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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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sushila devi poems

उफ्फ ये दर्द।

Kmsraj51 की कलम से…..

Uff Ye Dard | उफ्फ ये दर्द।

Autobiography of Pottery

(बर्तनों की आत्मकथा)

Earthen utensils prove to be very useful. We also get many benefits from earthen utensils.

कैसी गुमनाम,
कैसी बेदाम,
हुई है ये जिंदगी हमारी।

कभी एक दूसरे से प्यार,
कभी एक दूजे से तकरार,
खूब होती अदाकारी।

बड़े से लेकर छोटे तक,
पतले से लेकर मोटे तक,
बन बैठती कोई महतारी।

करीने से सजते सब,
सुनहरा पल था तब,
दूर होने की आई लाचारी।

एक~दूसरे को देख मुस्काते,
कभी सुख कभी दुख बतियाते,
मिट गई वो बातें सारी।

नए आए प्रचलनों ने हमारा,
खो दिया सारा भाई चारा,
आई अलग~अलग होने की बारी।

पहले तो शादी~ब्याह में,
सुकून पाते मिलने की वाह में,
अब वो सुख कहां?

कई~कई दिनों तक अठखेलियां करती,
सहेलियां आपस में बातें करती,
छुप गया न जाने चैन कहां।

तीज~त्योहारों की बाट में,
खूब खुश होते दिन से रात में,
पूरा मोहल्ला एक जगह होता।

हमें खूब चमकाया जाता,
लाल निशानी से सजाया भी जाता,
क्योंकि गुम होने का दबा अहसास रोता।

समारोह की समाप्ति होती तो,
अगर कोई गुमशुदा की तलाश में होती तो,
सारा घर सिर पर उठा लेते।

जगह~जगह पर टोह पड़ जाती,
कोने कोने पर गुम होने की आवाज आती,
सब जगह गुमनाम के चर्चे मशहूर कर देते।

आखिरकार इतना ढूंढ़ने से मिलती,
रोई आंखें सभी की खिलती,
खैर अपनों के बीच आ ही गई।

अब तो अलग हुए इस कदर,
महीनों तक एक ~दूजे की खैर न खबर,
ऐसी कट रही जिंदगी।

माचिस के डिब्बों में बंद है,
सांस चलती अब मंद है,
ऐसे बंट रही है जिंदगी।

अब दिनों की बात तो दूर,
महीने है यादों से भरपूर,
जो अपनों से दूर हुए।

पहले तो खुल कर आती थी सांस,
महीने में भी नही अपनों से मिलने की आस,
हाय!ऐसे क्यों मजबूर हुए।

अब क्यूं नही आता वो शामियाना,
जहां हम सबका लगता था आना~जाना।
क्यों बड़े~छोटे सभी बने बेगाने?

जो तीज त्यौहार होते थे एक साथ,
उनसे भी छूटने लगे हाथ,
क्या इसी को जिंदगी माने?

एक जगह होते हुए दूर कितने,
एक नदी के दो किनारे जितने,
सुनते है हमको दिए जो ताने।

न अब कोई गिरने का शोर है,
लगता है हमारे शोर से बोर है,
उन डिब्बों सी सिमटी जिंदगी।

जब जरूरत हो तभी बाहर आते,
काम होते ही हमारे कपाट बंद हो जाते,
फिर से अपनों से कटी जिंदगी।

जब हम सभी को घमंड था अपने पर।
हालात रोने के बीते उस सपने पर।
छोटों को आवाज से गिराते।

हम बड़ों के बीच में छोटे आते,
हमें वो फूटी आंख नही भाते,
अपने किए पर अब पछताते।

हम बड़ों का अस्तित्व ही खत्म हुआ,
छोटे तुम आगे बढ़ो यही दुआ,
छोटों का ही हुआ पसवारा।

हमारी जिंदगी अब हुई इंसानों जैसी,
बिना तीर के तीरकमानों जैसी,
चेहरे पर न कोई चमक रही।

ये हम रसोई के बर्तन सुना रहे है,
आज अपनी ही आत्मकथा गुनगुना रहे हैं,
क्योंकि आवाज में कोई खनक नही।

आज की आधुनिक रसोई खिलखिला रही,
उन लकड़ी के बॉक्स में जिंदगी बिलबिला रही।
पीड़ा किसको बताए,
किसको दर्द दिखाए।

सभी तो हुए मौन है,
सुनने वाला कौन है?
हम तो अब खामोश है,
क्योंकि इंसानी जिंदगी को भी कहां होश है।

हम तो सह लेंगे इतना दर्द,
पर इंसान क्यों हूं अपनों के प्रति बेदर्द।
जब एक निर्जीव की की जुबानी,
ले आई तुम्हारी आंखों में पानी।

तो सोचो ? रिश्तों को मिलता ऐसा गम,
एहसासों को तार~तार कर लेता दम।
अपनों से जुदा होने का न देना गम,
इस दुख का दुनिया में नही कोई मरहम।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — यह कविता व्यक्ति की जीवन शैली के बदलने के साथ – साथ बर्तनों के उपयोग में बदलाव और बर्तनों के खुशियों व दर्द को दिखाती है। प्रारंभ में, वे (दर्द) जीवन को खुशी और दुख के साथ जीते हैं, प्यार और तकरार के बावजूद। वे अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं को तारीकियों से तस्वीर में पेश करते हैं, और इसके साथ ही यह कविता जीवन के बदलते प्रवृत्तियों की चर्चा करती है। इसके बाद, वे अपने जीवन के एक अलग मोड़ पर आते हैं, जहां परिवर्तन और अलगाव आते हैं। अंत में, वे अपने(बर्तनों) जीवन के नए प्रकार की आजादी और स्वतंत्रता का अहसास करते हैं, लेकिन इसके साथ ही वे अपने पुराने दिनों की याद करते हैं।

