Kmsraj51 की कलम से…..
चमत्कारिक है ओ३म् का उच्चारण।
१- ओ३म् के उच्चारण मात्र से मृत कोशिकाएँ जीवित हो जाती है।
२- मन के नकारात्मक भाव सकारात्मक में परिवर्तित हो जाते है।
३- तनाव से मुक्ति मिलती है।
४- स्टेरॉयड का स्तर कम हो जाता है।
५- चेहरे के भाव तथा हमारे आसपास के वातावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
६- मस्तिष्क में सकारात्मक परिवर्तन होते हैं तथा हृदय स्वस्थ होता है।
७- मन में संकल्पाें(विचारों) की संख्या कम हाेने लगती हैं, और जब मन में संकल्पाें(विचारों) की संख्या कम हाेते हैं तब मन धीरे-धीरे शांत हाेने लगता हैं।
८- मन शांत हाेने से निर्णय शक्ति मजबूत(शक्तिशाली) हाे जाती हैं।
९- ओ३म् के उच्चारण मात्र से आत्मा की सुषुप्त आंतरिक शक्तियाँ जाग जाती हैं। और आत्मा की सुषुप्त हुँई शक्तियाें के जग जाने पर इस जहान(संसार) का काेई भी कार्य करना असंभव नहीं हाेता आपके लिए। अर्थात हरेक कार्य सरलता पूर्वक आप कर सकते हैं।
१०- ओ३म के लंबे समय तक उच्चारण मात्र से आपके मन, वचन(बाेल) और कर्म में पवित्रता आने लगती हैं।
११- ओ३म के लंबे समय तक उच्चारण मात्र से आपके शरीर के सारे रोम-छिद्र खुल जाते हैं। शरीर के अंदर रक्त-प्रसार तेजी से हाेने लगता हैं। आपके शरीर की त्वचा में कसावट आने लगता हैं। जिससे आपका शरीर पहले की अपेक्षा धीरे-धीरे बहुत सुंदर हाे जाता हैं।
“अर्थात- केवल ओ३म के लंबे समय तक उच्चारण मात्र से आपके तन, मन, वचन(बाेल) और कर्म में पवित्रता (Purity) आ जाती हैं।“
Source: “तू ना हो निराश कभी मन से” किताब(महाग्रंथ) से।
“तू ना हो निराश कभी मन से”
Coming soon book (जल्द ही आ रहा महाग्रंथ(किताब))…..
कृष्ण मोहन सिंह द्वारा लिखित महाग्रंथ (किताब) “तू ना हो निराश कभी मन से” बहुत जल्द ही आप सभी के पास हाेगा।
“एक ऐसा महाग्रंथ जाे किसी भी साधारण इंसान काे इतना शक्तिशाली बना दें, की हर असंभव कार्य भी सरलता पूर्वक संभव कार्य में बदल दें।“
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आपका सबका प्रिय दोस्त,
Krishna Mohan Singh(KMS)
Head Editor, Founder & CEO
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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”
-KMSRAJ51
किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए हिम्मत और उमंग-उत्साह बहुत जरूरी है।
जहाँ उमंग-उत्साह नहीं होता वहाँ थकावट होती है और थका हुआ कभी सफल नहीं होता।
~KMSRAJ51