Kmsraj51 की कलम से…..
Katu Satya | कटु सत्य।
नारी उत्थान पर निबंध।
आत्म शलाघाओं के नशे में चूर भारतीय समाज नारी के विषय में प्राय एक वेदोक्त मंत्र बड़े चाव से जपता नज़र आता है। वह मंत्र है, “यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता।” मैं नारी शक्ति की पूजा करने के खिलाफ नहीं हूँ। परंतु सवाल खड़ा होता है कि क्या हम इस पंक्ति के सही मायने को समझ पाए? यदि हाँ तो मेरा सवाल यह है कि इस पंक्ति में कौन से रमण करने वाले देवताओं की बात की गई है?
सृष्टि की सृजन शक्ति की महानायिका
क्या उन्ही इंद्र सरीखे देवताओं का ज़िक्र किया गया है जिन्होंने त्रेता काल की अहल्या माता का चालाकी से उपभोग करके उसे सदा-सदा के लिए सजा भोगने के लिए छोड़ दिया? क्या यही उनके दैवत्व का लक्षण है? चापलूसी, छल, प्रपंच धोखा, आदि उपहार ही तो नारी के खाते में अनादिकाल से पड़ते आए हैं। यह कितनी भयंकर विडंबना है कि वह संसार का महा सौंदर्य और सृष्टि की सृजन शक्ति की महानायिका हमेशा से ठगी-सी गई है और आज भी समाज उसे निरन्तर ठगता ही चला जा रहा है।
इसने छोटे-बड़े सभी घरों में सिवाए ज़लालत के कुछ नहीं पाया है। पर फिर भी यह बेचारी अपनी तनिक प्रशंसा सुन कर फुली न समाती है। उस चापलूसी भरी प्रशंसा के उन्माद में यह अपने साथ हुए तमाम जुल्मों को भूल कर यूं महसूस करती है मानो इसने संसार का सब सुख पा लिया हो। यही इसकी उस कमजोरी का वह पहलू है जिसके बूते यह ऊपर कही पंक्ति इजाद की गई हो शायद। अर्थात नारी सदा से सौंदर्य की प्रतिमूर्ति समझी जाती आई है और समझी जा रही है।
विलासी समाज
यह सब मैं अपनी मर्जी से नहीं कह रहा हूँ। यह स्वयं नारी की अपनी मनःस्थिति और व्यवहार सिद्ध करता है। हम प्राय स्त्री के हार शृंगार के प्रति रुचि और दूसरों की देखा – देखी में सौंदर्य प्रसाधनों का ज़रूरत से ज़्यादा प्रयोग करने की प्रवृति को सदियों से देखते आए हैं।
उसका यह सज धज कर रहना, यह सिद्ध करता है कि वह सौंदर्य की प्रतिमूर्ति है। उसकी यही वृती कई बार उस बेचारी के गले की फांस भी बन चुकी है। यदि इंद्र जैसे देवताओं के रमण की बात की जा रही है तो वह देवताओं के विलासी समाज की ओर ही इशारा करती है।
तो यह सिद्ध हुआ कि नारी की पूजा का समर्थन, इसलिए भारतीय समाज में किया जाता है ताकि वह अपनी खुशामद से रीझ कर हमारी उपभोग की वस्तु बनना स्वीकार करती रहे बस। देवताओं की बात करें तो स्वयं ब्रह्मा तक ही नारी सौंदर्य से अभिभूत हो कर अपनी ही बेटी संध्या के रूप पर लट्टू हो बैठे। क्या यही नारी की पूजा है? क्या यही देवताओं का रमण है? फिर चाहे सीता, अहिल्या, द्रोपदी, पद्मावती जैसी उच्च गृहस्थ नारियों के साथ हुए शोषण की बात हो या फिर आम घरों की बहन-बेटियों की ज़लालत का मामला हो।
पौराणिक आख्यानों पर चर्चा
खैर मैं यहाँ पौराणिक आख्यानों पर चर्चा करने नहीं आया हूँ पर वेदोक्त उक्त पंक्ति का सहारा ले कर नारी का चापलूसी से शोषण करने और उसे बहकाने वाले समाज की पोल खोलने ज़रूर आया हूँ। पीछे जो हुआ सो हुआ। उसे हमने भी किताबों में ही पढ़ा है। वह अपनी आंखों से घटते नहीं देखा, इसलिए वह कितना सत्य है और कितना असत्य, इसका ठीक समझ पाना मुश्किल है। अतः उसे छोड़ देना ही उचित समझा जाना चाहिए।
वर्तमान समाज में ही नारी जीवन
आइये वर्तमान समाज में ही नारी जीवन पर एक नज़र पक्षपात रहित हो कर डालते हैं। आज हम देखें तो आज भी नारी के साथ वही कुछ हो रहा है। वही बलातकार, वही चापलूसी और वही शोषण।
छोटे घरों से ले कर बड़े घरों तक। अब आप कहेंगे कि कैसे? तो सिद्ध करते हैं। छोटे घरों में तो हम आए दिन पत्नियों, बेटियों के कत्लों और तलाकों की खबरें सुनते ही रहते हैं पर यह बीमारी बड़े घरों में भी कम नहीं है।
यहाँ मीडिया, फ़िल्म जगत और प्रतिष्ठित समझा जाने वाला उच्च वर्गीय समाज नारी की चापलूसी से बाज नहीं आते। वे उसे उत्तरोत्तर गर्त में धकेल रहे हैं। वह बेचारी अपनी उसी वाहवाही की कमजोरी के कारण इस भंवर में डूबती जा रही है।
ये सभी उसे अपनी-अपनी ज़रूरतों के मुताबिक चंद पैसों के लालच में यूं प्रयोग करते हैं कि जैसे वह कोई एक वस्तु है मानव नहीं। यह सब अनादि काल से हो रहा है।
विरोध क्यों नहीं ?
