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poems on covid in hindi

जनता सकपकाई है।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ जनता सकपकाई है। ♦

बक्सर के गंगा घाट में बहती, लाशें देती गवाही है।
भारत में कोरोना द्वितीय ने, घनी मचाई तबाही है।

यह दुष्ट बीमारी दुनियां में, जाने कहां से आई है?
बेगुनाहों की जिन्दगियां, इसके आगोश में समाई है।

शमशानों में जगह नहीं, बिन जले ही लाशें बहाई है।
पानी में बहती लाशों को देख, जनता सकपकाई है।

गांव – गांव में है घुमा कोरोना, नंगा नाच नचाया है।
चुन चुन बदला ले रहा है, हमने इसका क्या खाया है?

जाति धर्म का भेद नहीं, ऊंच नीच का न कोई ख्याल।
बिन एस ओ पी के इससे बचे, किसकी ऐसी मजाल ?

सत्ता पक्ष के नथुने है फूले, विपक्ष ने मचाई धमाल है।
पक्ष – विपक्ष के इस झगड़े में, बेचारी जनता बेहाल है।

हस्पतालों में बिस्तर न, ऑक्सीजन की किल्लत भारी है।
हल्के में न लो इसको कोई भईया, यह खूनी महामारी है।

सौ सालों के अंतरालों में, सुना ऐसा कुछ न कुछ होता है।
काटता इन्सान फसले वही है, जैसा वह खेतों में बोता है।

भ्रष्टाचार और फरेबी, मकारी, जब नस नस में समाई है।
कुदरती तिलसम वाजिव है, बबुल में आमें तो न आई है।

खुद को खुदा की पदवियां, नेता – धर्मनेता जब जब देते हैं।
इतिहास गवाह है कुदरत के मालिक, सजा तब तब देते हैं।

आदमी ने खोई अदमियत सारी, इंसानियत का गला है रेता।
शैतानी फितरत में जी रहा है, यूं ही खुदा यह सिला न देता।

यूं ही न बहती लाशें गंगा घाट में, इंसानों की बेबस ढोरों सी।
काले जो लगे हैं करने अब करतूतें, आज फिरंगी गोरों सी।

अपनों का बैरी अपना बने, दुश्मनों की दुश्मनी तब बौनी है।
दौर -ए -नाजुक में हालात को समझो, राजनीति घिनौनी है।

उससे पहले कि कातिल हो जाए पवने, सावधानी जरूरी है।
इस गर्दिशे माहौल में, सेनेटाइजर, मास्क, दूरियां मजबूरी है।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से बखूबी समझाने की कोशिश की है – कोरोना काल में आम जनता किस तरह से मर रही है, चारो तरफ सभी परेशान है इस कोरोना से, न जाने अभी क्या – क्या गुल खिलायेगा ये कोरोना। वर्तमान सरकार अपनी तरफ से हर संभव कोशिश कर रही है कोरोना को काबू करने के लिए। लेकिन सभी विरोधी पार्टी गन्दी राजनीती कर रही है, कोरोना पर और वैक्सीन पर। इनके गन्दी राजनीती से आम जनता मर रही है।

—————

यह लेख (भारतीय संस्कृति और पाश्चात्य संस्कृति का तुलनात्मक अध्ययन।) “हेमराज ठाकुर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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