—————

यह कविता (उफ्फ ये दर्द। – बर्तनों की आत्मकथा) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी (राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षिका व अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार) है। शिक्षा — डी•एड, बी•एड, एम•ए•। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

  • अनेक मंचों से राष्ट्रीय सम्मान।
  • इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज।
  • काव्य श्री सम्मान — 2023
  • “Most Inspiring Women Of The Earth“ – Award 2023
    {International Internship University and Swarn Bharat Parivar}
  • Teacher’s Icon Award — 2023
  • राष्ट्रीय शिक्षा शिल्पी सम्मान — 2021
  • सावित्रीबाई फुले ग्लोबल अचीवर्स अवार्ड — 2022
  • राष्ट्र गौरव सम्मान — 2022
  • गुरु चाणक्य सम्मान 2022 {International Best Global Educator Award 2022, Educator of the Year 2022}
  • राष्ट्रीय गौरव शिक्षक सम्मान 2022 से सम्मानित।
  • अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ लेखिका व सर्वश्रेष्ठ कवयित्री – By — KMSRAJ51.COM
  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान — 2022
  • राष्ट्रीय शिक्षक गौरव सम्मान — 2022
  • राष्ट्रीय स्त्री शक्ति सम्मान — 2022
  • राष्ट्रीय शक्ति संचेतना अवार्ड — 2022
  • साउथ एशिया टीचर एक्सीलेंस अवार्ड — 2022
  • 50 सांझा काव्य-संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित (राष्ट्रीय स्तर पर)।
  • 70 रचनाएँ व 11+ लेख और 1 लघु कथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित (KMSRAJ51.COM)। इनकी 6 कविताएं अब तक विश्व स्तर पर प्रथम और द्वितीय स्थान पा चुकी है, जिनके आधार पर इनको सर्वश्रेष्ठ कवयित्री व पर्यावरण प्रेमी का खिताब व वरिष्ठ लेखिका का खिताब की प्राप्ति हो चुकी है।
  • इनकी अनेक कविताएं व शिक्षाप्रद लेख विभिन्न प्रकार के पटल व पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रहे हैं।
  • 3 महीने में तीन पुस्तकें प्रकाशित हुए। जिसमें दो काव्य संग्रह “समर्पण भावों का” और “भाव मेरे सतरंगी” और एक लेख संग्रह “एक नजर इन पर भी” प्रकाशित हुए। एक शोध पत्र “आओं, लौट चले पुराने संस्कारों की ओर” प्रकाशित हुआ। इनके लेख और रचनाएं जन-मानस के पटल पर गहरी छाप छोड़ रहे हैं।

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आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: autobiography of utensils, poet sushila devi poems, sushila devi, sushila devi poems, उफ्फ ये दर्द, उफ्फ ये दर्द - बर्तनों की आत्मकथा, उफ्फ ये दर्द - सुशीला देवी, बर्तनों की आत्मकथा, सुशीला देवी, सुशीला देवी की कविताएं

जमाने का दस्तूर।

Kmsraj51 की कलम से…..

Zamane Ka Dastoor | जमाने का दस्तूर।

Holding the helm of courage, you walk alone. Don't hold on to the hope that someone will sail your boat.

स्वार्थ से भरी दुनिया में, लगा इंसानों का मेला।
क्यूं किसी से निस्वार्थ की करें दिल कामना।

हौसलों की थामकर पतवार, तू तो चल अकेला।
कोई तेरी नाव पार लगाए, इस उम्मीद का हाथ न थामना।

तुझे कुछ कर गुजरना है तो सब छोड़ झमेला।
आंख खोल दुनिया देख, सब छंट जायेगा अंधेरा घना।

बुलंद कर रुतबा इतना, शरमाये वो जिसने शातिराना खेल खेला।
जीवन में फर्श से अर्श तक जाना है तो दिल पत्थर का बना।

खुद पर यकीन रख, आस्था रख रब में।
जिंदगी से दोस्ती निभाने का हुनर सब में।

कहां आता है……. रे मना!

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कविता में स्वार्थ और निस्वार्थ के मध्य की तुलना की गई है। यह कविता एक व्यक्ति को सोचने पर प्रोत्साहित करती है कि वह निस्वार्थता, साहस, और आस्था के साथ अपने लक्ष्यों की ओर बढ़े, चाहे वो किसी भी कठिनाइयों का सामना करें। इसके अलावा, कविता मनुष्य को अपने मार्ग पर दृढ़ रहने की सलाह देती है और उसे खुद पर और भगवान पर यकीन रखने का सुझाव देती है।

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यह कविता (जमाने का दस्तूर।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी (राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षिका व अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार) है। शिक्षा — डी•एड, बी•एड, एम•ए•। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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  • इनकी अनेक कविताएं व शिक्षाप्रद लेख विभिन्न प्रकार के पटल व पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रहे हैं।
  • 3 महीने में तीन पुस्तकें प्रकाशित हुए। जिसमें दो काव्य संग्रह “समर्पण भावों का” और “भाव मेरे सतरंगी” और एक लेख संग्रह “एक नजर इन पर भी” प्रकाशित हुए। एक शोध पत्र “आओं, लौट चले पुराने संस्कारों की ओर” प्रकाशित हुआ। इनके लेख और रचनाएं जन-मानस के पटल पर गहरी छाप छोड़ रहे हैं।

