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योग साधना।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ योग साधना। ♦

पढ़ो लिखो बनो महान।
जिससे बढ़े कुल की शान।

पूरा हो मंगल का गान।
है देश में सबका सम्मान।

योग से मानव की पहचान।
योग है भरता सबमें जान।

काया बनी निरोगी महान।
योग करें जीवन का कल्याण।

जब तक सूरज चांद रहे।
योग मानव का साथ धरे।

अंधियारे में नव प्रात खिले।
शांति सुप्रीम का हाथ रहे।

सुंदर विचार मन में आते रहे।
नई दिशा को दिखाते रहे।

योग से बल बुद्धि ज्ञान बढ़े।
काया का यह कल्याण करें।

विश्व जगत को खुशहाल करें।
सत्य अहिंसा बढ़ाते के चले।

धैर्य का दीपक जलाते चले।
संकट में योग सिखाते चले।

टन – टन घंटा बजाते चले।
ज्ञान की सीख सिखाते चले।

चाव चमक चेहरे पर लाते रहे।
मेरे चमन में अमन आते रहे।

योग रोग का सर्व नाश करें।
अनुलोम विलोम का साथ दे।

योग करता सबका कल्याण।
योग सिखाया बनें गुणवान।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – किसी भी मनुष्य के लिए योग और साधना क्यों जरूरी है। योग व साधना कितने प्रकार के होते है तथा योग व साधना से क्या – क्या लाभ होते है। क्यों हर एक मनुष्य को प्रतिदिन योग जरूर करना चाहिए। योग व साधना से तन व मन पवित्र और निरोगी होता है। योग व साधना करें, आरोग्य, सुखमय, पवित्र तथा शांतिमय जीवन जिए।

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह कविता (योग साधना।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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