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essay on kalyan singh

कल्याण सिंह।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ कल्याण सिंह। ♦

राम मंदिर आंदोलन के बड़े चेहरे के रूप में कल्याण सिंह का नाम रोशन किया जाएगा। जबकि राम मंदिर आंदोलन में लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी और कल्याण सिंह की मुख्य भूमिका थी। पूरे देश के लोगों ने इस आंदोलन में अपनी भागीदारी दर्ज कराई।

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के पहले मुख्यमंत्री के रूप में जून 24, 1991 में कल्याण सिंह ने शपथ ली। उन्होंने पहली बार मुख्यमंत्री बनने पर मंत्रिमंडल के साथ सीधे अयोध्या पहुंचकर राम लला का कैबिनेट के साथ दर्शन – पूजन किया और शपथ ली कि हम राम जन्म भूमि अपने जीते जी बनाने का पूरा प्रयास करूंगा।

जन्म व देहावसान।

कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी सन 1932 में, अलीगढ़ में अतरौली तहसील के महोली नाम गांव के एक किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा दीक्षा काल में ही संग परिवार से अपना नाता जोड लिया। उनका देहावसान लखनऊ के पी• जी• आई• में शनिवार 21 अगस्त 2021 को हुआ। कल्याण सिंह का 89 वर्ष का कार्य-काल खुशी और गम से भरा हुआ था, संघर्षों से लड़ते हुए आगे बढ़ते रहे। उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में उन्हें जननायक के रूप में स्वीकारा गया।

मुख्यमंत्री के रूप में।

वह उत्तर प्रदेश में दो बार मुख्यमंत्री के रूप में शासन सत्ता की बाग डोर, उनके हाथ में जनता ने दी। कल्याण सिंह – दिल से राजनीति करने वाले नेताओं में से एक प्रमुख भूमिका निभाई। कल्याण सिंह के समय भी विरोधी लाबी बयान बाजी करती रही और वह उसका जवाब अपनी तरह से लोगों को दिया।

विश्व हिंदू परिषद और राम जन्म भूमि यज्ञ समिति द्वारा सामने जो 89 – 90 ई• के दौरान जब आंदोलन तेज बारिश अक्टूबर 1990 को कार सेवा करने की घोषणा हो गई। मंदिर मुक्ति घोषणा से जनता दल और भाजपा के बीच खटास पैदा हो गया।

राम मंदिर — कार सेवा आंदोलन।

उधर मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के मुलायम सिंह यादव जी थे उन्होंने पुरजोर धन से कार सेवा रोकने की अपनी घोषणा कर दी। उन्होंने एलान किया कि अयोध्या में परिंदा भी पर नहीं मार सकता। जगह जगह पूरी उत्तर प्रदेश में बैरी गेटिंग कर दी गई। राम मंदिर के लिए सभा पर रोक लगा दिया गया।

मीटिंग करने वालों को गिरफ्तार किया जाने लगा। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह आदि लोग प्रमुख रुप से कार्य कर रहे थे। कल्याण सिंह मंदिर के पक्ष में थे इसलिए उन्होंने आर-पार का शंखनाद कर दिया।

प्रदेश की सड़कों पर नारे लगने लगे ” कल्याण सिंह कल्याण करो, मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करो। ” कल्याण सिंह ‘कल्याण करो मंदिर का निर्माण करो’ उत्तर प्रदेश ही नहीं संपूर्ण भारत से राम भक्तों का आना अयोध्या जी तरफ कूच करना पुरजोर तरह से शुरु यद्यपि इसके पहले भी पूरे देश के राम लला की दर्शन के लिए लोगों का आना जाना लगा रहता था।

राम भक्त झुंड के झुंड दक्षिणी भारत से भी आते और दर्शन करके संकल्प ले कर कि “हम अयोध्या फिर आएंगे मंदिर यही बनाएंगे।” का संकल्प ले कर अपने प्रदेश चले जाते थे।

बैठक राष्ट्रीय कार्यकारिणी की।

सन 1989 – 90 के दौरान हमारी एक बैठक राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अयोध्या में हुई थी, जिसमें हमने देखा कि आए वो यही कहते हुए दर्शन पूजन के बाद जाते थे। उन्हीं दिनों सड़क पर नारे लग रहे थे, मुलायम सिंह ने कल्याण सिंह को हिंदू नेता के रुप में उभरता हुआ देखकर उन्हें गिरफ्तार करवा लिया।

अयोध्या में कार सेवकों के ऊपर गोलिया चलवा दी। सरकारी आंकड़े के अनुसार बहुत ही कम कार सेवक मारे गए दिखाया गया। जबकि हजारों की संख्या में कार सेवक मारे गए, आम जनता का कहना है कि सरयू नदी की धारा लाल हो कर बह रही थी।

