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poems by sushila devi

सरकारी स्कूल चलते हैं…।

Kmsraj51 की कलम से…..

Sarkari School Chalate Hain | सरकारी स्कूल चलते हैं…।

The importance of education to fulfill the dreams of children has been explained.

आओ चलो चलते है,
सरकारी स्कूल चलते हैं,
जहां सपने हमारे पलते हैं।

हौसलों की कमान लेकर,
पढ़ने का दिल में अरमान लेकर,
चलो सरकारी स्कूल चलते हैं।

सुबह की प्रात कालीन सभा से लेकर,
हाथो में अपने छोटों भाई बहनों का हाथ लेकर,
चलो सरकारी स्कूल चलते है।

योग, ध्यान और खेलों से शरीर को स्वस्थ बनाते है,
समय – समय पर बच्चों का चैकअप भी कराते हैं,
चलो सरकारी स्कूल चलते है।

अब ये भी तो सभी को हमें बताना है,
भांति – भांति के पकवान बच्चों को खिलाना है,
चलो सरकारी स्कूल चलते हैं।

केवल किताबी शिक्षा ही नहीं दोहराई हमने,
पुस्तकालय शिक्षा भी यहां पाई हमने,
चलो सरकारी स्कूल चलते हैं।

बाल वाटिका के भी छोटे – छोटे पुष्प यहां खिले है,
निपुण शिक्षक हमे केवल यहां मिले है,
चलो सरकारी स्कूल चलते है।

खेल – खेल में शिक्षा और संस्कार सिखाए जाते हैं,
अधिकार संग यहां बच्चों को कर्तव्य बताए जाते हैं,
चलो सरकारी स्कूल चलते हैं।

मजेदार गतिविधियों से बच्चों को निपुण बनाना है,
इतनी सुंदर शिक्षा से सभी बच्चों को सजाना है,
आओ कहो हमारे साथ,
हम को भी सरकारी स्कूल में जाना हैं।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — यह कविता सरलता से सरकारी स्कूल की महत्वता को उजागर करती है। इसमें बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए शिक्षा के महत्व को बताया गया हैं। वहाँ प्रदान की जाने वाली शिक्षा की विविधता और समावेशन को बढ़ावा दिया गया है। इसके अलावा, शिक्षा के साथ-साथ खेल, संस्कार, और देशभक्ति की शिक्षा भी उपलब्ध है। इस कविता के माध्यम से सरकारी स्कूल के महत्व को समझाया गया है और बच्चों को उनमें जाने के लिए प्रेरित किया गया है।

—————

यह कविता (सरकारी स्कूल चलते हैं…।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी (राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षिका व अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार) है। शिक्षा — डी•एड, बी•एड, एम•ए•। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

  • अनेक मंचों से राष्ट्रीय सम्मान।
  • इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज।
  • काव्य श्री सम्मान — 2023
  • “Most Inspiring Women Of The Earth“ – Award 2023
    {International Internship University and Swarn Bharat Parivar}
  • Teacher’s Icon Award — 2023
  • राष्ट्रीय शिक्षा शिल्पी सम्मान — 2021
  • सावित्रीबाई फुले ग्लोबल अचीवर्स अवार्ड — 2022
  • राष्ट्र गौरव सम्मान — 2022
  • गुरु चाणक्य सम्मान 2022 {International Best Global Educator Award 2022, Educator of the Year 2022}
  • राष्ट्रीय गौरव शिक्षक सम्मान 2022 से सम्मानित।
  • अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ लेखिका व सर्वश्रेष्ठ कवयित्री – By — KMSRAJ51.COM
  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान — 2022
  • राष्ट्रीय शिक्षक गौरव सम्मान — 2022
  • राष्ट्रीय स्त्री शक्ति सम्मान — 2022
  • राष्ट्रीय शक्ति संचेतना अवार्ड — 2022
  • साउथ एशिया टीचर एक्सीलेंस अवार्ड — 2022
  • 50 सांझा काव्य-संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित (राष्ट्रीय स्तर पर)।
  • 70 रचनाएँ व 11+ लेख और 1 लघु कथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित (KMSRAJ51.COM)। इनकी 6 कविताएं अब तक विश्व स्तर पर प्रथम और द्वितीय स्थान पा चुकी है, जिनके आधार पर इनको सर्वश्रेष्ठ कवयित्री व पर्यावरण प्रेमी का खिताब व वरिष्ठ लेखिका का खिताब की प्राप्ति हो चुकी है।
  • इनकी अनेक कविताएं व शिक्षाप्रद लेख विभिन्न प्रकार के पटल व पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रहे हैं।
  • 3 महीने में तीन पुस्तकें प्रकाशित हुए। जिसमें दो काव्य संग्रह “समर्पण भावों का” और “भाव मेरे सतरंगी” और एक लेख संग्रह “एक नजर इन पर भी” प्रकाशित हुए। एक शोध पत्र “आओं, लौट चले पुराने संस्कारों की ओर” प्रकाशित हुआ। इनके लेख और रचनाएं जन-मानस के पटल पर गहरी छाप छोड़ रहे हैं।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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मेघराज आये माँ तेरा स्वागत करने।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ मेघराज आये माँ तेरा स्वागत करने। ♦