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Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Hindi Poems, poem on life, poet sushila devi poems, sushila devi, sushila devi poems, zamane ka dastoor, जमाने का दस्तूर, जमाने का दस्तूर - सुशीला देवी, बच्चों के लिए प्रेरक कविताएं, सुंदर कविता हिंदी में, सुंदर कविता हिंदी में बच्चों के लिए, सुशीला देवी, सुशीला देवी की कविताएं, हिंदी कविताएँ

झूठ का बोलबाला।

Kmsraj51 की कलम से…..

Jhooth ka Bolbala | झूठ का बोलबाला।

In the time of Kaliyuga, alas! Truth is in disrepair, lies are prevalent.

अंबर से जमीन तक,
दिशाओं के हर ओर से,
झूठ का ही बोलबाला है।

ऐसा लगे जैसे कि,
सच बोलने से रब भी रूठता है,
झूठ का बोलबाला है।

कलयुग के समय में तो,
हाय! सच हुआ बेहाल है,
झूठ का बोलबाला है।

क्यों झूठी प्रशंसा ही,
सबको लगती अच्छी है,
झूठ का बोलबाला है।

इंसान के जज़्बातों की,
कीमत कम लगती है यहां,
झूठ का बोलबाला है।

सोचते है सच को झूठ का ही,
पहना देते लिबास,
झूठ का बोलबाला है।

हर सच्ची बात पर रहो तुम अडिग,
रहने दो जो झूठ का बोलबाला है।

रूठ जाए चाहे सब,
बशर्ते न रूठे प्रभु हमारा,
रहने दो झूठ का बोलबाला।

अंत में सच ही जीत जायेगा,
हार ही जायेगा,
जो झूठ का बोलबाला है।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस कविता में झूठ और सच के बीच का विरोध दिखाया गया है। कविता में यह कहा गया है कि झूठ दुनिया में बहुत प्रमुख हो गया है और लोग अक्सर सच को नकारते हैं। झूठ के प्रति लोगों की रुचि बढ़ गई है और वे सच और झूठ के बीच का अंतर नहीं समझते। कविता में सच की महत्वपूर्ण भूमिका को बढ़ावा दिया गया है और यह कहा गया है कि सच ही आखिरकार जीतेगा। कविता का संदेश है कि हमें सच्चाई का पालन करना चाहिए, चाहे दुनिया कितनी भी झूठी बातें बोले।

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यह कविता (झूठ का बोलबाला।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी (राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षिका व अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार) है। शिक्षा — डी•एड, बी•एड, एम•ए•। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

  • अनेक मंचों से राष्ट्रीय सम्मान।
  • इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज।
  • काव्य श्री सम्मान — 2023
  • “Most Inspiring Women Of The Earth“ – Award 2023
    {International Internship University and Swarn Bharat Parivar}
  • Teacher’s Icon Award — 2023
  • राष्ट्रीय शिक्षा शिल्पी सम्मान — 2021
  • सावित्रीबाई फुले ग्लोबल अचीवर्स अवार्ड — 2022
  • राष्ट्र गौरव सम्मान — 2022
  • गुरु चाणक्य सम्मान 2022 {International Best Global Educator Award 2022, Educator of the Year 2022}
  • राष्ट्रीय गौरव शिक्षक सम्मान 2022 से सम्मानित।
  • अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ लेखिका व सर्वश्रेष्ठ कवयित्री – By — KMSRAJ51.COM
  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान — 2022
  • राष्ट्रीय शिक्षक गौरव सम्मान — 2022
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  • साउथ एशिया टीचर एक्सीलेंस अवार्ड — 2022
  • 50 सांझा काव्य-संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित (राष्ट्रीय स्तर पर)।
  • 70 रचनाएँ व 11+ लेख और 1 लघु कथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित (KMSRAJ51.COM)। इनकी 6 कविताएं अब तक विश्व स्तर पर प्रथम और द्वितीय स्थान पा चुकी है, जिनके आधार पर इनको सर्वश्रेष्ठ कवयित्री व पर्यावरण प्रेमी का खिताब व वरिष्ठ लेखिका का खिताब की प्राप्ति हो चुकी है।
  • इनकी अनेक कविताएं व शिक्षाप्रद लेख विभिन्न प्रकार के पटल व पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रहे हैं।
  • 3 महीने में तीन पुस्तकें प्रकाशित हुए। जिसमें दो काव्य संग्रह “समर्पण भावों का” और “भाव मेरे सतरंगी” और एक लेख संग्रह “एक नजर इन पर भी” प्रकाशित हुए। एक शोध पत्र “आओं, लौट चले पुराने संस्कारों की ओर” प्रकाशित हुआ। इनके लेख और रचनाएं जन-मानस के पटल पर गहरी छाप छोड़ रहे हैं।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2023-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: sushila devi, sushila devi poems, झूठ का बोलबाला, झूठ का बोलबाला - सुशीला देवी, सुशीला देवी, सुशीला देवी की कविताएं

वीर भगत सिंह।

Kmsraj51 की कलम से…..

