Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ हनुमान चालीसा में पहले से ही पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी घोषित हैं। ϒ
गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालीसा में सैकड़ों साल पहले ही सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी स्पष्ट हैं। इसमें तुलसीदासजी ने उस समय में ही बता दिया था कि सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी कितनी है।
♦ हनुमान चालीसा के इस दोहे में है सूर्य से पृथ्वी के बीच की दूरी। ♦
जुग (युग) सहस्त्र जोजन (योजन) पर भानु।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
इस दोहे का सरल अर्थ यह है कि हनुमानजी ने एक युग सहस्त्र योजन की दूरी पर स्थित भानु यानी सूर्य को मीठा फल समझकर खा लिया था।
ये गणित छिपा है हनुमान चालीसा के दोहे में।
हनुमानजी ने एक युग सहस्त्र योजन की दूरी पर स्थित भानु यानी सूर्य को मीठा फल समझकर खा लिया था।
एक युग = 12000 वर्ष
एक सहस्त्र = 1000
एक योजन = 8 मील
युग x सहस्त्र x योजन = पर भानु
12000 x 1000 x 8 मील = 96000000 मील
एक मील = 1.6 किमी
96000000 x 1.6 = 153600000 किमी
इस गणित के आधार गोस्वामी तुलसीदास जी ने प्राचीन समय में ही बता दिया था कि सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है।
हिंदू धर्म का प्राचीन नाम आदि सनातन देवी-देवता धर्म हैं। हिंदू धर्म(आदि सनातन देवी-देवता धर्म) के संस्थापक स्वयं ईश्वर हैं। हम सभी हिंदू आदि सनातन देवी-देवता धर्म के वंशज हैं। जब हममें दैवी गुण नही रहे तब अपने आपकाे हिंदू कहने लगे।
हमारे ग्रंथाें में हजारों साल पहले ही सभी ज्ञान, विज्ञान, विद्या, कौशल व शास्राें के बारे में स्पष्ट बता दिया गया था। जिसे आज का विज्ञान बता रहा हैं। आज का विज्ञान ताे अभी बच्चा हैं। हमारे ग्रंथाें काे चुराना और उसी के आधार पर खाेज करना यही है आज के विज्ञान का काम। आज के विज्ञान का आधार भी हमारे ग्रंथ ही हैं।
दुनिया का पहला धर्म है आदि सनातन देवी-देवता धर्म(हिंदू धर्म)। इस पृथ्वी पर मानव सभ्यता का शुरुआत ही आदि सनातन देवी-देवता धर्म(हिंदू धर्म) से हुआ हैं।
प्रिय मित्रों – आप सभी काे हिंदू धर्म के बारे में विस्तार से परिचय कराऊंगा अपने Next Book में जिसका शीर्षक हाेगा …..
Kmsraj51 की कलम से…..
* जल्द ही प्रकाशित पुस्तक *
(Coming soon published book)
“The Real Truth Behind Hindu Dharm” – “या”
“हिंदू धर्म पीछे की असली सच्चाई“
Krishna Mohan Singh(KMS) द्वारा लिखित book “हिंदू धर्म पीछे की असली सच्चाई” (The Real Truth Behind Hindu Dharm).
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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान रुपी भोजन जरूरी हैं। ~ कृष्ण मोहन सिंह(KMS)
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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”
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~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)
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