• Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • HOME
  • ABOUT
    • Authors Intro
  • QUOTES
  • POETRY
    • ग़ज़ल व शायरी
  • STORIES
  • निबंध व जीवनी
  • Health Tips
  • CAREER DEVELOPMENT
  • EXAM TIPS
  • योग व ध्यान
  • Privacy Policy
  • CONTACT US
  • Disclaimer

KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

Check out Namecheap’s best Promotions!

You are here: Home / 2025 - KMSRAJ51 की कलम से / तंत्र, मंत्र और तत्व ज्ञान में अंतर।

तंत्र, मंत्र और तत्व ज्ञान में अंतर।

Kmsraj51 की कलम से…..

Table of Contents

Toggle
  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • Difference between Tantra, Mantra and Tatva Gyan | तंत्र, मंत्र और तत्व ज्ञान में अंतर।
      • एक अध्यात्मिक विश्लेषण 
    • 1. तंत्र विज्ञान — भौतिकता का कौशल
    • 2. मंत्र विज्ञान — मानसिक साधना का विज्ञान
    • 3. तत्व ज्ञान — आत्मा और परमात्मा का संयोग है
    • 4. उदाहरण — सिद्धि बनाम मुक्ति
    • 5. निष्कर्ष — सत्य की ओर मार्ग
    • Please share your comments.
    • आप सभी का प्रिय दोस्त
      • ———– © Best of Luck ®———–
    • Note:-
      • “सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)
      • Related posts:
    • दुनिया का प्यारा – राष्ट्र का दुलारा – काशी का बना सहारा – सांसद हमारा।
    • व्यवस्था ही हुई अब लंगड़ी है।
    • शिवाजी महाराज मराठा साम्राज्य का विस्तार।

Difference between Tantra, Mantra and Tatva Gyan | तंत्र, मंत्र और तत्व ज्ञान में अंतर।

एक अध्यात्मिक विश्लेषण 

बहुतायत लोगों की यह धारणा होती है कि तंत्र, मंत्र और तत्व ज्ञान — ये तीनों एक ही विषय के अलग- अलग नाम हैं पर विषय एक ही है। किंतु वास्तव में ऐसा नहीं है। अध्यात्म-विज्ञान की दृष्टि से देखें तो ये तीनों अलग-अलग पड़ाव हैं। प्रत्येक का अपना क्षेत्र, उद्देश्य और लक्ष्य है। इन्हें क्रमवार समझना आवश्यक है :-

1. तंत्र विज्ञान — भौतिकता का कौशल

तंत्र प्राचीन भारत की भौतिक सामग्रियों के संतुलित संयोजन का विज्ञान था। यह शरीर, औषधि, धातु, रस, दिशा और समय जैसे भौतिक तत्त्वों के प्रयोग से चमत्कार उत्पन्न करने की कला थी।
तंत्र को समझने के लिए कठोर अभ्यास की आवश्यकता होती थी, जिसे आज के युग में “ट्रेनिंग” कहा जाता है। आधुनिक विज्ञान के विकास के साथ-साथ तंत्र अब भौतिक, रासायनिक और जैव विज्ञान का अंग बन चुका है।
तंत्र वस्तुतः बौद्धिक विलास का विज्ञान था — आज यह सार्वजनिक हो चुका है और आधुनिक प्रयोगशालाओं में इसके सिद्धांत विज्ञान के रूप में आत्मसात हो चुके हैं।

2. मंत्र विज्ञान — मानसिक साधना का विज्ञान

मंत्र विद्या वस्तुतः बौद्धिक विलास का विज्ञान है । यह तंत्र से एक कदम आगे की कड़ी थी। इसमें शब्द-साधना और ध्वनि-ऊर्जा के माध्यम से मानसिक जगत को साधा जाता था।
मंत्रों से प्रत्यक्ष भौतिक चमत्कार नहीं होते थे, किंतु सूक्ष्म शरीर शक्तिशाली बनता था।
तंत्र जहाँ भौतिक शरीर को सशक्त करता था, वहीं मंत्र विज्ञान मन और चेतना को सशक्त करता था।

