प्यार न कुआं देखता है न खाई। सदियों-सदियों की दास्तां यही है। लैला-मजनूं, हीर-रांझा की दुहाई देते प्रेमी थकते नहीं। पर, प्यार की असली परिभाषा क्या है? दिलों की गहराई में उतर जाने वाला प्यार क्या भौतिक लिप्सा की दीवारों से टकराकर उसी भौतिक दुनिया में लौट आता है या फिर उस सीमा के पार…। जहां उसकी व्यापक परिभाषा होती है, जहां त्याग में ही ‘समर्पण; होता है।
एक घटना को लेकर कई सवाल झकझोर रहे। और लोग इस पर क्या सोचते हैं, मैं नहीं जानता। लेकिन, हाल के दिनों में प्यार, ऑनर किलिंग…, यूथ चेंज, न्यू जेनरेशन, लिव इन रिलेशन वगैरह को लेकर छिड़ी बहस में एक वाकया यह भी। क्या अभिभावकों को बच्चों से अपना हक छोड़ देना चाहिए? या, बच्चों को समझने की कोशिश भी करनी चाहिए कि वे चाहते क्या हैं?
घटना यूं है। मध्यप्रदेश की एक लड़की। उसने शादी कर ली एक दूसरे संप्रदाय के लड़के से। चार महीने पहले दोनों में मुलाकात हुई। पहली मुलाकात, कोई सप्ताह भर बाद मुलाकात प्यार में तब्दील। दोनों अलग-अलग संप्रदाय के। लड़की ने लड़के का मजहब भी कबूल लिया। सब कुछ चार महीने में ही हो गया। प्यार की यह गाड़ी बहुत तेज चली। चलिए बात खत्म। पर, बात यहीं तक नहीं है। उस लड़की ने लड़के पर शोषण का केस भी दर्ज किया। फिर लड़की मध्यप्रदेश से भागकर बोकारो आ गई। वहां से रांची। कहा, वह मुकदमा घर वालों के दबाव में किया था। इस बीच लड़का जेल चला गया था, दूसरे मामले में। दरअसल, उस लड़के की शादी पहले ही हो चुकी है। एक बच्चा भी है। पत्नी को सारा माजरा पता चला तो उसने ठोक दिया दहेज प्रताडऩा का केस। वह उसी मामले में जेल में बंद रहा। जमानत मिली तो प्रेमिका आ चुकी थी। मुकदमा तो उसने भी किया था। कहा कि परिवार के दबाव में शोषण का कराया था। हां, उसके प्रेमी की पत्नी चाहे तो हमारे साथ रह सकती है। कोई आपत्ति नहीं होगी। फिलहाल, दोनों साथ-साथ हैं। इस प्रेमी युगल ने बताया कि उनकी जान पर खतरा भी है। इस घनचक्कर भरी कहानी में यूथ जेनरेशन की ही बात करें तो उसने तथाकथित सामाजिक दायरे के बंधन तोड़ डाले। दुनिया चांद पर जा रही है तो वहां इन सबका क्या मायने? पर, घर-परिवार सबको ठोकर मारने वाला यह यूथ कपल उस यूथ का कोई जवाब नहीं दे सकता, जिसकी गोद में एक बच्चा भी है। यह बात प्रेमी को भी पता थी और प्रेमिका को भी…। बस! शुरू में ही यह सवाल मैंने इसलिए पूछा कि प्यार की परिभाषा क्या होती है? क्या वह उसे पाने की इच्छा रखता है, छूने की इच्छा करता है? या नि:स्वार्थ उस प्रेम को पूजा मान यादों में बसा जिंदगी काट देता है। उस लड़की ने एक बात कही, ‘हम अच्छे दोस्त बनकर रहना चाहते थे। दोनों को पता था कि उसकी शादी हो चुकी है। लेकिन फिर प्यार हो गया, शादी का फैसला कर लिया… वाकई! इस कंप्यूटराइज्ड युग में लव भी कंप्यूटराइज्ड, टू फास्ट…।
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