Veer Bhagat Singh | वीर भगत सिंह।

Bhagat Singh, an Indian revolutionary socialist, who played a significant role in the Indian independence movement.

हे! भारत मां के वीर सपूत शहीद भगत सिंह,
तेरे जैसा, इस धरा पर कोई ना लाल हुआ।

थर्राई थी जमीं भी उन फिरंगियों की,
जब दिल में उनके तेरे ख्याल हुआ।

आज मेरा शत-शत नमन तुझको,
इस दुनिया में लाने वाले पिता-मात को।

तेरे साथ नमन उन साथियों को भी,
जिन्होंने सुबह में बदला गुलामी की रात को।

जिस भारत मां की आत्मा को आजाद किया,
अपनी पूजनीय मां की कोख से जन्म लेकर।

अपनी जिंदगी का फर्ज बखूबी निभाया,
हमें आजादी का उपहार देकर।

भगत सिंह जिस मिट्टी की खुशबू ,
बचपन में ही, तूने अपनी रूह में बस आई।

तेरी उस जन्मस्थली को भी,
तेरी जयंती की लख-लख बधाई।

तेरी जयंती की बधाई,
इस सारे भारत देश को।

शत-शत नमन आज तेरे,
बसंती चोले के वेश को।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस कविता में भगत सिंह को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वीर सपूत के रूप में सलाम दिया गया है। कविता में भगत सिंह के वीरता, स्वतंत्रता के लिए उनके प्रबल संकल्प, और उनके साथियों के संघर्ष का स्तवन किया गया है। कविता के आखिरी भाग में भगत सिंह की जयंती की बधाई दी गई है और उनके योगदान को सलाम किया गया है। इसके साथ ही, कविता में भगत सिंह के जन्मस्थल को भी याद किया गया है।

—————

यह कविता (वीर भगत सिंह।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी (राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षिका व अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार) है। शिक्षा — डी•एड, बी•एड, एम•ए•। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

  • अनेक मंचों से राष्ट्रीय सम्मान।
  • इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज।
  • काव्य श्री सम्मान — 2023
  • “Most Inspiring Women Of The Earth“ – Award 2023
    {International Internship University and Swarn Bharat Parivar}
  • Teacher’s Icon Award — 2023
  • राष्ट्रीय शिक्षा शिल्पी सम्मान — 2021
  • सावित्रीबाई फुले ग्लोबल अचीवर्स अवार्ड — 2022
  • राष्ट्र गौरव सम्मान — 2022
  • गुरु चाणक्य सम्मान 2022 {International Best Global Educator Award 2022, Educator of the Year 2022}
  • राष्ट्रीय गौरव शिक्षक सम्मान 2022 से सम्मानित।
  • अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ लेखिका व सर्वश्रेष्ठ कवयित्री – By — KMSRAJ51.COM
  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान — 2022
  • राष्ट्रीय शिक्षक गौरव सम्मान — 2022
  • राष्ट्रीय स्त्री शक्ति सम्मान — 2022
  • राष्ट्रीय शक्ति संचेतना अवार्ड — 2022
  • साउथ एशिया टीचर एक्सीलेंस अवार्ड — 2022
  • 50 सांझा काव्य-संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित (राष्ट्रीय स्तर पर)।
  • 70 रचनाएँ व 11+ लेख और 1 लघु कथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित (KMSRAJ51.COM)। इनकी 6 कविताएं अब तक विश्व स्तर पर प्रथम और द्वितीय स्थान पा चुकी है, जिनके आधार पर इनको सर्वश्रेष्ठ कवयित्री व पर्यावरण प्रेमी का खिताब व वरिष्ठ लेखिका का खिताब की प्राप्ति हो चुकी है।
  • इनकी अनेक कविताएं व शिक्षाप्रद लेख विभिन्न प्रकार के पटल व पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रहे हैं।
  • 3 महीने में तीन पुस्तकें प्रकाशित हुए। जिसमें दो काव्य संग्रह “समर्पण भावों का” और “भाव मेरे सतरंगी” और एक लेख संग्रह “एक नजर इन पर भी” प्रकाशित हुए। एक शोध पत्र “आओं, लौट चले पुराने संस्कारों की ओर” प्रकाशित हुआ। इनके लेख और रचनाएं जन-मानस के पटल पर गहरी छाप छोड़ रहे हैं।

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©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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प्यारी बेटियाँ।

Kmsraj51 की कलम से…..

Pyari Betiyan | प्यारी बेटियाँ।

National Daughters Day is celebrated in India on the fourth Sunday of September every year and the day reminds people of the beautiful treasure in their house called 'daughter'.

बेटी प्रेम है, बेटी ही घर का श्रृंगार है।
बेटी ही तहजीब है, बेटी ही संस्कार है।

बेटी ही त्याग और तपस्या की मूरत है।
इनमें दिखती भगवान की सूरत है।

बेटी ही मिलन की धारा है।
यही तो इस संसार का आधारा है।

बेटी-प्रेम तो तपती धूप में छाया है।
घरों में रौनक सब इनकी ही माया है।

पर न बनाएँ इनको चाँद की चाँदनी,
जिसको सब घूरते रह जायें।
इनको बना दे कड़कते बादलों की दामिनी,
जिससे सब घबरायें।

हौसलों का जज़्बा भर दे इनमें इतना।
सागर की बहती, उफनती लहरों जितना।

संस्कारों की तहजीब से,
इनको हम सजायें।
बुरी नजर से नही देखें,
बस सजदे में इनके सिर झुक जायें।

