चील काफी ऊंचाई पर उड़ती है लेकिन अभी भी उसके ऊपर एक काफी ऊंचा आकाश होता है छूने के लिए। इसलिए जब भी हम सोचते हैं कि हमने काफी कुछ कर लिया, काफी सारी सफलता प्राप्त कर ली तब भी हमारे पास प्राप्त करने हेतु इतना कुछ होता है कि जो हमने प्राप्त किया है वह नगण्य ही कहलाता है। जब हम में यह बोध होता है कि हम ने तो अभी नगण्य दूरी ही तय की है तो मन में अहम भावना का विनाश होता है और हम सरल होते जाते हैं और एक सरल व्यक्ति ही सबसे अधिक व्यावहारिक और मिलनसार होता है। वो सामाजिक होता है, सबसे प्यार करता है और अपने ज्ञान और प्रसिद्धी का बोझ खुद संभाल कर दूसरों पर हावी नहीं होता। ऐसे सरलतम् बोध ही हमारे जीवन को महान बनाते हैं।
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