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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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nav varsh poems

समर्पित नव वर्ष को।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ समर्पित नव वर्ष को। ♦

नयन में चंचला दीप्ति है,
बाँहों में बीजल धनु मण्डित।
केयूर स्थिरता चरण में,
उर में श्रद्धा अखंडित।

प्राणों में जलती ज्वालामुखी,
ड़मरु-मध्य हथेली पर सँभाले।
जा रहा है जो संभाग,
ध्वजस्तंभ को गगन में उछाले।

सुदर्शन विजय उद्घोष कर,
युग निर्माण में अभिनव बढ़ा है।
युधान को ललकारता जो,
शिखर शैलाधिराज पर चढ़ा है।

दर्प भी कन्दर्प का,
मुख कांति का देख मर्दित।
देश के उस ज्वान को,
मेरी काव्य संजीवनी समर्पित।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

यह कविता (समर्पित नव वर्ष को।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: nav varsh poems, Poems of Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', नए साल पर कविता, नव वर्ष पर कविता, सतीश शेखर श्रीवास्तव - परिमल, समर्पित नव वर्ष को, समर्पित नव वर्ष को - kmsraj51, समर्पित नव वर्ष को - सतीश शेखर श्रीवास्तव परिमल

आप्तकाम मन नववर्ष 2022

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ आप्तकाम मन नववर्ष 2022 ♦

वर्ष का यह नवीन विचार प्रमेय,
नवल रूप हों सविता का उदय।
सुविचार सरिता हो प्रवाह मय,
कण-कण में बन रहा प्रेम वलय।
मन सिंधु, हर विंदु का नेह हृदय।

विग्रह – द्वंद्व दूर, निर्बल सबल भव्य,
प्रातः रुपल हो, बाल – रवि का उदय।
अहं विकार का हो वयं में मनोलय,
हित अलग-विलग, पर हो समन्वय।
हर दृष्टि सद्भाव की, घर संत – निलय।

अम्बर का विस्तार, अवनि का धैर्य,
पुष्प-हास मधुर, जन-मन का श्रेय।
लोक सेवा में हो मन शक्ति अक्षय,
अर्पित करें, परम के चरण आश्रय।
जनवाणी स्वर हो सहज स्वीकार्य।

गणतंत्र सुफल, यह साहित्य ध्येय,
जन गुण जलधारा का ऊर्ध्व लक्ष्य।
भोजन, वस्त्र, जन- शिक्षा अभियान,
समत्व भाव पले, जो समूह सौभाग्य।
अन्याय रूप, विषमता हो मृतप्राय,
आप्तकाम हो, मनु पुत्र का हृदय।

काव्य मन में गंगा, हो पावन विधेय,
सुतीक्ष्ण में राम, लेखक में जन हृदय।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

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  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — ये नया वर्ष खुशियां लेकर आया, मानवता और करुणा से संवेदना फैलाएगा। आइए हम सब मिलकर स्वच्छता की ओर कदम बढ़ाएं। पर्यावरण की रक्षा में आइए हम सब मिलकर ये संकल्प ले, प्रत्येक व्यक्ति एक – एक पेड़ जरूर लगाएंगे, और जब तक पेड़ अपना स्व खुराक न लेने लगे तब तक उसका देख रेख पूर्ण मन से करेंगे। राम जन्मभूमि से शांति सद्भाव फैलाएगा ये नया साल। आइए हम सब मिलकर भारत भूमि के पूर्ण विकास में अपना अमूल्य योगदान दे, सच्चे तन मन से। न्याय पूर्ण उत्तम समाज बनाने में सभी सहयोग करें। नव वर्ष का यह नवीन विचार प्रमेय, नवल रूप में हों सविता का उदय। सुविचार सरिता का हो सर्वत्र प्रवाह कण-कण में बन रहा प्रेम वलय। मन सिंधु, हर विंदु का नेह हृदय।

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यह कविता (आप्तकाम मन नववर्ष 2022) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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