मंत्र-साधना से साधक को मानसिक सिद्धि और वाक्-सिद्धि प्राप्त होती थी —

  • मानसिक सिद्धि से वह दूसरों के मन के भाव पढ़ सकता था।
  • वाक्-सिद्धि से उसके शब्द वरदान या शाप का प्रभाव धारण करते थे।

आज का मनोविज्ञान इसी विद्या के कुछ अंशों को आधुनिक रूप में समझाने का प्रयास करता है। परंतु इस विद्या का मूल तर्क से नहीं,  कल्पना शक्ति से संचालित होता है, और यही कारण है कि आधुनिक तर्कशील समाज में यह विद्या लुप्तप्राय हो गई है। जो मंत्र विज्ञान आज प्रयोग होता भी है,  वह एक तो बहुत कम होता है और फिर वह सिद्ध पुरुषों के अभाव में प्रयोग होता है,जिससे समाज को भ्रम में तो डाला जा रहा है पर राहत नहीं पहुंच रही है। मंत्र विज्ञान मन की ताकत को बढ़ाने का एक सशक्त माध्यम था और है। पर शर्त यह है कि इसकी भी सिद्धि शास्त्र में बताए अनुसार किसी सिद्ध के सानिध्यम में कर लेनी होती है। मात्र किताबों से पढ़ने से कोई खास प्रभाव मंत्र विज्ञान का नहीं होता है। मंत्रों की यूं तो आज भरमार है। परन्तु मंत्र विद्या लगभग लुप्तप्राय हो गई है।

3. तत्व ज्ञान — आत्मा और परमात्मा का संयोग है

तत्व ज्ञान इन दोनों से बिल्कुल भिन्न है। यह न तो तंत्र की भौतिकता से जुड़ा है, न मंत्र की मानसिकता से।
यह ज्ञान आत्मा के उस मूल स्रोत की खोज है, जिससे समस्त ऊर्जा प्रवाहित होती है —
वह कहाँ से आती है, कहाँ जाती है, और कौन-सा तत्व उसे संचालित करता है? इन सब घटनाओं का विधिवत ज्ञान ही तत्व ज्ञान है।

तत्व ज्ञान किसी चमत्कार या देव-सिद्धि का विज्ञान नहीं है।
यह आत्मिक अनुभूति का मार्ग है — आत्मा और परमात्मा के मिलन की यात्रा।
जो व्यक्ति इस ज्ञान को जानकर व्याख्या सहित लोक में प्रकट कर सके, वही तत्वज्ञानी कहलाता है।

गीता और संत-मत दोनों ही कहते हैं —

“जिसे आत्मा और परमात्मा का वास्तविक ज्ञान हो वही ज्ञानी है, शेष सब ज्ञापक मात्र हैं।”

इस ज्ञान की प्राप्ति सद्गुरु की कृपा से ही संभव है —
चाहे वह दर्शन कृपा हो,  स्पर्श-कृपा हो, दृष्टि-कृपा हो या शब्द-कृपा हो। परन्तु कृपा सदगुरु से ही इनमें से किसी एक माध्यम से या सभी माध्यमों से व्यक्ति को प्राप्त होती है।
यह ज्ञान गुरु-मुख से प्राप्त होता है; इसे केवल पढ़ने, जपने या तर्क से नहीं पाया जा सकता।

यह गूढ़, गोपनीय और रूहानी साधना है — जो मन से प्रारंभ होकर आत्मा में विलीन होती है।
यहीं से आत्मा का परमात्मा से समीप्य आरंभ होता है।
भौतिकता से मोह छूटता है, दिखावा समाप्त होता है और मन शांति को प्राप्त होता है।आत्मा प्रफुल्लित होती है। यह असल में आत्म विलास का विषय है।

