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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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सीमा रंगा इन्द्रा जी की कविताएं

योग करो।

Kmsraj51 की कलम से…..

Yog Karo | योग करो।

भगवान शिव से जिसकी शुरुआत हुई,
हितकारी बन विश्व में फैला हुआ है।

करो तुम शुरुआत आज से ही,
सभी बीमारियों का तोड़ योग है।

महंगाई के युग में सस्ता एक साधन,
प्राचीन पद्धति योग जिसका नाम है।

करके योग रहो तुम सदा निरोग,
ना खर्चा, ना कोई नुकसान है।

योग स्वस्थ रहना हमें सिखाता,
योग फुर्तीला शरीर बनाता है।

मोटापा डरकर इससे भागता,
चमकाता हमारी काया है।

आज से ही शुरुआत तुम करो,
खुशियां जीवन में लाता है।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — हर रोज़ सुबह के समय योग करने के फायदे अनमोल है – यह हमारी पहली सांस को पुन: चक्रित करता है। योग का अभ्यास करने से शरीर किक-स्टार्ट होता है। ह्रदय रोग से बचाव करता है योग। दिमाग सदैव ही रहता है एक्टिव। बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता। योग के द्वारा सांसों को साध कर परमानन्द की अनुभूति किया जा सकता है। तन और मन को निरोग रखने के लिए प्रतिदिन योग करे।

—————

यह कविता (योग करो।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख, कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम सीमा रंगा इंद्रा है। मेरी शिक्षा बी एड, एम. ए. हिंदी। व्यवसाय – लेखिका, प्रेरक वक्ता व कवयित्री। प्रकाशन – सतरंगी कविताएं, देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं व लेख, दैनिक भास्कर, दैनिक भास्कर बाल पत्रिका, अमर उजाला, संडे रिपोर्टर, दिव्य शक्ति टाइम्स ऑफ़ डेजर्ट, कोल्डफीरर, प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, इंदौर समाचार लोकांतर, वूमेन एक्सप्रेस सीमांत रक्षक युगपक्ष, रेड हैंडेड, मालवा हेराल्ड, टीम मंथन, उत्कर्ष मेल काव्य संगम पत्रिका, मातृत्व पत्रिका, कोलकाता से प्रकाशित दैनिक पत्रिका, सुभाषित पत्रिका शब्दों की आत्मा पत्रिका, अकोदिया सम्राट दिव्या पंचायत, खबर वाहिनी, समतावादी मासिक पत्रिका, सर्वण दर्पण पत्रिका, मेरी कलम पूजा पत्रिका, सुवासित पत्रिका, 249 कविता के लेखक कहानियां प्रकाशित देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में समय-समय पर।

सम्मान पत्र -180 ऑनलाइन सम्मान पत्र, चार बार BSF से सम्मानित, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर सोसायटी से सम्मानित, नेहरू युवा केंद्र बाड़मेर से सम्मानित, शुभम संस्थान और विश्वास सेवा संस्थान द्वारा सम्मानित, प्रज्ञा क्लासेस बाड़मेर द्वारा, आकाशवाणी से लगातार काव्य पाठ, सम्मानित, बीएसएफ में वेलफेयर के कार्यों को सुचारु रुप से चलाने हेतु सम्मानित। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, प्रेसिडेंट ग्लोबल चेकर अवार्ड।

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आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ®———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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डॉ भीमराव अम्बेडकर।

Kmsraj51 की कलम से…..

