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ये कैसी यात्रा।

Kmsraj51 की कलम से…..

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Ye Kaisi Yatra | ये कैसी यात्रा।

कोई चला अपनों से मिलने,
तो कोई अपनों से मिलकर चला आया,
न मिलने वाला मिल पाया,
न मिलकर गया वापिस आ पाया।

कोई अपना व्यवसाय विदेश करने चला,
तो कोई परिवार सहित घूमने निकला।

न ही व्यवसाय हो पाया,
न ही घूमने का आनंद ले पाया,
मन में अपनों से मिलने के सपने लगे थे आने,
पता नहीं था मौत आज आ बैठी है सिरहाने।

प्रशिक्षु चिकित्सक कर रहे थे खाने की तैयारी,
मालूम न था कि खाना किस्मत में नहीं है हमारी,
एक ने अपने आप को न जाने कैसे बचाया,
लगा ऐसे मानों मौत के मुंह से वापिस आया।

जिंदगी कौन सा खेल कब खेल जाए,
आज तक ये रहस्य कोई जान न पाए।
दोस्तो गुमान किस बात का करना,
पता नहीं अगले पल किसे है मरना।

♦ विनोद वर्मा जी / (मझियाठ बलदवाड़ा) जिला – मंडी – हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “विनोद वर्मा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — यह कविता जीवन की अनिश्चितता और मृत्यु की अकस्मात उपस्थिति को मार्मिक ढंग से व्यक्त करती है। इसमें बताया गया है कि कुछ लोग अपनों से मिलने निकले थे, कुछ घूमने या व्यवसाय के लिए, लेकिन न वे मिल पाए, न लौट पाए — क्योंकि अचानक आई मौत ने सब कुछ छीन लिया। कविता में एक दुखद दृश्य चित्रित किया गया है जहाँ प्रशिक्षु चिकित्सक भोजन की तैयारी कर रहे थे, पर उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि उनकी किस्मत में वह भोजन नहीं लिखा था। उनमें से एक किसी तरह बच गया, मानो मौत के मुंह से लौट आया हो। अंत में कवि एक गहरी सीख देता है कि जीवन बहुत अस्थिर और अनिश्चित है — न जाने कौन सा पल आखिरी हो। इसलिए घमंड, लालच या अभिमान करने का कोई अर्थ नहीं है, क्योंकि अगले ही पल क्या हो जाए, यह कोई नहीं जानता।

—————

यह कविता (ये कैसी यात्रा।) “विनोद वर्मा जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम विनोद कुमार है, रचनाकार के रुप में विनोद वर्मा। माता का नाम श्री मती सत्या देवी और पिता का नाम श्री माघु राम है। पत्नी श्री मती प्रवीना कुमारी, बेटे सुशांत वर्मा, आयुष वर्मा। शिक्षा – बी. एस. सी., बी.एड., एम.काम., व्यवसाय – प्राध्यापक वाणिज्य, लेखन भाषाएँ – हिंदी, पहाड़ी तथा अंग्रेजी। लिखित रचनाएँ – कविता 20, लेख 08, पदभार – सहायक सचिव हिमाचल प्रदेश स्कूल प्रवक्ता संघ मंडी हिमाचल प्रदेश।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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