• Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • HOME
  • ABOUT
    • Authors Intro
  • QUOTES
  • POETRY
    • ग़ज़ल व शायरी
  • STORIES
  • निबंध व जीवनी
  • Health Tips
  • CAREER DEVELOPMENT
  • STUDENT PAGE
  • योग व ध्यान

KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

Check out Namecheap’s best Promotions!

Domain & Hosting bundle deals!
You are here: Home / Archives for sukhmangal singh article

sukhmangal singh article

नायक – नायिका।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ नायक – नायिका। ♦

भारत में युगों से महिलाओं का गौरव गान किया जाता है।

“यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता।”

अर्थात:— जहां नारी का पूजन और सम्मान होता है वहां देवता निवास करते हैं।

महा राष्ट्रीय में कहा गया है कि —

‘नारी जनमांची पुण्याई ‘!

श्री हरि चरित्रामृत सागर, में आधारानंद स्वामी लिखते हैं कि सत्संग में महिलाएं भी बहुत उच्च स्तर की थीं।

स्वामीनारायण संप्रदाय में भक्ति धर्म बैरागी एवं ज्ञान से युक्त बहुत सी ऐसी स्त्री – भक्त थीं, जिनकी तुलना पौराणिक युग की स्त्री भक्तों से किया जा सकता है। अत्यंत ही प्रेम पूर्वक मानसी – पूजा करतीं और मार्ग में चलते समय किसी पुरुष के सामने दृष्टि नहीं करी थीं। (भक्त रत्न महिलाएं पृ १३ भाग ४)!

महिला शब्द का प्रयोग वयस्क स्त्रियों के लिए किया जाता है।

वेदों – पुराणों में कहा गया है कि —

“यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्रफला क्रिया।।”

जिस कुल में स्त्री की पूजा होती है उस कुल पर देवता प्रसन्न रहते हैं और जहां स्त्रियों की पूजा, वस्त्र भूषण, तथा मधुर वचन आदि से सत्कार नहीं किया जाता उस कुल का सभी कर्म विफल हो जाता है।

पुरुषों में आठ गुण ख्याति बढ़ाते हैं —

बुद्धि, कुशलता, इंद्रिय निग्रह, शास्त्र ज्ञान, पराक्रम, आधिक नहीं बोलना, शक्ति के अनुसार दान और कृतज्ञता।

‘अष्टौ गुणा: पुरुषं दीपयन्ति,
प्रज्ञा च कौल्यं च दम: श्रुतं च।
पराक्रम श्चाबहुभाषिता च,
दानं यथाशक्ति कृतज्ञता च।।(विदुर नीति पृ २८)

वेद काल में नारी — वेद काल में नारियों की सभी कार्यों में भूमिका, पत्नी को सम्मान मिलता था। समान अधिकार प्राप्त था नारियों को।

ऋग्वेद काल में नारियों की दशा — ऋग्वेद काल में स्त्रियों को सर्वोच्च शिक्षा दी जाती थी। नारियां शास्त्र और कला के क्षेत्र में निपुणता की परिचायक होती थी।

प्रकांड विद्वान स्त्रियां — वैदिक काल में भारतीय नारियों में विदुषी लोप मुद्रा – जो अगस्त की पत्नी थीं।

विदुषी प्रीति येयी — जो महर्षि दाधीच की धर्मपत्नी थीं।

विदुषी सुलभा — यह जनक राज की विदुषी थीं। जिसने जनक को ही शास्त्रार्थ में हरा दिया था।

ब्रह्मवाहिनी रोमशा — बृहस्पति की पुत्री और भाव भव्य की धर्मपत्नी थीं। इन्होंने ज्ञान का व्यापक प्रचार किया।

ब्रह्म वादिनीं गार्गी — इन्होंने महान विद्वान ज्ञागबल्क को शास्त्रार्थ में हरा दिया।

ब्रह्म वादिनी वाक् — अमृण ऋषि कन्या थी जिन्होंने अंत में अनुसंधान किया और समाज को खेती करने के लिए अन्न दिया।

विदुषी तपती — आदित्य की पुत्री और सावित्री की छोटी बहन थीं। यह अति सुंदरी और प्रकांड विद्वान थी। इनका अयोध्या में संवरण जी से विवाह हुआ था।

शत रुपा, सांगली, मैं ना, स्वाहा, संज्ञा, अपाला आज महिलाओं के साथ-साथ अनुसुइया, सावित्री, तारामती, द्रोपदी जैसी सती जी के गुणों से आज भी विश्व जगत में प्रेरणा प्रदान कर रहे हैं।

तुलसीदास जी ने लिखा है कि —

‘मूढ तो हिं अतिशय अभिमाना,
नारि सिखावन करसि काना।

तुलसीदास जी का इस दोहे में कहने का तात्पर्य है कि यदि कोई आपके फायदे की बात करें तो उसे स्वीकार कर लेना चाहिए।

कबीर दास की दृष्टि में नारी — इन्होंने नारियों को दो प्रकार का बताया है।

  1. एक प्रकार की नारी साधना में बाधा नहीं पहुंचाती हैं और पतिव्रता होती हैं।
  2. दूसरी तरह की नारी साधना में अवरोध पैदा करती हैं ऐसी नारियों का कबीर ने विरोध नहीं किया है परंतु उनका तिरस्कार कर दिया है।

सूरदास की दृष्टि में नारी — यमन ऋषि की कथा राम बिलावल में, नवम स्कन्द में…

‘सुखदेव कह्यो, सुनौ हो राव!
नारी नागिन एक स्वभाव।
नागिन के कांटै विष होई,
नारी चितवन नर रहै भोई।
नारी सो नर प्रीति लगावै,
पै नारी तिहिं मन नहिं ल्यावै।
नारी संग प्रीति जो करै,
नारी ताहि तुरंत पंरिहरै॥

चाणक्य ने नारी के लिए कहा —

नारी में दया और विनम्रता होती है।
नारी धैर्य का पालन करती है।
समाज के निर्माण में नारी की विशेष भूमिका है।
नारी समाज की निर्माणकर्ता होती हैं।
नारी शरीर से दुर्बल होते हुए भी,
प्राण से वह पुरुष से भी अधिक शक्तिशाली होती है।

‘ जिनी सुंतत्र भए बिगरहिं ‘

जिस समय विरहणी स्वतंत्र हो जाती है। फिर उसके अलग-अलग रूप और कर्म देखे जाते हैं।

नायक कहता है कि —

गोरो गाल तिल तापे काला,
मोहन ‘मंगल’ कैसो जादू डाला।
वदन चंद्र सम मृगनयनी गोरी।
नैना चंचल दिखे चकोरी॥

अपने पति से प्रेमातुर स्त्री दुखी होकर कहती है —

मोसों ना बात बना चातुरी,
गोर सांवरिया माटी जब खोटो!
नायिका प्रीतम से रूठ कर लंदन चली जाती है।

नायक कहता है कि —

मेरी मालन खेलन जात बलैया,
मुंह मोड़ चली लंदन मा गोरी।
कैसो बनि गयो देखो कठोरी,
मान तज्यो अरमान लियो गोरी,
राधा रिसानी मनाय लायो कोई!
रितु की मार सहन नहीं होई॥

प्रेमातुर नायिका का भाव —

प्रिय प्रेम से बावरी,
सांवरो नाच नचायो।
उठि उठि जात पहर में,
भोरहरी ना उसे दिखाय।
सांवतिया काहें को जरि जाय,
सजनवा आपनो देख मुस्कात।
हमारी ओर देखा करो सांवरो,
नाहीं तो हम पीहर जाब॥

चंद्रमा को नहीं पता होता है कि उसकी चाहत में चकोरी अपना प्राण त्याग देगी। नायिका प्रेम में इतना विहवल हो, गयो है जानने और पहचानने की आवश्यकता नायक को करना चाहिए।

नई नवेली नायिका ससुराल में कहती है कि —

कुआं पानी भरन ना जैहों,
काला जादू नजर लगी तैहों।
रंगरेजवा रची रची रच्यो,
गरबीली बनो मोरिया अंगिया?
मोती मढायो पीहर चुनरिया,
बार-बार निखत दर्पण गोरिया।

गुण गर्विता होकर गुजरिया कहती है कि —

पिया तोरा पानी हम से भरा न जाए,
वह काया यह इसलिए नहीं बनायो!

पति पर भरोसा कर नायिका कहती है कि —

अपने राजा में हमरो भरोसो,
बसे पिया आंख में आंजन भयो!
मोरा बिनु सांवरो जिया न जाय,
पास पड़ोस घूमि घरवा आवै।
प्रेम से मिल कर गले लगा ले,
निक निक बतिया से दुलरावै॥

‘जेष्ठा और स्त्री कनिष्ठा ‘—

जिसे पिया चाहे वही सुहागिन,
जाहि स्त्री अधिक चाहे सो जेष्ठा।
कम चाहे जेहि नारी वही कनिष्ठा॥
दोउ लड़ी लड़ी बात बनायो,
पिए को रहि रहि दोऊ समझावैं।
मोहिं काहे को ब्याहे है लायो,
हमरौ आंचल में आगि लगायों॥

मुग्धा भाव —

भौंरा लुभाय रह्रियों कलियन संग,
गगरी ना छलके गोरिया धीरे चलो।
सारी बहोर लहरियों तारों डगरिया,
मारो मन मारि रह्यो संग संवरिया॥

यौवन से अनजान नायिका —

सरकत जाती कहां हे मोर घाघरो,
हुलसित तन मन ओर सांवरो॥

यौवना नायिका —

सतायो जनि सैया,
भरी लेहु मोंहिं बहियां!
सवतन संग जाई रह्यो,
बोलहु नहीं मोसो सैयां।
जाए मनायो सौतन को,
बात बनायो ना हमसो॥

मध्य धीरा नायिका —

मोरा सैयां बेदर्दी,
दर्द ना ही जानै!
तीज त्योहार मा भी,
परदेसवा मां बितावै।
कहा जाता है कि मछली की तड़प का पता समुद्र को नहीं होता है।

मुग्धा नायिका —

भय और लाज से रति न चाहने वाली नायिका मुग्धा नायिका कहलाती है।

कहती –
मोरी बहिया ना पकड़ो,
श्याम गिरधारी!
गल बहिंया ने डारो रे,
ओ बेदर्दी बालमा।

मध्या नायिका —

जिस नारी के तन में मर्यादा और लाज दोनों समान होते हैं वह मध्या नारी कहीं जाती है!

नैना लजाय दिल नहीं मानै,
मोहिं त धीरे जगाए लेना।
हाउ तोहरा ओसारी रे,
जरा अखियां पानी लगा लेना।

विश्रब्धनवोड़ा मुग्धा नायिका —

वह नायिका, जो किंचित भय और लज्जा से रति नहीं चाहने वाली होती है।

मोरा छोड़ दो अचरवा,
मैं प्यार मां झूलूंगी!
आसपास में मेरे लोगवा,
हरि संग प्रीति में खेलूंगी॥

मध्या धीरा नायिका —

अपने पति से आदर युक्त व्यंग कोप जताने वाली।

आयो हमरी अंखियां,
बोलो ना हमसे पिया!
उनको
हमसे ना बोलो पिया?
रात रात निंदिया न आवै!
हरि आज ऊं घी में आवै,
निंदिया गवांय डाली,
भोर भयो आयो अंगना॥

मध्या अधीरा नायिका —

वह नायिका जो पति से अनादर युक्त क्रोध जाने वाली हो, मध्या अधीरता होती हैं।

का हौ करते, कैसो करवावत।
पानी यों कर्यो छिप ना पावर॥

प्रौढ़ धीरा —

अपने पति को डर दिखाकर रति से उदास रहा मानवती स्त्री।

ज्यों पति कुछ बोल्यो,
ललाई बाबा नैना।
मुंह फेरि चल्यो मचल,
36 अंक सो आगे बढ़॥

परकीया नायिका —

वह नायिका जो पराई (पराय) पुरुष से प्रेम करती है।

घर बालम छोड़ी आयो,
बितायिब इहवां रसिया!
मुह हमारा यौहिं ओकरा,
ललचाई नजरों में रतिया॥

प्रौढ़ा नायिका —

वह नायिका दो अत्यंत काम रखती है परंतु कुछ कुछ लज्जा लिए।

प्यारे बलम तोहैं जाने ना दूंगी,
श्याम मोरे नैना का तारा रे !

रतिप्रीका नायिका —

विशेष रति की चाह वाली प्रौढ़ा नायिका।

मोहिं डर लागे अकेला रे,
रात पिया जागत रहियो!
प्रीतम नूपुर मोर ना उतारो,
सांग में अखिल विचार्यौ॥

प्रौढ़ा अधीरता नायिका —

पति त्याग – ताड़ना, कोप जनाने वाली नारी प्रौढ़ा अधीरा कही जाती है।

मैं नहीं जाती पास सैंया के पैंया,
मछरियां बिंदिया लै गई मोर!
मुझ पर डार गयो सारे रंग गागर।

नोट: यहां नायक और नायिका के रूप में वर्णन किया गया। इससे किसी को भी, किसी भी प्रकार का आघात पहुंचाने का कोई मकसद नहीं है। यह एक शोधकर्ता की भाति शोध है। जिसका सूत्र पुस्तकों में अलग-अलग तरह से मिल सकता है।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख में समझाने की कोशिश की है — स्त्रियां कई रूप में होती है ज्ञान व गुणों, लोक-लज्जा तथा व्यवहार के आधार पर। इस लेख में नायक व नायिका के माध्यम से लेखक ने विस्तार से बताया है की कैसे व किस-किस प्रकार की स्त्रियां इस संसार में होती है। जैसे – मुग्धा भाव वाली नायिका, यौवन से अनजान नायिका, यौवना नायिका, मध्य धीरा नायिका, मुग्धा नायिका, मध्या नायिका, विश्रब्धनवोड़ा मुग्धा नायिका, मध्या धीरा नायिका, मध्या अधीरा नायिका, प्रौढ़ धीरा, परकीया नायिका, प्रौढ़ा नायिका, रतिप्रीका नायिका, प्रौढ़ा अधीरता नायिका, इत्यादि प्रकार के नायिका के माध्यम से समझाया हैं। यह एक शोधकर्ता की भाति शोध है। इस लेख के माध्यम से किसी को भी किसी बी तरह का आघात पहुंचाने का कोई इरादा नही हैं।

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह लेख (नायक – नायिका।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

ज़रूर पढ़ें — प्रातः उठ हरि हर को भज।

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari Etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं! ____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिन्दी साहित्य Tagged With: kavi sukhmangal singh article, sukhmangal singh article, वेद काल में स्त्रियां, वेदों में नारी का महत्व, वेदों में नारी की भूमिका, वैदिक काल में नारी की स्थिति का ऐतिहासिक अध्ययन, वैदिक काल में नारी शिक्षा पर निबंध इन हिंदी, वैदिक काल में महिलाओं का स्थान, वैदिक काल में स्त्री, वैदिक काल में स्त्री - सुखमंगल सिंह, वैदिक काल में स्त्री की दशा अपाला घोषा लोपामुद्रा, वैदिक काल में स्त्री-शिक्षा, सुखमंगल सिंह, सुखमंगल सिंह की रचनाएँ

शास्त्र सम्मत गुरु महिमा।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ शास्त्र सम्मत गुरु महिमा। ♦

श्री सद्गुरु देवं, परमानंद, अमर भक्ति अविनाशी।
निर्गुण निर्मूल, स्थूल जगत, काटत शूल भाव भारी॥

हिंदू धर्म एक जगत रहस्यों से परिपूर्ण धर्म है। इस धर्म नें सभी परंपराएं, रीति- रिवाज, सिद्धांत, दर्शन और ज्ञान-विज्ञान के रहस्य को अपने आप में समाहित है। हजारों हजार बरसो की परंपराओं में वैदिक, वैष्णव, शैव, शक्ति, नाथ, संत, स्मार्त, आदि अनेक संप्रदाय के मठ – मंदिर, सिद्धपीठ, ज्योतिर्लिंग और गुफाएं हैं। यह सभी स्थान पुनीत हैं। इन्ही पुनीत स्थानों में ध्यान, तप, भक्ति और क्रिया योग को मत दिया जाता है।

‘विश्वं तद् भद्रं यदवंति देवा:’ (१८.३.२४ अथर्व वेद)
अर्थात देवता जो करते हैं वह हमारे लिए शुभ है।

‘अजं जीवता ब्रहणे देयमाहु:!’ (९.५.७ वही)
जीवित मनुष्य को अपनी आत्मा विश्वास ईश्वरार्पण करनी चाहिए।

‘यदा मागन‌ प्रथमजा ऋतुष्य।’ (९.१०.१५ अथर्ववेद)
सत्य का प्रथम प्रवर्तक परमात्मा भक्त को प्राप्त होता है।

भारत आध्यात्म की राजधानी प्राचीन काल से जी है।
चमत्कारी स्थानों में कुछ नाम इस प्रकार दिए गए हैं।

चमत्कारी स्थानों में कुछ नाम

अमरनाथ का शिवलिंग, अमरनाथ में बाबा की अमर कथा, बाबा अमरनाथ की कहानी, माता ज्वाला देवी, मध्य प्रदेश का काल भैरव, पुरी का चमत्कार मंदिर, मध्य प्रदेश में मैहर माता का मंदिर, केदारनाथ मंदिर, रामेश्वर का मंदिर, श्री राम सेतु के पत्थर, तटोत माता का मंदिर जहां बम का प्रभाव अक्षम हो गया आदि।

गुरु शब्द का अर्थ – गुरु शब्द का अर्थ प्रथम अक्षर गु का अर्थ है अंधकार। और दूसरे अक्षर रु का अर्थ है उसे हटाने वाला अर्थात प्रकाश। इस प्रकार जो अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर प्रेरित करें वह गुरु कहा जाता है। गुरु सच्चा मार्ग दिखाता है। यथार्थ गीता में श्री सद्गुरु देव भगवान की वंदना करते हुए कहा गया है कि —

भवसागर तारण कारण हे, रविनंदन बंधन खंडन से।
शरणागत किंकर मित मने, गुरुदेव दया कर दीन जने॥

—•—

जय सद्गुरु ईश्वर पापक से, भव रोग विकार विनाशक हे।
मन लीन रहे तव श्रीचरणे, गुरुदेव दया कर दीन जने॥

ईश्वर सभी भूत प्राणियों के हृदय में रहता है। वह अनन्य भक्ति के द्वारा प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से सुलभ है। जो महापुरुष परम तत्व को प्राप्त कर लेता है वह स्वयं में ही धर्म ग्रंथ है। भारत में जितने शास्त्र पुराण हैं उनके कुछ नियम बताएं गए हैं। हम सभी का धर्म है कि उन नियमों को पालन करें। गुरु का कार्य है आध्यात्मिक सामाजिक राजनीतिक समस्याओं का निराकरण करना और कराना।

विदुर कहता है कि —

राजन! ये दो प्रकार के पुरुष स्वर्ग से ऊपर स्थान पाते हैं। शक्तिशाली होने पर भी क्षमा करने वाला और निर्धन होने पर भी दान देने वाला। आगे कहता है कि जो बहुत धन विद्या तथा ऐश्वर्य को पाकर इठलाता नहीं, वह पंडित कहलाता है। (पृष्ठ ६,२० विदुर नीति)

गुरु ब्रहमा गुरु विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:।
गुरु साक्षात परम‌् ब्रह्म तस्मै गुरवे नमः॥

ऐसी श्लोक में गुरु को ईश्वर से भी ऊंचा पदवी दी गई। जबकि गुरु ईश्वर के विभिन्न रुपों जैसे – ब्रह्मा, विष्णु, एवं महेश्वर के रूप में स्वीकार्य है।

यही बनाने वाले हैं, यही पालन करता है, और यही संहार भी करते हैं।

जबकि लोक प्रचलन में है कि —

राम कृष्ण सबसे बड़ा
उनहूं तो गुरु कींन्ह।
तीन लोक के वे धनीं
गुरु आज्ञा अधीन॥

गुरु गुढ तत्व जानता है। सभी शास्त्र गुरु तत्व की प्रशंसा करते हैं। संपूर्ण जगत में गुरु के गुणों की व्याख्या विद्यमान है।

संत कबीर लिखते हैं कि —

हरि रुठे गुरु ठौर है,
गुरु रुठे नहीं ठौर।

कहने का तात्पर्य है कि एक बार गुरु रुठ जाए तो कहीं जगह नहीं मिल सकती है। परंतु ईश्वर के रुठ जाने पर सद्गुरु रास्ता बना देता है और धर्म मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

‘सज्जन अंगीकृत कियो,
ताकों जेहिं निबाहि।
राखि कलंकी कुटिल ससि,
त उ सिव तजत न ताहि॥
(पृष्ठ १७, सुबोध दोहे 47कवि वृंद)

सज्जन पुरुष जिसे अपना लेता है, उसे वह सदा निभाता है।
चंद्रमा को शिव जी कभी त्यागते नहीं, यद्यपि वह कलंकित हैं।

गुरु का कर्तव्य है कि वह अपने भक्तों को सभी शिक्षा में पारंगत करें। यद्यपि गुरु ज्ञान को विकसित करता है। वह धर्म शास्त्रों के अनुसार अस्त्र शास्त्र विद्या में पारंगत करता है। योग साधना और यज्ञ से वातावरण को शुद्ध करने का उपाय करता है।

