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Manglik Dosha - Astrology in Hindi

कौन होते हैं मंगली?

Kmsraj51 की कलम से…..

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ϒ कौन होते हैं मंगली? ϒ

• जानिए मंगली स्त्री-पुरुष से जुड़ी खास बातें –

आज भी जब किसी स्त्री या पुरुष के विवाह के लिए कुंडली मिलान किया जाता है, तो सबसे पहले देखा जाता है कि वह मंगली है या नहीं। ज्योतिष के अनुसार यदि कोई व्यक्ति मंगली है तो उसकी शादी किसी मंगली से ही की जानी चाहिए। इसके पीछे धारणाएं बताई गई हैं।

क्या आप जानते हैं मंगली शब्द किन लोगों के लिए उपयोग किया जाता है। किन कारणों से कोई स्त्री या पुरुष मंगली होते हैं? मंगली होने के प्रभाव क्या-क्या होते हैं? यदि आप इन प्रश्नों के उत्तर नहीं जानते हैं तो यहां जानिए मंगली शब्द से जुड़ी खास बातें।

• मंगल से प्रभावित होते हैं मंगली –

ज्योतिष के अनुसार मंगली लोगों पर मंगल ग्रह का विशेष प्रभाव होता है। यदि मंगल शुभ हो तो वह मंगली लोगों को मालामाल बना देता है। मंगली व्यक्ति अपने जीवन साथी से प्रेम-प्रसंग के संबंध में कुछ विशेष इच्छाएं रखते हैं, जिन्हें कोई मंगली जीवन साथी ही पूरा कर सकता है। इसी वजह से मंगली लोगों का विवाह किसी मंगली से ही किया जाता है।

•  कौन होते हैं मंगली?

कुंडली में कई प्रकार के दोष बताए गए हैं। इन्हीं दोषों में से एक है मंगल दोष। यह दोष जिस व्यक्ति की कुंडली में होता है वह मंगली कहलाता है। जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली के 1, 4, 7, 8, 12 वें स्थान या भाव में मंगल स्थित हो तो वह व्यक्ति मंगली होता है।

मंगल के प्रभाव के कारण ऐसे लोग क्रोधी स्वभाव के होते हैं। ज्योतिष के अनुसार मंगली व्यक्ति की शादी मंगली से ही होना चाहिए। यदि मंगल अशुभ प्रभाव देने वाला है तो इसके दुष्प्रभाव से कई क्षेत्रों में हानि प्राप्त होती है। भूमि से संबंधित कार्य करने वालों को मंगल ग्रह की विशेष कृपा की आवश्यकता है।

मंगल देव की कृपा के बिना कोई भी व्यक्ति भूमि संबंधी कार्य में सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। मंगल से प्रभावित व्यक्ति अपनी धुन का पक्का होता है और किसी भी कार्य को बहुत अच्छे से पूर्ण करता है। हमारे शरीर में सभी ग्रहों का अलग-अलग निवास स्थान बताया गया है। ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह हमारे रक्त में निवास करता है।

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• मंगली लोगों की खास बातें –

मंगली होने का विशेष गुण यह होता है कि मंगली कुंडली वाला व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी को पूर्ण निष्ठा से निभाता है। कठिन से कठिन कार्य वह समय से पूर्व  ही कर लेते हैं। नेतृत्व की क्षमता उनमें जन्मजात होती है।

ये लोग जल्दी किसी से घुलते-मिलते नहीं परंतु जब मिलते हैं तो पूर्णत: संबंध को निभाते हैं। अति महत्वाकांक्षी होने से इनके स्वभाव में क्रोध पाया जाता है। परंतु यह बहुत दयालु, क्षमा करने वाले तथा मानवतावादी होते हैं। गलत के आगे झुकना इनको पसंद नहीं होता और खुद भी गलती नहीं करते।