हैरानी तो इस बात की है कि इस नारी ने कभी विरोध क्यों नहीं किया कि क्यों मैं ही सदा से हर महफ़िल में नचाई जाती आ रही हूँ? क्यों मुझे ही फ़िल्मों, समाचार पत्रों के विज्ञापनों में या फिर सामाजिक सूचना प्रसारण में अर्धनग्न हो कर परोसा जा रहा है?
मैं भी तो किसी की मां, बहन, बेटी या पत्नी हूँ। जब वे सब मेरी ये तस्वीरे देखते होंगे तो वे क्या सोचते होंगे? क्यों न मेरे काम को अब स्वयं मर्द करें? ये सवाल खड़ा करना आज नारी समाज की ज़रूरत बन गया है वरना ये समाज के धुरंधर नारी के जिस्म से सब कुछ उतार कर एक दिन इतना शर्मिंदा करेंगे कि वह बेचारी ख़ुद की दुर्दशा पर रो भी नहीं पाएगी। तब भी ये मीडिया वाले यही पंक्ति हमेशा की तरह कहेंगे कि हमें नज़रिया बदलना चाहिए जी।
समाज के आयने
बदलाव तो समाज का नियम है और फिर नारी की यह हालत मैंने थोड़े ही न की है। यह तो ख़ुद ही यह सब करने को राजी हुई थी। कृपया ध्यान दें कि चंद पैसों की लालच में हमें अपना ज़मीर नहीं बेचना चाहिए।
जो चंद मातृ शक्ति इन व्यवसायों में काम करती भी है, उन्हें भी इस वस्त्र अल्पिकरण का सामूहिक विरोध करना चाहिए। क्योंकि सिनेमा, मीडिया और उसके कर्णधार आप समाज के आयने तथा आदर्श होते हैं।
नज़रिया बदलने की नसीहत
समाज में बहू-बेटियाँ आदि आपकी नक़ल करती है और वस्त्र अल्पता के नशे में मदहोश अनजाने में अपना ही अहित कर बैठती है। मीडिया के लोग किसी की घटना पर जब बात करते हैं तो बस बार-बार नज़रिया बदलने की ही नसीहत देते हैं।
अरे भाई नज़रिया जब विश्वामित्र जैसे राजर्षी नहीं बदल पाए तो आम लोग कैसे बदलेंगे। वहाँ अगर कोई यह कह दें कि यदि पुरुष समाज अपने बदन को ढक कर रहता है तो क्या नारी समाज नहीं रह सकता।
वे भी तो उसी वातावरण में रहते हैं। तो पुरुष को दबाने में सब लग जाते हैं। अरे बहादुरों सत्य को तुम्हारे प्रमाण पत्र की ज़रूरत नहीं है। यदि तुम्हें सच में नारी की इतनी ही चिंता है तो उसे सही दिशा की ओर ले चलो और शोषण से बचाओ। तो जानूं कि आपने कुछ अच्छा किया है।
♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦
—————
- “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से बखूबी समझाने की कोशिश की है – अनादि काल से चले आ रहे, नारी के ऊपर होने वाले अत्याचार व शोषण को इस लेख के माध्यम से। अब नारी समाज नहीं जागी तो कब जागेगी। कही ऐसा न हो जाये की बहुत देर हो जाये – वर्ना बेचारी ख़ुद की दुर्दशा पर रो भी नहीं पाएगी।
—————
यह लेख (कटु सत्य।) “हेमराज ठाकुर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!
Please share your comments.
आप सभी का प्रिय दोस्त
©KMSRAJ51
———– © Best of Luck ®———–
Note:-
यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!
“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)
____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____