‘अयं यज्ञो गातुविद् नाथविद् प्रजावित‌्’
(अथर्व वेद ११.१.१५ )
यह यज्ञ मार्गदर्शक, शरणदाता और सुसन्तति दाता है।
यह यज्ञ सारे संसार का केंद्र है तथा –
‘अयं यज्ञो विश्वस्य भुवनस्य नाभि:’!
और आचार्य स्वयं संगम से रहकर शिष्यों को चाहता है।
यथा – आचार्यों ब्रम्हचर्येण ब्रह्मचारिण मिच्छते। (वेदा अमत पृष्ठ 324)
संगृह‌्याभि भूत आ भर। (वही 325)
तेजस्वी शिक्षक ज्ञान संग्रह करके शिशु में भर देता है।

प्राचीन काल में शिक्षक को ही आचार्य अथवा गुरु कहा जाता रहा है। उस काल के लोग 8 वर्ष से 25 वर्ष तक गुरुकुल में रहकर शिक्षा ग्रहण करते थे। शिक्षा प्राप्ति के समय ब्रह्मचर्य का पालन करते थे। सभी वर्गों को शिक्षा का अधिकार होता था।

एक रचना प्रस्तुत है —

ध्वज आरोहण कर रहा,
वाणी में अमृत भर रहा।
ढाढस देता शिशिर सिंधु,
कण कण सिंचित ईश इंदु।
देवर्षि आकर स्वर दिया,
वेदोक्त में ऐसा लिखा।
क्षण विलंब अनर्थ न हो,
पूर्णिमा यह व्यर्थ ना हो।

जिस प्रकार विश्व विष्णु से व्याप्त है। वैसे ही सर्व शास्त्र पुराण आदि 10 अक्षरों से व्याप्त है। यथा —

मन भय जर संत गल,
सहित दश अक्षर इन्हीं सोहिं।
सर्व शास्त्र व्यापित लखौं,
देश्व विष्णु से ज्योंहि॥
(काव्य प्रभाकर, जगन्नाथ प्रसाद जगन्नाथ प्रसाद भानु कवि पृष्ठ 14)

शास्त्रों में माता-पिता गुरु आचार्य और अतिथि, इसको देव तुल्य माना गया है। उपनिषदों में कहा गया है कि—

मातृ देवोभाव:
पितृ देवो भव:
आचार्य देवो भव:
अतिथि देवो भव:

यानी माता पिता तथा गुरु और आचार्य इस संसार में प्रत्यक्ष चार देव रूप हैं। इनका स्थान क्रमानुसार बताया गया है।

कथन में कदाचित आता है कि शास्त्र अध्ययन में नारी को वंचित किया गया है तो यहां वाल्मीकि आश्रम में लव कुश के साथ आत्रेयी नामक स्त्री ने भी शिक्षा ग्रहण की तो कैसे कहा जा सकता है कि स्त्रियों को शास्त्र पढ़ने से वंचित किया गया था।

पुराणों में स्त्रियों के बारे में कहा गया — पुराणों में सुजाता, प्रमद्वरा, रहु, कद्योत, आदि की कथाएं भी वर्णित हैं।

कहा गया है कि आश्रमों में बालक और बालिका एक साथ पढ़ते थे। उनका विवाह उचित समय पर होता था। गुरुकुल में शास्त्र और शस्त्र की शिक्षा भी दी जाती थी, साथ ही साथ वेदों का भी अध्ययन कराया जाता था।

सद्गुरु की खोज में कवि अखा — अहमदाबाद के जेतलपुर गांव का विक्रम संवत 1604 या 1653 में पैदा हुए इनके बारे में लिखा गया है। ‘ज्ञाति से सुनार, कुल धर्म से वैष्णव, विद्या व्यासंग से वेदांती, और नयसर्गिक रसिका के कवि था।’ ( पृ० ४, अखा की हिंदी कविता)

सद्गुरु की खोज में जमीन जागीर बेचकर एक कमरा सुरक्षित छोड़कर सतगुरु की खोज में निकल पड़ा। (वही पृष्ठ 5)

अखा पर एक रचना प्रस्तुत करता हूं —

पर्याप्त द्रव्य लेकर, आस पास खोजा।
मन नहीं माना, दूर यात्रा धामों में चला।
साधुओं की जमात की, तीर्थों में घूम रहा।
भजन कीर्तन करता, मन भजन में रमाते।

घुमा गोकुल, गोकुलनाथ शरण पहुंचा।
संप्रदाय में करूं साधना, सिद्धि की आस लिए वेदना।
श्री गोकुलनाथजी वैष्णवी दीक्षा, ब्रह्म संबंध की मिली भिक्षा।
भांति – भांति परिचित हुआ, मिली भक्ति में मस्ती।

तत्व ज्ञान की जिज्ञासा, शांति की मन में लिए आशा।
शांति फिर भी नहीं मिली, काशी जाने की उपजी जिज्ञासा।
मणिकर्णिका घाट पर पहुंचा, छोटे आश्रम में क्षमता देखा।
संत देव देख मन में जिज्ञासा, यही ब्रह्म ज्ञानी मीटावेंगे निराशा।

मधुर वाणी का रसपान हुआ, झंकृत वाणी गुण गान किया।
दीवार की ओट में रात्रि बिताया, यही मेरे गुरु हैं कहकर आया।
मानसी दीक्षा लिया और चला, ब्रह्मानंद को जपता रहा।
निज गुरु फिर मान लिया, ब्रह्मानंद सरस्वती से ज्ञान लिया।

स्पष्ट नाम निर्देशित नहीं किया, गुरु के कृपा ने जीवन जिया।
(स्वरचित रचना साभार पृष्ठ 5 से 10 तक अखा की हिंदी कविता)

——♦——

गुरु रूप गोस्वामी तुलसीदास ग्रंथावली में वर्णित कुछ पंक्तियां —

भवानी शंकरौ वंदे श्रद्धा विश्वास रूपिणौ।

—♥—

वंदे बोधगम्यं नित्यं गुरुं शंकर रुपिणं।

—♥—

वंदे विशुद्ध विज्ञानौ कवीश्वर कपीश्वरौ।

—♥—

वंदेहं तमशेषकारण, परं रामाख्यमीशं हरि।

——♦——

भक्तवर सूरदास के सुबोध पद से वंदना प्रस्तुत है —

चरण कमल बंदौं हरि राई।
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै,
आंध र कों सब कुछ दरसाई।
बहिरो सुनै मूक पुनि बोलैं,
रंक चले सिर छत्र धराई।

सूरदास स्वामी करुणामय, बार बार बंदौं तेहि पाई।।

गुरु ज्ञान को देने वाला है गुरु सम्मान को दिलाने वाला है गुरु महान है। गुरु ज्ञाता होता है। गुरु सर्वदाता होता है। गुरु देवताओं से साक्षात्कार कराता है। गुरु समाज में उन्नति दिलाता है। गुरु उन्नति के मार्ग पर ले जाता है। इसलिए मनुष्य जाति को सद्गुरु की शरण में रहना चाहिए। सद्गुरु सर्व ज्ञाता होता है।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख में समझाने की कोशिश की है — प्राचीन काल में शिक्षक को ही आचार्य अथवा गुरु कहा जाता रहा है। उस काल के लोग 8 वर्ष से 25 वर्ष तक गुरुकुल में रहकर शिक्षा ग्रहण करते थे। शिक्षा प्राप्ति के समय ब्रह्मचर्य का पालन करते थे। सभी वर्गों को शिक्षा का अधिकार होता था। इस संसार में प्रथम गुरु तो माँ ही हैं। गुरु हमें जिंदगी में एक जिम्मेदार और अच्छा इंसान बनाने में हमारी सहायता करते हैं। वही हमें जीवन जीने का असली तरीका सिखाते हैं; और वही हमें जीवन के राह पर ता-उम्र सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। गुरु हमें अंधकार भरे जीवन से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाते हैं। गुरु एक दीपक की भांति होता है जो अपने शिष्यों के जीवन को प्रकार से भर देते हैं। विद्यार्थी जीवन में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह लेख (शास्त्र सम्मत गुरु महिमा।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं! ____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिन्दी साहित्य Tagged With: kavi sukhmangal singh, poet sukhmangal singh, sukhmangal singh article, अमृतमयी जीवन देता गुरु, गुरु का वंदन, गुरु पूर्णिमा – इतिहास और महत्व, गुरु पूर्णिमा का क्या अर्थ है?, गुरु पूर्णिमा की शुरुआत किसने की थी?, गुरु पूर्णिमा स्टेटस इन हिंदी, शास्त्र सम्मत गुरु महिमा, सुख मंगल सिंह

प्राचीन हिन्दू सभ्यता का इतिहास।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ प्राचीन हिन्दू सभ्यता का इतिहास। ♦

इतिहास बीती हुई सच्ची घटनाओं का विवरण होता है जो हो चुका है वही इतिहास का विषय है। इतिहास किसी मनुष्य अथवा देश के भूतकाल का वर्णन करता है। इसका संबंध समाज के लिए आदर्श प्रस्तुत करने के साथ ही साहित्य – कला नीतिशास्त्र से भी होता है।

इतिहास लेखन वर्तमान और भविष्य से इतर बीते समय का लेखा – जोखा महत्वपूर्ण संपूर्ण सभ्यताओं के साथ परिपूर्ण रूप से प्रस्तुत करता है परंतु वर्तमान भविष्य में इसके पोषक तत्व से लोग प्रभावित होते हैं। इतिहास में भूतकाल की घटनाओं का उल्लेख किया जाता है।

• वास्तविकता के आधार पर निर्मित इतिहास •

भूतकाल की घटनाएं उनके वृतांत विशमृत होकर समय काल के अनुसार मर जाते हैं। इतिहास निर्माण में वृत्तांतो का लेखा-जोखा होना नितांत आवश्यक होता है। वास्तविकता के आधार पर निर्मित इतिहास पक्षपात रहित सरल और निष्कपट भाव रखकर इतिहासकार सामग्री का उपयोग करता है।

हालांकि राजनीति में संलिप्त रचनाकार इतिहास रचना करते समय शुद्र ,सजग, युक्ति, तिथि, क्रम, क्षेत्रवाद से कुंठित होकर इतिहास की रचना साहित्यकार यदि करता है तो उसके अध्ययन से मिलावट होना उसमें परिलक्षित हो सकता है।

• भारत में लेखन कला —

भारत में 800 ईसवी पूर्व से पहले ही लेखन कला थी। जबकि यह सभी को मान्य नहीं है परंतु भारत में लिपि से बहुत पहले साहित्य बन चुका था। गुरु – शिष्य पीढ़ी दर पीढ़ी श्रुति परंपराओं के द्वारा इसकी रक्षा का क्रम चलता रहा।

गुरुकुल में भारतीय शिक्षा प्रबल थी। भारतीय गुरुकुल में सुर्ख़ियों से आगे शास्त्र को बढ़ाया जाता रहा। इस परंपरा के अनुसार स्मृतियां – कंठ में संचित रहती थी। उस समय के विद्वान चलते फिरते ग्रंथालय थे (हिंदू सभ्यता 22/23 राधा मुकुंद मुखर्जी कृत)।

• धर्म के क्षेत्र में भारत —

भारत में धर्म के क्षेत्र में सबसे अधिक विभिन्नता है। हिंदू धर्म समन्वय आत्मक और सर्वग्राही रूप में व्याप्त है। भारत में यहां सभी विश्व – धर्म पाए जाते हैं। जिनका दर्शनशास्त्र विश्व जनित है इसके गाथा शास्त्र और पुराणों की कथाएं बहु प्रतीक्षित है। अनेक बातों से अवगत और नई स्थिति के अनुरूप प्रकाश डालने की क्षमता हिंदू धर्म में है।

यह देश लोक धर्म, जन विश्वास, रीति-रिवाज, रहन-सहन, मत-मतांतर, भाषा-बोली, जाति-समाज और संस्थाओं की दृष्टि से इसे एक पूरा संग्रहालय कहा जा सकता है (हिंदू सभ्यता 71 राधा मुकुंद मुखर्जी कृत)।

हिंदू कालीन भारत में एक बार ऐसा देखने में आता है कि समस्त देश एक ही शासन तंत्र और एक ही ऐतिहासिक धारा के अंतर्गत आ गया था यह अशोक और मौर्य साम्राज्य था। जिसने अपने शासन प्रशासन संपूर्ण देश पर भारत के अंग भूत अफगानिस्तान और बलूचिस्तान पर भी स्थापित किया और सार्वभौम सम्राट हुआ।

• काशी, कोसल और विदेह —

कोसल, काशी और विदेह के बारे में शतपथ ब्राह्मण के उपाख्यान से ज्ञात होता है कि विदेह के राजा माधव, जो सरस्वती से चलकर यहां वैदिक संस्कृत की मूल भूमि पर सदानीरा नदी पार करते हैं। जहां कौशल की पूर्वी सीमा की आधुनिक गंडक और विदेह भूमि में आर्यों का पूर्व की ओर प्रसार हुआ। ऐसा ज्ञात होता है कि इस समय वैदिक संस्कृत के मुख्य केंद्र में काशी, कोसल और विदेह रहा। जो कभी एक साथ मिल जाते थे। ( शांख्योपन स्तोत्र सूत्र 16/9/11)

इस काल में काशी के राजा अजातशत्रु और विदेह के राजा जनक दार्शनिक सम्राट थे। उनके राज्य में विचार जगत का नेतृत्व श्वेत केतु और याज्ञवल्क्य जी करते थे।

पुराणों की प्राचीनता उपनिषद काल तक जाती है जहां इतिहास पुराण को अध्ययन का मान्य विषय स्वीकृत किया गया है। यहां तक कि इसे पंचवेद में कहा गया है। रामायण और महाभारत के साथ पुराण भी जनता के लिए वेद की भांति होते हैं। प्राचीनतम उल्लेख विद्यमान पुराण ग्रंथ संबंधी ‘आपस्तंब’ धर्मसूत्र में आता है। (महाभारत 2/9/ 24/6)

• राजवंशों का उद्गम —

आदि राज मनु से राजवंशों का उद्गम हुआ। इनकी पुत्री इला थी। उत्तरी इला ने पुरुरवा ऐला को जन्म दिया। वर्तमान प्रयाग के पास झूसी को अपनी राजधानी बना कर राज्य किया।

इक्ष्वाकु के पुत्र निमी ने विदेह में खुद को प्रतिष्ठित किया। इनके पुत्र दंडक ने दक्षिण के वन क्षेत्र में और मनु के अन्य पुत्र सौदुम्न ने गया के साथ-साथ पूर्वी जनपदों में राज्य स्थापना की। इनके पुत्र अमावसु ने कान्यकुब्ज और पौत्रों ने काशी बसाई।

ययाति की अधीनता में जो इक्ष्वाकु के वंशज थे उन्होंने एल सम्राज्य की स्थापना की। ययाति के पांचों पुत्रों का नाम क्रमशः यदु, तुर्वसू, द्रहयू , अनु और पुरु है। जो ऋग्वेद के समय प्रसिद्ध हो चुके थे। इन पांचों पुत्रों ने भारत के उत्तरी मध्य भाग को आपस में बांट लिया जिसमें काशी, कान्यकुब्ज, प्राचीन ऐल राज्य में थे।

‘यदु’ को – दक्षिण-पश्चिम भाग चर्मवती (चंबल) वेत्रवती (बेतवा) और शक्ति मती (केन) नदियों से सिंचित क्षेत्र प्राप्त हुआ।

‘तुर्वसू’ ने – रीवा क्षेत्र के समीप ही दक्षिण – पूर्व में अपने आप को स्थापित किया।

‘द्रहयु’ ने यमुना के पश्चिमी चंबल के उत्तर वाले पश्चिमी भाग में अपना साम्राज्य स्थापित किया।

‘अनु’ अनु ने उत्तर में गंगा जमुना के उत्तरार्ध में अपने साम्राज्य का फैलाव किया।

‘पुरु’ पुरु को पितृ – पितामह का बीच का प्रदेश गंगा – जमुना का दक्षिण क्षेत्र जिसकी राजधानी प्रतिष्ठान थी प्राप्त हुआ।

यदु के वंशजों ने विशेष उन्नति योग वृद्धि को प्राप्त किया। फिर है हव – यादव को दो शाखाओं में बट गए।

यादों में सत बिंदु के नेतृत्व में कदम बढ़ा कर, पौरव और द्रहयु का प्रदेश जीत लिया।

दिग्विजय राजा अयोध्या नरेश मांधाता की प्रतिक्रिया से है हव लोग, आनव, और द्रहयु लोगों में उथल पुथल हुआ। जिससे ‘आनव’ – पंजाब की ओर फैल गए। ‘द्रहयु’ लोग गांधार की ओर चले गए।

कार्तवीर्य अर्जुन कॉल परिस्थित विजई के रूप में उभर कर सामने आया। जिसने नर्मदा तट पर बसे भार्गव ब्राह्मण को मार भगाया। उन्होंने पुरुरवा के पुत्र अमावसु के कान्यकुब्ज और मांधाता के अयोध्या में छत्री के यहां शरण ली।

जमदग्नि के पुत्र परशुराम ने ब्राम्हणों के प्रति शोध में ताल जंघ के अधीन है, हव राज्य को नष्ट कर डाला। जिसे स्व-काल्पनिक कहा गया।

ताल जांघों की आगे चलकर पांच शाखाएं हो गई। उन्होंने उत्तर भारत में अपने राज्य का विस्तार किया। इसी बीच उतर पश्चिम से आए शक, यवन, कंबोज, पारद और पहलवों की मदद से कान्यकुब्ज और अयोध्या को काफी हानी पहुंचाई।

अयोध्या नगरी सगर के नेतृत्व में फिर से उठकर है हव के प्रभुत्व को मिटाकर उत्तर भारत में अपने राज्य की स्थापना की। सगर की मृत्यु के उपरांत पुराना पौरव राज भी दुष्यंत और उसके पुत्र भरत के नेतृत्व में पुनः उत्थान को प्राप्त हुआ। (हि. स.158)

अयोध्या को भगीरथ, दिलीप, रघु, अज़, और दशरथ आदि अत्यंत योग्य राजाओं के अधीन राज्य उन्नत किया। इन्हीं के समय में अजोध्या का नाम कोसल पड़ गया। उधर ‘मध’ राजा के अधीन माधवों का राज गुजरात से यमुना तक फैल गया।

• हड़प्पा संस्कृति —

हड़प्पा संस्कृति के अवशेषों से साक्ष्य प्राप्त होते हैं की पुरातन काल से शिवलिंग की उपासना होती रही। अथर्ववेद में शिव को भव, शर्व, पशुपति एवं भूपति कहा गया है।

अथर्व वेद की रचना अथवा ऋषि द्वारा किया गया है जिसमें रोग निवारण, तंत्र मंत्र, जादू टोना, शाप, वशीकरण आशीर्वाद स्तुति, प्रायश्चित, औषधि अनुसंधान, विवाह, प्रेम, राज कर्म, मातृभूमि – महात्म आदि विविध विषयों पर मंत्र की रचना की है।

• शैव संप्रदाय —

लिंग पूजन का स्पष्ट विवरण मत्स्य पुराण में लिखा गया है। अगर हम वामन पुराण की बात करते हैं तो उसमें शैव संप्रदाय की संख्या 4 बताई गई है। यथा – पाशुपत, कापालिक, काला मुंख और लिंगायत।

पाशुपत संप्रदाय, ही सर्वाधिक प्राचीन संप्रदाय है। इसके संस्थापक लकु लीश थे। जिनको भगवान शिव के 18 अवतारों में माना जाता है।

कापालिक संप्रदाय, का प्रमुख केंद्र श्रीशैल नामक स्थान था इस संप्रदाय के इष्ट देवता भैरव जी हैं।

काला मुख संप्रदाय, कहा जाता है कि इस संप्रदाय के लोग नर कपाल में ही भोजन करते हैं यह लोग सुरा पान भी करते हैं और शरीर पर चिता भस्म को मलते हैं।

लिंगायत संप्रदाय, इस संप्रदाय के लोग दक्षिण भारत में भी रहते हैं इस संप्रदाय के लोग शिवलिंग की उपासना करते हैं।

अनादिकाल से शैव और वैष्णो धर्म सनातन संस्कृति में रहा है। वैष्णो धर्म की जानकारी उपनिषदों से मिलती है।

• प्रमुख संप्रदाय —

नारायण पूजा वैष्णो धर्म के पूजक कहे जाते हैं। इसका विकास भगवत धर्म से हुआ है। विष्णु के 10 अवतारों का उल्लेख मत्स्य पुराण में मिलता है। ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सर्वाधिक महत्व भक्ति को दिया गया है।

इसके प्रमुख संप्रदायों का अगर जिक्र करें तो वैष्णव संप्रदाय, ब्रह्म संप्रदाय, रुद्र संप्रदाय और सनक संप्रदाय का जिक्र मिलता है। जिनके आचार्य क्रमशह रामानुज, आनंद तीर्थ, वल्लभाचार्य और निंबार्क हैं।

