Kmsraj51 की कलम से…..
True Knowledge | सच्चा ज्ञान।
जैसे भूमि पर जल पड़ते ही वह उसे सोख लेती है उसी तरह से तुम में भी ज्ञान को देखते ही उसे प्राप्त कर लेने की प्रवृत्ति होनी चाहिए।
कछ जानने की प्रवृत्ति जब इस तरह की होती है तो तुम्हारा शैक्षिक विकास होता जाता है। तुम्हारे पास पढऩे के इतने सारे साधन हैं जैसे किताब, कलम, आंखें, अंगुलियां, दिमाग, कान आदि, फिर उनका उपयोग क्यों न किया जाए?
कमजोर रस्सी के सहारे अगर कोई ऊपर चढ़ रहा है तो निश्चित है वह गिरेगा ही। अगर तुमने एक कठिन और ऊंचा मार्ग चुना है, परन्तु वहां तक जाने के अच्छे साधन नहीं है तुम्हारे पास, तो तुम्हारे साथ भी ऐसा ही होगा। रास्ते के बीचों – बीच लगेगा जैसे बहुत सारा समय व्यर्थ खर्च हुआ। क्योंकि पूरी तैयारी नहीं थी मंजिल तक पहुंचने की।
लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है। अत: जब सही मार्ग समझ में नहीं आये, उस वक्त दूसरों से राय ली जा सकती है स्वयं जो साधन तुम्हारे पास हैं उनकी पूरी जांच होनी चाहिए ताकि तुम समझ सको कि ये कितनी दूरी तक तुम्हारा साथ देंगे।
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