ये लोग उच्च पद, व्यवसायी, अभिभाषक, तांत्रिक, राजनीतिज्ञ, डॉक्टर, इंजीनियर सभी क्षेत्रों में यह विशेष योग्यता प्राप्त करते हैं। विपरित लिंग के लिए यह विशेष संवेदनशील रहते हैं, तथा उनसे कुछ विशेष आशा रखते हैं। इसी कारण मंगली कुंडली वालों का विवाह मंगली से ही किया जाता है।

• ग्रहों का सेनापति है मंगल –

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नौ ग्रह बताए गए हैं जो कुंडली में अलग-अलग स्थितियों के अनुसार हमारा जीवन निर्धारित करते हैं। हमें जो भी सुख-दुख, खुशियां और सफलताएं या असफलताएं प्राप्त होती हैं, वह सभी ग्रहों की स्थिति के अनुसार मिलती है। इन नौ ग्रहों का सेनापति है मंगल ग्रह। मंगल ग्रह से ही संबंधित होते है मंगल दोष। मंगल दोष ही व्यक्ति को मंगली बनाता है।

• पाप ग्रह है मंगल –

मंगल ग्रह को पाप ग्रह माना जाता है। ज्योतिष में मंगल को अनुशासन प्रिय, घोर स्वाभिमानी, अत्यधिक कठोर माना गया है। सामान्यत: कठोरता दुख देने वाली ही होती है। मंगल की कठोरता के कारण ही इसे पाप ग्रह माना जाता है। मंगलदेव भूमि पुत्र हैं और यह परम मातृ भक्त हैं। इसी वजह से माता का सम्मान करने वाले सभी पुत्रों को विशेष फल प्रदान करते हैं। मंगल बुरे कार्य करने वाले लोगों को बहुत बुरे फल प्रदान करता है।

• मंगल के प्रभाव –

मंगल से प्रभावित कुंडली को दोषपूर्ण माना जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल अशुभ फल देने वाला होता है उसका जीवन परेशानियों में व्यतीत होता है। अशुभ मंगल के प्रभाव की वजह से व्यक्ति को रक्त संबंधी बीमारियां होती हैं। साथ ही, मंगल के कारण संतान से दुख मिलता है, वैवाहिक जीवन परेशानियों से भरा होता है, साहस नहीं होता, हमेशा तनाव बना रहता है।

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ज्यादा अशुभ प्रभाव देने वाला है तो वह बहुत कठिनाई से जीवन गुजारता है। मंगल उत्तेजित स्वभाव देता है, वह व्यक्ति हर कार्य उत्तेजना में करता है और अधिकांश समय असफलता ही प्राप्त करता है।

• मंगल का ज्योतिष में महत्व –

ज्योतिष में मंगल मुकदमा ऋण, झगड़ा, पेट की बीमारी, क्रोध, भूमि, भवन, मकान और माता का कारण होता है। मंगल … देश प्रेम, साहस, सहिष्णुता, धैर्य, कठिन, परिस्थितियों एवं समस्याओं को हल करने की योग्यता तथा खतरों से सामना करने की ताकत देता है।

• मंगल की शांति के उपाय –

भगवान शिव की स्तुति करें। मूंगे को धारण करें। तांबा, सोना, गेहूं, लाल वस्त्र, लाल चंदन, लाल फूल, केशर, कस्तुरी, लाल बैल, मसूर की दाल, भूमि आदि का दान।

♦ मांगलिक दोष में विवाह – (Marriage and Manglik Dosha) ♦

कुण्डली में जब प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में मंगल होता है तब मंगलिक दोष (manglik dosha) लगता है। इस दोष को विवाह के लिए अशुभ माना जाता है। यह दोष जिनकी कुण्डली में हो उन्हें मंगली जीवनसाथी ही तलाश करनी चाहिए ऐसी मान्यता है।ज्योतिशास्त्र में कुछ नियम (astrological principles) बताए गये हैं, जिससे वैवाहिक जीवन में मांगलिक दोष नहीं लगता है। आइये इसे देखें…