Dr. Bhimrao Ambedkar | डॉ भीमराव अम्बेडकर।

बुद्धि से तेज,
विचारों से श्रेष्ठ,
ज्ञान में ज्ञानी।

सहनशीलता की मिशाल,
जला दी जिसने अलख ज्ञान की,
आओ करें नमन उस महान ज्ञानी को।

किताब, कलम को बना ढाल,
छा गए जो महान,
करोड़ों दिलों पर जिसका राज।

रख नारी को संग,
दिला कर महिलाओं को,
शिक्षा का अधिकार,
बने नारी रक्षक।

गरीबों वंचितों को दिया उठा,
समानता का पढ़ाया पाठ,
सहकर कठोर यातनाएं।

रख शिक्षा को आगे,
आम से बने खास,
लिख दिया जिसने संविधान।

कहलाए वे…
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर,
नमन मातृभूमि के लाल को।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — डॉ भीमराव अम्बेडकर एक महान देशभक्त , न्याय के पुजारी , शिक्षाविद और दलितों के मसीहा थे। भारत के संविधान के निर्माता के रूप में देश भर में वो प्रसिद्ध है। अम्बेडकर का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा संघर्षपूर्ण रहा , उन्हें छुआछूत , ऊंच नीच आदि का बचपन से ही सामना करना पड़ा। भीमराव रामजी अम्बेडकर , (जन्म 14 अप्रैल, 1891, महू, भारत- मृत्यु 6 दिसंबर, 1956, नई दिल्ली), दलितों के नेता (अनुसूचित जाति; पूर्व में अछूत कहलाते थे) और भारत सरकार के कानून मंत्री (1947-51)। भारत के इतिहास में महानतम नेताओं में से एक थे बाबा साहेब भीमराव रामजी अम्बेडकर। उन्हें भारतीय संविधान का जनक माना जाता है।

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यह कविता (डॉ भीमराव अम्बेडकर।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख, कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम सीमा रंगा इंद्रा है। मेरी शिक्षा बी एड, एम. ए. हिंदी। व्यवसाय – लेखिका, प्रेरक वक्ता व कवयित्री। प्रकाशन – सतरंगी कविताएं, देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं व लेख, दैनिक भास्कर, दैनिक भास्कर बाल पत्रिका, अमर उजाला, संडे रिपोर्टर, दिव्य शक्ति टाइम्स ऑफ़ डेजर्ट, कोल्डफीरर, प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, इंदौर समाचार लोकांतर, वूमेन एक्सप्रेस सीमांत रक्षक युगपक्ष, रेड हैंडेड, मालवा हेराल्ड, टीम मंथन, उत्कर्ष मेल काव्य संगम पत्रिका, मातृत्व पत्रिका, कोलकाता से प्रकाशित दैनिक पत्रिका, सुभाषित पत्रिका शब्दों की आत्मा पत्रिका, अकोदिया सम्राट दिव्या पंचायत, खबर वाहिनी, समतावादी मासिक पत्रिका, सर्वण दर्पण पत्रिका, मेरी कलम पूजा पत्रिका, सुवासित पत्रिका, 249 कविता के लेखक कहानियां प्रकाशित देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में समय-समय पर।

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हे नारी तू।

Kmsraj51 की कलम से…..

Hey Nari Tu | हे नारी तू।

हे! नारी तू उठ जा,
विजयपथ पर।
जीत का परचम लहरा जा,
तू मत डर।
आंधी की तरह बढ़ आगे,
डटी रहो,
जीवन रथ पर।

अरमानों को मत दबा,
रख बाजुओं पर भार अपना।
चल पड़, निकल ले,
उठा ले खुद को।
राहों में मिलेंगे,
टेढ़े- मेढ़े रास्ते।
मत डरना, मत रुकना,
डटी रहना पथ पर।

मंजिल की कुछ दूरी पर,
होगी तू डांवाडोल जरूर।
फिर ऊर्जा से भर जाना,
रास्ता अब नजदीक है।
पथ पर पहुंचेगी,
ठोकरे होंगी हजारों सीमा।
ठोकरों को मार ठोकर,
बढ़ जाना विजय की ओर।

परचम जीत का लहरा देना,
मर्दानी तू , दुर्गा रूप में खड़ी रहना।
सिंह पर हो सवार,
डटी रहना विजय रथ पर।
लहरा देना जीत का परचम,
है नारी तू डटना यूं ही।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — नारी तू नारायणी है, माँ दुर्गा का रूप है, तुझमें सब शक्तिया निहित है, सर्व शक्ति संपन्न है तू। जीवन में कैसी भी बिपरीत परिस्थितियां आ जाएं तू कभी भी घबराना नहीं, तू डटी रहना बिना डरे, बिना थके, तेरी जीत निश्चित है देवी क्योकि – माँ आदिशक्ति की अपार शक्ति है तुझमें। ये भारत देश शक्ति सम्पन्न देवियों का है, इस धरा पर महान देवियों का जन्म सदैव से ही होता आया है। नारी अपने जिम्मेदारियों को निभाती है और कठिन परिस्थितियों में अपने शक्ति का परिचय देती हुयी नज़र आती है। देश में कई महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्र में अपने साहस और सूझ बुझ का परिचय दिया है।

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यह कविता (हे नारी तू।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख, कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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हम बेवफा नहीं।

Kmsraj51 की कलम से…..