माना कि बेटियाँ होती नारी शक्ति का रूप है।
खुशी की छाया, सुखों की धूप है।

यही तो बनती देवियों का भी रूप है।
जब-जब पाप बढ़े, देवी चंडी का स्वरूप है।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस कविता में बेटियों की महत्वपूर्ण भूमिका को बयान किया गया है। बेटी परिवार का गर्व होती है और वह घर का श्रृंगार, तहजीब, संस्कार, त्याग, तपस्या, और मिलन की धारा की प्रतीक होती है। उनका समर्थन और सुरक्षा करना महत्वपूर्ण है। उन्हें बुरी नजरों से नहीं देखना चाहिए, बल्कि समाज को उनके साथ सजदा (बस सजदे में इनके सिर झुक जायें।) करना चाहिए। इसके साथ ही, बेटियाँ नारी शक्ति के रूप में भी महत्वपूर्ण हैं और वे देवी चंडी के स्वरूप की तरह प्रतिष्ठित होती हैं।

—————

यह कविता (प्यारी बेटियाँ।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी (राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षिका व अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार) है। शिक्षा — डी•एड, बी•एड, एम•ए•। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

  • अनेक मंचों से राष्ट्रीय सम्मान।
  • इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज।
  • काव्य श्री सम्मान — 2023
  • “Most Inspiring Women Of The Earth“ – Award 2023
    {International Internship University and Swarn Bharat Parivar}
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  • राष्ट्र गौरव सम्मान — 2022
  • गुरु चाणक्य सम्मान 2022 {International Best Global Educator Award 2022, Educator of the Year 2022}
  • राष्ट्रीय गौरव शिक्षक सम्मान 2022 से सम्मानित।
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  • 50 सांझा काव्य-संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित (राष्ट्रीय स्तर पर)।
  • 70 रचनाएँ व 11+ लेख और 1 लघु कथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित (KMSRAJ51.COM)। इनकी 6 कविताएं अब तक विश्व स्तर पर प्रथम और द्वितीय स्थान पा चुकी है, जिनके आधार पर इनको सर्वश्रेष्ठ कवयित्री व पर्यावरण प्रेमी का खिताब व वरिष्ठ लेखिका का खिताब की प्राप्ति हो चुकी है।
  • इनकी अनेक कविताएं व शिक्षाप्रद लेख विभिन्न प्रकार के पटल व पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रहे हैं।
  • 3 महीने में तीन पुस्तकें प्रकाशित हुए। जिसमें दो काव्य संग्रह “समर्पण भावों का” और “भाव मेरे सतरंगी” और एक लेख संग्रह “एक नजर इन पर भी” प्रकाशित हुए। एक शोध पत्र “आओं, लौट चले पुराने संस्कारों की ओर” प्रकाशित हुआ। इनके लेख और रचनाएं जन-मानस के पटल पर गहरी छाप छोड़ रहे हैं।

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प्यारी हिंदी।

Kmsraj51 की कलम से…..

Pyari Hindi | प्यारी हिंदी।

Hindi Day is celebrated in India to commemorate the date 14 September 1949 on which a compromise was reached—during the drafting of the Constitution of India—on the languages that were to have official status in the Republic of India.

भारतवासियों के जुबान की मिठास है ये।
अपनेपन में एक प्यारा सा अहसास है ये।

हमारी सभ्यता की एक परिचायक है।
यही तो हमारी संस्कृति की संवाहक है।

ये तो देती, हर रिश्ते को इतना मान है।
फिर क्यूँ हो रहा, हर जगह अपमान है।

ये हिंदी तो दिलों को, बहुत प्यारी होती थी।
अपने लोगों की बोली ही, न्यारी होती थी।

पता ही नही लग पाया कि, कब हमसे ये जुदा हो गयी।
आओं, खुद में झांके, कि क्यूँ ये हमसे खफा हो गयी?

हमने किस भाषा के मोहपाश में खुद को बांध लिया।
क्यूँ, इस का प्रिय स्थान किसी और को दे ही दिया।

हिंदी-भाषी लोगों को वंदन करने का, समय आ गया।
फिर हमसब में धीरे-धीरे, हिंदी का मोह समा गया।

ये भाषा तो इतनी सहज, सरल होती,
अपना कर इसको जीवन जाता फूल सा खिल।
अपनी हिंदी जैसा इस जहां में और कोई नहीं काबिल।

हमारी हिंदी अपनी है, हमको बहुत ही प्यारी है।
जिसने अपनाया इसको, इसने उसकी ही तकदीर सँवारी है।

सदैव ममत्व लुटाने वाली, हम तो रहेंगे सदैव तेरे ही आभारी।
तू ही थी, तू ही है, बस जन्नत हमारी।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस कविता में कवयित्री हिंदी भाषा की महत्ता और महत्व को बयां कर रही हैं। वे कह रही हैं कि हिंदी भाषा भारतवासियों की जुबान की मिठास है और इसमें एक प्यारा सा अहसास होता है। हिंदी भाषा हमारी सभ्यता की पहचान है और हमारी संस्कृति का संरक्षक है। इसके बावजूद, कवयित्री यह सोचती हैं कि हिंदी का अपमान क्यों हो रहा है और इसे छोड़ने के लिए हमने किसी और भाषा के मोहपाश में अपने को बांध लिया है। कवयित्री का संदेश है कि हमें अपनी हिंदी को महत्व देना चाहिए और इसे अपने जीवन में सजीव रूप से अपनाना चाहिए। इसके माध्यम से हम अपनी भाषा का सम्मान करेंगे और उसे अपनी तकदीर सँवारेंगे। क्योंकि हिंदी हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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यह कविता (प्यारी हिंदी।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी (राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षिका व अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार) है। शिक्षा — डी•एड, बी•एड, एम•ए•। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