• मगध राज्य —

मगध राज्य – मगध राज्य की प्राचीन वंश के संस्थापक ब्रिहद्रथ मौर्य को माना जाता है। ब्रिहद्रथ मौर्य ने अपनी राजधानी राजगृह अर्थात गिरी ब्रज को बनाया था। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार बिंबिसार मगध की गद्दी पर 544 ईसवी पूर्व आसीन हुआ। कहां जाता है कि वह बौद्ध धर्म का अनुयाई था। बिंबिसार ने लगभग 52 वर्षों तक मगध पर शासन किया। उसने ब्रह्म दत्त को हराकर ‘अंग’ राज्य को अपने में मिला लिया था। बिंबिसार की हत्या अजातशत्रु ने 493 ईसवी पूर्व में करके गद्दी पर बैठा।

अजातशत्रु जिसका उपनाम कुडिक था। उसने भी मगज पर 32 वर्षों तक राज्य किया जबकि वह जैन धर्म का अनुयाई था।

• हर्यक वंश —

हर्यक वंश के अंतिम राजा के रूप में नाग दशक का नाम आता है। नाग दशक को शिशुनाग ने 412 ईसवी पूर्व में सत्ता से अपदस्थ करके मगध पर शिशुनाग वंश की स्थापना कर दिया।

शिशुनाग ने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र से हटाकर वैशाली में स्थापित किया। कालांतर में शिशुनाग का पुत्र उत्तराधिकारी काला शोक पुनः अपनी राजधानी पाटलिपुत्र में ले गया। शिशुनाग वंश का अंतिम राजा नंदी वर्धन को माना जाता है।

• ‘मौर्य वंश’ की स्थापना —

नंद वंश का संस्थापक महापद्मनंद था। नंद वंश का अंतिम शासक धनानंद था। जिसे चंद्रगुप्त मौर्य ने पराजित किया और मगध पर नए सिरे से ‘मौर्य वंश’ की स्थापना की।

चंद्रगुप्त मौर्य जैन धर्म का अनुयाई था। बताया जाता है कि उसने अपना अंतिम समय कर्नाटक के श्रवणबेलगोला नामक स्थान पर बिताया। इसने गुरु भद्रबाहु से जैन धर्म की दीक्षा ली।

उस समय पाटलिपुत्र एक विशाल प्राचीर से घिरा हुआ था जिसमें 570 बुर्ज और 64 द्वार थे। दो तीन मंजिले घर को कच्ची ईंटों और लकड़ी से बनाया गया था राजा का महल भी कार्ड से ही बना था पत्थरों की नक्काशी से अलंकृत किया गया था इसके चारों तरफ बगीचा और चिड़िया को रहने का बसेरा से गिरा हुआ था।

प्लूटार्क/जस्टिन के अनुसार चंद्रगुप्त की सेना में 50,000 आरोही सैनिक, नव हजार हाथी और 8000 रथ था । सैनिक विभाग का सबसे बड़ा अधिकारी सेनापति होता था। अर्थशास्त्र में गुप्तचर को गूढ़ पुरुष कहा जाता था। उस समय सरकारी भूमि को ‘सीता भूमि’ के नाम से जाना जाता था।

राजा ने अनेक समितियां गठित की थी जिसमें जल सेना की व्यवस्था, यातायात और रसद की व्यवस्था, पैदल सैनिकों की देखरख, गज सेना की देखरेख, आशा रोगियों की सेना की देखरेख, औरत सेना की देखरेख की जिम्मेदारी सैन्य समिति को दी गई थी।

• चंद्रगुप्त मौर्य का उत्तराधिकारी बिंदुसार (बिंबिसार) —

चंद्रगुप्त मौर्य ने नंद वंश के विनाश के लिए कश्मीर के राजा पर्वतक से सहायता ली थी। अशोक के राज्य में जनपदीय न्यायालय के न्यायाधीश को राजुक कहा जाता था। मौर्य का उत्तराधिकारी बिंदुसार हुआ। बिंदुसार ने अपने पिता के संप्रदाय को बदलकर आजीवक संप्रदाय का अनुयाई बना। भाई पुराण के अनुसार बिंबिसार को ‘भद्र सार’ कहा जाता है।

बिंदुसार के बारे में बहुत विद्वान तारा नाथ ने लिखा है कि – जैन ग्रंथों के अनुसार बिंबिसार को सिंह सेन कहा गया है। तारा नाथानुसार – यह सोलह राज्यों का विजेता हुआ था।

• बिंबिसार का उत्तराधिकारी अशोक —

बिंबिसार का उत्तराधिकारी अशोक हुआ। जो मगध की राज गद्दी पर 269 ईसवी पूर्व बैठा। पुराणों के अनुसार अशोक को अशोक वर्धन कहा गया है। अशोक को ‘उप गुप्त’ नामक बौद्ध भिक्षु ने बौद्ध धर्म की दीक्षा दी। अशोक ने धर्म प्रचार के लिए अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा था। अशोक की माता का नाम ‘शुभद्रांगी’। अशोक के शासनकाल से ही शिलालेख का प्रचलन सर्वप्रथम भारत में शुरू हुआ।

• गुप्त साम्राज्य —

तीसरी शताब्दी के अंत में गुप्त साम्राज्य का उदय प्रयाग के निकट कौशांबी में हुआ। गुप्त वंश का संस्थापक श्री गुप्त 240 से 280 ईसवी में माना जाता है। श्री गुप्त का उत्तराधिकारी घटोत्कच 280 से 320 ईसवी में माना गया।

गुप्त वंश का प्रथम महान सम्राट चंद्रगुप्त प्रथम था जो 320 ईसवी में गद्दी पर बैठा और उसने व्हिच वी राजकुमारी कुमार देवी से विवाह किया। इसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की। तदुपरांत उसका उत्तराधिकारी समुद्रगुप्त हुआ जो 335 ईसवी में गद्दी पर बैठा।

समुद्रगुप्त विष्णु का उपासक था। इसका दरबारी कवि हरिषेण था जिसने इलाहाबाद प्रशस्ति लेख की रचना की। समुद्रगुप्त का उत्तराधिकारी चंद्रगुप्त द्वितीय हुआ। चंद्रगुप्त द्वितीय का उत्तराधिकारी कुमारगुप्त प्रथम वा गोविंद गुप्ता हुआ।

• नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना —

कहा जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना कुमार गुप्त ने की थी। और कुमारगुप्त प्रथम का उत्तराधिकारी स्कंद गुप्त हुआ। स्कंद गुप्त ने गिरनार पर्वत पर सुदर्शन झील का पुनरुद्धार कराया।

• हूणों का आक्रमण —

स्कंद गुप्त के शासनकाल में ही हूणों का आक्रमण शुरू हो गया अंतिम गुप्त शासक विष्णु गुप्त था। गुप्त काल में प्रसिद्ध मंदिर विष्णु मंदिर जबलपुर मध्य प्रदेश में, शिव मंदिर भूमरा नागदा मध्यप्रदेश में, पार्वती मंदिर नैना कोठार मध्य प्रदेश में, दशावतार मंदिर देवगढ़ ललितपुर उत्तर प्रदेश में, शिव मंदिर खोह नागौद मध्यप्रदेश में, भीतरगांव मंदिर – भीतरगांव, लक्ष्मण मंदिर कानपुर उत्तर प्रदेश में निर्मित कराया था।

• कवि कालिदास व आयुर्वेदाचार्य धनवंतरी —

चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में संस्कृत भाषा का सबसे प्रसिद्ध कवि कालिदास को कहा जाता था। इन के दरबार में आयुर्वेदाचार्य धनवंतरी थे।

• पुष्प भूति वंश —

गुप्त वंश के पतन के बाद राजवंशों का उदय हुआ इन राजवंशों में शासकों ने सबसे विशाल साम्राज्य स्थापित किया। पुष्प भूति वंश के संस्थापक पुष्यभूति ने अपनी राजधानी थानेश्वर हरियाणा प्रांत के कुरुक्षेत्र मैं स्थित थानेसर नामक स्थान पर बनाई। इस वंश के श्री प्रभाकर वर्धन ने महाराजाधिराज जैसी सम्मानजनक उपाधियां धारण की।

प्रभाकर वर्धन की पत्नी यशोमती से 2 पुत्र राजवर्धन और हर्षवर्धन हुए तथा एक कन्या जिसका नाम राजश्री है उत्पन्न हुई। राजश्री का विवाह कन्नौज के मौखरि राजा ग्रह वर्मा के साथ हुआ।

मालवा के राजा देव गुप्ता ने ग्रह वर्मा की हत्या कर दी और राजश्री को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया। राजवर्धन देव गुप्त को मार डाला परंतु देव गुप्त का मित्र शशांक ने धोखा देकर राजवर्धन की हत्या कर दी।

राजवर्धन की मृत्यु के बाद 16 वर्ष की अवस्था में ही हर्ष वर्धन थानेश्वर की गद्दी पर बैठा, हर्षवर्धन को शिलादित्य के नाम से भी जाना जाता है। हर्ष ने शशांक को पराजित करके कन्नौज का अधिकार अपने हाथ में ले लिया और उसे अपनी राजधानी बनाया।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख में समझाने की कोशिश की है — हिन्दू समुदाय का इतिहास सबसे प्राचीन है। इस धर्म को वेदकाल से भी पूर्व का माना जाता है, क्योंकि वैदिक काल और वेदों की रचना का काल अलग-अलग माना जाता है। यहां शताब्दियों से मौखिक (तु वेदस्य मुखं) परंपरा चलती रही, जिसके द्वारा इसका इतिहास व ग्रन्थ आगे बढ़ते रहे। वैदिक काल में भारतीय उपमहाद्वीप के धर्म के लिये ‘सनातन धर्म’ नाम मिलता है। ‘सनातन’ का अर्थ है – शाश्वत या ‘हमेशा बना रहने वाला’, अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त। सनातन धर्म मूलतः भारतीय धर्म है, जो किसी समय पूरे बृहत्तर भारत (भारतीय उपमहाद्वीप) तक व्याप्त रहा है।

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह लेख (प्राचीन हिन्दू सभ्यता का इतिहास।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं! ____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिन्दी साहित्य Tagged With: History of ancient Hindu civilization in hindi, sukhmangal singh article, प्राचीन हिन्दू सभ्यता का इतिहास, सनातन हिन्दू धर्म क्या है, सुख मंगल सिंह, सुख मंगल सिंह अवध निवासी, हिन्दू धर्म कितना पुराना है, हिन्दू धर्म क्या है in Hindi

भक्तिकालीन साहित्य – कवि आंदोलन।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ भक्तिकालीन साहित्य – कवि आंदोलन। ♦

भक्त कवियों ने राम के नाम को आराम से बढ़कर माना है। इस संबंध में गोस्वामी तुलसीदास जी लिखते हैं कि —

राम सो बड़ों है कौन,
मोसों कौन छोटा?
राम सो खरो है कौन,
मोसों कौन खोटो?
तुलसीदास ने मानस में,
गुरु वंदना करते हुए कहा है कि-
‘बंदउ गुरु पद कंज, कृपा सिंधु नर रूप हरि ‘!

तुलसीदास जी को सगुण भक्ति काव्य धारा में इसीलिए शामिल किया गया कि वह सगुण उपासकों में से प्रतिष्ठित कवि हैं। सगुण विचारधारा का कवि ईश्वर को सगुण यानी सभी गुणों से युक्त परम उससे भी परे साकार यानी कि वह ईश्वर जगत में रूप धारण करके अवतरित होता है।

तुलसीदास जी ने ईश्वर के प्रति उत्कृष्ट प्रेम की भावना से ओतप्रोत उनका साहित्य मिलता है। यथा …

एक भरोसो एक बल, एक आस विश्वास।
एक राम घनश्याम हित, चातक तुलसीदास॥

कबीर दास जी ने अपने भक्ति साहित्य में भाव व्यक्त करते हुए कहा है कि —

आंखडिया झांई पड़ी, पंथ निहारि – निहारि।
जीभड़ियां छाला पड़यो, राम पुकारि – पुकारि॥

भक्तों की पहचान ईश्वर के प्रति प्रेम से होता है। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने भक्ति आंदोलन पर विचार करते हुए सामान्य विशेषताओं का उल्लेख किया है…

  • भक्ति के बिना शास्त्र ज्ञान और पांडित्य को व्यर्थ कहा।
  • प्रेम ही परम पुरुषार्थ और मोक्ष है उन्होंने बताया।
  • द्विवेदी जी ने भक्तों को भगवान से बड़ा माना।
  • भगवान के प्रति प्रेम प्रतिज्ञा से बड़ी चीज कहा।
  • ईश्वर का नाम रूप से बढ़कर है।
  • भक्ति का अर्थ होता है सेवा करना।

भक्ति की उत्पत्ति भाग्य धातु से हुई माना जाता है। भक्ति का तात्पर्य ईश्वर के प्रति प्रेम की अभिव्यक्ति से ही है। जिसमें भगवान का भजन, प्रीति, अर्पण – समर्पण उसमें शामिल है।

भक्ति काल पर विचार करने पर ज्ञात होता है कि भक्त कवियों का काव्य भक्ति भावना से पूर्ण रूप से प्रेरित है। भक्ति के स्वरूप का विस्तृत चर्चा पुराण ग्रंथों में भी की गई है। भक्ति के सूत्र और मंत्र वेदों में भी मिलते हैं। विद्वान मानते हैं कि भक्ति का उद्गम वेदों से ही हुआ है। उपनिषदों में भी भक्ति के तत्व को पाया जाता है।

भागवत गीता में इसका विशेष विकास और विस्तार मिलता है। महाकाव्य महाभारत में तो कहा गया है कि —

‘भागवत गीता में ईश्वर के प्रति गहरी निष्ठा को जीवन का लक्ष्य बताया गया है’!
गीता कहती है कि ईश्वर को जिस रूप में भजते हो ईश्वर उसी रूप में प्राप्त होता है।

ईश्वर के प्रति भक्त की गहरी निष्ठा और उसकी भावना का प्रतिफल भक्ति का साहित्य है। भारत में भक्ति वह केंद्रीय तत्व है जो काव्य में अंतः धारा की भांति सर्वत्र प्रभाव प्रवाहित होता रहता है। ईश्वर की प्राप्ति का सबसे सुगम साधन यदि कुछ है तो वह है भक्ति भाव जो उत्तम मार्ग है।

भक्ति के अनेक मार्ग में…

  • स्मरण, ईश्वर के नाम रूप का।
  • कीर्तन, ईश्वर के नाम रूप और गुण का।
  • वंदना, ईश्वर के नाम रूप का।
  • श्रवण, ईश्वर के रूप में और लीला का।
  • पाद सेवन, ईश्वर के चरणों की सेवा का।
  • दास्य, ईश्वर को स्वामी मानकर सेवा अर्चना करना।
  • सख्य, ईश्वर को सखा मित्र और बंधु मानना।
  • आत्म निवेदन, ईश्वर के चरणों में सर्वस्व अर्पित करना।
  • अर्चना, ईश्वर की पूजा करते रहना।

ईश्वर प्राप्ति के अनेकों साधन बताए गए हैं जैसे—

  • कठोर तप और साधना।
  • ईश्वर के प्रति उत्कृष्ट आत्मीय प्रेम।
  • ईश्वर संबंधी तत्व चिंतन।
  • विधिक निषेध का पालन।
  • जीवन में योग, योग में ईश्वर का ध्यान।
  • प्राणायाम में ईश्वर की साधना।

आचार्य शुक्ल ने श्रद्धा और प्रेम के योग का नाम भक्ति कहा है। उन्होंने प्रेम के साथ श्रद्धा का संयोजन किया है। कहा है कि ईश्वर के प्रति की गई श्रद्धा अभिव्यक्ति है। श्रद्धा करने वाला व्यक्ति ईश्वर को पालन कर मार्गदर्शक और उद्धारक समझता है।

मनुष्य के जीवन में दिव्यता प्राप्त करने के लिए ईश्वर भक्ति की आवश्यकता इस संसार सागर में है।

भक्ति आंदोलन के कवि कृष्ण प्रेमी भक्त सूरदास ने अपने भक्ति साहित्य में सगुण भक्ति मार्ग को चुना। उन्होंने अपने काव्य में जीवन जीने की नई चाह पैदा की। लोक – चित्त से निराशा को उखाड़ फेंकने का कार्य अपने भारतीय भक्ति साहित्य से की। उन्होंने भक्ति मार्ग से विशाल सरस और सरल साहित्य प्रस्तुत किया।

सूरदास जी ने भगवान के भाषण के जीवन का वर्णन प्रिय विजन मानकर उत्कृष्ट तरीके से प्रस्तुत किया। उन्होंने निर्गुण को तिनका परंतु सगुण को सुमेरू की प्रधानता दी। यथा —

सुनि है कथा कौन निर्गुण की,
रचि – रचि बात बनावट।
सगुण सुमेरू प्रकट देखियत,
तुम तृण की ओर दुरावत॥

लीला कीर्तन में सूरदास जी ने लिखा —

जो यह लीला सुने सुनावै,
सो हरि भक्ति पाय सुख पावे।

श्रवण, कीर्तन और स्मरण में उनका मत है कि —

को को न तरयो हरिनाम लिये।

वंदन, अर्चन और पाद सेवन में अपना मत व्यक्त किया है —

जो सुख हो तो गोपालहिं गाएं,
वह सुख बैकुंठ में भी नहीं।
यह धरती बैकुंठ से भी श्रेष्ठ है।
यथा –
‘चरण कमल बंदों हरि राइ।’

इसी धरा पर हरिया अवतार धारण करके लीला करते हैं। इसी दृष्टि से यह धरा श्रेष्ठ हैं। भगवान के प्रेम में रूप लीला का वर्णन गीतिकाव्य में सूरदास ने हृदय से गाई है।

सूरदास का मन मुरली की मोहनी ता, जमुना ब्रज- कुंज, आनंद बधाई बाल क्रीड़ा प्रेम के रंग रहस्य और वियोग के भाव दशा में रमता है। वे अपने हृदय तल से संगीत को रचते हैं। भक्ति साहित्य काव्य में विविध रूप ढंग से सूर अपनी बात को कहते हैं। मुक्तक परंपरा का प्रतिपादन कला की कलात्मकता के लिए करते हैं।

तुलसीदास जी राम काव्य परंपरा में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। राम काव्य परंपरा में उन्हें महत्वपूर्ण स्थान पर माना जाता है। भक्ति आंदोलन की क्रांतिकारी भूमिका का निर्वहन गोस्वामी तुलसीदास जी ने किया।

तुलसी ने भक्ति की निर्गुण – सगुण परंपरा को वैचारिक स्तर पर एकता के सूत्र में बांधने का पूरा प्रयास किया। भावनात्मक रूप से जनता को एक करने का प्रयास किया। रामानंद ने लोक भाषाओं में काव्य रचने की प्रेरणा देकर हिंदी भक्ति काल को दिशा – दृष्टि देने का कार्य किया।

वेदों उपनिषदों से भक्ति की धारा जो उमड़ी, वह तीसरी से 9वीं शताब्दी तक भक्ति आंदोलन को तमिल से तीव्रता मिली। भक्ति आंदोलन तमिल ने तीव्र हुआ। संपूर्ण देश की कवियों में कश्मीर में लल देद, तमिल में आंडाल, बंगाल में चंडीदास, चैतन्य, पंजाब में नानक, गुजरात में नरसी मेहता आदि ने भक्त कवियों को पैदा किया। इन कवियों ने सांस्कृतिक – सामाजिक एकता के सूत्र पैदा किए।

निर्गुण भक्ति आंदोलन को उत्तर भारत में शोषित जनता का भरपूर सहयोग मिला। जिसमें कबीर, दादू रज्जब, पीपा, रैदास और सूरदास की कहानियों का संदेश जनता के लिए सुधारवादी और क्रांतिकारी सिद्ध हुआ।

सगुण भक्ति का मत निम्न वर्ग के साथ ही उच्च वर्ग को भी प्रभावित किया। इस विचारधारा का रामानुजाचार्य, रामानंद, वल्लभाचार्य से लेकर मध्या आचार्य तक का चिंतन और समर्थन प्राप्त हुआ।

इसी प्रभाव चिंतन में उत्तरी भारत में कृष्ण भक्ति और राम भक्ति धाराओं के प्रचार-प्रसार विकास में चार चांद लगा दिया। कृष्ण भक्ति की धारा में मीरा ने चैतन्य महाप्रभु के साथ अन्य आचार्यों के विचारों का प्रेम रस भक्ति काव्य के माध्यम से प्रभावित किया।

भारतीय भाषाओं के साहित्य में व्यापक स्तर पर राम काव्य की रचना का मूल आधार बना वाल्मीकि रामायण। हिंदी में 1286 ई. के आसपास कवि भूपति रचित ‘रामचरित रामायण’ का संकेत मिलता है परंतु यह कृति उपलब्ध नहीं है।

अतः तुलसीदास राम काव्य परंपरा में हिंदी के प्रतिनिधि के रूप में माने जाते हैं।

राम काव्य परंपरा का मंथन करने के उपरांत ही जिसे तुलसीदास जी ने पढ़ा होगा उसी से प्रभावित होकर राम चरित्र मानस के प्रारंभ में यह लिखकर अपना मनन चिंतन व्यक्त किया। कि …

‘नाना पुराण निगमा गम रघुनाथ गाथा’!

