Kmsraj51 की कलम से…..
♦ तुम्हारी एक मुस्कुराहट। ♦
एक बाहरी दुनिया।
एक भीतरी दुनिया।
और एक मैं बीच,
दरवाज़े के पर्दे की तरह।
झूलती हूँ इधर-उधर॥
भ्रमर उड़ा है आंगन के उस पार।
सुगंध की जड़।
केवल मधु समझ कर।
वह क्यों नहीं समझ पाता कि,
अपरिमित महक से अपनी ओर,
आकर्षित करने वाले।
जानलेवा ‘नेपेंतिस’ भी रहते हैं।
इस अज़ीब से जंगल में॥
मैं भी तो कितनी ना समझ हूँ।
फ़िर वही बेअक़ल काम कर जाती हूँ।
खाली डिब्बे को उल्टा करके हिलाना।
ताड़ते हुए फिर हिलाना।
जब छोटी थी।
ऐसी हरकत पर हंसी छलकती थी।
अब तो बेहद हताशा॥
जब भी मन बेहाल होता है।
मैं तुम्हारी तरफ़ ही देखने लगती हूँ।
तुम्हारे होठों की एक मुस्कुराहट।
तन-मन को पुनर्जीवित करती है॥
♦– मीरा मेघमाला –♦
यह कविता “मीरा मेघमाला” जी की रचना है। आपके द्वारा लिखी कविता ह्रदय को छूने वाली होती है। हर उम्र के लोग आपकी कविताओं को पसंद करते है। आपकी कविताओं से हर उम्र के लोगो को फायदा मिलता है। आपकी लेखनी यु ही चलती रहे। आपके उज्जवल भविष्य और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूँ। “मीरा मेघमाला” जी KMSRAJ51.COM के ऑथर टीम पैनल में आपका तहे दिल से स्वागत है।
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