  • अनेक मंचों से राष्ट्रीय सम्मान।
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  • काव्य श्री सम्मान — 2023
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  • Teacher’s Icon Award — 2023
  • राष्ट्रीय शिक्षा शिल्पी सम्मान — 2021
  • सावित्रीबाई फुले ग्लोबल अचीवर्स अवार्ड — 2022
  • राष्ट्र गौरव सम्मान — 2022
  • गुरु चाणक्य सम्मान 2022 {International Best Global Educator Award 2022, Educator of the Year 2022}
  • राष्ट्रीय गौरव शिक्षक सम्मान 2022 से सम्मानित।
  • अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ लेखिका व सर्वश्रेष्ठ कवयित्री – By — KMSRAJ51.COM
  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान — 2022
  • राष्ट्रीय शिक्षक गौरव सम्मान — 2022
  • राष्ट्रीय स्त्री शक्ति सम्मान — 2022
  • राष्ट्रीय शक्ति संचेतना अवार्ड — 2022
  • साउथ एशिया टीचर एक्सीलेंस अवार्ड — 2022
  • 50 सांझा काव्य-संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित (राष्ट्रीय स्तर पर)।
  • 70 रचनाएँ व 11+ लेख और 1 लघु कथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित (KMSRAJ51.COM)। इनकी 6 कविताएं अब तक विश्व स्तर पर प्रथम और द्वितीय स्थान पा चुकी है, जिनके आधार पर इनको सर्वश्रेष्ठ कवयित्री व पर्यावरण प्रेमी का खिताब व वरिष्ठ लेखिका का खिताब की प्राप्ति हो चुकी है।
  • इनकी अनेक कविताएं व शिक्षाप्रद लेख विभिन्न प्रकार के पटल व पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रहे हैं।
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हे मुरलीधर!

Kmsraj51 की कलम से…..

Hey Murlidhar | हे मुरलीधर!

हे मुरलीधर! तेरे आगमन की पावन बेला आई।
सज गया ये जगत, खुशियों की बौछार छाई॥

तेरी अतिप्रिय मुरली की धुन में होकर मगन।
तेरे नाम के दीवानों को लागी लगन॥

तेरे मुकुट के मयूर-पंख को ही निहारेंगे, आज सब।
हे लीलाधर! तुम अपनी लीला दिखाने आ जाओ अब॥

तेरे इस जन्माष्टमी पर्व पर……..

छोटे ~ छोटे प्यारे बच्चों का रूप बहुत सलोना।
छोटी ~ छोटी राधा, छोटे-छोटे कान्हा मनमोहना॥

देखो! आज इन्होने क्या सुंदर रूप बनाया।
इनकी छवि ने मन को बहुत लुभाया॥

बालमन अनोखी, अदभुत छवि ले मुस्काय।
नज़र उतारे इनकी कहीं नजर न लग जाय॥

हे मुरलीधर, जन्माष्टमी पर सब रूप ही तुम्हारे भाये।
लगे आज यूँ हर बाल रूप में तुम्हीं समाये॥

आज काली रात्रि का अंधकार भी, तेरे जन्म के उजाले से भर जाएगा।
तेरा जन्म, इस भारत-भू पर परमानंद ले आएगा॥

अपनी श्रद्धा, आस्था के सब पुष्प ही, तुझको कर दूँ अर्पण।
तेरे भक्तों को तेरी ही छवि दिखेगी, ऐसा बना मन-दर्पण॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कविता में कवयित्री हे मुरलीधर के सागर प्रेम और श्रद्धा की भावना को व्यक्त करती हैं, और वो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के पावन अवसर की उपलक्ष्य में बोल रहे हैं। कविता में व्यक्त की जाने वाली भक्ति और उम्मीद की भावना के साथ ही बच्चों के छवि का सुंदर वर्णन भी होता है, जो भगवान के जन्म के अवसर पर दिखाया जाता है। इसके अलावा, कविता में भगवान के जन्म के पावन अवसर का महत्व और उसके प्रभाव के बारे में भी बताया गया है।

—————

यह कविता (हे मुरलीधर!) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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  • 70 रचनाएँ व 11+ लेख और 1 लघु कथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित (KMSRAJ51.COM)। इनकी 6 कविताएं अब तक विश्व स्तर पर प्रथम और द्वितीय स्थान पा चुकी है, जिनके आधार पर इनको सर्वश्रेष्ठ कवयित्री व पर्यावरण प्रेमी का खिताब व वरिष्ठ लेखिका का खिताब की प्राप्ति हो चुकी है।
  • इनकी अनेक कविताएं व शिक्षाप्रद लेख विभिन्न प्रकार के पटल व पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रहे हैं।
  • 3 महीने में तीन पुस्तकें प्रकाशित हुए। जिसमें दो काव्य संग्रह “समर्पण भावों का” और “भाव मेरे सतरंगी” और एक लेख संग्रह “एक नजर इन पर भी” प्रकाशित हुए। एक शोध पत्र “आओं, लौट चले पुराने संस्कारों की ओर” प्रकाशित हुआ। इनके लेख और रचनाएं जन-मानस के पटल पर गहरी छाप छोड़ रहे हैं।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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गुरु की महिमा।

Kmsraj51 की कलम से…..

