Kmsraj51 की कलम से…..
♦ शरीर से परम तत्व प्राप्त। ♦
है शरीर यह एक वृक्ष,
जीवन रूपी पक्षी जिसमें,
घोंसला बनाकर रहता।
कट जाता जब वृक्ष,
उसे छोड़ पक्षी उड़ जाता।
शरीर की दिन-रात आयु
क्षण – क्षण क्षीण है करता।
वह गूढ़ रहस्य जो जानता
परम तत्व का ज्ञान पाता।
शुभ फलों का मानव शरीर
मूल प्राप्ति आधार होता।
साधु भक्त स्वयं धैर्यवान
सत्कर्म – सदविचार करता।
अनुकूलता स्मरण की होने पर
लक्ष्य की दिशा में वह बढ़ता।
कर्म- ज्ञान और भक्ति योग,
से मन परमात्म चिंतन करता।
नियंत्रण नियम अपनाकर,
अपराधी प्रवृत्ति से बचता।
प्रकृति शरीर और सृष्टि का,
क्रमवार चिंतन जो करता।
सृष्टि चिंतन में लय भरता,
दुख बुद्धि रूपी पदार्थ छोड़।
शांति में मन जा कर रमता,
परमात्मतत्व प्राप्त करता।
♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦
—————
- “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – इस कविता में कवि ने बताया है की यह शरीर एक वृक्ष की तरह है, जैसे वृक्ष का जड़ जब काट दिया जाता है तब वृक्ष मुरझाकर सुख जाता हैं। वैसे ही परम तत्त्व आत्मा इस शरीर से बाहर निकल जाता है जब यह शरीर किसी काम का नहीं रहता हैं। यह शरीर मिला है, अपने आपको पहचान कर, सत्य मार्ग पर चलकर, उस महान परम तत्त्व परमात्मा से मिलन के लिए।
—————
यह कविता (शरीर से परम तत्व प्राप्त।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।
अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!
ज़रूर पढ़ें: पृथु का प्रादुर्भाव।
Please share your comments.
आप सभी का प्रिय दोस्त
©KMSRAJ51
———– © Best of Luck ® ———–
Note:-
यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है: kmsraj51@hotmail.com. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!
“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)
प्रकाशक महोदय जी का स्नेह प्राप्त होता रहे आप पर ईश्वर की कृपा बनी रहे यही हमारी शुभकामनाएं और बधाई!