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shayari on hug day in hindi

आओं! गले मिल आते हैं।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ आओं! गले मिल आते हैं। ♦

आओं! आज हम सब रिश्तों के गले मिल कर आते हैं।
जो रिश्ते रूठ गए उनको अपने भाव अर्पण कर जाते हैं॥

भारतीय संस्कृति ने ही तो विश्व में अपना डंका बजाया।
फिर इसके गुणों को ही हमने क्यूँ इस कदर भुलाया॥

हर खुशी-गम को गले लग कर लेते थे बाँट।
फिर मिल-बैठ हर समस्या को हँस कर देते थे काट॥

अपने बच्चों को संस्कारों के गले मिलाकर ले आयें।
तब सच में ही हम अपनी संस्कृति को अपनायें॥

रिश्तों को गले लगाना ही सब गिले-शिकवे को देता मात।
सुख भरे सवेरे में तब तब्दील हो जाती हर दुख की रात॥

संयम, सब्र, संतोष को आलिंगन बद्ध करते हैं।
स्वयं की झोली ही आज खुशियों से भरते हैं॥

अपनी प्रीत केवल श्रीकृष्ण-सुदामा जैसी बना पायें हम।
सच्ची दोस्ती को ही इस कदर गले लगा मिटाए जीवन के तम॥

बस निस्वार्थ भाव से अपने गुणों की खुशबू हम फैलायें।
आओं! आज हम सब मानवता के गुणों को गले लगाए॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — गले मिलना अपनत्व का अहसास दिलाकर सुकून महसूस करवाता है दिलों दिमाग तक। गले मिलना भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही चला आ रहा है, जो आज मॉडर्न ज़माने में Hug Day के नाम से जाना जाता है। आखिरकार हमारी ही प्राचीन संस्कृति को नए नाम से हमे परोसा जा रहा है, क्योकि हम अपने प्राचीन संस्कृति और संस्कार को भूलते जा रहे है, और पश्चिमी सभ्यता वाले इसी का फायदा उठा रहे है। हमें हमारी ही प्राचीन संस्कृति को नए नाम से हमे सीखाने की कोशिश कर रहे है। इसी तरह की बहुत सारी प्राचीन भारतीय संस्कृति है जो हम छोड़ने की गलती कर रहे है और इसी का फायदा सदैव से ही पश्चिमी सभ्यता वाले उठा रहे है। अब भी समय है संभल जाओ और अपने प्राचीन भारतीय संस्कृति, सभ्यता व संस्कार का पूर्ण तन, मन से पालन करों। वर्ना पश्चिमी सभ्यता द्वारा हम पर हमारी ही प्राचीन संस्कृति, संस्कार को नए नाम के साथ थोपा जायेगा अपना अविष्कार बताकर।

—————

यह कविता (आओं! गले मिल आते हैं।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, सुशीला देवी जी की कविताएं।, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: hug day status in hindi, poem of sushila devi, poem on hug day in hindi, shayari on hug day in hindi, sushila devi poems, आओं! गले मिल आते हैं

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