Ham Bewafa Nahin | हम बेवफा नहीं।

त्याग देते तुझे, भाग जाते हम भी,
पर दिल जो तुम्हारे पास हमारा है।

बन फरेबी, लेक सारा झूठ का,
महान बनते, पर कसम तुम्हारी जो खाई।

रूसवा हम भी कर देते गलियारों में,
पर हर सांचे पर लिखा नाम तुम्हारा है।

बदल तो हम भी लेते तुम्हें औरों से,
उसे पर चित में बैठा, निकालते नहीं।

जुबां, निगाहें, तन दे दिया तुम्हें,
भल्ला पराई चीजें बांटता कौन है?

लेकर चंद पैसे लगा देते मोल हम भी,
मेरे लिए अनमोल रिश्ता जो तुम्हारा है।

लग जाते हमें भी हसीन शहर में कई,
पर नैन देखना ही नहीं चाहते औरों को।

पीछे से आवाज हमें भी मारी थी किसी ने,
पर कमबख्त कर्ण सिर्फ सुनते तुम्हारी आवाज है।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — त्याग देते तुझे, भाग जाते हम भी कहीं पर दिल जो तुम्हारे पास हमारा है। बन फरेबी यूँ, लेक सारा झूठ का, महान बनते, पर कसम तुम्हारी जो खाई हैं हमने। रूसवा हम भी कर देते गलियारों में,पर हर सांचे पर लिखा नाम तुम्हारा जो लिखा है। बदल तो हम भी लेते तुम्हें औरों से, उसे पर चित में बैठा, निकालते नहीं, ये हमारे संस्कार नहीं। सब कुछ तो दिया तुम्हे, जुबां, निगाहें, तन दे दिया तुम्हें, भल्ला पराई चीजें बांटता कौन है? जरा सोचो – लेकर चंद पैसे लगा देते मोल हम भी, मगर मेरे लिए अनमोल रिश्ता जो तुम्हारा है। लग जाते हमें भी हसीन शहर में कई, पर मेरे नैन कभी देखना ही नहीं चाहते औरों को। पीछे से आवाज हमें भी मारी थी किसी ने, पर कमबख्त कर्ण सिर्फ सुनते तुम्हारी ही आवाज है।

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यह कविता (हम बेवफा नहीं।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख, कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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राज बताते नहीं।

Kmsraj51 की कलम से…..

Raaj Bataate Nahin | राज बताते नहीं।

प्रेम पत्र सभी को दिखाते नहीं,
हाथों से लिखी भावनाएं मिटाते नहीं।

भेजा था चित्र सभी को दिखाते नहीं,
खोलते चूमा जिसे बटुए से हटाते नहीं।

मन की बेचैनी को यूं जताते नहीं,
ओ राज था राज को बताते नहीं।

महीने गुजारे इंतजार में सबको दिखाते नहीं,
रात भर बातें की थी तन्हाई को दिखाते नहीं।

पेड़, झरने, पानी, बर्फ छोड़ कागज निहारते नहीं,
वादियों के बीच में महबूबा-महबूबा चिल्लाते नहीं।

90 दिन में हर एक दिन यूं काटते नहीं,
बचे बस दिन कुछ, यह आश लगाते नहीं।

छुट्टी की खुशी में भागे-भागे यू आते नहीं,
बचा हर पल को यूं खुद को परेशान करते नहीं।

आ कर जाने की तिथि बताते नहीं,
खुशी में यूं जाना है रोज बताते नहीं।

जाते वक्त मुरझाया चेहरा दिखाते नहीं,
पी आंसू नकली हंसी इन्द्रा हंसते नहीं।

हर बार छोड़ सीमा को यूं जाते नहीं,
जिम्मेदारियों का बहाना हर बार बनाते नहीं।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — आपसी दिल से लिखा हुआ प्रेम पत्र सभी को दिखाते नहीं, हाथों से लिखी भावनाएं कभी मिटाते नहीं। भेजा था चित्र सभी को दिखाते नहीं, खोलते चूमा जिसे बटुए से कभी हटाते नहीं। ओ मन की बेचैनी को यूं जताते नहीं, ओ राज था राज को बताते नहीं। किस क़दर महीने गुजारे इंतजार में सबको दिखाते नहीं, यूँ रात भर बातें की थी तन्हाई को कभी भी दिखाते नहीं। खूबसूरत वादियों के बीच में यूँ महबूबा-महबूबा चिल्लाते नहीं। कभी भी आ कर जाने की तिथि बताते नहीं, खुशी में यूं जाना है हर रोज बताते नहीं। जाते वक्त अपना मुरझाया चेहरा दिखाते नहीं, पी आंसू नकली हंसी इन्द्रा हंसते नहीं। हर बार छोड़ सीमा को यूं जाते नहीं, जिम्मेदारियों का बहाना हर बार बनाते नहीं।