4. उदाहरण — सिद्धि बनाम मुक्ति

मंत्र और तंत्र से सिद्धियां मिल सकती हैं — आठ सिद्धि, नौ निधि, 24 प्रकार की शक्तियाँ — पर वे मुक्ति नहीं देतीं।
कुन्ती के पास मंत्र-सिद्धि थी, पर क्या वह दुख-मुक्त हुईं? नहीं न।
स्वामी रामकृष्ण परमहंस के गुरु तोतापुरी के ज्ञान बारे सब जानते हैं कि उन्होंने स्वामी जी को क्या ज्ञान दिया था? स्वामी जी मां काली को सिद्ध भी कर चुके थे। परन्तु फिर भी स्वामी जी को अपनी तत्व-साधना से देवी-सिद्धि के बंधन को तोड़ना पड़ा था।

भगवान राम और कृष्ण तक सांसारिक पीड़ा से मुक्त नहीं रहे।
अतः सिद्धि मुक्ति का मार्ग नहीं है — केवल तत्व-ज्ञान ही परम मुक्ति का द्वार है।

5. निष्कर्ष — सत्य की ओर मार्ग

आज के युग में तंत्र और मंत्र के साधक तो मिल जाएंगे, पर तत्वज्ञानी दुर्लभ हैं।
जो सत्य की खोज करना चाहता है, उसे चमत्कारों से नहीं, सद्गुरु की शरण से आरंभ करना होगा।
तभी वह उस आनंद-भाव को प्राप्त करेगा जिसके लिए सूरदास ने कहा था —

“यह गूंगे के गुड़ समान है — स्वाद तो है, पर कहा नहीं जा सकता।”

तत्व-ज्ञान की वही स्थिति है — जो समुद्री जहाज के ऊपर बैठे पंछी की होती है। वह पंछी विशाल सागर में दसों दिशाओं में जी भर कर उड़ लेता है पर अंततः जब उसे थकान महसूस होती है तो,उसे विश्राम करने के लिए कोई सहारा या आधार न मिलने के कारण; वह पुनः उसी जहाज पर लौट कर आता है। ऐसी ही सच्चे तत्व ज्ञान की प्राप्ति की लालसा वाले साधक की स्थिति अंततः होती है ।
जहाँ साधक का मन हर दिशा में भटकने के बाद उसी “जहाज” में लौट आता है, जो उसका सच्चा आश्रय है — परमात्मा।

तंत्र शरीर का, मंत्र मन का, और तत्व ज्ञान आत्मा का विज्ञान है।
सिद्धियाँ तंत्र और मंत्र से मिल सकती हैं, पर सच्ची मुक्ति केवल तत्व ज्ञान से ही संभव है।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस Article के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — तंत्र, मंत्र और तत्व ज्ञान—ये तीनों शब्द अक्सर एक ही अर्थ में उपयोग किए जाते हैं, परंतु वास्तव में ये अध्यात्म के तीन अलग-अलग चरण हैं। इनका क्षेत्र, उद्देश्य और साधना-मार्ग भिन्न है।

    तंत्र विज्ञान भौतिक जगत से जुड़ा हुआ है। यह शरीर, औषधि, धातु, दिशा, समय और अन्य तत्वों के संयोजन का विज्ञान है। प्राचीन काल में इसे भौतिक चमत्कारों का स्रोत माना जाता था। तंत्र साधक अपने अभ्यास से शरीर और पदार्थों की शक्तियों को नियंत्रित करता था। आज के समय में इसका वैज्ञानिक रूप भौतिक, रासायनिक और जैविक विज्ञान के रूप में विकसित हो चुका है।

