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burden of relationships

रिश्तों का बोझ।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ रिश्तों का बोझ। ♦

एक शहर में रवि अपने बेटे अमित और बहू रीमा के साथ रहते थे। अमित का बेटा रितिक अपने दादाजी के बहुत करीब था। अमित की माँ 5 साल पहले गुजर गई थी।

एक दिन रीमा बोली “बाबूजी आप बाजार से सब्जी ले आओ”…
रवि सब्जी लेने जाते है तो वहाँ उनके दोस्त मिल जाते है वो पैसो को लेकर परेशान थे रवि उनको वो पैसे दे आते है जो रीमा ने सब्जी के लिए दिए थे। घर आकर बहु को सब बता देते है। रात को जब अमित घर आता है तो रीमा उसको सब बता देती है। सब खाना खाने बैठते है खाने में सब्जी नहीं होती है अमित कहता है रीमा तुमने सब्जी नहीं बनाई वो बोली बाबूजी लेकर नहीं आये, और सारे पैसे दोस्त को देकर आ गए यह सुनकर अमित गुस्से से बिना खाना खाएं चला जाता है।

दूसरे दिन अमित रितिक से बोलता है “मैं तुम्हे स्कूल छोड़ देता हूँ” रीमा बोली “बाबूजी छोड़ देंगे वैसे पूरे दिन करते क्या है?” वो बाबूजी को आवाज लगाकर बोलती है; “आप इसको स्कूल छोड़ आयो” बाबूजी बोले “पहले मुझे एक कप चाय दे दो” बाबूजी चाय आकर पी लेना “वो स्कूल छोड़कर आते है चाय बनाकर पीते है।” बाबूजी आप घर की साफ सफाई भी कर लिया करो दिन भर आराम ही करते हो, बेचारे बाबू जी से रीमा इस तरह सब काम करवाने लगती है।

कुछ दिन बाद रीमा की सहेली मीना घर आती है बोलती है “कैसी हो रीमा” मैं ठीक हूँ अमित के साथ घूमने जा रही हूँ। तुम अपने ससुर को अकेले छोड़ कर कैसे चली जाती हो हमारे यहाँ तो ससुर की ही चलती है वो जैसा कहते है वही होता है। “रीमा बोली” तुम्हारे ससुर पैसे वाले है हमारे बाबू जी पर पैसे नहीं वो तो हम पर बोझ है। यह बात रवि सुन लेता है, और रोने लगता है। रात को अमित से बोले “बेटा कल मुझे मेरे दोस्त के यहाँ छोड़ आना वो अकेला रहता है, मैं उसके साथ ही रह लूँगा तुम लोगो को मेरी वजह से परेशानी होती है।

“अमित बोला” बाबूजी अगर आपका मन है तो मै सुबह छोड़ दूँगा।” सुबह रवि अपने दोस्त के घर पहुँच जाते है रवि अंदर चला जाता है; तो उनके दोस्त अमित से कहते है “तुम ये बहुत गलत कर रहे हों। मैं तुम्हें आज एक बात बताता हूँ एक बार मैं और रवि बाजार जा रहे थे; एक छोटा बच्चा भीख मांग रहा था रवि उसको अपने घर ले आया उसको पाला, पढ़ाया – लिखाया, अच्छे संस्कार दिए वो बच्चा कोई और नहीं वो तुम थे।

अमित तुम उनकी संतान नहीं हो फिर भी तुम्हें संतान से ज्यादा प्रेम दिया “यह सुनकर अमित के पैरों से जमीन खिसक गयीं वो रोने लगा। “बाबूजी मुझे माफ़ कर दीजिए” बाबूजी ने उसको माफ नहीं किया। घर आकर रीमा को सब बात बताई तो वह रोने लगी। “मैने बाबूजी पर बहुत अत्याचार किये है; मेरी ही वजह से घर छोडकर गए। मैं ही उनको लेकर आऊँगी। “रीमा और अमित दोनों बाबूजी से माफी मांगते है रवि उनको माफ कर देता है, और सब खुशी – खुशी रहने लगते है।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कहानी के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस दुनिया में रिश्तों से बढ़कर कुछ भी नहीं है। अगर रिश्तों में प्यार, सम्मान, विश्वास न हो तो ऐसे रिश्ते बहुत ही दुःख देने वाले होते। दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज अगर कुछ है तो वह प्यार है। प्यार वह एहसास है जो हमें ना सिर्फ जीना, बल्कि सदैव ही मुस्कुराना भी सिखाती है। इस दुनिया में हर कोई किसी ना किसी से जरूर प्यार करता है। क्योंकि बिना प्यार के यह दुनिया चल ही नहीं सकती हैं। रिश्तों में प्यार का होना बहुत जरूरी है, चाहे वो रिश्ता कोई भी हो। जहां रिश्तों में प्यार नहीं होता है वहां अक्सर तकरार होता ही रहता हैं। इसलिए रिश्तों में प्यार, सम्मान और विश्वास को बनाये रखें, सुखमय जीवन जीने के लिए।

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यह कहानी (रिश्तों का बोझ।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें/कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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