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यह कविता (राज बताते नहीं।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख, कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम सीमा रंगा इंद्रा है। मेरी शिक्षा बी एड, एम. ए. हिंदी। व्यवसाय – लेखिका, प्रेरक वक्ता व कवयित्री। प्रकाशन – सतरंगी कविताएं, देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं व लेख, दैनिक भास्कर, दैनिक भास्कर बाल पत्रिका, अमर उजाला, संडे रिपोर्टर, दिव्य शक्ति टाइम्स ऑफ़ डेजर्ट, कोल्डफीरर, प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, इंदौर समाचार लोकांतर, वूमेन एक्सप्रेस सीमांत रक्षक युगपक्ष, रेड हैंडेड, मालवा हेराल्ड, टीम मंथन, उत्कर्ष मेल काव्य संगम पत्रिका, मातृत्व पत्रिका, कोलकाता से प्रकाशित दैनिक पत्रिका, सुभाषित पत्रिका शब्दों की आत्मा पत्रिका, अकोदिया सम्राट दिव्या पंचायत, खबर वाहिनी, समतावादी मासिक पत्रिका, सर्वण दर्पण पत्रिका, मेरी कलम पूजा पत्रिका, सुवासित पत्रिका, 249 कविता के लेखक कहानियां प्रकाशित देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में समय-समय पर।

सम्मान पत्र -180 ऑनलाइन सम्मान पत्र, चार बार BSF से सम्मानित, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर सोसायटी से सम्मानित, नेहरू युवा केंद्र बाड़मेर से सम्मानित, शुभम संस्थान और विश्वास सेवा संस्थान द्वारा सम्मानित, प्रज्ञा क्लासेस बाड़मेर द्वारा, आकाशवाणी से लगातार काव्य पाठ, सम्मानित, बीएसएफ में वेलफेयर के कार्यों को सुचारु रुप से चलाने हेतु सम्मानित। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, प्रेसिडेंट ग्लोबल चेकर अवार्ड।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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शिव शंभू।

Kmsraj51 की कलम से…..

Shiva Shambhu | शिव शंभू।

शिव शंभू हितकारी महादेव,
जटाओं में समा गंगा गले में रख नाग।

चले विषधारी हरने कष्ट जगत के,
अनोखी छवि देखते सभी इनकी।

ना रह पाता अछूता आराधना से इनकी,
नाम भोले भंडारी पल में जाते मान।

सावन में बजते ढोल बजाते शंख,
पूजन करते शिवलिंग पर नर – नार।

ओंकारेश्वर कष्टनिवारक विषधारी हरते कष्ट,
देख ना पाते तड़प लालायित रहते करने मदद।

देखो जरा, लगा भस्म बाबा नंगे पांव,
आए हरने कष्ट भक्तों के, संग पार्वती मैया।

विष अपना, रख सर्प, लगा भस्म,
उठा डमरू, ले त्रिशूल निकल पड़े नागेश्वर।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — महाशिवरात्र‍ि भगवान भोलेनाथ की आराधना का ही पर्व है, जब धर्मप्रेमी लोग महादेव का विधि-विधान के साथ पूजन-अर्चन करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन शिव मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो शिव के दर्शन-पूजन कर खुद को सौभाग्यशाली मानते है। भक्तों के सब संकट हरते शिव ही महाकाल है। शिव ही संहार करते शिव शक्ति का रूप है। कोटि कोटि वंदन करूँ शिव ही तारणहार है।

—————

यह कविता (शिव शंभू।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख, कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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पछतावा।

Kmsraj51 की कलम से…..