    मंत्र विज्ञान मानसिक शक्ति का विज्ञान है। इसमें ध्वनि, शब्द और उच्चारण के माध्यम से मन तथा चेतना को नियंत्रित किया जाता है। मंत्र-साधना से साधक को मानसिक सिद्धि (दूसरों के विचारों को जानने की शक्ति) और वाक्-सिद्धि (शब्दों से प्रभाव डालने की शक्ति) प्राप्त होती है। तंत्र जहाँ शरीर को सशक्त करता है, वहीं मंत्र मन को। किंतु यह विद्या आज लुप्तप्राय है क्योंकि इसे गुरु के सानिध्य में ही साधा जा सकता है, मात्र पुस्तकीय ज्ञान से नहीं।

    तत्व ज्ञान इन दोनों से कहीं ऊँचा है। यह आत्मा और परमात्मा के मिलन की साधना है। इसमें कोई चमत्कार नहीं, बल्कि आत्मिक अनुभूति और मुक्ति का मार्ग है। तत्वज्ञानी वह होता है जो आत्मा के मूल स्रोत को पहचान लेता है। यह ज्ञान गुरु की कृपा से ही प्राप्त होता है—तर्क या अध्ययन से नहीं।

    तंत्र और मंत्र साधक को सिद्धियाँ तो दे सकते हैं, परंतु सच्ची मुक्ति केवल तत्व ज्ञान से ही मिलती है। यही वह मार्ग है जो मनुष्य को भौतिक और मानसिक बंधनों से मुक्त कर सच्चे आनंद, शांति और परमात्मा से एकत्व की अनुभूति कराता है। यही अध्यात्म का परम लक्ष्य है।

—————

यह Article (तंत्र, मंत्र और तत्व ज्ञान में अंतर।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____

Related posts:

मुहब्बत...।

वो मस्ती भरी बरसात।

देश भक्ति देख तुम्हारी।

Share this:

  • Post

Like this:

Like Loading...

Related

Filed Under: 2025 - KMSRAJ51 की कलम से, हिन्दी साहित्य Tagged With: hemraj thakur, hemraj thakur articles, तंत्र, मंत्र और तत्व ज्ञान में अंतर, हेमराज ठाकुर, हेमराज ठाकुर जी की रचनाएँ

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Recent Posts

  • तंत्र, मंत्र और तत्व ज्ञान में अंतर।
  • मित्र।
  • आखिर क्यों।
  • समय।
  • काले बादल।
  • सुबह का संदेश।
  • चलो दिवाली मनाएं।
  • दीपों का त्योहार।
  • नरेंद्र मोदी के कार्यकाल और उनके कार्य पर प्रकाश।
  • सुख मंगल सिंह को हिंदी साहित्य भारती (अंतरराष्ट्रीय) संस्था का आजीवन सदस्यता प्रमाण पत्र दिया गया।
  • माता के नौ रूप।
  • योगी आदित्यनाथ जी का कार्यकाल।
  • श्राद्ध।
  • हिमाचल की पुकार।
  • वो मस्ती भरी बरसात।
  • शिवाजी महाराज मराठा साम्राज्य का विस्तार।
  • सावन माह का रुद्राभिषेक।

KMSRAJ51: Motivational Speaker

https://www.youtube.com/watch?v=0XYeLGPGmII

BEST OF KMSRAJ51.COM

तंत्र, मंत्र और तत्व ज्ञान में अंतर।

मित्र।

आखिर क्यों।

समय।

काले बादल।

सुबह का संदेश।

चलो दिवाली मनाएं।

दीपों का त्योहार।

नरेंद्र मोदी के कार्यकाल और उनके कार्य पर प्रकाश।

सुख मंगल सिंह को हिंदी साहित्य भारती (अंतरराष्ट्रीय) संस्था का आजीवन सदस्यता प्रमाण पत्र दिया गया।

माता के नौ रूप।

Footer

Protected by Copyscape

KMSRAJ51

DMCA.com Protection Status

Disclaimer

Copyright © 2013 - 2025 KMSRAJ51.COM - All Rights Reserved. KMSRAJ51® is a registered trademark.

%d