^^ हम भाग्यशाली है ^^
जीवन एक सफर हैं
जहां हैं पहाड़ भी नदी नाले भी
जहां फुलवारी भी है जंगल भी
जहां खुशी भी है गम भी
जहां दुख भी है सुख भी
जहां सूरज रोज उगता है
जंहा चंद्रमा भी उगता हैं
जहां हम कठपुतली है
क्या स्वार्थ था भगवान् का
क्या स्वार्थ था मम्मी का
क्या स्वार्थ था पापा का
जो हमें संसार में लाये
हमें पढ़ाने लिखाने में
कोई कसर नहीं छोड़ी
क्या स्वार्थ था भारत माँ का
जो हमें इस पावन मिटटी पर
जन्म लेने का मौक़ा दिया
जंहा मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने
जन्म लेकर इस मिटटी को
सदा सदा के पावन कर गए
आगे हमें देखना जरुरी हैं
क्यों मैं निस्वार्थ हो नहीं सकता
फिर सोचेंगे कौन ज्यादा
या कौन कम स्वार्थी हैं !!!!!
——– प्रेमचंद मुरारका
I am grateful to Mr. “प्रेमचंद मुरारका”,for sharing this inspirational poetry.
Note::-
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