रामानंद द्वारा सन 1943 ईस्वी के आसपास उनके द्वारा रचित ‘राम रक्षा स्तोत्र’ को तुलसीदास जी ने उनकी परंपरा को आगे बढ़ाया जिसे रामानंद जी ने लोक शक्ति से जुड़ा था।

तुलसीदास जी का बचपन कष्ट में बीता इसके बारे में देखें —

बारे ते लाल बिललात द्वार – द्वार दीन।
जैसे रचना से संकेत मिलता है॥

गोस्वामी तुलसीदास जी पर हनुमान जी का विशेष प्रभाव पड़ा। हनुमान पूजा मध्य युग की शगुन राम उपासना का अनिवार्य अंग है। कहा जाता है कि राम को प्राप्त करने के लिए हनुमान की उपासना अति आवशक है।

तुलसीदास जी ने अनेकों जगह हनुमान की मूर्ति की स्थापना की जिसमें काशी (बनारस) मैं उन्होंने रामलीला के साथ-साथ लगभग एक दर्जन हनुमान जी की मूर्तियों की स्थापना की उन मूर्तियों में विशेष रूप से संकट मोचन मंदिर में और हनुमान फाटक पर बड़ी मूर्तियां स्थापित की बाकी हनुमान जी की, काशी में स्थापित मूर्तियां इन दो मूर्तियों से छोटी मूर्ति की स्थापना की।

उन्होंने काशी अयोध्या जगन्नाथपुरी रामेश्वरम द्वारिका होते हुए बद्रीनाथ की भी यात्रा की। वहीं से वे कैलाश और मानसरोवर जाने के उनके प्रमाण मिलते हैं। तुलसीदास चित्रकूट में अंत में जाकर बस गए वहीं उन्होंने सत्संग किया और वहीं रह गए। इसके उपरांत अयोध्या जाकर संवत् 1631 में मानस की रचना करने से जीवनकाल में ही गोस्वामी ने प्रतिष्ठा प्राप्त कर ली।

तुलसीदास का 20 – 25 वर्ष काशी में कष्टप्रद बीता। कहा जाता है कि वह बिंदु माधव मंदिर के बगल संकट्ठा मंदिर के पास हनुमान जी की एक मूर्ति की स्थापना की थी परंतु काशी वासियों ने उन्हें शांति से लेखन का कार्य करने नहीं दिया। बाधा पहुंचाई जिसकी वजह से वह बिंदु माधव मंदिर में एक रूम में काशी के लोगों से छिपकर रचना की। नामा दास में ‘भक्त काल’ में कहा गया है कि—

‘जीव निस्तार हित वाल्मीकि तुलसी भयो’!

वर्तमान समय में कलिकाल का समय चल रहा है इसलिए हनुमान जी की पूजा का विशेष प्रभाव मानव पर पड़ सकता है। शास्त्रों का अध्ययन करने के उपरांत हमने अपना महत्व, मत व्यक्त करते हुए लिखा है कि हनुमान की गदा का प्रयोग प्रतीकात्मक हर हिंदू, हिंदुस्तानी को भी करना चाहिए। गुरु नानक देव जी ने लिखा है कि —

जानो रे जिन जागना,
अब जागिन की बारी।
फेरि कि जागो नानका,
जब सोबाऊ पांव पसारी॥

रहीम ने संप्रदाय से उठकर, संप्रदाय में बंध कर रचना नहीं किया, अपितु उन्होंने भी अपने काव्य में निर्गुण भक्ति, सगुण भक्ति, सूफी भक्ति के साथ ही सख्य, दास्य, शांत, श्रृंगार भक्ति के दर्शन लिखे हैं जो उनके साहित्य में मिलता है।

रहीम ने लिखा कि —

ते रहिमन मन आपनों,
कीन्हें चारु चकोर।
निसि बासर रहे,
कृष्ण चंद्र की ओर॥

वंदना में रहीम लिखते हैं कि —

पुनि – पुनि बंदो गुरु के पद जलजात।
जीहि प्रताप ते मन के तिमिर बिलात॥

ध्यान में रहीम लिखते हैं कि —

ध्यावहुं सोत विमोचन गिरजा ईश।
नागर भरण त्रिलोचन सुरसरी सीस॥

आगे भी रहीम कहते हैं कि —

जे गरीब पर हित करें,
ते रहीम बड़ लोग।
कहा सुदामा बापुरो,
कृष्ण मिताई जोग॥

भक्ति काल के आंदोलनकारी रचनाकारों पर ध्यान केंद्रित करने से ज्ञात होता है कि वास्तव में भक्तिकाल हिंदी साहित्य के इतिहास का सर्वोत्तम काल रहा है। माना जाता है कि भक्ति साहित्य का उदय पहले पहल दक्षिण भारत से हुआ। इसके बारे ईशा की दूसरी तीसरी शताब्दी के लिए लिखे गए साहित्य को पढ़ने से क्या होता है।

वहां पूर्व में बौद्ध और जैन धर्म का विशेष प्रभाव रहा हिंदी दोनों धर्म का प्रचार प्रसार और विकास परिलक्षित होता है। इन दोनों धर्मों का उन लोगों पर प्रभाव बढ़ने और सहने को लेकर इन्हीं प्रभाव के कारण भक्ति साहित्य को समृद्ध करने और यह जन तक उसे समझाने का प्रयत्न किया और विकसित करने का कार्य किया।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख में समझाने की कोशिश की है — यह मनुष्य जन्म मिला हैं भगवन भजन करने के लिए न की भोग विलाष के लिए। हिन्दी साहित्य के इतिहास में भक्ति काल महत्वपूर्ण स्थान रखता है। आदिकाल के बाद आये इस युग को ‘पूर्व मध्यकाल’ भी कहा जाता है। इसकी समयावधि 1375 वि.सं से 1700 वि.सं तक की मानी जाती है। यह हिंदी साहित्य का श्रेष्ठ युग है जिसको जॉर्ज ग्रियर्सन ने स्वर्णकाल, श्यामसुन्दर दास ने स्वर्णयुग, आचार्य राम चंद्र शुक्ल ने भक्ति काल एवं हजारी प्रसाद द्विवेदी ने लोक जागरण कहा। सम्पूर्ण साहित्य के श्रेष्ठ कवि और उत्तम रचनाएं इसी में प्राप्त होती हैं।

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह लेख (भक्तिकालीन साहित्य – कवि आंदोलन।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं! ____

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिन्दी साहित्य Tagged With: "Amazing Wall", author sukhmangal singh, Sukhmangal Singh, sukhmangal singh article, गोस्वामी तुलसीदास, भक्ति साहित्य क्या है?, भक्तिकाल की प्रवृत्तियाँ विशेषताएँ, भक्तिकालीन काव्य साहित्य, भक्तिकालीन साहित्य, भक्तिकालीन साहित्य - कवि आंदोलन, भक्तिकालीन साहित्य की विशेषताएँ / प्रवृत्तियाँ, भक्तिकालीन हिन्दी साहित्य का इतिहास, सुखमंगल सिंह, सुखमंगल सिंह जी की रचनाएँ

भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी की काशी को सौगात।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी की काशी को सौगात। ♦

दिनांक 23 दिसंबर 2021

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 दिसंबर को कारखाने कि जनसभा को संबोधित करते हुए बहुत सारे परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करेंगे।

परियोजना का शिलान्यास

  • आयुष मिशन के तहत राजकीय होमियो मेडिकल कॉलेज — लागत 49. 99 करोड़।
  • वाराणसी – भदोही – गोपीगंज मार्ग एस एच 87 फोर लेन 8.6 किलोमीटर, चौड़ी करण आदि लागत 269.10 करोड़।
  • मोहन सराय दीनदयाल नगर चकिया मार्ग 11km, लागत 412.53 करोड़, सर्विस लेन के साथ सिक्स लेन की।

सड़क और चौराहा का सुधार

  • फेज – 1 …
  • मैदागिन से गोदौलिया तक।
  • गोदौलिया से सोनारपुरा तक।
  • सोनारपुरा से अस्सी तक।
  • सोनारपुरा से भेलूपुर तक और गोदौलिया से गिरिजा घर तक। लागत 25 करोड़।
  • बनारस काशी संकुल – करखियांव लागत 475 करोड़।
  • दुग्ध उत्पादन सहकारी संघ लिमिटेड संयंत्र, रामनगर बायोगैस पावर उत्पादन केंद्र लागत 19 करोड़।

परियोजना का लोकार्पण

  • एकीकृत आयुष चिकित्सालय ग्राम मद्रासी विकासखंड आराजिलाइना 50 वेड युक्त लागत 6.41 करोड़।
  • दशाश्वमेध वार्ड का निर्माण का स्मार्ट सिटी 16.22 करोड़।
  • राज मंदिर का पुनर्निर्माण कार्य लागत 13.53 करोड़।
  • काल भैरव वार्ड का पुनर विकास लागत 16.22 करोड़।
  • क्षेत्रीय निदेशक मानक प्रयोगशाला का निर्माण पिंडरा लागत 9.03 करोड़।
  • तहसील पिंडरा में दो मंजिला अधिवक्ता भवन का निर्माण लागत 1.64 करोड़।

पुनर्विकास

  • जंगम बाड़ी वार्ड का पुनर विकास कार्य लागत 12.65 करोड़।
  • गढ़वासी टोला का पुनर विकास कार्य लागत 7.90 करोड़।
  • नदेसर तालाब का विकास और सुंदरीकरण लागत 3.02 करोड़।
  • सोनभद्र तालाब का विकास और सुंदरीकरण लागत 1.38 करोड़।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में कार्य

  • डॉ हास्टल, नर्स हॉस्टल और धर्मशाला का निर्माण लागत 130 करोड़।
  • अंतर विश्वविद्यालयी शिक्षक शिक्षा केंद्र का निर्माण लागत 107.36 करोड़।
  • आवासीय फ्लैट अदद 80 पैकेज -1, जोधपुर कॉलोनी में निर्मित लागत 60.63 करोड़।
  • आवासीय फ्लैट 80 पैकेज -2, जोधपुर कालोनी में निर्मित लागत 60.63 करोड़।

राजकीय आईटीआई में निर्माण

  • राजकीय आईटीआई करौंदी में 13 आवासों का निर्माण लागत 2.75 करोड़।

रविदास की जन्म स्थली

  • सीर गोवर्धन में पर्यटन विकास फेज – 1 के तहत सामुदायिक हाल और शौचालय का निर्माण लागत 5.35 करोड़। अंतर्गत राजगीर निर्माण निगम लिमिटेड भदोही इकाई।

अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र

  • अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र ईरी में स्पीड बिल्डिंग फैसिलिटी का निर्माण लागत 3.55 करोड़ अंतर्गत ईरी के सबीर बायोटेक लिमिटेड।

तिब्बती अध्ययन शिक्षा संस्थान

  • केंद्रीय उच्च कि तिब्बती शिक्षण संस्थान सारनाथ में शिक्षक प्रशिक्षण भवन का निर्माण लागत 7.10 करोड़, अंतर्गत नेशनल बिल्डिंग का स्टेशन कारपोरेशन।

सर्विलांस कैमरा

  • शहर में 720 स्थलों पर उन्नत सर्विलांस कैमरा – लागत 128.04 करोड़।

पार्किंग

  • बनिया बाग पार्क में भूमिगत पार्क, इंडोर पार्क का विकास कार्य लागत 90.42 करोड़।

एस टी पी का निर्माण

  • 50 एम एल डी क्षमता की एस टी पी रमना का निर्माण कार्य लागत 161.31 करोड़, अंतर्गत गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई।

काशी बहुत पुराना शहर है। बनारस को काशी भी कहा जाता है। बनारस का पुराना नाम आनंद वन भी है। बनारस का विस्तार लगातार गंगा के किनारे दक्षिण दिशा की तरफ होता रहा। ले. योगेंद्र नारायण, वा0 के अनुसार सन 1982 में बनाए गए जेम्स प्रिंसेप की मानचित्र की अनुसार उस समय तक बनारस का विस्तार हसीना लेके पास तक हो चुका था। अस्सी के पास का अंतिम निर्माण अमृत राव का बाड़ा था। उसके दक्षिण दिशा में खाली जमीन अथवा खेत थे। पश्चिम की तरफ कुरुक्षेत्र तालाब था। जिसका पानी गोदौलिया नाला से होता हुआ दशासुमेध घाट पर गिरता था।

लकड़ी का पुल

विशेश्वर खंड और केदार खंड को जोड़ने के लिए बाद में लकड़ी का एक पुल बनाया गया जिसे डेडसी का पुल कहा जाता था।

उन दिनों विश्वनाथ गली को विशेश्वर खंड, और भूतेश्वर गली को केदार खंड कहा जाता था। नगर के पश्चिम में औरंगाबाद सराय बनाती थी। उसी से सटा हुआ विशाल चक्र तालाब था।
ओमकारेश्वर खंड सी विश्वेश्वर खंड में तेजी से बस्तियों का विस्तार हो रहा था। गुजराती बस्तियां बस चुकी थी। मंदिरों और घाटो का निर्माण तेजी से होने लगा था। वाराणसी में कोलकाता दिल्ली लाहौर तक की व्यापारी खींचे पांव आ रहे थे। डॉ मोती चंद में काशी के इतिहास में मिलता है कि बनारस में बाजीराव पेशवा के कार भारी सदाशिव नामक जोशी के पेशवा को हर 88 -1735 उलझे पत्र का उल्लेख किया है, इसमें कहा गया है कि जरासंध घाट पर मीर घाट के नाम से पुष्पा बनवा रहे थे। बनवाने के लिए से इमारती सामान खरीद लिया था और इससे दूसरे लोग भी ईमारती काम अपने हाथों में नहीं ले सकते थे। बाजीराव पेशवा ने उस समय शायद ब्रहमपुरी बनवाने के लिए नाईक को लिखा था पर उसके लिए बड़ी जमीन नहीं मिल रही थी। आज के समय में मीर घाट के किले का अस्तित्व स्थित तो नहीं है। काशी नगरी को भी अयोध्या नगर की तरह आक्रांताओं का दंश झेलना पड़ा।

परंपरा गीत की रचना प्रस्तुत है……

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी,
सदियों रहा है दुश्मन दौरे जमां हमारा।

जिस प्रकार सभ्यता और संस्कृति को अक्षुण्ण रखने सजाने संवारने का काम
प्राचीन काल में गुजरात से आए हुए अच्छों ने किया था उसी तर्ज़ बाबा सम्मान प्रधानमंत्री काशी को संवारने अद्भुत अविस्मरणीय कार्य किया है। नवगीत के सशक्त हस्ताक्षर डॉ शंभू नाथ सिंह की रचना यहां नई तरंगे दे रहा है —

देश हैं हम,
महज राजधानी नहीं।
हम बदलते हुए भी,
न बदले कभी।
लड़खड़ाये कभी,
और संभले कभी,
हम हजारों बरस से,
जी से जी रहे।

काशी के सभी घाट का अपना अपना बहुमूल्य इतिहास है।

दशाश्वमेध घाट – यह घाट शहर के घाटों के मध्य में काशी के पांच अति प्राचीन पवित्र घाटों में से एक है। इस घाट पर गंगा के जल में रूद्र सरोवर तीर्थ है। माघ के महीने में यहां स्नान करने वालों की तादाद अधिक लगी रहती है। इस घाट पर पीतल की मूर्ति में शीतला जी की मूर्ति विराजमान है। जहां शहर में शीतला माता की महामारी फैलने पर लोग पूजा अर्चना करते है। शीतला देवी के बगल में बंधी देवी का एक गुप्त स्थान है। शिवपुरा के अनुसार शिव जी ने राजा दियो दास को काशी से भी रक्त करने के लिए ब्रह्मा को काशी में भेजा। ब्रह्मा कासी में जाकर दियो दास की मदद से दश अश्वमेध यज्ञ किए। उसी स्थान को दशाश्वमेध के नाम से जाना जाता है। ब्रह्मा जी भी रामेश्वर शिवलिंग स्थापित करके वही रह गए। पुस्तकों का अध्यन करने पर पता चलता है कि प्राचीन काल में राजा जब किसी राज्य को जीतकर आते थे तो वह भी इसी स्थान पर यज्ञ कराया करते थे। इस स्थान पर 10 दिन स्नान करने से जो शुक्ल पक्ष की दशमी पर्यंत स्नान करता है। उसका जन्मों का पाप कट जाता है। यहां स्नान करने से सब फल की प्राप्ति होती है।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने मधु स्रोत के आशा और उद्योग में वर्णित

कर्मों के फल के मिलने में यद्यपि हो जाती है देर,
तो भी उस जगदीश्वर के घर, होता नहीं कभी अंधेर।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में 15 साल का कार्यकाल अथवा प्रधानमंत्री के रुप में भारत का नेतृत्व करने की कला कौशल को दुनिया में भारत की सराहना की जा रही है। प्रधानमंत्री जी का मानना है कि उनके लिए उपरोक्त रचनाकार की रचना प्रासंगिक है—

जब तक मेरे इस शरीर में, कुछ भी शेष रहेंगे प्राण,
तब तक का प्रयत्न मेटूंगा, अत्याचारी का अभिमान।
धर्म न्याय का पक्ष ग्रहण कर, कभी न दूंगा पीछे पैर,
वीर जनों की रीति यही है, नहीं प्रतिज्ञा लेते फेर।
देश दुख अपमान जाति का, बदला मैं अवश्य लूंगा।
अन्याय के घोर पाप का, दंड उसे अवश्य दूंगा।।(लक्ष्मी,नव.१९१२)

रचनाकार किसी भी व्यक्ति की संबंध में अध्ययन करते करते और उनकी बस्ती स्थिति को देखकर कुछ कहने को मजबूर हो जाता है। एक रचना प्रस्तुत है…

मैं धरा हूं!
आकाश पाताल के बीच खड़ा,
समाज के कल्याण के लिए खड़ा,
ज्ञानियों के सिर पर चढ़ा,
ज्ञानियों में जान से भरा,
मैं घरा,
मैं धरा हूं!

भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने वैज्ञानिकों को मिसाइल की सफलता के लिए जिसे चांदीपुर बालासोर, निशा से हो देसी गुरुजी मिसाइल का सफल परीक्षण १८/१०/२०१४ को १० बजे सुबह हुआ जो परमाणु आयु ले जाने में सक्षम है। वैज्ञानिकों को सफलता के लिए बधाई दी।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में कनाडा से आए अतिथि के वक्तव्य

बीएचयू वाराणसी में 18 अक्टूबर 2014 शनिवार की गोष्ठी के दूसरे दिन कनाडा से पधारे डॉ मैक्को नाकी ने कहा कि भले ही भारत – कनाडा मैं हाथ विषमता यें है परंतु चिट्टी सीमा मनु में हम किसी भी दिक्षित देश से कम नहीं है। डॉ भवानी शंकर कोडाली गर्भवती महिलाओं की ऑपरेशन के दौरान एनेस्थीसिया के प्रयोग और वैचारिक विषयों को रेखांकित किया।

भारत ने 2014 से 2021 तक अनेकों मिसाइल बनाकर दुनिया को दिखा दिया कि भारत किसी भी मामले में कभी पीछे नहीं रहेगा। किसी भी खतरे से निपटने के लिए भारत मुकम्मल तैयारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में घर का चला रहा। दुस्साहस और दादागिरी की 2014 से खा लिया घटनाओं के बीच पहली बार देश के सिर सन्नी नेतृत्व से सीधे संबाद में pm ने कहा कि पारंपरिक जिंदगी संभावनाएं भले ना हूं, लेकिन किसी की व्यवहार को नियंत्रित करने और निवारक शक्ति के तौर पर ताकत का इस्तेमाल हम औजार बना रहेगा। मोदी जी ने जवानों से लेकर जनरल तक नई तकनीकी इस्तेमाल पर जोर दिया और पहली बार प्रधानमंत्री पद से तीनों सेनाओं के शीर्ष कमांडर को संबोधित किया। किसी भी खतरे से निपटने के लिए सेना को मुकम्मल इंतजाम करने को कहा। भारत की जनता प्रधानमंत्री जी के विचार सुझाव विकास विजन, मिशन को जनता अच्छी भावना से समझ रही है। मोदी जी ने कहा था कि वह गांव के बारे में महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित है। आदर्श गांव का अर्थ यह है कि वह स्वास्थ्य स्वच्छता शिक्षा विकास के साथ-साथ वापसी सौहार्द का केंद्र बने। सभी सांसदो को अपने कार्यकाल में आदर्श गांव बनाने की अपील की। उन्होंने खुद भी अपने समस्ती क्षेत्र वाराणसी में एक आदर्श गांव बनाने का फैसला लिया।

भारत के प्रधानमंत्री जी के विचारों से मेल खाती हुई चंद्रभान सुकुमार जी की रचना प्रस्तुत —

गांधी के सपनों का भारत,
गांधी के अपनों का भारत!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा था कि मेरा क्या मैं झोला लेकर चल दूंगा।

मेरा मत है कि शंभू नाथ सिंह की रचना प्रासंगिक होगी —

जंग जल्द पैर बढ़ाओ आओ, आओ!
आज अमीरों की हवेली,
किसानों की होगी पाठशाला,
धोबी, पासी, चमार, तेली
खोलेंगे अंधेरे का ताला
एक बात पढ़ेंगे, टाट बिछाओ!
गरीबों को आशाओं को निराश शर्तों को
तरह – तरह से लाभ पहुंचा कर सिद्ध कर
दिया है कि इनका भी हमें सम्मान करना चाहिए।
तू कहां जा सकता है जी कि –
बहुत दिनों बाद खुला आसमान,
निकली है धूप हुआ खुश जहान।

धरातल से उठा हुआ व्यक्ति हमेशा धरातल को अपने आप में अंदर देखता है। वह जानता है समझता है आगे बढ़ने के लिए प्रयत्न करता है प्रयासों से देश को आगे बढ़ा समाज के उत्थान के लिए तरह – तरह की योजना लाता है। सहदेवी संत हृदय का व्यक्ति की पहचान जानिए —

मेरी चाह नहीं इसकी
बड़ा व्यक्ति कहा जाऊं!
चौबीस घंटे की धूल में
पाथर बन पूजा जाऊं!
सर्दी गर्मी बरसात में भी,
छतरी एक ना पाऊं।
प्रभुता की भले नहीं,
लघुता के गीत सुनाऊं॥
प्रधानमंत्री जी का प्रयास गरीबों,
असहाय के लिए एक रचना –
निश्चिंत रहें, जो करे भरोसा मेरा,
बस, मिले प्रेम का मुझे परोसा मेरा।
आनंद हमारे ही अधीन रहता है,
तब भी विषाद नरलोक व्यर्थ सकता है॥
करके अपना कर्तव्य रहो संतोषी,
फिर सफल हो कि तुम विफल, न होगे दोषी॥

उत्तर प्रदेश के मुखिया आदरणीय योगी आदित्यनाथ जी अपने कुशल प्रशासन शासन के द्वारा भ्रष्टाचार अनाचार, दुराचार में लिप्त होने वाले लोगों को समझा दिया है रचना प्रस्तुत है मधु स्रोत से —

लालसा अज्ञात की बताके ढोंग रचते जो,
शब्दों का झूठ मूठ, अब होंवे सावधान।
आवें लोक लोचन समक्ष, देखें एक बार,
अपनी यह कला हीन, कोरी शब्द की उड़ान।
बोलें तो हृदय पर हाथ रख सत्य – सत्य,
इसका वहां के किसी भाव से भी है मिलान।

वाराणसी के पांडेपुर सेविंग रोड तक फोन सड़क के लिए टेंडर

वाराणसी को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए पुरजोर प्रयास चल रहा है। किसी क्रम में पांडेपुर मार्ग और पांडेपुर चौराहे से रिंग रोड तक खाना बनाने के लिए 4200000 रुपए की निंजा जारी कर दी गई। पांडेपुर रिंग रोड तक 6.5 किलोमीटर, कचहरी से संदहां तक 9 किलोमीटर की निमिदा लोग निर्माण विभाग। कचहरी से आशापुर होते हुए संदहां तक 9.2, 35 किलोमीटर लंबी सड़क को बनाने के लिए लोक निर्माण विभाग 115 करोड़ रुपए का टेंडर जारी किया है।

बनारस में एक और आधार सेवा केंद्र

डिजिटल इंडिया का डिजिटल उत्तर प्रदेश बनाने के लिए गोंडा मुरादाबाद सहारनपुर के साथ-साथ वाराणसी के महमूरगंज में एक और सेवा केंद्र आज शुभारंभ हुआ।

नारी शक्ति के लिए २१ दिसंबर २०२१ को प्रयागराज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 दिसंबर तो संगम तट पर परेड मैदान में मातृ शक्तियों से मुलाकात की। कहा कि up की महिलाओं ने ठान लिया है कि यहां पहले की सरकारों वाला दौर नहीं लौटने देंगी नारी गरिमा को योगीराज मे महत्ता दिए जाने की बात कह कर मोदी ने महिलाओं में सुरक्षा का विश्वास दिलाया। उन्होंने गांव के स्यं सहायता समूह से जुड़ी सखियों के काम की तारीफ की। महिला स्व सहायता समूह की सहायता के लिए 1.60 लाख महिलाओं को इसके लिए 100 करोड़ का ऑनलाइन हस्तांतरण किया।

मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना

मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के अंतर्गत छ: श्रेणियों में ₹15000 देने का प्रावधान है। जिसमें …

  • जन्म के समय 2000/
  • प्रथम वर्ष का टीका पूर्ण करने पर 1000/
  • कक्षा एक में प्रवेश के समय 2000/
  • कक्षा 6 में प्रवेश करने पर 2000/
  • कक्षा 9 में प्रवेश करने पर 3000/
  • दसवीं/12वी परीक्षा उत्तीर्ण डिग्री/ दो वर्षीय डिप्लोमा में प्रवेश पर 5000/

उपरोक्त सभी रकम एक मुश्त खाते में ऑनलाइन दिया जाना है।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख में समझाने की कोशिश की है — जब इरादे हो नेक, तो चहुँ ओर विकास होता है। इसी का प्रमाण है प्रगतिशील उत्तर प्रदेश नई ऊंचाइयों को छूने के लिए आगे बढ़ रहा है। धरातल से उठा हुआ व्यक्ति हमेशा धरातल को अपने आप में अंदर देखता है। वह जानता है समझता है आगे बढ़ने के लिए प्रयत्न करता है प्रयासों से देश को आगे बढ़ा समाज के उत्थान के लिए तरह – तरह की योजना लाता है। सहदेवी संत हृदय का व्यक्ति की पहचान जानिए।

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह लेख (भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी की काशी को सौगात।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

ज़रूर पढ़ें — प्रातः उठ हरि हर को भज।

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____Copyright ©Kmsraj51.com All Rights Reserved.____

Filed Under: 2021-KMSRAJ51 की कलम से, सुखमंगल सिंह जी की रचनाएँ Tagged With: author sukhmangal singh, poet sukhmangal singh, sukhmangal singh article, भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी की काशी को सौगात, सुखमंगल सिंह जी की रचनाएँ

10 हजार करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ 10 हजार करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण। ♦

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश से – दिनांक 6 दिसंबर, 2021 काे आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा।

नव भारत का नया उत्तर प्रदेश धीरे-धीरे हो रहा है जवान। उत्तर प्रदेश बना रहा है बड़ा नया कीर्तिमान। दुनियां में बढ़ रहा प्रदेश का नाम। उत्तर प्रदेश की जनता का बढ़ रहा सम्मान। देश में उत्तर प्रदेश सरकार का कार्य गुणगान। नए मान सम्मान के साथ आगे बढ़ रहा है यह अनोखा क्षेत्र। इंसानियत की मिसाल बनकर सामने रहा है उत्तर प्रदेश। माथे पर लगे मेघा कालिख को साफ़ कर रहा है राज्य। विकसित संसाधनों के साथ धरा को सजा रहा है योगी आदित्यनाथ जी का शासन।

ऐतिहासिक धरोहरों, धर्मशाला, कुंड, यात्रियों के लिए विश्रामालय और पेड़-पौधे लगवा रहा है उत्तर प्रदेश। गोरखपुर से मोदी जी, उत्तर प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आजमगढ़ के तहसील – सगडी आजमगढ़ से 32 परियोजनायें उत्तर देश को लोकार्पण और शिलान्यास द्वारा दी। वही तहसील – लालगंज, आजमगढ़ में 37 परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास 6 दिसंबर 2021 को किया। एक रचना प्रस्तुत —

सजने लगा है आजमगढ़,
सावन जस हो जाएगा गांव।
योगी आदित्यनाथ ने दे दी,
कुछ ऐसी ही भारी सौगात।
सोशल मीडिया सक्रिय हुआ॥

देखकर देश हो गया खुश प्रदेश।
लाइव प्रसारण हुआ बहुत ख़ूब,
बच्चा – बूढ़ा हो रहा है खुश।
200 करोड़ का तोहफा आया,
गांव शहर खुशियां भर लाया॥

उत्तर प्रदेश में तत्कालीन गोरखपुर के महंत अवैद्यनाथ जी के श्री चरणों में समर्पित होकर उनके द्वारा अपनाए गए ज्ञान और जन कल्याण की योजनाएं को आगे बढ़ाने का काम किया, गोरखपुर पीठ के महंत और उत्तर प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने। उत्तर प्रदेश को महान प्रदेश बनाने का उठा लिया है बीड़ा। जिसे पूरा करने के लिए अपने कार्यकाल में हर संभव प्रयास कर रहे हैं बाबा योगी जी। इन्होंने पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण तक विकास की लहर घर – घर दौड़ा दिया है। सर्वांगीण विकास करना संभव है। जिसे लोग असंभव मानते थे। उत्तर प्रदेश का विकास संभव है योगी जी ने कर दिखाया। उन्होंने लोगों को बता दिया, दिखा दिया है।

बुराइयों को भष्म करने की ताकत संतो में होती,
जिसे उन्होंने दिखा कर सिखा दिया लोगों को।
बदल रहा प्रदेश यही लोगों का अपना विचार,
होने लगा है चारो तरफ से प्रदेश का विकास॥

रक्षा पर दिया जा रहा है शासन का पूरा ध्यान,
किसानों का रखा जा रहा है प्रदेश में मान।
व्यापारियों को मिल रहा है उचित सम्मान,
पूर्व विरासत का कराया जा रहा है कल्याण॥

परंपरा सत्य के साथ खड़े हो रहे हैं संदेश,
मोदी और योगी का यही है उन्नत उपदेश।

योगीराज में प्रदेश का हो रहा चहुंमुखी विकास,
गरीबों को मिल रहा है खाने के लिए अनाज।
पक्के घरों में ही जा रहे हैं सब लोग आज,
संतोष और शांति पूर्ण हो रहा है समाज॥

— योगी जी के ड्रीम प्रोजेक्ट का मोदी जी ने किया लोकार्पण —

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 हजार करोड़ की लागत से उतर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी के ड्रीम प्रोजेक्ट खाद कारखाना, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान और बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर का किया लोकार्पण, दिनांक 6 दिसंबर 2021 को। सन 2016 में प्रधानमंत्री मोदी जी ने खाद कारखाने और AIIMS का शिलान्यास किया था। जिसे जनता को समर्पित किया।

— खाद कारखाने से लाभ —

यह कारखाना विगत 30 वर्षों से बंद पड़ा था। 30 वर्षों तक किसी भी सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। जिस पर योगी आदित्यनाथ जी की सरकार ने विशेष ध्यान दिया। उसका शिलान्यास 2016 में पुनः प्रधानमंत्री के हाथ से किया था। यद्यपि गोरखपुर की जनता लगातार उस कारखाने को चालू करने की मांग पूर्ववर्ती सरकारों से करती रही परंतु सर्व कल्याणकारी गोरक्षनाथ पीठ के महंत योगी आदित्यनाथ जी ने अपने कार्यकाल में उसे पूर्ण करने का संकल्प लिया और प्रयास किया। जिसकी सफलता प्राप्त होती दिखाई दी। सौभाग्य से उत्तर प्रदेश के माननीय जनता की बहु प्रतीक्षित मांग पूरी हुई। लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई।

रोजगार का अवसर प्राप्त होगा। जिन राज्यों को लाभ होगा वह पड़ोसी राज्य बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, हरियाणा और मध्य प्रदेश के किसानों को, लगभग 20,000 लोगों को इससे रोजगार मिलेगा। इस खाद कारखाने से प्रतिदिन 3850 मीट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया की निर्वाह उपलब्धता होगी। जिसका लाभ उत्तर प्रदेश सहित पूरेे देश को मिल सकेगा। यूरिया खाद के लिए उत्तर प्रदेश की जनता बहुत ज्यादा हलकाना होती रही। इसके बाद लोग जगह जगह से इसकी खेती किसानी में प्रयोग करने के लिए दर-दर की ठोकरें खाते रहते थे किसान। बहुत कमी थी। अवने – पवने दामों पर स्टॉकिईस्ट द्वारा इण्डिया में यूरिया खाद उपलब्ध कराया जाता रहा। अलग-अलग जिलों से लोग यूरिया को क़िसी तरह प्राप्त करते, लेकर अपने गांव आते थे। किसान समितियां भी पूर्ण रुप से किसानों को यूरिया खाद उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं थी। बहुत कुछ समितियां तो घोटाले बाजी में भी लगी रहती थीं। किसान समितियों में शेयर लगाता परंतु उसे उसका उचित सम्मान नहीं मिल पाता था।

सचिव की जी हुजूरी करनी पड़ती थी। किसान सचिव के घर तक जाने के लिए उनके अनुयायियों के घर तक अपनी पहुंच बढ़ाने वाले होते तभी उनको कुछ अंश रूप खाद मिल पाता था। परंतु योगी सरकार उत्तर प्रदेश की जनता के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के सफल प्रयासों से नीम कोटेड यूरिया का निर्वाध उपलब्धता कराने का सफर, सफल प्रयास किया गया। किसानों का आत्मविश्वास बढ़ाने की योजना बनाई गई।

शासन – प्रशासन ने कार्यालयों के सहकर्मियों और कर्मचारियों को जिम्मेदारी दी। किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए समस्याओं के निवारण करने की योजना बनी। बदले हुए परिवेश के साथ लोग एडजस्ट करने की कोशिश करने लगे। वातावरण सामान्य होने लगा। निदान का आधार मिल गया। इस समस्या का निदान उत्तर प्रदेश सरकार ने निकाल लिया। दलदल में फंसी हुए किसानी राहत की सांस ली। रोज भोर में अपने घरों से निकल कर दुकान – दुकान और समितियों का चक्कर लगाने से किसानों को योगी सरकार में राहत की सांस मिली।

यूरिया खाद की उपलब्धता होने लगी।
चप्पे चप्पे पर सी. सी. टी. वी. कैमरा से,
किया जा रहा है निगरानी।
सुरक्षा के मामले में रखी जा रही है सावधानी।
मंदिरों में भक्तों को करना नहीं पड़ेगा इंतजार।
ऑनलाइन से हो जाएगा बहुत सारा कारोबार।
सेंसर किट का हो गया है अब आविष्कार।
चोरी पर लग जाएगी फागी वाली लगाम।
जल जीवन मिशन का सरकार ने चलाया अभियान।
विद्युत व्यवस्था से किसान हो गया है खुशहाल।
बूढ़ी – बूढ़ा को पेंशन योजना, प्रदेश हुआ गुजार।

— अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर —

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर क्षेत्र में अखिल भारती आयुर्विज्ञान संस्थान 300 बेड का हॉस्पिटल खुल जाने से पूर्वांचल ही नहीं उसके साथ साथ नेपाल, बिहार आदि जगहों के मरीज भी उत्कृष्ट चिकित्सा की सुविधाएं प्राप्त कर सकेंगे। इस आयुर्विज्ञान संस्थान से इलाज के लिए बड़े-बड़े शहरों पर निर्भरता में कमी आएगी। इस हॉस्पिटल में ऑपरेशन थिएटर, आयुष ब्लॉक, मेडिकल ब्लॉक और नर्सिंग कॉलेज का निर्माण कार्य पूर्ण होने वाला है।

— हॉस्पिटल में सुविधाएं —

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में सी टी स्कैन, एम आर आई और अल्ट्रासाउंड जैसी अन्य तमाम सुविधाएं उपलब्ध होंगी। भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में 125 एम बी बी एस की सीट उपलब्ध होगी। इस संस्थान द्वारा विविध तरह के रोगों पर शोध का कार्य भी होगा।

— रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर गोरखपुर —

रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर गोरखपुर में वायरस रिसर्च और परीक्षा लैब बना है। जापानी जापानी इंसेफेलाइटिस पर भी विचार होगा। यहां शोध किया जाएगा। इसके रोकथाम के लिए उच्च गुणवत्ता पूर्ण जांच की सुविधा है। जापानी इंसेफेलाइटिस के निदान के लिए रिसर्च फेकल्टी बनाई गई है। अन्य विषाणु जनित बीमारियों पर भी शोध होगा। इस मेडिकल रिसर्च सेंटर से पूर्वांचल के सभी जनपदों को विशेष लाभ मिल सकेगा।

खाद का कारखाना गोरखपुर का छेत्रफल 600 एकड़ में फैला है। जिसकी लागत रुपया 8603 करोड। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान का क्षेत्रफल 112 एकड़ जमीन पर मौजूद है जिसकी लागत रुपए 1011 करोड़। रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर गोरखपुर के साथ 10,000 करोड़ की तीन परियोजनाओं का लोकार्पण समर्पित किया, राष्ट्र को, भारतीय संस्कृति रक्षक माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गोरखपुर क्षेत्र में।

इस कार्यक्रम में गरिमामय उपस्थिति दर्ज की, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मोर्य, डॉ दिनेश शर्मा, डॉ भारती प्रवीण पवार, राज्य मंत्री, स्वास्थ एवं परिवार कल्याण, भारत सरकार, पंकज चौधरी, राज्य मंत्री, वित्त, भारत सरकार, जय प्रताप सिंह, मंत्री, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं मातृ – शिशु कल्याण, उत्तर प्रदेश।

रवि किशन शुक्ला, सांसद, गोरखपुर, कमलेश पासवान, सांसद, बांसगांव, शिव प्रताप शुक्ल, सांसद, राज्यसभा। जगदंबिका पाल, सांसद, डुमरियागंज। प्रवीण कुमार निषाद, सांसद, संत कबीर नगर। डॉक्टर रमा पति राम त्रिपाठी, सांसद देवरिया। जयप्रकाश निषाद, सांसद, राज्यसभा। हरीश दिवेदी, सांसद, बस्ती। विजय कुमार दुबे, सांसद, कुशीनगर। रविंद्र कुशवाहा, सांसद, सलेमपुर। और स्वतंत्र देव सिंह, सदस्य, विधान परिषद उत्तर प्रदेश सहित गणमान्य अतिथि उपस्थित रहें।

— प्रगतिशील उत्तर प्रदेश नई ऊंचाइयों को छूने के लिए आगे बढ़ रहा है। —

प्रगतिशील उत्तर प्रदेश नई ऊंचाइयों को छूने के लिए आगे बढ़ रहा है। रिश्तों की प्रकाश का और निरंतरता सड़कों के माध्यम से, नदियों पर पुलों के निर्माण से, बुजुर्गों और बच्चों की सहूलियत का ध्यान रखने से, बस, रेल और हवाई अड्डे निर्माण कार्य से, गांव-गांव, शहर-शहर शौचालय की निर्माण से, प्रधानमंत्री आवास वितरण से, दलित समाज, वंचित तबकों का ध्यान देने से, कल कारखानों के विकास, कोरोना वायरस की फ्री वैक्सीन देने से, धार्मिक उन्माद पर नियंत्रण करने से, दंगा-फसाद पर रोक लगाने से, किसानों की खुशहाली की कामना करते होने से, कृषि विकास के लिए आधुनिक तकनीक पर विचार, छात्रों पर विशेष ध्यान देने से, वाहन की चोरी को रोकने के लिए एच एस आर सी लगाया जाना, शासन प्रशासन पर निगरानी रखने से, उत्तर प्रदेश की अमेठी में 300 मीटर लक्ष वाली ए के- २०३ राइफल निर्माण कारखाने के यह परियोजना 5000 करोड़ की है के पहल से, शहरों – नगरों में ड़कों के निर्माण, ई – बसों के संचालन प्रसार, ई- रिक्सा वितरण, दिव्यांगों को लाभ, डाक घरों का विस्तार सुधार, हस्त शिल्प और हस्त शिल्पियों का विशेष ध्यान देना, रेल पटरियों का विस्तार, रेलवे स्टेशन का पुनर्निर्माण और सुंदरी करण, बस का विस्तार, बस स्टेशन का पुनर्निर्माण सुंदरीकरण। स्वतंत्रता सेनानी का सम्मान, वीर शहीदों का सम्मान, मनरेगा मजदूरों का मजदूरी बढ़ाई जाना, आधुनिक खेती पर बल देना, जैविक खेती को बढ़ावा देना, रोपवे की शहरों में सौगात।

मेट्रो रेल का विकास विस्तार, जन्म – मृत्यु प्रमाण पत्र का तत्कालीन निवारण, योजनाओं का धरातल पर करने का संकल्प, परिषदीय विद्यालय में छात्रों के अभिभाव को छात्र के ड्रेस का पैसा खाते में डालना, छात्रवृत्ति योजना का मेधावी छात्र को लाभ पहुंचाना, छात्र छात्राओं की सुरक्षा के लिए योजनाबद्ध जैसी काम करना, नारी के सम्मान का ध्यान रखना, गैंग वॉर पर अंकुश लगाना, आतंकवाद नक्सलवाद को नष्ट करना,, राजनीति में पारदर्शिता का आना, खिलाडियों को उचित सम्मान देना, जनता को लाइन लगने से बचाने के लिए ATM का विस्तार। ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर करने की सुविधा व्यवस्था। बरेका इंजन की विदेश में भी बढ़ी मांग 111 देश में भेजे जा चुके 171 रेल कारखाना से रेल इंजन। केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयास से सराहनीय क़दम उठाए गए हैं।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख में समझाने की कोशिश की है — जब इरादे हो नेक, तो चहुँ ओर विकास होता है। इसी का प्रमाण है प्रगतिशील उत्तर प्रदेश नई ऊंचाइयों को छूने के लिए आगे बढ़ रहा है। उत्तर प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 हजार करोड़ की लागत से उतर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी के ड्रीम प्रोजेक्ट खाद कारखाना, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान और बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर का किया लोकार्पण, दिनांक 6 दिसंबर 2021 को। सन 2016 में प्रधानमंत्री मोदी जी ने खाद कारखाने और AIIMS का शिलान्यास किया था। जिसे जनता को समर्पित किया।

