Kmsraj51 की कलम से…..
♦ विकास मार्ग पर चलें! ♦
उसने आगे आकर हमें सुनाया,
उत्तर देने के लिए मंगल आया।
हम शांति प्रदर्शक सबको भाया,
सद्भाव की हमने अलख जगाया।
वह कहता है पूराने संबंध छोड़ो,
हम हैं हमसे ही नया नाता जोड़ो।
भारत सदा बैलेंस करके चलता है,
शांतिदूत बन सबकी रक्षा करता।
रक्षा हजारों पर अपनी निर्भरता,
खत्म करने की वह हमसे कहा।
यह पता वह कितना साथ देगा,
वह तो अपनी देखी देखा करता।
तेल और हथियार देने को बोला,
दुनिया पर भरोसा करने से रोका?
खुद उकसा वे पर विश्वास करता,
अपने आप विचार किया करता।
एक अपने मंच से सचिव ने कहा,
ऊर्जा व वस्तुएं हमारे हित ने नहीं।
अपनी आवश्यकता है नहीं छोड़ा,
हमने तो सबसे अच्छा नाता जोड़ा।
मित्र देश के संबंध बिगाड़ने की कहा,
पुराने समझौते को टालने को कहा।
खुद ही महान नई मित्रता बनाता रहा,
आगे आकर चौध राणा चलाता रहा।
भारत संयुक्त राष्ट्र संघ में भी अपना,
निष्पक्ष बयान दुनिया को दे डाला।
मानव के लिए जांच की कह डाला,
अमन चैन की राह सुझाव दे डाला।
उसके गले नहीं उतरती बात हमारी,
भला सबका, यही हमने बता डाला।
दोनों पक्षों को शांति संदेश सुनाया,
संयम बरतने के लिए हमने बताया।
सुंदर सुगम मार्ग प्रशस्त किया जाता,
उपदेशों की तरफ ध्यान दिया जाता।
दुनिया में प्रदूषण पर रोक लग जाता,
विकास मार्ग का रास्ता खुल जाता।
♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦
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— Conclusion —
- “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — दोस्त वही अच्छा जो अच्छे समय के साथ – साथ बुरे समय में भी साथ ना छोड़े। ऐसी दोस्ती का क्या करना? जो मात्र अपना ही फायदा देखे सदैव? ऐसे दोस्त से अच्छा है की, दोस्ती ही ना हो, हमे तो वही दोस्त चाहिए जो सदैव हमारा साथ दे ऐसे दोस्त के साथ ही कंधे से कन्धा मिलाकर चले। ऐसे दोस्त से दुरी ही भली है जो जरूरत पर साथ ही ना दे, उम्मीद पर कभी खरा ही ना उतरे, जो सदैव ही केवल अपने बारे में सोचे। हमारे लिए ऐसा ही दोस्त सही है जो सुख – दुःख में सदैव ही हमारे साथ खड़ा रहे।
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यह कविता (विकास मार्ग पर चलें!) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।
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