Guru Ki Mahima | गुरु की महिमा।

गुरु ही ले जाये, अंधकार से प्रकाश की ओर।
गुरु की महिमा का न पाया, किसी ने छोर।

प्रथम गुरु जन्मदाता मात-पिता को नमन।
खिलाया जिन्होंने संसार में जीवन का चमन।

द्वितीय स्थान गुरु का, जीवन मे शिक्षक ही पाता।
जो सुप्त भाग्य जगा दे, जीवन निर्मल दे जाता।

गुरु ही बोयें, शिष्यों में संस्कारों के बीज।
नैतिकता, समाजिकता और सिखाएं तहजीब।

आध्यात्मिक गुरु ने ईश्वर से भी उच्च दर्जा पाया।
गुणगान इसकी महिमा का, शास्त्रों ने भी सुनाया।

प्रशस्त करता सन्मार्ग, गुरु ही इस जीवन में।
शिष्य को ये लाकर खड़ा कर दे, खुशियों के उपवन में।

गुरु की महिमा से गुंजायमान है, ये ब्रह्मांड।
शीश झुका करें हम, प्रणाम साष्टांग।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कविता में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका को महत्वपूर्णता के साथ दर्शाया गया है। गुरु जी को त्रिविध रूपों में प्रस्तुत किया गया है: प्रथम गुरु (मात-पिता), द्वितीय गुरु (शिक्षक), और आध्यात्मिक गुरु (आध्यात्मिक गुरु)। कविता में यह बताया गया है कि गुरु के बिना हमारा जीवन अधूरा होता है और गुरु के माध्यम से हमें नैतिकता, समाजिकता, और ज्ञान प्राप्त होता है। गुरु की महिमा को सराहा गया है और उनके प्रति प्रणाम और श्रद्धा की भावना व्यक्त की गई है।

—————

यह कविता (गुरु की महिमा।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी (राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षिका व अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार) है। शिक्षा — डी•एड, बी•एड, एम•ए•। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

  • अनेक मंचों से राष्ट्रीय सम्मान।
  • इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज।
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  • “Most Inspiring Women Of The Earth“ – Award 2023
    {International Internship University and Swarn Bharat Parivar}
  • Teacher’s Icon Award — 2023
  • राष्ट्रीय शिक्षा शिल्पी सम्मान — 2021
  • सावित्रीबाई फुले ग्लोबल अचीवर्स अवार्ड — 2022
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  • राष्ट्रीय गौरव शिक्षक सम्मान 2022 से सम्मानित।
  • अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ लेखिका व सर्वश्रेष्ठ कवयित्री – By — KMSRAJ51.COM
  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान — 2022
  • राष्ट्रीय शिक्षक गौरव सम्मान — 2022
  • राष्ट्रीय स्त्री शक्ति सम्मान — 2022
  • राष्ट्रीय शक्ति संचेतना अवार्ड — 2022
  • साउथ एशिया टीचर एक्सीलेंस अवार्ड — 2022
  • 50 सांझा काव्य-संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित (राष्ट्रीय स्तर पर)।
  • 70 रचनाएँ व 11+ लेख और 1 लघु कथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित (KMSRAJ51.COM)। इनकी 6 कविताएं अब तक विश्व स्तर पर प्रथम और द्वितीय स्थान पा चुकी है, जिनके आधार पर इनको सर्वश्रेष्ठ कवयित्री व पर्यावरण प्रेमी का खिताब व वरिष्ठ लेखिका का खिताब की प्राप्ति हो चुकी है।
  • इनकी अनेक कविताएं व शिक्षाप्रद लेख विभिन्न प्रकार के पटल व पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रहे हैं।
  • 3 महीने में तीन पुस्तकें प्रकाशित हुए। जिसमें दो काव्य संग्रह “समर्पण भावों का” और “भाव मेरे सतरंगी” और एक लेख संग्रह “एक नजर इन पर भी” प्रकाशित हुए। एक शोध पत्र “आओं, लौट चले पुराने संस्कारों की ओर” प्रकाशित हुआ। इनके लेख और रचनाएं जन-मानस के पटल पर गहरी छाप छोड़ रहे हैं।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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रिश्तों के मायने।

Kmsraj51 की कलम से…..

Rishton Ke Mayne | रिश्तों के मायने।

न जाने कहाँ खो गए वो स्नेहमयी रिश्ते।
अच्छा -बुरा समझाने वो बड़े-बूढ़े फरिश्ते।

सँयुक्त परिवार में वो रिश्तों की अठखेलियां।
अपनापन दर्शाती वो प्रेमभरी पहेलियां।

एक शर्म एक हया का पर्दा होता था तब।
न जाने खो गया वो पर्दा कहाँ अब।

माता-पिता के आमने-सामने नहीं होते थे बच्चें।
बहुत भोले और दिल के होते थे वो बहुत ही सच्चे।

रिश्तों की बुनियाद होती तो सबमें दिखता भाईचारा।
चाचा-ताऊ के डर से न होते घर के बालक आवारा।

वो दादी, चाची, ताई का भी मिलता था प्यार।
माँ की प्रीत संग वो प्रेम बढ़ता बेशुमार।

