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योग पर दोहे।

Kmsraj51 की कलम से…..

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    • Yog Par Dohe | योग पर दोहे।
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Yog Par Dohe | योग पर दोहे।

भोर सवेरे कीजिए, शुद्ध वायु में योग।
मन प्रांगण भी शांत हो, लगें न तन को रोग॥1॥

सीखें आसन हम सभी, जो तन के अनुकूल।
नियमित योगाभ्यास से, मिटें रोग के शूल॥2॥

आसन मुद्रा भिन्न सब, भिन्न सभी का हेतु।
योग साधना से मिटें, व्याधि के राहु केतु॥3॥

प्राण वायु में नित्य ही, हो ऊर्जा संचार।
भक्ति काल में जो करें, योगासन से प्यार॥4॥

श्वास – श्वास पावन बने, मानस हो अभिराम।
सूर्य नमन नित तुम करो, कर लो प्राणायाम॥5॥

अष्ट चक्र को खोल कर, अन्तर्मन पहचान।
योगासन से भी मिले, हमें ध्यान का ज्ञान॥6॥

सकल विश्व को है दिया, भारत ने वरदान।
योग दिवस के रूप में, बढ़ा योग का मान॥7॥

योग धरोहर देश की, ऋषियों की सौगात।
रखे निरोग शरीर यह, दे रोगों को घात॥8॥

♦ वेदस्मृति ‘कृती‘ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

—————

  • “वेदस्मृति ‘कृती‘ जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस आलेख में समझाने की कोशिश की है — भारत विश्व का सबसे अधिक समृद्धशाली, श्रेष्ठ परंपराओं, नैतिक मूल्यों और वसुधैवकुटुंबकम की परिकल्पना पर आधारित नीतियों का देश रहा है। र रोज़ सुबह के समय योग करने के फायदे अनमोल है – यह हमारी पहली सांस को पुन: चक्रित करता है। योग का अभ्यास करने से शरीर किक-स्टार्ट होता है। ह्रदय रोग से बचाव करता है योग। दिमाग सदैव ही रहता है एक्टिव। बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता। योग के द्वारा सांसों को साध कर परमानन्द की अनुभूति किया जा सकता है। तन और मन को निरोग रखने के लिए प्रतिदिन योग करे।

—————

यह दोहे (योग पर दोहे।) ” वेदस्मृति ‘कृती‘ जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी मुक्तक/कवितायें/गीत/दोहे/लेख/आलेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी दोहे/कविताओं और लेख से आने वाली नई पीढ़ी और जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।

साहित्यिक नाम : वेदस्मृति ‘कृती’
शिक्षा : एम. ए. ( अँग्रेजी साहित्य )
बी.एड. ( फ़िज़िकल )
आई• आई• टी• शिक्षिका ( प्राइवेट कोचिंग क्लासेज़)
लेखिका, कहानीकार, कवियित्री, समीक्षक, ( सभी विधाओं में लेखन ) अनुवादक समाज सेविका।

अध्यक्ष : “सिद्धि एक उम्मीद महिला साहित्यिक समूह”
प्रदेश अध्यक्ष : अखिल भारतीय साहित्य सदन ( महाराष्ट्र इकाई )
राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान बिहार प्रान्त की महिला प्रकोष्ठ,
श्री संस्था चैरिटेबल ट्रस्ट : प्रदेश प्रतिनिधि ( महाराष्ट्र )
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी परिषद में – सह संगठन मंत्री, मुंबई ज़िला, महाराष्ट्र
हिन्दी और अँग्रेजी दोनों विधाओं में स्वतंत्र लेखन।

अनेक प्रतिष्ठित हिन्दी/अँग्रेजी पत्र – पत्रिकाओं में नियमित रचनाएँ प्रकाशित।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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