Kmsraj51 की कलम से…..
♦ तकनीक गंगा प्रवाह। ♦
कोरोना संकट के दो वर्ष, सतत करें शिक्षण संघर्ष,
ई-शिक्षा सहज हो, शिक्षा विवेक को दे सतत प्रकर्ष।
शिक्षा को अवसर में बदलें, प्रयास हो रहे अपर्याप्त,
पाठ्यक्रम असमान, अंतर्जाल-गति, तकनीक अशक्त।
तन-मन स्थिति पर विपरीत असर, दैनिक नियम चलें सुस्त,
छात्र-शिक्षक नहीं सम्मुख, तो रहे न चेतन-ज्ञान स्वानुभूत।
ई -शिक्षा सदी 21, करे गुणवत्ता बेंचमार्क, गुणवत्ता तंत्र मांग,
कौशल-संग प्रयास, बाधा-पर्वत झुकें, नव-तकनीक सप्तरंग।
एक भी छात्र वंचित, तो तकनीक माध्यम होगी विफल,
वर्ग द्वार खुले, पर हो ऑनलाइन शिक्षा सुगम औ सरल।
वायु, जल, संचेतना सम, तकनीक सद्भाव से हो वितरित,
उच्च तकनीक जन-मन में, हो मलय पवन-सा विस्तारित।
♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦
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- “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — क्या पिछले कुछ समय समय से कोरोना संकट के दो वर्ष ई-शिक्षा के माध्यम से जो शिक्षा दिया जा रहा है, वह नई पीढ़ी के के लिए बहुत बड़ा संकट तो नहीं बनने वाला हैं? क्योंकि स्कूली शिक्षा का वातावरण ना मिलना और प्रैक्टिकल गतिविधि के ना होने से बच्चे प्रैक्टिकल रूप से कमजोर हो जायेंगे। ये सोचने का विषय है। बच्चों को स्कूली शिक्षा का वातावरण मिलना इसलिए जरूरी है… शिक्षण व शिक्षा ऐसा हो जिससे मानसिक रूप से हर बच्चा शक्तिशाली बने। मानसिक रूप से हर बच्चा इतना शक्तिशाली बने की जीवन के हर उतार चढ़ाव में मन से स्थिर रहे, उसे कोई भी समस्या विचलित न कर सके। कोई उसकी बुराई करे तो उसके मन पर किसी भी तरह का नकारात्मक असर न पड़े। चाहे घर हो या स्कूल कोशिश यही हो सभी की, की बच्चों को हर जगह सकारात्मक वातावरण मिले। बच्चों को जैसा वातावरण मिलता है बच्चे वैसे ही बनते है, आपके अच्छे व बुरे संस्कार और आदतों का बच्चों के मन पर बहुत असर पड़ता है। बच्चें कच्चे मिट्टी के घड़े के समान होते है, उन्हें जैसे और जिस तरह से ढाला जाये वो ढलते जायेंगे।
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यह कविता (तकनीक गंगा प्रवाह।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।
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