ज्योतिष विधा के अनुसार अगर कुण्डली में चतुर्थ और सप्तम भाव में मंगल मेष अथवा कर्क राशि के साथ योग बनाता है तो मंगली दोष लगता है (combination of Mars, Aries or Cancer and 4th or 7th house forms Manglik Dosha). इसी प्रकार द्वादश भाव में मंगल अगर मिथुन, कन्या, तुला या वृष राशि के साथ होता है तब भी यह दोष पीड़ित नहीं करता है। मंगल दोष उस स्थिति में प्रभावहीन होता है जबकि मंगल वक्री (retrograde Mars) हो या फिर नीच या अस्त (debilitated Mars). सप्तम भाव में अथवा लग्न स्थान (ascendant) में गुरू या फिर शुक्र स्वराशि (own sign) या उच्च राशि (exalted sign) में होता है तब मांगलिक दोष वैवाहिक जीवन में बाधक नहीं बनता है।

ज्योतिषशास्त्र के नियम के अनुसार अगर सप्तम भाव में स्थित मंगल पर बृहस्पति की दृष्टि (aspect of Jupiter on Mars) हो तो कुण्डली मांगलिक दोष से पीड़ित नहीं होती है। मंगल गुरू की राशि धनु अथवा मीन में हो (Mars in Jupiter’s sign, i.e. Sagittarius or Pisces) या राहु के साथ मंगल की युति (combination of Rahu and Mars) हो तो व्यक्ति चाहे तो अपनी पसंद के अनुसार किसी से भी विवाह कर सकता है क्योंकि वह मांगलिक दोष से मुक्त होता है। अगर जीवनसाथी में से एक की कुण्डली में मंगल दोष हो और दूसरे की कुण्डली में उसी भाव में पाप ग्रह (malefic planet) राहु या शनि स्थित हों तो मंगल दोष कट जाता है। इसी प्रकार का फल उस स्थिति में भी मिलता है जबकि जीवनसाथी में से एक की कुण्डली के तीसरे, छठे या ग्यारहवें भाव (3rd, 6th and 11th house) में पाप ग्रह राहु, मंगल या शनि मौजूद हों।

अगर कुण्डली के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम एवं द्वादश भाव (1st, 4th, 7th, 8th and 12th house) में से किसी में मंगल मौजूद है और साथ में बृहस्पति या चन्द्रमा है तो मांगलिक दोष को लेकर परेशान नही होना चाहिए। चन्द्रमा अगर केन्द्र स्थान (center house) में है तब भी व्यक्ति को मांगलिक दोष से मुक्त समझना चाहिए।

♦ मांगलिक दोष उपचार – (Remedies for Manglik Dosha) ♦

अगर वर वधू की कुण्डली में इस प्रकार की ग्रह स्थिति नहीं है और मंगली दोष के कारण उससे शादी नहीं कर पा रहे हैं जिसे आप जीवनसाथी बनाने की इच्छा रखते हैं तब मंगलिक दोष के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ उपचार कर सकते हैं। ज्योतिषशास्त्र में उपचार हेतु बताया गया है कि यदि वर मंगली (mangli) है और कन्या मंगली नहीं तो विवाह के समय वर जब वधू के साथ फेरे ले रहा हो तब पहले तुलसी के साथ फेरे ले-ले इससे मंगल दोष तुलसी पर चला जाता है और वैवाहिक जीवन में मंगल बाधक नहीं बनता है। इसी प्रकार अगर कन्या मंगली है और वर मंगली नहीं है तो फेरे से पूर्व भगवान विष्णु के साथ अथवा केले के पेड़ के साथ कन्या के फेरे लगवा देने चाहिए।

जिनकी कुण्डली में मांगलिक दोष है वे अगर 28 वर्ष के पश्चात विवाह करते हैं तब मंगल वैवाहिक जीवन में अपना दुष्प्रभाव नहीं डालता है। मंगली व्यक्ति इन उपायों पर गौर करें तो मांगलिक दोष को लेकर मन में बैठा भय दूर हो सकता है और वैवाहिक जीवन में मंगल का भय भी नहीं रहता है।

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