हे जगदम्बे माँ! तेरे गुप्त नवरात्रि की सबको बधाई।
इस वर्ष की फिर से शुभ मंगल, पावन घड़ी आई॥

कई दिनों से इन मेघों का उमड़-घुमड़ कर आना।
फिर इस पावन दिन पर ही इनका यूँ बरस जाना॥

सार्थक किया देव इंद्र ने भी अपने नाम को।
उचित समय अंजाम दे दिया अपने काम को॥

धरा को अपनी प्यारी बूंदों के स्पर्श से किया पावन।
प्रकृति भी शीश झुका कर मानो हो रही मनभावन॥

धरा ने इन बूंदों से खुद को कर लिया निर्मल।
जैसे खुद को पाक किया, डाला जैसे गंगा-जल॥

पावन नवरात्रि में चारों दिशाएँ तुझें पुकार रही।
तेरे स्वागत में अतृप्त नैन राहें तेरी बुहार रही॥

इंद्रदेव खुश होकर झमाझम जल बरसाए।
धरा भी शीतल हो तेरे आगमन में मन्द-मन्द हर्षाये॥

तू भी अपने लाल-लाल चुनरी को ओढ़ कर आएगी।
कुम-कुम लगे पग तेरे खुशहाली बिखेर जाएगी॥

तेरा ही सम्पूर्ण ब्रह्मांड गुणगान करेगा।
ये भी अपने दामन को तेरे आशीष से भरेगा॥

हे जग जननी, तू तो वरदायिनी ममतामयी माँ।
तुझसा इस ब्रह्मांड में कोई और कहाँ॥

इस पृथ्वी माँ को धन्य करती तुम बारम्बार।
मानव मन पर दया कर बार-बार करती उपकार॥

तेरे ही पावन चरण कमलों में हर सुख का बसेरा है माँ।
तेरी कृपादृष्टि से तो हर रात में भी खुशियों का सवेरा है माँ॥

तू अपनी कृपादृष्टि बिखरा जाना नूर ही नूर, माँ।
हे विश्वविनोदिनि माँ, तेरे खजाने तो रहमतों से भरपूर, माँ॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — पवित्र प्रकृति व वर्षा भी मातारानी का दिल से स्वागत कर रहा है। हे जगदम्बे माँ! तेरे इस गुप्त नवरात्रि की सबको बधाई। धरा को अपनी प्यारी बूंदों के स्पर्श से किया पावन। प्रकृति भी शीश झुका कर मानो हो रही मनभावन। धरा ने इन बूंदों से खुद को कर लिया निर्मल, जैसे खुद को पाक किया, डाला जैसे गंगा-जल हो।

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यह कविता (मेघराज आये माँ तेरा स्वागत करने।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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आजा माँ।

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♦ आजा माँ। ♦

हे जगजननी माँ, आज तुम आ ही जाओं,
तेरे भक्तों की पुकार है।

माँ, तू तो कृपा, दया की देवी,
तेरे कृपानिधि के नाम से जयकार है।

माँ, तुझें आना ही होगा,
इंसान का जीवन बचाना होगा।

तुझें इस धरा पर फिर,
जीवन की ज्योति को जगाना होगा।

माँ, चारों तरफ हो रही है बेहाल जिंदगी।
धरती पर सिर झुकाओं, कबूल करती तू बन्दगी।

त्रिपिंडी स्वरूपा माता, हे सुख दायिनी आजा,
इंसान की साँसाे की डोर थाम, बढ़ा दे इनको।

अपने आशीर्वाद से नवाज़े माँ तू,
तेरे आशीष की जरूरत अब सबकों।

तू तो जगत माता है,
इस जग को फिर से बचाने आजा।

हुई जाने अनजाने जो गलतियां,
उनको बख्श दे माँ, माँ वाला प्यार दिखा जा।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है -इस कविता में कवित्री ने माता रानी के गुणों और शक्तियों का स्तुति कर, माता रानी का आह्वान किया है इंसानियत को बचाने के लिए।

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यह कविता (आजा माँ।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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