Kmsraj51 की कलम से…..
♦ राष्ट्रीय पाठ्यचर्या। ♦
शिक्षा में बदलाव, बेहतरीन लचीलेपन के साथ।
आओ आज आपको,
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या का अर्थ बताते हैं,
विस्तार समझाते हैं…
शिक्षक और स्कूल अनुभवों की,
योजना बनाते हैं।
शैक्षणिक उद्देश्य, शैक्षिक अनुभव,
अनुभव संगठन, शिक्षार्थी आंकलन,
ये चार मुद्दे बताते हैं।
विस्तार समझाते हैं…
एनसीएफ पाठ्यचर्या और पाठ्यक्रम,
दोनों को अलग बतलाता है।
अनेक पहलुओं पर दिशानिर्देश दे,
व्यवहारवादी और मनोविज्ञान पर,
आधारित बताते है।
विस्तार समझाते है…
एनसीएफ 2005 टैगोर जी सभ्यता,
प्रगति, रचनात्मक भावना, उदारता का,
बचपन से जुड़ाव बताते हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा निति में केंद्र योजनाओं,
शैक्षिक प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर साक्षरता को दर्शातें है।
विस्तार समझाते हैं…
ज्ञान को बाहरी जीवन से,
जुड़ाव कर पढ़ना बताते हैं।
शिक्षा और परीक्षा को एकीकृत कर,
शिक्षा में लचीलापन लाते हैं।
विस्तार समझाते हैं…
यूईई के अनुसार सामाजिक,
आर्थिक, मनौवैज्ञानिक, शारीरिक,
बौद्धिक विकास बच्चे का होना बताते हैं।
विस्तार समझाते हैं…
संविधान में शामिल अधिकारों,
और कर्तव्यों, प्रतिबद्धताओं का,
ज्ञान करा सभ्य नागरिक बनाना बताते हैं।
विस्तार समझाते हैं…
सीखने का ज्ञान सक्रिय रूप से,
जोड़कर विचारों की संरचना के,
साथ विचारो के पुनर्गठन कर,
शिक्षार्थियों का विकास बताते हैं।
विस्तार समझाते हैं…
बाहर की दो चीजों के,
स्कूल लर्निंग से संबंध कर,
बच्चों को प्रोत्साहित करते,
हुए जवाबदेही बनाते हैं।
विस्तार समझाते हैं…
एनसीएफ पाठ्यचर्या ढांचा-शिक्षक,
शिक्षा 2019-20 में स्कूलों में लागू कर,
नित नए शिक्षा आयामों को खेल विधि से,
बच्चों तक पहुंचाते है।
विस्तार बताते हैं…
6-12 के छात्रों के लिए शिक्षा में,
व्यवसायिकरण विषय ला रोजगार के,
नए पहलू से जोड़ना बताते हैं।
विस्तार समझाते हैं…
♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦
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- “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए समझाने की कोशिश की हैं —समय के साथ-साथ शिक्षा नीति में बदलाव की अति-आवश्यकता है, समय-समय पर परिवर्तन बहुत जरूरी है। शिक्षा व्यवहार परक व प्रैक्टिकल हो। प्रैक्टिकल ज्ञान का होना बहुत ही जरूरी है, क्योकि कार्य करना है, बैठकर केवल सुनाना नहीं हैं। अच्छी व्यवहार परक शिक्षा वह है जिससे सामाजिक, आर्थिक, मनौवैज्ञानिक, शारीरिक, बौद्धिक विकास के साथ-साथ बच्चों के अंदर भारतीय संस्कृति, संस्कार व सभ्यता का समझ का विस्तार हो। संविधान में शामिल अधिकारों, और कर्तव्यों, प्रतिबद्धताओं का ज्ञान करा सभ्य नागरिक बनाना हो। शिक्षा ऐसी हो की बच्चें शिक्षा लेने के बाद व्यवसायिकरण वाला उनका दिमाग बने, और अपना व्यवसाय शुरू कर अपने साथ-साथ अन्य को भी रोजगार प्रदान करें। उम्मीद है की नई शिक्षा नीति से कुछ बदलाव जरूर होगा।
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यह कविता (राष्ट्रीय पाठ्यचर्या।) “विजयलक्ष्मी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम विजयलक्ष्मी है। मैं राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय, छारा – 2, ब्लॉक – बहादुरगढ़, जिला – झज्जर, हरियाणा में मुख्य शिक्षिका पद पर कार्यरत हूँ। मैं पढ़ाने के साथ-साथ समाज सेवा, व समय-समय पर “बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ” और भ्रूण हत्या पर Parents मीटिंग लेकर उनको समझाती हूँ। स्कूल शिक्षा में सुधार करते हुए बच्चों में मानसिक मजबूती को बढ़ावा देना। कोविड – 19 महामारी में भी बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप से पढ़ाना, वीडियो और वर्क शीट बनाकर भेजना, प्रश्नोत्तरी कराना, बच्चों को साप्ताहिक प्रतियोगिता कराकर सर्टिफिकेट देना। Dance Classes प्रतियोगिता का Online आयोजन कराना। स्वच्छ भारत अभियान के तहत विद्यालय स्तर पर कार्य करना। इन सभी कार्यों के लिए शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारी द्वारा और कई Society द्वारा बार-बार सम्मानित किया गया।
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VIJAYLAXMI says
Thanks ji