क्रांतिकारी फैसले।

जनता में भारी आक्रोश था, लोग मुलायम सिंह की सत्ता व राजनीति से नाराज थे। चुनाव हुआ और 1991 कल्याण सिंह सत्ता में आए। कल्याण सिंह फैसलों के लिए काफी चर्चित हुए। उन्होंने जोत बही के रूप में किसानों का न सिर्फ उनकी जमीन का स्थाई मूल दस्तावेज उपलब्ध कराया बल्कि विरासत की समय सीमा तय करनी जैसे क्रांतिकारी फैसले भी लिए।

अयोध्या नहीं, कार सेवकों के ऊपर गोली न चलने और ढांचा को यथा स्थिति मैं बनाए रखने का संकल्प लिया था सुरक्षा देने का शपथ पत्र न्यायालय को भी दिया था, इसलिए उन्होंने अंत में मंदिर का ढांचा देने के बाद पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले लिया।

अधिक प्रभावी रूप में।

कल्याण सिंह मंडल – कमंडल से अधिक प्रभावी थे। हिंदू के कभी वह प्रमुख चेहरा के रूप में जाने जाते थे। अजीब पिछड़ी जात की पहचान थे। भारतीय जनता पार्टी में आरक्षण की नीति कैसे लागू हो इसके रणनीतिकार भी थे। पिछड़ी जात की आरक्षण दिलाने के माहिती थे। कल्याण सिंह मैं का अहंकार भी हो गया था। उसी अहंकार के कारण उन्होंने पार्टी के भीष्म पितामह कहे जाने वाले अटल जी से टकरा गए।

वह ईमानदार सिद्धांत वादी, मुद्दों पर आने वाले और जनता की नब्ज पकड़ने वाले मुख्यमंत्री के रूप में जाने जाते थे। राम मंदिर का ढांचा देखने के बाद उनको अपनी सरकार के बर्खास्त होने का दंश झेलना पड़ा, परंतु कार सेवकों के ऊपर गोली ने चलाने की वजह से उन्हें किसी भी प्रकार का सरकार जाने का मलाल नहीं था।

कारसेवक वापस आए — पर गोली नहीं चलवाऊंगा।

अजय ध्यानी 6 दिसंबर 1992 को जब मंदिर का ढांचा गिरा उस समय प्रधानमंत्री भारत सरकार माननीय P. V. Narasimha Rao जी थे। दिल्ली से गृहमंत्री यशवी चौहान का फोन आया था। प्रधानमंत्री के निजी सचिव ने Faizabad के कमिश्नर से फोन करके केंद्रीय बलों को बढ़ाने के बात कही थी।

उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने कहा था कि कार सेवक वापस आए पर गोली नहीं चलवाऊंगा। मंदिर का ढांचा गिरने से Narasimha राव जी और कल्याण सिंह जी आहत हो गए। लोगों को विश्वास ही नहीं था कि कार सेवक मंदिर का ढांचा ढहा देंगे।

देश दुनिया से आए हुए कार सेवक पूरी अयोध्या और आसपास के जिलों में पहले से आये हुए थे, कहां जाता है कि वह ढांचा तक पहुंचने का प्रयास कर रहे थे। केंद्रीय रिजर्व पुलिस और स्थानीय पुलिस कार सेवकों को नियंत्रित करने भी लगी हुई थी।

हुजूम हनुमानगढ़ी की तरफ बढ़ रहा था कि एक व्यक्ति आया और वहां पर मौजूद बस को बड़ी तेजी के साथ लेकर सारे बंधनों को तोड़ते हुए मंदिर के पास पहुंचा। कल्याण सिंह जी सन 2002 के चुनाव से पार्टी छोड़ देने की वजह से भारतीय जनता पार्टी को बारी नुकसान उठाना पड़ा।

प्रभु श्री राम का जन्म स्थान पर भव्य और दिव्य मंदिर निर्माण।

लेकिन वह 2004 में पुनः पार्टी में शामिल होने की घोषणा की। कल्याण सिंह जी का कहना था हमें जीवन में कुछ और नहीं चाहिए हमारी भगवान राम से अगाध श्रद्धा भक्ति है। उन्हें पूरा विश्वास था कि प्रभु श्री राम का जन्म स्थान पर भव्य और दिव्य मंदिर निर्माण एक दिन अवश्य होगा।

कल्याण सिंह को कठोर शासक और दिल के नरम नेता के रूप में जाना पहचाना जाता रहेगा।

विश्व हिंदू परिषद की कोई ऐसी योजना हो तो उन्हें बताना चाहिए ऐसा कल्याण सिंह का मानना था। इसलिए उन्हें इस बात का हमेशा दुःख कराता था हमे धोखे में रखा गया। सन 2004 में कल्याण सिंह फिर भाजपा में शामिल हुए परंतु 2009 में उन्होंने फिर पार्टी छोड़ दिया और निर्दलीय सांसद के रूप में एटा जिले से चुनाव मैदान में उतर आए।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से कल्याण सिंह जी के जीवन व उनके कार्यकाल पर प्रकाश डाला है। मुख्य रूप से उन्हें श्री राम जन्म स्थान मंदिर के महत्वपूर्ण फैसले के लिए सदैव ही याद किया जायेगा।

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यह लेख (कल्याण सिंह।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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