Regret | पछतावा।

मान ले बात मात-पिता की,
आज बारी तेरी आई।

पढ़ ले, निखार ले खुद को,
वक्त को जानने की बारी आई।

उठ प्रातः कर मेहनत पूरा दिन,
समय का सदुपयोग की बारी आई।

भूल जा मस्ती, शरारतें, त्याग निंद्रा,
उज्जवल भविष्य करने की बारी आई।

कम वक्त है पास तुम्हारे,
नसीहतें मानने की बारी आई।

नहीं रहेंगे तुझे कहने वाले एक दिन,
तड़पाएगा वक्त, समझने की बारी आई।

अकेला रह जाएगा इस दुनिया में,
आज संभलने की बारी आई।

कहीं पछताता ना रह जाए सीमा,
आज वक्त को जानने की बारी आई।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस संसार में केवल माता-पिता ही अपने बच्चे को सदैव ही खुश, आगे बढ़ता व खुद हारकर भी अपने बच्चे को जीतता हुआ देखना चाहते है। इसलिए माता-पिता सदैव ही नसीहत देते रहते है हमे, जिससे हम कभी कोई गलती ना करें और अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए समय से सोये व जगे तथा अच्छे से पढ़ाई करें व खूब मेहनत कर जीवन में आगे बढ़े। भूल जाओ मस्ती व शरारतें, त्याग दो निंद्रा अपना उज्जवल भविष्य बनाने का यही समय है। यह न भूलो की कम वक्त है अब पास तुम्हारे, नसीहतें मानने की बारी आई। ये याद रखना – नहीं रहेंगे तुझे कुछ कहने वाले एक दिन, तब तड़पाएगा वक्त तुम्हें अब भी समझ लो वर्ना और अकेला रह जाओगे इस दुनिया में फिर खूब पछतावोगे।

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यह कविता (पछतावा।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख, कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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सफर।

Kmsraj51 की कलम से…..

Journey | सफर।

अजीब नजारा लिए चलते हैं,
जब मुसाफिर राहों पर चलते हैं।

डगर नई मंजिल नई लिए चलते हैं,
पथ पर बेगानों को लिए चलते हैं।

मंजिल तलक मुस्कुराहट लिए चलते हैं,
छोड़ पीछे गम, हंसी लिए चलते हैं।

नित दोस्त नए-नए लिए चलते हैं,
दुश्मन को अपना बना लिए चलते हैं।

कुछ पलों को अपना बना लिए चलते हैं,
बदलती शख्सियत को साथ लिए चलते हैं।

माना मंजिल पानी सबको साथ लिए चलते हैं,
कौन जाने ? कौन रहबर बना लिए चलते हैं।

टेढ़े-मेढें रास्तों पर सीधा साथी लिए चलते हैं,
प्रतिदिन बदलते रास्ते लिए चलते हैं।

मेरी छोड़ो अपनी सुना सबको बता लिए चलते हैं,
कुछ पल ही सही सबका दुख लिए चलते हैं।

कब किसका बांट देंगे गम, दुखड़ा लिए चलते हैं,
कौन बनेगा? कब किसका सहारा लिए चलते हैं।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — अजीब नजारा लिए चलते हैं, जब भी मुसाफिर राहों पर चलते हैं। डगर नई होती, मंजिल भी नई लिए चलते हैं, पथ पर बेगानों को लिए चलते हैं। मन में व दिल में मंजिल तलक मुस्कुराहट लिए चलते हैं, छोड़ के पीछे सभी गम, हंसी लिए चलते हैं। रोज दोस्त नए-नए लिए राह में चलते हैं, राह में दुश्मन को भी अपना बनाये लिए चलते हैं। कुछ पलों के लिए ही सही अपना बनाये लिए चलते हैं। माना की सबको मंजिल पानी है पर सबको साथ लिए चलते हैं। प्रतिदिन बदलते टेढ़े-मेढें रास्तों पर सीधा व अच्छा साथी लिए चलते हैं। कुछ पल के लिए ही सही सबका दुख बाटते चलते हैं। कौन बनेगा? कब किसका सहारा इसलिए साथ लिए चलते हैं।

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बेजार।

Kmsraj51 की कलम से…..

