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amit prem shankar poems

गुरु हैं माली शिष्य हैं फूल।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ गुरु हैं माली शिष्य हैं फूल। ♦

गुरु हैं माली शिष्य हैं फूल,
आज के लोग इन्हें जाते भूल।

गुरु की सेवा गुरु की पूजा,
जीवन की बस यही वसूल।
गुरु हैं माली शिष्य हैं फूल,
आज के लोग न जाते भूल।

जिनकी मेहनत जिनका परिश्रम,
जीवन में खिलाए गुल।
गुरु हैं माली शिष्य हैं फूल,
आज के लोग इन्हें जाते भूल।

जिन से बने यह जीवन हमारा,
उनकी बातों को करना कबूल।
जिन से सफल हो जन्म हमारा,
उन्हें अंत समय तक कभी ना भूल।

गुरु हैं माली शिष्य हैं फूल,
आज के लोग इन्हें जाते भूल।

♦ अमित प्रेमशंकर जी — एदला-सिमरिया, जिला–चतरा, झारखण्ड ♦

—————

Conclusion

  • “अमित प्रेमशंकर“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस संसार में गुरु की जगह कोई भी नही ले सकता। एक सच्चा गुरु सदैव ही सन्मार्ग पर चलकर मर्यादा पुरुषोत्तम ज्ञान व ध्यान से भरपूर जीवन जीने की कला सीखाता है। गुरु सदैव ही जीवन के हर क्षेत्र में वृद्धि चाहते है, उन्नत और प्रगतिशील जीवन के सूत्रधार है गुरु।

—————

यह कविता (गुरु हैं माली शिष्य हैं फूल।) “अमित प्रेमशंकर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। आपकी ज्यादातर कविताएं युवा पीढ़ी को जागृत करने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

नाम: अमित प्रेमशंकर
पिता: श्री द्वारिका प्रजापति

माता: श्रीमती रेखा देवी
पत्नी: श्रीमती संजू प्रेमशंकर

जन्मतिथि: १० मार्च १९९३
पता: ग्राम+पोस्ट – एदला
प्रखण्ड: सिमरिया
जिला: चतरा (झारखण्ड)
पिन: ८२५१०३

शिक्षा: स्नातक (हिंदी) विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग
सम्प्रति: कवि, गीतकार व ढोलक वादक।

प्रकाशित पुस्तकें: मन की धारा(एकल),आत्म सृजन, काव्य श्री, एक नई मधुशाला १, एक नई मधुशाला २, भावों के मोती, हमारी शान तिरंगा है व अक्षर पुरूष
प्रकाशित रचनाएं: देश के अलग-अलग पत्र पत्रिकाओं में लगभग दो सौ रचनाएं प्रकाशित व समय समय पर सामाचार पत्रों के माध्यम से पत्राचार।
विशेष: कविता “सीता माता सी कोई नहीं” तथा “आज राम जी आएंगे” महाराष्ट्र के वरिष्ठ साहित्यकार श्री ओ. सी. पटले द्वारा पोवारी भाषा में अनुवाद व दर्जनों हिन्दी, भोजपुरी गीत यूट्यूब पर मौजूद हैं जिसे अलग अलग गायक और गायिकाओं ने अपने स्वर से सजाया है।

प्राप्त सम्मान: काव्य श्री साहित्य सम्मान, आत्म सृजन साहित्य सम्मान, भावोन्नती साहित्य सम्मान, सरदार भगतसिंह काव्य लेखन सम्मान, सुमित्रानंदन पंत स्मृति सम्मान, साहित्य कर्नल सम्मान दो बार, रैदास साहित्य सम्मान,द फेस ऑफ इंडिया साहित्य सम्मान, राष्ट्र प्रेमी साहित्य सम्मान तथा दिल्ली साहित्य रत्न सहित अनेकों आनलाईन काव्य पाठ द्वारा ई-सम्मान पत्र शामिल है।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Amit Prem Shankar, amit prem shankar poems, अमित प्रेमशंकर, अमित प्रेमशंकर की कविताएं, गुरु हैं माली शिष्य हैं फूल

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