। इसका कारण यह है कि ज्ञान भी मस्तिष्क का भोजन है, जिसके बिना हमारा मानसिक विकास नहीं हो सकता।”
♥ – “यही उन लोगों के बारे में कहा जा सकता है, जो नियमित रूप से ऐसी कोई सामग्री नहीं पढ़ते हैं, जिससे उन्हें अपने प्रमुख लक्ष्य को पाने में मदद मिल सके। बिना योजना के पढ़ना मजेदार तो हो सकता है, लेकिन इससे व्यक्ति को अपने काम के सम्बन्ध में मदद नहीं मिलती है।”
‘बहरहाल, पुस्तक ही सीखने का एकमात्र स्रोत नहीं हैं।’
♥ – “व्यावसायिक क्लबाें द्वारा भी शैंक्षणिक लाभ के गठबंधन बनाए जा सकते हैं, बशर्ते क्लबाें और उनके सदस्यों को निश्चित मानसिक लक्ष्य के साथ चुना जाए। ऐसा करके कई लोगों ने महत्वपूर्ण व्यावसायिक और सामाजिक संपर्क बनाए हैं, जिनके माध्यम से उन्हें उनके प्रमुख लक्ष्य तक पहुँचने में बहुत मदद मिली है।”
♥ – “दोस्त बनाने कि आदत न हो तो कोई जिंदगी में सफल नहीं हो सकता हैं। ‘संपर्क’ एक महत्वपूर्ण शब्द है, जिसका इस्तेमाल व्यक्तिगत संबंध बनाने में किया जाता है। अगर कोई व्यक्ति हर दिन अपनी व्यक्तिगत संपर्क सूची बढ़ाने की आदत डालता है, तो उसे बहुत लाभ होगा। परिचय क्षेत्र बढ़ने के कारण उसे इतने तरीको से लाभ होगा कि उनका उल्लेख (Mention) नहीं किया जा सकता। अगर संपर्क अच्छी तरह से बनाए गए है, तो वक्त जरुरत के समय उसके परिचित और मित्र उसकी मदद करने के लिए तैयार व इच्छुक होंगे।”
“मंदिर, गुरुद्वारा, चर्च और मस्जिद, संपर्क बनाने या परिचय बढ़ाने के सबसे अच्छे स्रोताें में से एक है, क्योकि यहाँ पर लोग साहचर्य की भावना से एकत्रित होते हैं।”
♥ – “हर व्यक्ति को अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे संपर्क बनाने की जरुरत होती है। उनमे आपसी समझ होना चाहिए और विचारों का मित्रतापूर्ण आदान-प्रदान होना चाहिए। यह जरूरी नहीं है कि इसके पीछे आर्थिक लाभ का लक्ष्य हो। जो व्यक्ति अपने ही खोल में सिमटकर रहता है, वह निश्चित रूप से अंतर्मुखी बन जाता है। जल्दी ही वह स्वार्थी हो जाता है और जिंदगी के बारे में उसके विचार संकीर्ण बन जाते है।”
याद रखें – हर एक सफल व्यक्ति पहले एक अच्छा पाठक (Reader) होता है, उसके पास सदैव पुस्तकें जरूर होंगे, वह पुस्तक प्रेमी होता है। उसे जहाँ से भी सीखने को मिलता है वह निरअहंकारी (Egoless person) स्वभाव से सीखता है।
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Krishna Mohan Singh(KMS)
Editor in Chief, Founder & CEO
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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)
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