Bejaar | बेजार।

मेरे लिए बेजार ना हुआ करो,
बेताबी अपनी बढ़ाया ना करो।

तलब लगी थी उल्फत की जो,
बाजारों में यूं रूसवा ना करो।

हमारी खातिर सबको यू दलील ना दो,
कमसिन को सरताज बनाया ना करो।

दे हीरे जवाहरात कीमत ना बढ़ाओ,
दे दिल बना रहीस कीमत लगाया ना करो।

अदब से होके रूबरू हमारे,
बैठा दिल बना रानी कुर्सी लगाया ना करो।

प्रिय तुम्हारी है बड़ी ताकतवर,
बना फुल नाजुक बनाया ना करो।

जान तेरी देख ना पाती परेशान रसिक तुझे,
अपना बना यूं बैगाना बनाया ना करो।

दिल में बैठा खंजर रख साथ,
बचा सबकी नजरों से बंद रखा ना करो।

तकलीफों में रख खुद को हरदम,
हमें हर सुख देने की चाहत रखा ना करो।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — मेरे प्रिय मेरे लिए इस तरह परेशान हुआ ना करो, हमारी खातिर सदैव ही सबको यू दलील ना दो। दे हीरे जवाहरात कीमत ना बढ़ाओ मेरा, देकर दिल बना रहीस फिर कीमत लगाया ना करो। यूँ अदब से होके रूबरू हमारे, बैठा दिल बना रानी कुर्सी मेरे लिए लगाया ना करो। ये ना भूलो प्रिय तुम्हारी है बड़ी ताकतवर, ऐसे बना फुल नाजुक बनाया ना करो। जान तेरी देख ना पाती परेशान जरा सा भी तुझे, यूँ अपना बना यूं बैगाना बनाया ना करो। तकलीफों में रख खुद को हरदम, यूँ ही हमें हर सुख देने की चाहत रखा ना करो।

—————

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नववर्ष का आगाज।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ नववर्ष का आगाज। ♦

आओ! करें नमन नववर्ष का,
भूल पुरानी यादों के समंदर को।
मना ले नवल का त्यौहार,
मिलजुल झूमे गीत गाए।

भूले दुःख-दर्द बीते वर्ष के,
माफ करे दिए कष्ट जिन्होंने।
इस नववर्ष की बेला पर,
बना लेते हैं शत्रु को भी मित्र।

चलेंगे संग में पुराने सखा,
भुला देंगे दुःख भरी यादों को।
अपनों का आशीर्वाद साथ में,
नववर्ष को लगा लो गले।

शीत-ऋतु की ठंड में करें आगाज,
मन के मतवाले बन छा जा जग में।
एक-दूजे का साथ निभा ले दोस्ती,
आलस त्याग संघर्ष को लगाओ गले।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — नया साल नई उम्मीदें, नए सपने, नए लक्ष्य और नए आइडियाज की उम्मीद देता है, इसलिए सभी लोग खुशी से इसका स्वागत करते है। ऐसा माना जाता है कि साल का पहला दिन अगर उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाए, तो पूरा साल इसी उत्साह और खुशियों के साथ बीतेगा। हालांकि हिन्दू पंचांग के अनुसार नया साल 1 जनवरी से शुरू नहीं होता।

—————

यह कविता (नववर्ष का आगाज।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम सीमा रंगा इंद्रा है। मेरी शिक्षा बी एड, एम. ए. हिंदी। व्यवसाय – लेखिका, प्रेरक वक्ता व कवयित्री। प्रकाशन – सतरंगी कविताएं, देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं व लेख, दैनिक भास्कर, दैनिक भास्कर बाल पत्रिका, अमर उजाला, संडे रिपोर्टर, दिव्य शक्ति टाइम्स ऑफ़ डेजर्ट, कोल्डफीरर, प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, इंदौर समाचार लोकांतर, वूमेन एक्सप्रेस सीमांत रक्षक युगपक्ष, रेड हैंडेड, मालवा हेराल्ड, टीम मंथन, उत्कर्ष मेल काव्य संगम पत्रिका, मातृत्व पत्रिका, कोलकाता से प्रकाशित दैनिक पत्रिका, सुभाषित पत्रिका शब्दों की आत्मा पत्रिका, अकोदिया सम्राट दिव्या पंचायत, खबर वाहिनी, समतावादी मासिक पत्रिका, सर्वण दर्पण पत्रिका, मेरी कलम पूजा पत्रिका, सुवासित पत्रिका, 249 कविता के लेखक कहानियां प्रकाशित देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में समय-समय पर।

सम्मान पत्र -180 ऑनलाइन सम्मान पत्र, चार बार BSF से सम्मानित, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर सोसायटी से सम्मानित, नेहरू युवा केंद्र बाड़मेर से सम्मानित, शुभम संस्थान और विश्वास सेवा संस्थान द्वारा सम्मानित, प्रज्ञा क्लासेस बाड़मेर द्वारा, आकाशवाणी से लगातार काव्य पाठ, सम्मानित, बीएसएफ में वेलफेयर के कार्यों को सुचारु रुप से चलाने हेतु सम्मानित। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, प्रेसिडेंट ग्लोबल चेकर अवार्ड।

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