Kmsraj51 की कलम से…..
♦ वीर-गाथा। ♦
भारत के वीरों की गाथा आज सुनाऊँ।
इस जिव्हा को वीर-रस से पावन बनाऊँ॥
माता-पिता यहाँ लोरियाँ ऐसे सुनाए।
जिसमें बहादुरी के किस्से समाए॥
यहाँ की मिट्टी से वतन की खुशबू आये।
बेटियाँ समय आने पर वीरांगना कहलायें॥
माँ अपने कलेजे के टुकड़े को फौजी बनाये।
पिता उसकी शान पर फिर फूला नही समाये॥
भारत का शौर्य अद्भुत व बहुत ही अनुपम।
दुश्मन का संस्कार भी करें अदब से गर तोड़े दम॥
पीठ पर कभी न करें वार यहाँ के वीर जवान।
धरती है उन वीरों की जो देश पर होते कुर्बान॥
यहाँ की धरा को पावन कर गए न जाने कितने अवतार।
मूलमंत्र विश्व को दिया जिन्होंने भाईचारा, अमन, प्यार॥
तभी तो इसकी पावन मिट्टी से भी खुशबू आए।
सभ्यता, संस्कृति भारत की विदेशों में डंका बजवाये॥
♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦
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- “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — यहां के बच्चों के अंदर जन्म से ही वीर रस भरा होता है, जिसे बस निखारने की जरूरत होती हैं। भारत का शौर्य अद्भुत व बहुत ही अनुपम हैं, दुश्मन का संस्कार भी करें अदब से गर तोड़े दम। पीठ पर कभी भी न करें वार यहाँ के वीर जवान। यह धरती है उन वीरों की जो देश पर होते है सदैव ही कुर्बान। तहे दिल से नमन है माँ भारती के हर उन शूरवीर सपूतों को जिनके बलिदान के बदले हमे आज़ादी मिली। जो आये थे यहां व्यापार करने, व्यापार के बहाने हमे अपना गुलाम बनाकर खूब मनमानी किया। उन्होंने हम पर बहुत ही निर्दयता पूर्वक अत्याचार किया, और हमें खूब लुटा। हमें कभी भी नहीं भूलना चाहिए उन शूरवीर सपूतों के बलिदान को, जिनके बलिदान के बदले हमे आज़ादी मिली। शत-शत नमन है उन वीर सपूतों की जननी को जिन्होंने अपने लाल को माँ भारती की रक्षा के लिए ख़ुशी – ख़ुशी समर्पित किया। जय हिन्द – जय भारत।
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यह कविता (वीर-गाथा।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।
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bobby says
Very good poem.
kmsraj51 says
Comments करने के लिए तहेदिल से धन्यवाद जी।