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह लेख (10 हजार करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

ज़रूर पढ़ें — प्रातः उठ हरि हर को भज।

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____Copyright ©Kmsraj51.com All Rights Reserved.____

Filed Under: 2021-KMSRAJ51 की कलम से, सुखमंगल सिंह जी की रचनाएँ, हिन्दी साहित्य Tagged With: 10 हजार करोड़ की परियोजनाओं का लोकार्पण।, author sukhmangal singh, poet sukhmangal singh, sukhmangal singh article, गोरखपुर उत्तर प्रदेश में 10 हजार करोड़ की परियोजनाओं का उद्घाटन, गोरखपुर एम्स, रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर गोरखपुर, सुख मंगल सिंह, सुख मंगल सिंह की रचनाएँ, सुखमंगल सिंह का लेख

काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रथम चरण का लोकार्पण।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रथम चरण का लोकार्पण। ♦

दिनांक 13 दिसंबर 2021

तीर्थ यात्रा की परंपरा में काशी का विशेष महत्व है। काशी का पृथ्वी से संबंध नहीं है यह उचित उच्चतर लोक मंगल कारक है। काशी त्रिपुरारी की राज्य नगरी है। काशी क्षेत्र हर युग में रहता है। इसकी वाह्य स्वरुप में बदलाव होता रहता है परंतु इसका अस्तित्व हमेशा बना रहता है। इसका स्वरुप सतयुग में त्रिशूल आकार का, त्रेता युग में चंद्राकार का, द्वापर युग में रथ के आकार और कलयुग में शंख आकार रहता है। काशी गंगा के तट पर अवस्थित है। गंगा काशी विश्वनाथ धाम में उत्तर वाहिनी बहती चली आ रही है। गंगा प्राण वायु प्रदायनी हैं। भू-लोक पर जीव को जीवन दान देती हैं। गंगा प्राणियों का आश्रय दाता है। गंगा को धरती पर अपरा भी कहा जाता है। गंगा स्नान से स्वर्ग से धरा पर अवतरित माँ देवी गंगा मनुष्य जीव को पुण्य प्रदान करती हैं।

काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण दिनांक 13 दिसंबर को मान्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर कमलों से होने वाला है। इस आयोजन को भव्य काशी और दिव्य काशी के आयोजन स्वरूप किया गया है। इस अवसर पर विद्यालय में रंगोली, पेंटिंग, और प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा।

इस मौके पर 1 दिसंबर से 10 दिसंबर तक जिले में अनेक क्षेत्रों में विविध रूप से सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जा रहा है।

काशी विश्वनाथ धाम की परियोजनाएं

  • काशी विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र का विस्तारीकरण। 
  • काशी हिंदू विश्वविद्यालय में चिकित्सकों और नर्सों के लिए हॉस्टल तथा धर्मशाला।
  • रमना, वाराणसी में 50 एम एल डी छमता का एस टी पी।
  • शहर में विभिन्न स्थानों पर सी सी टी वी कैमरा स्टालेशन और बनिया बार-बार का जीर्णोद्धार व वाहन पार्किंग।
  • काशी हिंदू विश्वविद्यालय हॉस्पिटल में आई यू सी टी ई भव्य।
  • काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ही जोधपुर कालोनी व 80 फ्लैट। खिडकिया घाट का जीर्णोद्धार।
  • इसी के साथ कई वार्ड उनका विकास कार्य भी शामिल है।

स्मार्ट सिटी में वार्डों का विकास

  • गढ़वाली टोला वार्ड का विकास।
  • काल भैरव वार्ड का विकास।
  • कामेश्वर महादेव वार्ड का विकास।
  • राज मंदिर वार्ड का विकास।
  • जगबाडी वार्ड का विकास।
  • दशाश्वमेध वार्ड का विकास।

काशी विश्वनाथ धाम के आसपास के वार्डों का सौंदर्यीकरण का काम किया गया।

लोकार्पण के पहले शहर रंग रोगन

काशी विश्वनाथ धाम के प्रथम चरण के लोकार्पण के पहले गोदौलिआ से मैदागिन तक बनी हुई सड़क किनारे के भवनों को एक रंग में रंगने का काम किया।

संस्कृति विभाग की तरफ से आयोजित कार्यक्रम

  • बड़ा गणेश, सुनारपूरा लोटिया, 1 दिसंबर।
  • विष्णु मंदिर ललिता घाट और बृहस्पति मंदिर दशाश्वमेध घाट, 2 दिसंबर।
  • शीतला मंदिर शीतला घाट, और शैलपुत्री देवी, सरैया, 3 दिसंबर।
  • राम मंदिर खोजवा और राम मंदिर चौक से 4 दिसंबर।
  • बटुक भैरव कमच्छा और काल भैरव 5 दिसंबर।
  • मृत्युंजय महादेव मंदिर धारा नगर वह केदारनाथ मंदिर केदार घाट 6 दिसंबर।
  • बनकटी हनुमान मंदिर आनंद पार्क कौड़िया माई मंदिर कबीर नगर, 7 दिसंबर।
  • गोपाल मंदिर चौक खंभा और संकटा मंदिर चौक, 8 दिसंबर।
  • कामेश्वर महादेव मंदिर, कंदवा, और गैबी ए एकदिवसीय श्वरमंदिर छोटी गैवी, 9 दिसंबर।
  • अन्नपूर्णा मंदिर विश्वनाथ धाम और आदि केश्वरमंदिर राजघाट, 10 दिसंबर।
  • 11 दिसंबर को दुर्गा कुंड स्थित दुर्गा मंदिर में और संकट मोचन में भव्य भजन कीर्तन का कार्यक्रम समय 5:00 बजे से 7:00 बजे सायंकाल (शाम) में तय किया गया है।

लोकार्पण समारोह में — अनेक विचारधाराओं का समावेश।

13 दिसंबर 2021 ई. श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण समारोह में देश की संपूर्ण सांस्कृतिक परंपरा और अनेक विचारधाराओं का समावेश होगा। काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण समारोह इतिहास का पहला ओ अवसर कहा जाएगा। जिसमें सनातन परंपरा के सभी धारा के संतों की मौजूदगी होगी। काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के अवसर पर राष्ट्रीय सांस्कृतिक एकता का संदेश पूरे विश्व को दिया जाएगा। यह भी एक कुंभ का आयोजन है यद्यपि हरिद्वार, प्रयाग, नाशिक में लगने वाले कुंभ में भी सनातन धर्म की सभी धारा के साधु संत और आम जनता इकट्ठा होती है। काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण में सनातन धर्म के सभी संप्रदाय और परंपरा के अनुयाई उपस्थित रहेंगे। इस कार्यक्रम में दक्षिण की परंपरा के वीर शैव और लिंगायत भी अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे।

शिक्षा विभाग की तरफ से कार्यक्रम

दिसंबर मास में 1 दिसंबर से वाराणसी नगर के विद्यालय भी विविध कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे। इन कार्यक्रमों में सांस्कृतिक कार्यक्रम, पेंटिंग का कार्यक्रम, प्रतियोगिता, नुक्कड नाटक, रंगोली प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता, चित्रकला, अंताक्षरी, चौपाई का श्लोक आदि प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएगी।

आजादी के अमृत महोत्सव के तहत

आजादी के अमृत महोत्सव के तहत शहर – नगर के विद्यालयों में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। बाबा की धाम दिव्यांगों – बुजुर्गों के आने की व्यवस्था, श्री काशी विश्वनाथ धाम लोकार्पण के दौरान बुजुर्ग श्रद्धालुओं और विज्ञान कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के लिए विशेष प्रबंध किया गया। प्रवेश द्वार से लेकर निकास द्वार तक विशेष रैंप स्कलेटर बनाए गए। सुविधाओं को गंगा घाट, छत्ता द्वार, ढुंढ राज गणेश और नील कंठ द्वार से आने वाले सभी दिव्य गौर बुजुर्ग श्रद्धालुओं को बिना किसी प्रकार की परेशानी के बाबा विश्वनाथ जी का दर्शन करेंगे। जला सेन घाट से भी बाबा विश्वनाथ धाम में प्रवेश करने के लिए बुजुर्ग श्रद्धालु और दिव्यांग जनों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।

व्हील चेयर व ई-रिक्शा की निशुल्क व्यवस्था

बाबा विश्वनाथ मंदिर प्रशासन की ओर से निशुल्क ई-रिक्शा और व्हील चेयर का इंतजाम किया गया है। बाबा धाम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी के अनुसार बाबा के दर्शन के लिए आने वाले दिव्यांग – बुजुर्ग श्रद्धालुओं को मंदिर में सभी सुविधाएं प्रदान की जाएगी।

श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण रवि योग और महासिद्धि योग के संजोग में, गणेश अथर्व शीर्ष और श्लोक के पाठ के बीच काशी विश्वनाथ धाम में उपस्थित होकर भारती प्रधानमंत्री मोदी जी लोकार्पण करेंगे। इस लोकार्पण के बाद गंगा की धारा से 5, 27, 730 वर्ग फीट तक का क्षेत्रफल श्रद्धालु के लिए आम हो जाएगा।

श्री काशी विगत परिषद के निर्देशानुसार संपूर्ण अनुष्ठान श्री राम जन्म भूमि पूजन की तरह ही जिम्मेदारी के साथ की जाएगी। इस अनुष्ठान को काशी के विद्वान कर्मकांडी ब्राह्मण ही संपन्न कराएंगे। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया जाएगा जो समस्त सनातन धर्मावलंबियों, साधु – संतों तथा आम जनता के लिए सुलभ होगा। भारत की सांस्कृतिक राजधानी काशी बनारस में बाबा विश्वनाथ जी देवताओं के आगमन की प्रसन्न मुद्रा में होते हैं और लोग कल्याण के लिए दुनियां के भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। काशी विश्वनाथ धाम अपने आज कालीन इतिहास का गवाह बना।

सारे अतिक्रमण साफ हो जाने के बाद श्री बाबा विश्वनाथ धाम की मणिमालाएं लोग कल्याण के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। आने वाले दर्शनार्थियों को सहज रुप से काशी विश्वनाथ धाम में काशी पुराधीपती के साथ शिव कचहरी, काशी खंडोक्त मंदिर के साथ 178 विग्रह के दर्शन का भी लाभ मिलेगा।

शिव भक्तों की सड़क किनारे नहीं लगेगी कतार –
काशी विश्वनाथ धाम ऐसा होगा प्रकार,
सड़क किनारे नहीं लगेगी अब कतार।
पौराणिक मान्यता युक्त पूर्ण रूप धाम,
शिवरात्रि और सावन भक्तों को महान॥

लाखों भक्त के एक साथ दर्शन विधान,
काशी में शिव लगाये जाम पर लगाम।
सुविधाओं का विशेष रखा गया ध्यान,
बाबा चौक का लोग करेंगे गुणगान।
शिव शोभा निरख निरख किया गान।
बाबा गणों संग करेंगे जगत कल्याण॥

चलो काशी चलें अभियान

बनारस की छवि बढ़ाएगा बाबा विश्वनाथ धाम, महीनों का होगा पूरे शहर में आयोजन। 13 दिसंबर को पहले चरण का होगा लोकार्पण, आगे की सभी कार्यक्रम में वर्चुअल शामिल होंगे पी एम। काशी पुराधिपति के दरबार का भव्य होगा लोकार्पण।

आओ चलें काशी विश्वनाथ धाम,
करें शिव शंकर जी का ध्यान।
सूने घर में जलने वाले दीपक की लौ सा ना जलो,
चलो काशी विश्वनाथ मंदिर धाम लोकार्पण करें।
जलो तो ऐसे जलो की दुनियां को खुशहाल करो,
सत्संग से मिले सुख के रम्य में रमण हों प्रकाशित करें॥

देव दीपावली की तर्ज पर दुनिया देखेगी लाइव लोकार्पण। काशी के सिवालय सजेंगे, विश्वनाथ दरबार में उस समय प्रधानमंत्री रहेंगे। सभी सरकारी भवनों को सजाया जाएगा, तैंतीस कोटि देवी देवताओं को मनाया जाएगा। देव लोक जैसे पुष्प वर्षाया जाएगा, सामाजिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम में कलाकारों को लाया जाएगा। काशी में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, काशी के पुनरोद्धार की जानकारी जन-जन तक पहुंचाएगी।

सांस्कृतिक आयोजन 13 दिसंबर से 12 जनवरी तक चलेगा। सोलह दिसंबर को उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्रियों को काशी में बुलाया जाएगा, प्रस्तावित कार्यक्रम पर मंत्रिमंडल विचार विमर्श करेगी। विश्वनाथ धाम के लोकार्पण को भव्य स्वरुप दिया जाएगा। काशी का भव्य, दिव्य, तेज, स्वरूप इतिहास बताने के लिए 100-100 पुरुष सौ – सौ महिलाओं को वालंटियर बनाया जाएगा। वालंटियर टीम को प्रशिक्षित किया जाएगा। काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण देश की प्रमुख संग क्योंकि उपस्थित में किया जाएगा। काशी विश्वनाथ कारीडोर में 19 भवन बनकर तैयार के संचालन की रुपरेखा तैयार की जाएगी। इस भवन में 14 जनवरी से सांस्कृतिक कार्यक्रम सहित अन्य कार्यक्रमों की श्रृंखला का आयोजन किया जाएगा।

मनुष्य भोग विलास और कामनाओं में अपने जीवन की आहुति दे देता है। इस जन्म में जिन भोग को भोग रहे हैं पिछले जन्म में ही उसे भोगा था अगले जन्म में भी उन्हें ही भोगेंगे। क्या हमारा जन्म इसलिए हुआ है। हमें उन जो पुरुष पर्वत की गुफाओं में बैठकर परम ज्योति का ध्यान करते हैं उनके आनंदाश्रुओं को पखेरू उनकी गोद में बैठ कर निर्भयता के साथ पीते हैं। हमें भगवान शंकर जो 14 भुवनों के स्वामी ब्रहमांड को अपने उदर में धारण करने वाले विष्णु, उनके सरण में जाने की आवश्यकता है।

एक रचना प्रस्तुत

भौतिकता का सुख तो क्षणभंगुर है,
संसार में सुंदरता की कमी नहीं है।
गर तुझे भवसागर से पार उतरना है,
वेद – स्मृति और पुराण ही पढ़ना है।

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में लगे पत्थर

सात प्रकार की पत्थरों से पूरे मंदिर परिसर को संवारा सजाया गया है। जिसमें बालेश्वर स्टोन, मकराना मार्बल, कोटा ग्रे नाईट और मेडोना स्टोन का इस्तेमाल प्रमुख रुप से अधिक किया गया है।

कार्यक्रम के लिए योगी आदित्यनाथ के निर्देश

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने तीन दिवस के कार्यक्रम पर मोहर लगा दिया। इस मौके पर 12, 13 व 14 दिसंबर 2021 को पूरा काशी शहर रंगीन रोशनी से नहाएगा। रोशनी की सजावट गली से लेकर घाटो तक दिखेगी। इस कार्यक्रम को भव्य और दिव्य काशी का आयोजन बनाने के लिए अधिकारियों ने डिजिटल मैप तैयार कर लिया।

श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर लोकार्पण के दौरान तक काशी में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होता रहेगा। इसलिए चित्त! अब तू मोह को छोड़ और शीश पर अर्ध चंद्र धारण करने वाले भगवान शिव का ध्यान कर और चलकर गंगा के तट पर वृक्षों की छाया में विश्राम कर। जो मनुष्य ईश्वर के ध्यान में हैं, जिसे खाने-पीने, सोने पहनने-ओढ़ने की कोई चिंता नहीं होती है। जिनके मन में परम शांति का निवास होता है ऐसे व्यक्ति के लिए त्रिलोकी का राज भी तुच्छ लगता है।

एक रचना प्रस्तुत

जो मनुष्य सदाशिव की भक्ति में लीन रहते हैं,
जन्म – मरण का भय उनके हृदय ना बसते हैं।
मनोरथ पूर्ण करने वाली लक्ष्मी मिलती हैं,
परमपिता परमात्मा की अनुकंपा होती है।

काशी विश्वनाथ मंदिर सहित क्षेत्र के सत्तरह मंदिर जिसमें शामिल हैं उनमें से, जिसके प्रथम चरण का लोकार्पण 13 दिसंबर 2021 को शुभ मुहूर्तं में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के करकमलों द्वारा रवि योग में संपन्न होगा।

दूसरे चरण में धाम के शेष आठ मंदिरों के संरक्षण का काम किया जाना है। इस लोकार्पण समारोह के अनुष्ठान के मुख्य यजमान होंगे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी। इससे पहले प्रधानमंत्री गंगाजल माँ गंगा जी से लाकर बाबा विश्वनाथ जी का अभिषेक करेंगे।

काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण को विश्वव्यापी बनाने की तैयारी चल रही है। इस समारोह में शैव संप्रदाय के पीठाधीश्वरों को भी आमंत्रित किया जाना है। जिसमें कर्नाटक के लिंगायत, वीरशैव और तमिलनाडु के अधिनाम सहित उत्तर के सभी क्षेत्रों के संतों को शामिल करने की तैयारी की गई।

संत समाज को बाबा धाम में आने का निमंत्रण

महत्वपूर्ण, प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना काशी विश्वनाथ धाम को साकार करने के लिए होने वाले लोकार्पण के अवसर पर देश के अनेक क्षेत्रों से संत समाज को बाबा धाम में आने के लिए प्रधानमंत्री जी ने बाबा विश्वनाथ की तरफ से आमंत्रित किया।

इस लोकार्पण के अवसर पर संतो की उपस्थिति के लिए 25,000 संतो को काशी विश्वनाथ की पाती दी जानी है, जो संतो की थाती होगी। इस पाती के माध्यम से 13 दिसंबर 21 ई. को होने वाले लोकार्पण की जानकारी संतो के माध्यम से भव्य बाबा धाम का प्रचार, अपने अनुयायियों के बीच काशी आने का निमंत्रण, अनुयायियों के लिए भी दिया जा रहा है।

बाबा आदि विश्वेश्वर की स्थापना

काशी बनारस की गलियों में विराजमान आज विशेश्वर के 50 हजार वर्ग मीटर से ज्यादा में भव्य दरबार स्थापित किया जाना है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की पहल पर परिकल्पना की गई है।

संतो को भी जाने वाली पाती में लगभग 300 से ज्यादा भवनाें के अधिग्रहण और उसके लिए किए गए संघर्ष के साथ ही महादेव के दरबार का निर्माण पूरा करने तक की कहानी लिखी गई है। प्रधानमंत्री ने संत समाज को 13 दिसंबर से लेकर 12 जनवरी तक चलने वाले आयोजन की भी पूरी जानकारी होगी। पूरा प्रयास किया जा रहा है कि यह पाती सभी मठ मंदिर और संन्यासी तक पहुंचने का प्रयास किया गया है।

बाबा विश्वनाथ मंदिर का प्राचीन वैभव लौटा

काशी के बाबा विश्वनाथ जी के मंदिर की दीवारों पर सन 2008 में तत्कालीन एक वरिष्ठ अधिकारी की मनमानी की वजह से एनामेल पेंट से पेंट कर दिया गया था। जिसका उस समय संत व आम जनता द्वारा विरोध किया गया था। 12 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद बाबा के मंदिर की दीवारों को संरक्षित करने की कवायद शुरू हो चुकी है। लोगों को उम्मीद है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रथम चरण के लोकार्पण के पूर्व ही पेंट को हटाकर दीवार को संरक्षित और सुशोभित कर दिया जाएगा।

इनामेल पेंट की पुताई की वजह से मंदिर के गर्भ गृह में लगे पत्थरों का क्षरण हो रहा था। दीवार में लगे चुनार के पत्थर खराब हो रहे थे। वाराणसी के मंडलायुक्त के अनुसार बाबा विश्वनाथ के मंदिर के जीर्णोद्धार और संरक्षण का काम किया जा रहा है। वाराणसी घर की सफाई का काम भी हो रहा है इस काम के लिए टाटा को लगाया गया है। उम्मीद है काशी विश्वनाथ मंदिर का प्राचीन वैभव लौटेगा। मंदिर के काम के लिए तत्परता, तनमयता त्याग, युद्ध स्तर पर काम करने की कोशिश की गई है।

बाबा विश्वनाथ मंदिर की दीवारों से एनामेल पेंट हटाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, राष्ट्रीय सांस्कृतिक संपदा संरक्षण अनुसंधान साला, तथा आई आई टी रुड़की की मदद ली गई, अनेक व्यवधानाें के उपरांत सन 2019 में iit रुड़की द्वारा मंदिर की दीवारों के संरक्षण के लिए काम शुरु किया लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से काम पूरा नहीं हो सका था। परंतु मंडलायुक्त वाराणसी के कथन अनुसार टाटा द्वारा कार्य पूरा किया जा सकेगा।