चिंता नही होती थी न कोई थी फिक्र किसी बात की।
न लड़ाई-झगड़े की, न ही किसी दुख की रात की।

परिवार बड़े होने के साथ-साथ रिश्तों से थे भरपूर।
बुआ-फूफा का प्रेम देने में रिश्ता भी होता मशहूर।

काश! लौट आये घरों में वो प्रेम भरे रिश्ते खास पुराने।
फिर से परिवारों में खुशियों की किलकारियों के बन जाये बहाने।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस कविता में बताया गया है कि परिवार में नाजुक और स्नेहमय रिश्तों की महत्वपूर्णता को कैसे समझने की आवश्यकता है। यह कविता उन पुराने समय के सँयुक्त परिवार के रिश्तों की याद दिलाती है जिन्होंने हमारे जीवन को सजाया है और उनके अब अदूर होने पर विचार कराती है। कविता में उन परिवारिक रिश्तों की महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन होता है जो हमारे जीवन को खास बनाते हैं। कविता के अंत में एक ख्वाहिश व्यक्त की जाती है कि पुराने प्रेमपूर्ण रिश्तों को दोबारा जीवन में बसाने की जरुरत पुनः है।

—————

यह कविता (रिश्तों के मायने।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी (राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षिका व अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार) है। शिक्षा — डी•एड, बी•एड, एम•ए•। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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  • 70 रचनाएँ व 11+ लेख और 1 लघु कथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित (KMSRAJ51.COM)। इनकी 6 कविताएं अब तक विश्व स्तर पर प्रथम और द्वितीय स्थान पा चुकी है, जिनके आधार पर इनको सर्वश्रेष्ठ कवयित्री व पर्यावरण प्रेमी का खिताब व वरिष्ठ लेखिका का खिताब की प्राप्ति हो चुकी है।
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  • 3 महीने में तीन पुस्तकें प्रकाशित हुए। जिसमें दो काव्य संग्रह “समर्पण भावों का” और “भाव मेरे सतरंगी” और एक लेख संग्रह “एक नजर इन पर भी” प्रकाशित हुए। एक शोध पत्र “आओं, लौट चले पुराने संस्कारों की ओर” प्रकाशित हुआ। इनके लेख और रचनाएं जन-मानस के पटल पर गहरी छाप छोड़ रहे हैं।

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सब कुछ बिकता है यहां।

Kmsraj51 की कलम से…..

Sab Kuch Bikta Hai Yaha | सब कुछ बिकता है यहां।

बिकता है यहाँ सब कुछ,
जो भी जहां में दिखता है।

जज़्बात से लेकर ईमान तक,
खुशियों से लेकर अरमान तक।

पानी से लेकर शुद्ध हवा तक,
सांस देने वाली हर दवा तक।

आसमान से लेकर इस जमीं तक,
कई बार रिश्तों की हँसी तक।

कली से लेकर फूल तक,
जल-अमृत व मंदिरों की धूल तक।

हँसी से लेकर मुस्कान तक,
मरने से जीने के अरमान तक।

कलयुग में…
सब कुछ बिकता है साहब!

बस नहीं मिलता तो खरीदार,
इन बेमुराद मिलने वाले अश्कों के।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस कविता में व्यक्त किया गया है कि आज के कलयुग में सब कुछ मानव जीवन में खरीद-बिक्री के रूप में प्रतिष्ठित हो गया है। जो भी हम जहां देखते हैं, वह सब बेचा जाता है, चाहे वह वस्त्र, जज्बात, ईमान, खुशियाँ, अरमान, पानी, हवा, दवाएँ, आसमान, धरती, रिश्ते, कलियाँ, फूल, जल, अमृत, या मंदिरों की धूल क्यों न हो। हाँ, इस सबके बावजूद, एक चीज़ नहीं मिलती – वो है बेमुराद अश्कों की मूल्यवान अद्यतन की मांग। इसके बगैर, जीवन का मतलब और भी कुछ हो सकता है, जैसे मरने से जीने के अरमान।

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आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी (राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षिका व अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार) है। शिक्षा — डी•एड, बी•एड, एम•ए•। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

  • अनेक मंचों से राष्ट्रीय सम्मान।
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  • राष्ट्रीय गौरव शिक्षक सम्मान 2022 से सम्मानित।
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  • 70 रचनाएँ व 11+ लेख और 1 लघु कथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित (KMSRAJ51.COM)। इनकी 6 कविताएं अब तक विश्व स्तर पर प्रथम और द्वितीय स्थान पा चुकी है, जिनके आधार पर इनको सर्वश्रेष्ठ कवयित्री व पर्यावरण प्रेमी का खिताब व वरिष्ठ लेखिका का खिताब की प्राप्ति हो चुकी है।
  • इनकी अनेक कविताएं व शिक्षाप्रद लेख विभिन्न प्रकार के पटल व पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रहे हैं।
  • 3 महीने में तीन पुस्तकें प्रकाशित हुए। जिसमें दो काव्य संग्रह “समर्पण भावों का” और “भाव मेरे सतरंगी” और एक लेख संग्रह “एक नजर इन पर भी” प्रकाशित हुए। एक शोध पत्र “आओं, लौट चले पुराने संस्कारों की ओर” प्रकाशित हुआ। इनके लेख और रचनाएं जन-मानस के पटल पर गहरी छाप छोड़ रहे हैं।

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