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Mother Breathed Her Last | मां ने छोड़ी अन्तिम सांसें।

मां ने छोड़ी अन्तिम सांसें, इस तन से सब रिश्ता – नाता टूटा।
वह चली गई परलोक गमन पर, धरती का सब यहीं पर छुटा।
एक टक गाड़ी आंखे छत पर, नयनों से त्यागे अन्तिम प्राण।
जिव्हा लट गई, श्वासें उखड़ी, टूटी नाड़ी, झूल गए दोनों कान।
अजीब तड़प हुई तन में थी, मौत ने लिया ये कैसा इम्तेहान?
टूटी सांसों की डोरी क्षण भर में, छूट गया यह सकल जहान।
दुनियां का मिलता सब हाट बाट में, पर मां तो नहीं मिलती।
खुशियां हैं लाख यहां, मां की गोद सी खुशियां नहीं मिलती।
था ममता का साया अब तक उनका, अब तो संबल रहा नहीं।
ऐसा कौन सा दुख था जीवन में, जो मां ने शायद सहा नहीं?
पिता का जाना, भैया का देह त्यागना, बहना भी तो चली गई।
ऐसे में मां की ममता की छाया, हम पर अब तक बनि रही।
इस संसार में देह धार कर, मां के गर्भ से ही तो मैं आया था।
अंगुली पकड़ कर पथ पर चलना, मां ने ही तो सिखाया था।
सूना कक्ष अब मां हो गया, घर लगता कुछ खाली – खाली है।
मां-बाप, गुरु के रिश्ते ही तो सच्चे हैं, बाकी तो सब जाली हैं।
इस रहस्य भरे संसार में, जन्म-मरण का अजीब सा खेला है।
मौत का मातम देख के लगता है, जीव जग कारा में धकेला है।
आठ जुलाई दो हजार पच्चीस को, सांय, मां का जाना हुआ।
बोलते – बोलते वह चली गई, खत्म ज़िन्दगी का अफसाना हुआ।
♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦
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- “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — यह कविता एक संकलित भावनात्मक श्रद्धांजलि है, जिसमें कवि ने एक मां के निधन से उपजी पीड़ा, खालीपन और यादों को गहराई से व्यक्त किया है। मां ने 8 जुलाई 2025 को अंतिम सांस ली, और उसी क्षण से कवि का संसार अकेला, सूना और अधूरा हो गया। कवि ने मां के अंतिम क्षणों का मार्मिक चित्रण किया है — उनकी अंतिम सांस, नाड़ी का टूटना, शरीर का जड़ होना, ये सब देखकर कवि को लगा जैसे मौत ने बहुत कठोर इम्तहान लिया हो। वह बताता है कि इस संसार में सब कुछ मिल सकता है, पर मां दोबारा नहीं मिलती। मां की गोद में जो सुकून था, वह किसी चीज़ में नहीं मिलता। कवि याद करता है कि जीवन के दुखों — पिता, भाई और बहन के निधन — को भी मां ने धैर्य से सहा, और अपने बच्चों पर ममता की छाया बनाए रखी। मां ने ही उसे चलना सिखाया, जीवन की राह दिखाई। अब जब मां नहीं रही, तो घर का हर कोना सूना लगने लगा है। वह कहता है कि माता-पिता और गुरु के रिश्ते ही सच्चे होते हैं, बाकी सब संबंध क्षणभंगुर हैं। अंत में वह मृत्यु की निस्सारता और जीवन के अनिश्चय की बात करता है — यह संसार एक रहस्यमयी जेल जैसा है, जिसमें जन्म और मृत्यु की लुका-छिपी चलती रहती है। मां के जाने से उसकी ज़िन्दगी का एक अध्याय समाप्त हो गया है।
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यह कविता (मां ने छोड़ी अन्तिम सांसें।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
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