लोगों के दिलों में यह प्रश्न उठ रहे हैं कि आखिरकार माननीय प्रधानमंत्री जी मार्ग शीर्ष मास में और वह भी दिसंबर को काशी विश्वनाथ मंदिर धाम के प्रथम चरण का लोकार्पण का दिन क्यों चुना है। यह शुभ कार्य किसी और दिन भी किया जा सकता था। तो आपको बताना चाहेंगे जी कि मार्ग शीर्ष मास को अगहन मास के रूप में जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार सभी हिंदू महीनों का अपना विशेष महत्व है, परंतु उनमें से मार्गशीर्ष मास धार्मिक दृष्टि से पवित्र माना जाता है। गीता में भगवान ने कहा है कि— मासानाम मार्ग शीर्यो यम॥

मार्गशीर्ष मास की प्रमुख विशेषताएं

  • सतयुग में देवो अगहन मास (मार्गशीर्ष मास) की प्रथम तिथि के दिन नया साल आरंभ किया।
  • कश्यप ऋषि द्वारा इसी दिन मन भावन, मनु हारी, सुंदर, सुखजीत, कश्मीर की रचना की थी।
  • मान्यता है जो के अनुसार सीमा स्नेह भगवान श्री राम और सीता जी का स्वयंवर रचा गया था।
  • मार्गशीर्ष मास में भगवान शिव और माता पार्वती का मिलन हुआ था ऐसी मान्यता है।
  • अगहन मास में पूर्णिमा को दत्तात्रेय की जन्म जयंती मनाई जाती है।
  • इसी मास में पूर्णिमा को चंद्रमा की पूजा की जाती है जिसका विशेष फल मिलता है।
  • मार्ग शीर्ष मास में विष्णु सहस्त्रनाम, भागवत गीता और गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।
  • मार्गशीर्ष मास में ‘ओम दामोदराय नमः’ से गुरु और इस देव को प्रणाम करने से जीवन के अवरोध कष्ट दूर होते हैं।
  • मार्ग शीर्ष मास में भागवत ग्रंथ को देखने की विशेष महिमा है।अपने घर में भागवत को प्रणाम करना चाहिए।
  • मार्ग शीर्ष मास श्री कृष्ण का रूप माना गया है। भगवान श्री कृष्ण की पूजा कई रूपों में इस मास का पूजन करना फलदाई होता है।
  • मार्ग शीर्ष मास में शंख में तीर्थ स्थानों का जल भरकर पूजा स्थल पर मंत्र पढ़ते हुए देवताओं के ऊपर घुमाकर जल को दीवाल पर छिड़कने से घर की शुद्धि होती है, मन को शांति मिलती है और घर के लोगों को लाभ होता है। कष्ट निवारक है, कष्टाें से छुटकारा मिलता है।

रवि योग की महत्ता

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रवि योग शुद्ध शुभ कामना प्रदान करने वाला होता है। रवि योग योगिनी सूर्य की अभीष्ट सिद्धि, कृपा होने के कारण, समस्त कार्य पूर्ति करने वाला होता है। अनिष्ट को दूर करने वाला, निर्विघ्नं कार्य करने वाला, समस्त संकटों से सीधे तौर पर बचाने वाला, शुभ फल प्रदान करने वाला रवि योग है।

अगहन मास – मार्गशीर्ष मास क्यों कहलाता है?

इस मास में भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना अनेक रूपों में अनेक नाम से उसकी की जाती है इन्हीं रूपों में से एक रुप मार्ग शीर्ष श्री कृष्ण का ही रूप है।

प्राचीन मंदिर काशी विश्वनाथ धाम का शुभ लोकार्पण

13 दिसंबर को अद्वितीय अद्भुत भाग्यश्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण समारोह में शामिल होकर भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी अगहन मास की दशमी तिथि को रवि योग में दिवस सोमवार को महा शिव जी योग समूह दोषों को नष्ट करने वाले समय में विद्युत समाज और संतो के बीच, सारे दोष से निवारक योग में, सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले योग में, शिव का प्रिय काशी नगरी में, गंगा की धारा के किनारे स्थित, प्राचीन मंदिर काशी विश्वनाथ धाम का, शुभ लोकार्पण, समारोह में, प्रधानमंत्री जी करेंगे। जो देश हित में है। संसार का कल्याण करने वाला समय है।

शिव नगरी काशी में सिय – पिय मिलन उत्सव

प्राचीन नगरी काशी, अविनाशी नगरी काशी, मोक्ष प्राप्त करने वाली नगरी में श्री राम के आराध्य शिव की नगरी में, प्राचीन विद्यालय तत्कालीन संपूर्णानंद विश्वविद्यालय में, बाबा विश्वनाथ की ओर से आयोजित महोत्सव की शुरुवात 1 दिसंबर से 9 दिसंबर तक शंभू आनंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रांगण में सीताराम विवाह महोत्सव का आयोजन आयोजित किया गया है।

सूचनानुसार कार्यक्रम की रूपरेखा

  • श्री गौरी शंकर भगवान विवाह लीला, 1 दिसंबर 2021 की।
  • जय विजय लीला, 2 दिसंबर।
  • राम जन्म और बाल लीला, 3 दिसंबर।
  • सीता जी का जन्म, विश्वामित्र से अहिल्या उद्धार की लीला, 4 दिसंबर।
  • जनकपुर प्रवेश एवं नगर दर्शन की लीला, 5 दिसंबर।
  • सिय – पिय मिलन फुलवारी और धनुष यज्ञ, 6 दिसंबर।
  • हल्दी मटकोर व राम बारात शोभायात्रा, 7 दिसंबर।
  • सीताराम विवाह, 8 दिसंबर।
  • राम कलेवा का आयोजन।
  • भागवत कथा का अमृत पान।

अवि मुक्त काशी

भगवान शिव ही प्राणियों के सृष्टि कर्ता संचालक तथा संघार करता है। क्योंकि जिसकी दृष्टि मात्र से ही प्रकृति शैवीयाे गई तथा सृष्टि के समय तक व्यक्त सभा वाली यह प्रकृति गुणों से युक्त हो गई। विश्व उद्धार करने वाली यह शक्ति अतिथि अजा नाम से विख्यात है। शिव कल्याण रूप, आनंद मय अनंत अनादि और ज्ञान के ध्येय हैं । वह पार्वती जी से खुद कहते हैं कि … हम तुम दोनों का अभिन्न तेज जो है वही अवि मुक्त काशी है। ज्योतिर्लिंग तू हो और लिंगवान महेश्वर मै हूं। इसी को जागृत रूप काशी कहा गया है। अवि का अर्थ पाप है। और जो पाप मुक्त क्षेत्र है वह अविमुक्त नाम से प्रसिद्ध है। वही काशी है।

स्कन्द पुराण के अनुसार

काशी का पृथ्वी से संबंध नहीं है, यह स्वाइन उचित उच्चतर लोक है। यह क्षेत्र मोक्ष दायनी है। काशी त्रिपुरारि की कृपा की राज नगरी है। मोक्ष कामी सन्यासी भी अविमुक्त क्षेत्र का सेवन करते हैं। इस क्षेत्र में रहने वाला पापी भी नरक में नहीं जाता है। लेकिन जानबूझकर पाप करने वाले को शिव शंकर माफ नहीं करते हैं।

विश्वनाथ मंदिर में दर्शनार्थियों के लिए एक श्लोक

माता तु पार्वती देवी पिता देव महेश्वर:।
बांधवा: शिव भक्ताष्च स्वदेशो भुवन त्रयम॥

कहने का तात्पर्य है कि काशी होने की कश्ती कसौटी है। यदि काशी में हो तो अपने को सीमित दायरे से बाहर निकालो। केवल अपनी माता को ही माता ना मानो अपितु सारी स्त्रियों को माता मानो, धूप पार्वती स्वरुप करुणा की देवी हैं। सारे पुरुषों को पिता मानो, जो अपने आचरण से तुम्हें अनुशासित करते हैं, वह सब महेश्वर हैं। जो लोक को धारण करने वाले हैं। लोक मंगल में लगे हुए हैं। ये ही हमारे भाई बंधु हैं।

यदि ऐसा हुआ तो तुम्हारा व्यक्तित्व पृथ्वी और पाताल लोक पर ही नहीं परलोक तक चमकने वाला, छा जाने वाला होगा। तभी तो तुम असली काशी वासी बनोगे। मान्यता और पुराणों के अनुसार शिव जी ने कई युगों में अपने इस विस्तृत काशी के स्वरुप की प्रदक्षिणा की है। इसलिए कल्याण के निमित्त काशी की पवित्र भूमि की प्रदक्षिणा करने वाली है। भव्य दिव्य नगर काशी को बारंबार प्रणाम। भगवान श्री राम के इष्ट शिव शंकर को मेरा सादर प्रणाम। भगवान शंकर की प्रिय श्री राम, लखन भरत शत्रुघ्न सहित माता सीता जी को सादर प्रणाम करता हूं।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख में समझाने की कोशिश की है — विश्व उद्धार करने वाली यह शक्ति अतिथि अजा नाम से विख्यात है। शिव कल्याण रूप, आनंद मय अनंत अनादि और ज्ञान के ध्येय हैं । वह पार्वती जी से खुद कहते हैं कि … हम तुम दोनों का अभिन्न तेज जो है वही अवि मुक्त काशी है। ज्योतिर्लिंग तू हो और लिंगवान महेश्वर मै हूं। इसी को जागृत रूप काशी कहा गया है। अवि का अर्थ पाप है। और जो पाप मुक्त क्षेत्र है वह अविमुक्त नाम से प्रसिद्ध है। वही काशी है।

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह लेख (काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रथम चरण का लोकार्पण।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

ज़रूर पढ़ें — प्रातः उठ हरि हर को भज।

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____Copyright ©Kmsraj51.com All Rights Reserved.____

Filed Under: 2021-KMSRAJ51 की कलम से, सुखमंगल सिंह जी की रचनाएँ, हिन्दी साहित्य Tagged With: author sukhmangal singh, Kashi Vishwanath Corridor, poet sukhmangal singh, sukhmangal singh article, ईशान कोण से दिखने लगा काशी विश्वनाथ का स्वर्ण शिखर, काशी विश्वनाथ का इतिहास, काशी विश्वनाथ धाम में मंदिर से लेकर प्रांगण तक का बदलेगा स्वरूप, काशी विश्वनाथ धाम: पहले चरण का लोकार्पण करेंगे पीएम मोदी, काशी विश्वनाथ मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर किसने बनवाया था, काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन, काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रथम चरण का लोकार्पण, काशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन का समय, काशी विश्वनाथ मंदिर न्यूज़, काशी विश्वनाथ मंदिर फोटो, काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।, काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है।, काशी विश्वनाथ मंदिर में कितना सोना लगा है, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास। ♦

25 नवंबर 2021

Noida International Airport / Jewar Airport

Noida International Greenfield Airport

बुद्धि जड़ता को हरने वाली होती है। बुद्धि ही मनुष्य की वाणी में सत्यता लाती है और मनुष्य को प्रतिष्ठा देकर अभ्युदय करती है। मान प्रतिष्ठा की वृद्धि करती है। पाप कर्म को हरती है। दशो दिशाओं में यश कीर्ति फैलती है।

वह मनुष्य शास्त्रों द्वारा अलंकृत शब्दों से विभूषित सुंदर वाणी बोलने वाला होता है। समाज को उपदेश देने वाला होता है। आश्रित के ऊपर उदारता रखता है। दया और क्षमा की भावना उसमें कूट कूट कर भरी रहती है। जिस व्यक्ति के अंदर क्षमा है उसे किसी कवच की आवश्यकता नहीं होती है। इसके विपरीत दुष्टों की संगत करने वालों को विषैले सर पाद पालने की आवश्यकता नहीं होती है।

जो व्यक्ति संकल्प शील, पूर्ण विश्वासी, परिस्थितियों से समझौता ना करने वाला, पुरुषार्थ से भरा हुआ, विघ्नों से जूझने वाला, होता है वह जो संकल्प उठा लेता है उसे हर हाल में पूरा करता है। यह भी कहा जाता है कि इस संसार में जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु भी निश्चित रूप से होती है। लेकिन धन्य वही जो जन्म लेकर अपने कुल को गौरवान्वित करता है। तेजस्वी होता है।

इस संसार में कुछ ऐसे भी व्यक्ति है जो धनवान होने पर समस्त भूमंडल तृणवत समझते हैं। जब की कुछ ऐसे सत्य और निष्ठा वाले कठोर कदम उठाने वाले, तपी, मधुर वचन बोलने वाले, दयालु और समाज को नई दिशा देने वाले व्यक्ति होते हैं जो संयमी व्यक्ति होते हैं जिन्हें सभी में ईश्वर का रूप दिखता है।

बात कुछ और करना है।
25 नवंबर बृहस्पतिवार सन 2021 ई. समय 12:00 बजे दोपहर को जेवर में, नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी के कर कमलों द्वारा हुआ। इस मौके पर माननीय जोतिरादित्य एम सिंधिया मंत्री, नागरिक विमानन भारत सरकार, नंद गोपाल गुप्ता नंदी मंत्री, नागरिक उड्डयन, राजनीतिक पेंशन, अल्पसंख्यक कल्याण, उत्तर प्रदेश की माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, उपमुख्यमंत्री आदरणीय केशव प्रसाद मौर्य, सांसद विधायक आज गाड़ी कर्मचारी की गरिमामय उपस्थिति में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट / जेवर एयरपोर्ट, गौतम बुद्ध नगर, का शिलान्यास हुआ। शिलान्यास का कार्य पूरा हो जाने के बाद दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, आगरा अलीगढ़ फरीदाबाद जैसी शहरों के साथ – साथ करोड़ों लोगों को इसका विशेष लाभ मिलता रहेगा।

उत्तर प्रदेश जिसे पहले पिछड़े प्रदेशों में गिना जाता रहा वहां योगी सरकार आने के बाद उत्तर प्रदेश को पांच इंटरनेशनल एयरपोर्ट मिल गया। जेवर में, नोएडा इंटर नेशनल एयरपोर्ट जिसका शिलान्यास हुआ वह एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा। भारत के प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी जी कुशीनगर एयरपोर्ट का उद्घाटन और पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का लोकार्पण अभी हाल में ही किया।

नोएडा हवाई अड्डे के शिलान्यास समारोह के दौरान अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश को वह मिल रहा जिसका वह हकदार था। पहले की सरकारों ने जनता को झूठे सपने दिखाए। इसका प्रभाव उत्तर प्रदेश पर पड़ा। उत्तर प्रदेश में पहले अभाव और अंधकार, अब अंतरराष्ट्रीय छाप छोड़ रहा है प्रदेश। उत्तर प्रदेश आज राष्ट्रीय हित ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय छाप छोड़ रहा है।

कनेक्टिविटी के क्षेत्र में नोएडा बेहतरीन मॉडल बनेगा

जेवर में प्रधानमंत्री ने दुनिया के चौथे सबसे बड़े हवाई अड्डे की नींव 25 नंबर को नोएडा हवाई अड्डे के नाम से रखी। इस मौके पर उन्होंने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में 21 वीं सदी का भारत ने एक से एक बढ़कर कदम उठा रहा है। उत्तर प्रदेश राजस्व गेटवे के रूप में भरेगा।

उन्होंने कहा कि कनेक्टिविटी के क्षेत्र में नोएडा बेहतरीन मॉडल बनेगा। एयरपोर्ट शुरू हो जाने पर किसानों की उपज सामग्री और स्थानीय उत्पाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में आसानी से पहुंच सकेंगे। जो सब्जियां जल्द खराब हो जाती हैं वह भी चंद घंटो में विदेशी ग्राहक के पास तक पहुंच सकेंगी। इस एयरपोर्ट से मुरादाबाद के पीतल, सहारनपुर का फर्नीचर, आगरा का फुटवियर और पेठा उद्योग, सब कुछ सामान ए प्रतिस्पर्धा करने वाली हो जाएंगी।

उन्होंने कहा जिन प्रदेशों की सीमा समुद्र से मिलती है वहां बंदरगाह आर्थिक उन्नत का रास्ता होता है। परंतु उत्तर प्रदेश जैसी प्रदेशों के लिए जो समुद्र से दूर है इन राज्यों के लिए यही भूमिका एअरपोर्ट ही सही होती है। इसी एयरपोर्ट के बन जाने से उत्तर प्रदेश के साथ – साथ दिल्ली, हरियाणा, उतर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और छत्तीसगढ़, झारखंड सहित अन्य राज्यों को भी लाभ होगा।

माननीय ज्योतिरादित्य सिंधिया नागरिक गुड्डन मंत्री के अनुसार जेवर मे बन रहे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, दिल्ली में पहले से स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को पीछे छोड़ देगा।

खास बात यह है कि यहां मेंटेनेंस, रिपेयरिंग ओवरहार्लिंग (एम आर ओ) सर्विस की सुविधा भी सुलभ होगी। जबकि अभी तक विमानों की मरम्मत के लिए पचासी फीसदी विमानों को भारत से बाहर विदेशों में मरम्मत के लिए भेजा जाता रहा है।
इसी एयरपोर्ट के बन जाने और यहां दी जाने वाली सुविधाओं की परियोजनाएं पूर्ण हो जाने पर विमान मरम्मत में होने वाला सारा खर्च भारत में ही रहेगा। यही प्रधानमंत्री जी के मेक इन इंडिया विजन भी है।

उत्तर प्रदेश में इंटरनेशनल एयरपोर्ट

  • नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट / नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट / जेवर हवाई अड्डा
  • चौधरी चरण सिंह इंटरनेशनल एयरपोर्ट / लखनऊ एयरपोर्ट
  • लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट / वाराणसी एयरपोर्ट
  • कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट / कुशीनगर एयरपोर्ट

उत्तर प्रदेश में एयरपोर्ट

  • नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट / नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट / जेवर हवाई अड्डा
  • चौधरी चरण सिंह इंटरनेशनल एयरपोर्ट / लखनऊ एयरपोर्ट
  • लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट / वाराणसी एयरपोर्ट
  • कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट / कुशीनगर एयरपोर्ट
  • आगरा एयरपोर्ट – Agra Airport
  • इलाहाबाद एयरपोर्ट (प्रयाग) – Allahabad Airport (Prayag)
  • बरेली एयरपोर्ट – Bareilly Airport
  • हिंडन एयरपोर्ट – गाजियाबाद
  • गोरखपुर एयरपोर्ट – Gorakhpur Airport
  • कानपुर एयरपोर्ट – Kanpur Airport

ऐतिहासिक कदम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ऐतिहासिक कदम उठाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। उनका मानना है कि मेरा वनवासी, मेरा दलित, मेरा वंचित, इसको मुझे विकास की यात्रा में ऊपर लाना है। वह जिस समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहे आदिवासियों के लिए 40 हजार करोड़ का वनबंधु पैकेज तैयार किया। गुजरात की आदिवासी क्षेत्र में कार्यरत लोग आज भी इस पर अभ्यास कर रहे हैं। गुजरात में मोदी ने कमाल कर दिखाया था। शहरी गरीबों के लिए भी बहुत काम किया था। युवा / युवकों में शक्ति का संवर्धन के हमेशा शक्ति प्रदान करते रहते हैं।

रोजगार के अवसर

  • इंटरनेशनल एयरपोर्ट के बाद लोकल उत्पादन, और उपज, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पहुंचेगा जिससे अधिक प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
  • लाखों लोगों को इससे रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
  • एयरपोर्ट के साथ एयरो-सिटी के निर्माण की भी योजना है। इसमें भी लोगों को रोजगार के मौके प्राप्त होंगे।
  • प्रति वर्ष करीब सवा करोड़ लोगों का आवागमन होगा जिसका लाभ उत्तर प्रदेश को प्रत्यक्ष रुप से मिल मिलेगा।

जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनने से उत्तर प्रदेश में देश के राज्यों में सर्वाधिक पांच इंटरनेशनल एयरपोर्ट वाला राज्य उत्तर प्रदेश हो जाएगा। उत्तर प्रदेश ,उत्तर भारत की सीमा क्षेत्र में स्थित लॉजिस्टिक गेटवे के रूप में प्रदेश यानी उत्तर प्रदेश ग्लोबल लॉजिस्टिक मैप पर उभर रहा है।

भारत में पहली बार इंटेग्रेटेड मल्टी मॉडल कार्गो हब एयरपोर्ट का निर्माण, लॉजिस्टिक लागत में कमी और समय की बचत होगी ऐसा बताया गया। इंटरनेशनल एयरपोर्ट होने से हॉस्पीटल की और टूरिज्म सेम टू बढ़ावा मिलेगा। एयरपोर्ट के साथ ग्राउंड ट्रांसपोर्टेशन सेंटर का भी विकास होगा, जिससे एयरपोर्ट तक रोड, रेल और मेट्रो की निरंतर कनेक्टिविटी बनी रहे। इस एयरपोर्ट का काम बस 2024 तक पूरा होने का लक्ष्य रखा गया।

आखिर उनकी वह कौन सी विशेषताएं हैं ……

आखिर उनकी वह कौन सी विशेषताएं हैं जिसे देखकर भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व अपनी समस्याओं का हल निकालने के लिए उनके अंदर तलाश करते हैं। गुजरात में मुख्यमंत्री हुए उन्होंने गुजरात को आगे लाकर खड़ा कर दिया। एक बार जब मुख्यमंत्री रहे तो उन्होंने कहा था कि कश्मीर एक, भारत राज्य का राज्य में केंद्र सरकार हल नहीं कर पा रही है गुजरात, पाकिस्तान की सीमा से लगा हुआ है, गुजरात के लोगों के खिलाफ उसे किसी प्रकार की गलत नियत से आने की हिम्मत नहीं। जिस विकास का फंडा लेकर गुजरात में उन्होंने परचम लहराया उसी फंडा को लेकर उस पर चलकर पूरी भारत में विकास का परचम लहरा दिया। इसलिए उन्हें प्रगट पुरुष, सम्राट, संत पुरुष, तपस्वी, विश्लेषण से जनता उन्हें सम्मान पूर्वक नाम लेती है। रचनाकार कहता है —

………

एक गुजराती निज तप बल पर,
भारत को स्वर्ग बना डाला।
आतंकी और गद्दारों के सीने पर,
चढ़कर प्रगट पुरुष छाया।

उसने कसमें खाई मां की खाई थी,
धरा पे आतंकी नहीं आने देंगे।
समय समझ चुके भोले शंकर के,
मां पर दाग ना लगने देंगे।

जो भी सेना का अपमान करेंगे,
उनको अब नहीं छोड़ेंगे।
राष्ट्र से गद्दारी करने वालों की,
सीना पर जाकर बोलेंगे।

केसर की क्यारी में ऐसा कोई,
आतंकी नहीं पलने देंगे।
इसकी दुश्मनों को अब हमनें ,
अच्छे से पहचान लिया।

देश में गद्दारी करने वालों को,
सारा समाज जान लिया।
दिल्ली की धरती पर हमने,
गद्दारों को देखा था।
रस्साकसी है देवासुर संग्राम की,
जय श्री राम की।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख में समझाने की कोशिश की है — आखिर उनकी वह कौन सी विशेषताएं हैं जिसे देखकर भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व अपनी समस्याओं का हल निकालने के लिए उनके अंदर तलाश करते हैं। गुजरात में मुख्यमंत्री हुए उन्होंने गुजरात को आगे लाकर खड़ा कर दिया। एक बार जब मुख्यमंत्री रहे तो उन्होंने कहा था कि कश्मीर एक, भारत राज्य का राज्य में केंद्र सरकार हल नहीं कर पा रही है गुजरात, पाकिस्तान की सीमा से लगा हुआ है, गुजरात के लोगों के खिलाफ उसे किसी प्रकार की गलत नियत से आने की हिम्मत नहीं। जिस विकास का फंडा लेकर गुजरात में उन्होंने परचम लहराया उसी फंडा को लेकर उस पर चलकर पूरी भारत में विकास का परचम लहरा दिया। इसलिए उन्हें प्रगट पुरुष, सम्राट, संत पुरुष, तपस्वी, विश्लेषण से जनता उन्हें सम्मान पूर्वक नाम लेती है।

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह लेख (नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

ज़रूर पढ़ें — प्रातः उठ हरि हर को भज।

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____Copyright ©Kmsraj51.com All Rights Reserved.____

Filed Under: 2021-KMSRAJ51 की कलम से, सुखमंगल सिंह जी की रचनाएँ, हिन्दी साहित्य Tagged With: author sukhmangal singh, Jewar Airport, Noida International Airport, Noida International Greenfield Airport, sukhmangal singh article, उत्तर प्रदेश में इंटरनेशनल एयरपोर्ट, उत्तर प्रदेश में एयरपोर्ट, एशिया के सबसे बड़े एयरपोर्ट का शिलान्यास, जेवर एयरपोर्ट का शिलान्यास, जेवर हवाई अड्डा, नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास, नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट

कल्याण सिंह।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ कल्याण सिंह। ♦

राम मंदिर आंदोलन के बड़े चेहरे के रूप में कल्याण सिंह का नाम रोशन किया जाएगा। जबकि राम मंदिर आंदोलन में लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी और कल्याण सिंह की मुख्य भूमिका थी। पूरे देश के लोगों ने इस आंदोलन में अपनी भागीदारी दर्ज कराई।

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के पहले मुख्यमंत्री के रूप में जून 24, 1991 में कल्याण सिंह ने शपथ ली। उन्होंने पहली बार मुख्यमंत्री बनने पर मंत्रिमंडल के साथ सीधे अयोध्या पहुंचकर राम लला का कैबिनेट के साथ दर्शन – पूजन किया और शपथ ली कि हम राम जन्म भूमि अपने जीते जी बनाने का पूरा प्रयास करूंगा।

जन्म व देहावसान।

कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी सन 1932 में, अलीगढ़ में अतरौली तहसील के महोली नाम गांव के एक किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा दीक्षा काल में ही संग परिवार से अपना नाता जोड लिया। उनका देहावसान लखनऊ के पी• जी• आई• में शनिवार 21 अगस्त 2021 को हुआ। कल्याण सिंह का 89 वर्ष का कार्य-काल खुशी और गम से भरा हुआ था, संघर्षों से लड़ते हुए आगे बढ़ते रहे। उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में उन्हें जननायक के रूप में स्वीकारा गया।

मुख्यमंत्री के रूप में।

वह उत्तर प्रदेश में दो बार मुख्यमंत्री के रूप में शासन सत्ता की बाग डोर, उनके हाथ में जनता ने दी। कल्याण सिंह – दिल से राजनीति करने वाले नेताओं में से एक प्रमुख भूमिका निभाई। कल्याण सिंह के समय भी विरोधी लाबी बयान बाजी करती रही और वह उसका जवाब अपनी तरह से लोगों को दिया।

विश्व हिंदू परिषद और राम जन्म भूमि यज्ञ समिति द्वारा सामने जो 89 – 90 ई• के दौरान जब आंदोलन तेज बारिश अक्टूबर 1990 को कार सेवा करने की घोषणा हो गई। मंदिर मुक्ति घोषणा से जनता दल और भाजपा के बीच खटास पैदा हो गया।

राम मंदिर — कार सेवा आंदोलन।

उधर मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के मुलायम सिंह यादव जी थे उन्होंने पुरजोर धन से कार सेवा रोकने की अपनी घोषणा कर दी। उन्होंने एलान किया कि अयोध्या में परिंदा भी पर नहीं मार सकता। जगह जगह पूरी उत्तर प्रदेश में बैरी गेटिंग कर दी गई। राम मंदिर के लिए सभा पर रोक लगा दिया गया।

मीटिंग करने वालों को गिरफ्तार किया जाने लगा। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह आदि लोग प्रमुख रुप से कार्य कर रहे थे। कल्याण सिंह मंदिर के पक्ष में थे इसलिए उन्होंने आर-पार का शंखनाद कर दिया।

प्रदेश की सड़कों पर नारे लगने लगे ” कल्याण सिंह कल्याण करो, मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करो। ” कल्याण सिंह ‘कल्याण करो मंदिर का निर्माण करो’ उत्तर प्रदेश ही नहीं संपूर्ण भारत से राम भक्तों का आना अयोध्या जी तरफ कूच करना पुरजोर तरह से शुरु यद्यपि इसके पहले भी पूरे देश के राम लला की दर्शन के लिए लोगों का आना जाना लगा रहता था।

राम भक्त झुंड के झुंड दक्षिणी भारत से भी आते और दर्शन करके संकल्प ले कर कि “हम अयोध्या फिर आएंगे मंदिर यही बनाएंगे।” का संकल्प ले कर अपने प्रदेश चले जाते थे।

बैठक राष्ट्रीय कार्यकारिणी की।

सन 1989 – 90 के दौरान हमारी एक बैठक राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अयोध्या में हुई थी, जिसमें हमने देखा कि आए वो यही कहते हुए दर्शन पूजन के बाद जाते थे। उन्हीं दिनों सड़क पर नारे लग रहे थे, मुलायम सिंह ने कल्याण सिंह को हिंदू नेता के रुप में उभरता हुआ देखकर उन्हें गिरफ्तार करवा लिया।

अयोध्या में कार सेवकों के ऊपर गोलिया चलवा दी। सरकारी आंकड़े के अनुसार बहुत ही कम कार सेवक मारे गए दिखाया गया। जबकि हजारों की संख्या में कार सेवक मारे गए, आम जनता का कहना है कि सरयू नदी की धारा लाल हो कर बह रही थी।

क्रांतिकारी फैसले।

जनता में भारी आक्रोश था, लोग मुलायम सिंह की सत्ता व राजनीति से नाराज थे। चुनाव हुआ और 1991 कल्याण सिंह सत्ता में आए। कल्याण सिंह फैसलों के लिए काफी चर्चित हुए। उन्होंने जोत बही के रूप में किसानों का न सिर्फ उनकी जमीन का स्थाई मूल दस्तावेज उपलब्ध कराया बल्कि विरासत की समय सीमा तय करनी जैसे क्रांतिकारी फैसले भी लिए।

अयोध्या नहीं, कार सेवकों के ऊपर गोली न चलने और ढांचा को यथा स्थिति मैं बनाए रखने का संकल्प लिया था सुरक्षा देने का शपथ पत्र न्यायालय को भी दिया था, इसलिए उन्होंने अंत में मंदिर का ढांचा देने के बाद पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले लिया।

अधिक प्रभावी रूप में।

कल्याण सिंह मंडल – कमंडल से अधिक प्रभावी थे। हिंदू के कभी वह प्रमुख चेहरा के रूप में जाने जाते थे। अजीब पिछड़ी जात की पहचान थे। भारतीय जनता पार्टी में आरक्षण की नीति कैसे लागू हो इसके रणनीतिकार भी थे। पिछड़ी जात की आरक्षण दिलाने के माहिती थे। कल्याण सिंह मैं का अहंकार भी हो गया था। उसी अहंकार के कारण उन्होंने पार्टी के भीष्म पितामह कहे जाने वाले अटल जी से टकरा गए।

वह ईमानदार सिद्धांत वादी, मुद्दों पर आने वाले और जनता की नब्ज पकड़ने वाले मुख्यमंत्री के रूप में जाने जाते थे। राम मंदिर का ढांचा देखने के बाद उनको अपनी सरकार के बर्खास्त होने का दंश झेलना पड़ा, परंतु कार सेवकों के ऊपर गोली ने चलाने की वजह से उन्हें किसी भी प्रकार का सरकार जाने का मलाल नहीं था।

कारसेवक वापस आए — पर गोली नहीं चलवाऊंगा।

अजय ध्यानी 6 दिसंबर 1992 को जब मंदिर का ढांचा गिरा उस समय प्रधानमंत्री भारत सरकार माननीय P. V. Narasimha Rao जी थे। दिल्ली से गृहमंत्री यशवी चौहान का फोन आया था। प्रधानमंत्री के निजी सचिव ने Faizabad के कमिश्नर से फोन करके केंद्रीय बलों को बढ़ाने के बात कही थी।

उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने कहा था कि कार सेवक वापस आए पर गोली नहीं चलवाऊंगा। मंदिर का ढांचा गिरने से Narasimha राव जी और कल्याण सिंह जी आहत हो गए। लोगों को विश्वास ही नहीं था कि कार सेवक मंदिर का ढांचा ढहा देंगे।

देश दुनिया से आए हुए कार सेवक पूरी अयोध्या और आसपास के जिलों में पहले से आये हुए थे, कहां जाता है कि वह ढांचा तक पहुंचने का प्रयास कर रहे थे। केंद्रीय रिजर्व पुलिस और स्थानीय पुलिस कार सेवकों को नियंत्रित करने भी लगी हुई थी।

हुजूम हनुमानगढ़ी की तरफ बढ़ रहा था कि एक व्यक्ति आया और वहां पर मौजूद बस को बड़ी तेजी के साथ लेकर सारे बंधनों को तोड़ते हुए मंदिर के पास पहुंचा। कल्याण सिंह जी सन 2002 के चुनाव से पार्टी छोड़ देने की वजह से भारतीय जनता पार्टी को बारी नुकसान उठाना पड़ा।

प्रभु श्री राम का जन्म स्थान पर भव्य और दिव्य मंदिर निर्माण।

लेकिन वह 2004 में पुनः पार्टी में शामिल होने की घोषणा की। कल्याण सिंह जी का कहना था हमें जीवन में कुछ और नहीं चाहिए हमारी भगवान राम से अगाध श्रद्धा भक्ति है। उन्हें पूरा विश्वास था कि प्रभु श्री राम का जन्म स्थान पर भव्य और दिव्य मंदिर निर्माण एक दिन अवश्य होगा।

कल्याण सिंह को कठोर शासक और दिल के नरम नेता के रूप में जाना पहचाना जाता रहेगा।

विश्व हिंदू परिषद की कोई ऐसी योजना हो तो उन्हें बताना चाहिए ऐसा कल्याण सिंह का मानना था। इसलिए उन्हें इस बात का हमेशा दुःख कराता था हमे धोखे में रखा गया। सन 2004 में कल्याण सिंह फिर भाजपा में शामिल हुए परंतु 2009 में उन्होंने फिर पार्टी छोड़ दिया और निर्दलीय सांसद के रूप में एटा जिले से चुनाव मैदान में उतर आए।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से कल्याण सिंह जी के जीवन व उनके कार्यकाल पर प्रकाश डाला है। मुख्य रूप से उन्हें श्री राम जन्म स्थान मंदिर के महत्वपूर्ण फैसले के लिए सदैव ही याद किया जायेगा।

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह लेख (कल्याण सिंह।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

ज़रूर पढ़ें: अफगानी – दुर्दशा।

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Idहै:kmsraj51@hotmail.com.पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

cymt-kmsraj51

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

 

 

____Copyright ©Kmsraj51.com All Rights Reserved.____

Filed Under: 2021-KMSRAJ51 की कलम से, सुखमंगल सिंह जी की रचनाएँ Tagged With: author sukhmangal singh, essay on kalyan singh, kalyan singh, kavi sukhmangal singh, sukhmangal singh article, कल्याण सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का जीवन परिचय, राम मंदिर — कार सेवा आंदोलन

आधुनिक हिंदी के दिशा नायक निराला।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ आधुनिक हिंदी के दिशा नायक निराला। ♦

निराला जी के संबंध में कोई स्वतंत्र समीक्षा पुस्तक नहीं लिखी मिली।
समीक्षात्मक मूल्यांकन करने वाले प्रमुख आलोचक पंडित राम चंद्र शुक्ल और नंद दुलारे वाजपेयी जी ही रहे।

निराला जी के काव्य वैशिष्ट्य और उपलब्धियों पर समीक्षा विचार छायावादी की भांति की गई।

नंद दुलारे वाजपेयी जी सुमित्रानंदन पंत को पसंद करते थे, पंडित शुक्ल या अन्य कवि उन्हें काव्य की कृतियों में वैसा नहीं भाते हैं।
फिर भी कवि की अभिव्यंजन पद्धति से समीक्षा प्रारंभ किया, निराला जी के नाद सौंदर्य पर और अधिक ध्यान दिया।

उनकी प्रगीत मुक्तको में संगीतात्मकाता पाया,
उन्होंने संगीत को काव्य के निकट लाने का प्रयास किया।
उनकी पद्य योजना पहुंच में जटिल दिखाई देती है,
समस्त पद विन्यास कवि की कार्यशैली की विशेषता है॥

काव्य में विषम चरण छंदों का प्रयोग,
काव्य की तीसरी विशेषता रही है।
काव्य दृष्टि से शुक्ला नहीं यह स्वीकारा,
बहु स्पर्श नी प्रतिभा निराला मौजूद है।
शैली और सामाजिक मूल्यों के क्षेत्र में,
निराला आदर्श मान्यता बंधन नहीं स्वीकार किया॥

उनके भाषा में व्यवस्था की कमी और पद योजना का अर्थ व्यंजन दुर्बल माना।
फिर भी उनकी विद्रोही भावना और जगत के विविध प्रस्तुत रूपों आदि को लेकर चलने वाली काव्य प्रतिभा के महत्व को, उदासीन भाव से ही सही स्वीकार किया।

निराला जी के काव्य वैशिष्ट्य और काव्य प्रतिभा की तरफ वाजपेयी ने जगत का ध्यान आकृष्ट किया।
विश्लेषण और मूल्यांकन में आलोचक की कठिनाई को वाजपेयी जी ने शुरुआत में ही कह दिया।

कवि के व्यक्तित्व और उसके निर्माण में ऐसी सूक्ष्म शब्दों का प्रयोग मिलता है,
जिसका विश्लेषण हिंदी की वर्तमान धारणा ने विशेष कठिन क्रिया वाजपेयी जी ने बताया।

पंडित नंद दुलारे जी की समीक्षा अनुसार निराला जी, हिंदी काव्य की प्रथम दार्शनिक कभी और सचेत कलाकार हैं।

निराला जी के विकास के मूल में भावना की अपेक्षा बुद्धि तत्व की प्रधानता है।
जो उनके स्वछंद छंदो, से दिखाई पड़ता है।
उनके काव्य में परंपरा के प्रति, गहरा विद्रोह झलकता है।

छंदोबद्ध संगीतात्मक रचनाओं के द्वारा, निराला जी के काव्य का दूसरा चरण शुरू होता है। बौद्धिकता पर नियंत्रण, भावना युक्त रचना, कला सृष्टि का स्वरुप देने में समर्थ हैं।

निराला जी के काव्य के विकास का तीसरा चरण, गीतिका काव्यों में परिलक्षित होता है। काव्य में विराट बौद्धिक चित्रों के स्थान पर रम्मय आकृतियां अधिक मिलती है।

ऐसा परिवर्तन, निराला के काव्य में, बुद्धि तत्व के कलात्मक परिपक्वता की दिशा में आगे ले जाना है।

शुक्ल जी की मत का खंडन करते हुए, पंडित नंद दुलारे वाजपेयी जी ने कहा।

सार्थक शब्द सृष्टि, प्राढ़ सशक्त पद विन्यास और संगीतात्मकता, निराला जी की हिंदी कविता को प्रमुख देन बताया। शब्द संगीत परखने और व्यवहार में लाने,
में निराला जी आधुनिक हिंदी के दिशा नायक हैं बताया।
— ( साभार हिं. सा. का बृहद इतिहास )

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस Article में समझाने की कोशिश की है की, “पंडित नंद दुलारे वाजपेयी जी ने कहा — सार्थक शब्द सृष्टि, प्राढ़ सशक्त पद विन्यास और संगीतात्मकता, निराला जी की हिंदी कविता को प्रमुख देन बताया। शब्द संगीत परखने और व्यवहार में लाने में निराला जी आधुनिक हिंदी के दिशा नायक हैं बताया।”

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह लेख (आधुनिक हिंदी के दिशा नायक निराला।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

ज़रूर पढ़ें: पृथु का प्रादुर्भाव।

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Idहै:kmsraj51@hotmail.com.पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

cymt-kmsraj51

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

 

 

____Copyright ©Kmsraj51.com All Rights Reserved.____

Filed Under: 2021-KMSRAJ51 की कलम से, सुखमंगल सिंह जी की रचनाएँ, हिन्दी साहित्य Tagged With: author sukhmangal singh, kavi sukhmangal singh, Kavi Suryakant Tripathi, Sukhmangal Singh, sukhmangal singh article, सुखमंगल सिंह जी की रचनाएँ, ‎सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के लेखन कार्य, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी हिन्दी साहित्य, सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'

Next Page »

Primary Sidebar

Recent Posts

  • ब्रह्मचारिणी माता।
  • हमारा बिहार।
  • शहीद दिवस।
  • स्वागत विक्रम संवत 2080
  • नव संवत्सर आया है।
  • वैरागी जीवन।
  • मेरी कविता।
  • प्रकृति के रंग।
  • फिर भी चलती साथ-साथ वो हमेशा।
  • यह डूबती सांझ।
  • 10th Foundation Day of KMSRAJ51
  • प्रकृति और होरी।
  • तुम से ही।
  • होली के रंग खुशियों के संग।
  • आओ खेले पुरानी होली।
  • हे नारी तू।
  • रस आनन्द इस होली में।

KMSRAJ51: Motivational Speaker

https://www.youtube.com/watch?v=0XYeLGPGmII

BEST OF KMSRAJ51.COM

ब्रह्मचारिणी माता।

हमारा बिहार।

शहीद दिवस।

स्वागत विक्रम संवत 2080

नव संवत्सर आया है।

वैरागी जीवन।

मेरी कविता।

प्रकृति के रंग।

फिर भी चलती साथ-साथ वो हमेशा।

यह डूबती सांझ।

10th Foundation Day of KMSRAJ51

Audiobooks Now

AudiobooksNow - Digital Audiobooks for Less

Affiliate Marketing Network

HD – Camera

Free Domain Privacy

Footer

Protected by Copyscape

KMSRAJ51

DMCA.com Protection Status

Copyright © 2013 - 2023 KMSRAJ51.COM - All Rights Reserved. KMSRAJ51® is a registered trademark.