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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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poet Vedasmriti 'Kriti'

शहीदों की शहादत पर।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ शहीदों की शहादत पर। ♦

और नहीं अब और नहीं,
सैनिक के शव और नहीं।
कायर दुश्मन दिन गिन ले,
अब न मिलेगी ठौर कहीं।

और नहीं अब और नहीं,
सैनिक के शव और नहीं।

पाक बड़ा नापाक है तू ,
बुज़दिल है जाबाँज नहीं।
हिम्मत है तो सामने आ,
धूल चटाएँ आज यहीं।

और नहीं अब और नहीं,
सैनिक के शव और नहीं।

इस घटिया हरकत पर तो,
कर सकते अब माफ़ नहीं।
अब दुनिया के नक़्शे से तू ,
हो के रहेगा साफ़ कहीं।

और नहीं अब और नहीं,
सैनिक के शव और नहीं।

हर अश्रु अंगारा बन कर,
ख़ाक तुझे कर देगा वहीं।
और उसी पल से जग में,
थम जाएगा ये दौर यहीं।

और नहीं अब और नहीं,
सैनिक के शव और नहीं।

♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

—————

  • “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — ये पाक बड़ा नापाक है तू , बुज़दिल है जाबाँज नहीं। हिम्मत है तो सामने आ, धूल चटाएँ आज यहीं। ये पाक कुत्ते की दुम की तरह है, अब भी समय है सुधर जा वरना तेरा अस्तित्व ही मिट जायेगा। तेरा सदैव का ये कायराना हरकत अब बर्दाश्त नहीं। अभी तक तुम्हें हमने बहुत प्रेम दिया, तुम्हारी सब हरकतों को माफ़ कर, लेकिन अब तेरे नापाक हरकत बर्दाश्त नहीं। हमारी प्रेम और शांति का तूने सदैव ही मजाक बनाया, अब तुम्हें नहीं छोड़ेगे हमारे वीर जवान, अभी भी समय है अपनी नापाक हरकतों को बंद कर दे तू। वरना विश्व के नक्शे से अदृश्य हो जायेगा तू।

—————

यह कविता (शहीदों की शहादत पर।) ” वेदस्मृति ‘कृती’ जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी मुक्तक/कवितायें/गीत/दोहे/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी दोहे/कविताओं और लेख से आने वाली नई पीढ़ी और जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।

साहित्यिक नाम : वेदस्मृति ‘कृती’
शिक्षा : एम. ए. ( अँग्रेजी साहित्य )
बी.एड. ( फ़िज़िकल )
आई आई टी . शिक्षिका ( प्राइवेट कोचिंग क्लासेज़)
लेखिका, कहानीकार, कवियित्री, समीक्षक, ( सभी विधाओं में लेखन ) अनुवादक समाज सेविका।

अध्यक्ष : “सिद्धि एक उम्मीद महिला साहित्यिक समूह”
प्रदेश अध्यक्ष : अखिल भारतीय साहित्य सदन ( महाराष्ट्र इकाई )
राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान बिहार प्रान्त की महिला प्रकोष्ठ,
श्री संस्था चैरिटेबल ट्रस्ट : प्रदेश प्रतिनिधि ( महाराष्ट्र )
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी परिषद में – सह संगठन मंत्री, मुंबई ज़िला, महाराष्ट्र
हिन्दी और अँग्रेजी दोनों विधाओं में स्वतंत्र लेखन।

अनेक प्रतिष्ठित हिन्दी/अँग्रेजी पत्र – पत्रिकाओं में नियमित रचनाएँ प्रकाशित।

—————

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2021-KMSRAJ51 की कलम से, वेदस्मृति ‘कृती’ जी की कविताये।, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: author Vedasmriti 'Kriti', author vedsmriti kreeti, Hindi Kavita, poet Vedasmriti 'Kriti', poet vedsmriti kriiti, poetry in hindi, vedsmriti kreeti poems, छोटी देशभक्ति कविता, जोश भर देने वाली देशभक्ति कविता, त्याग और बलिदान पर कविता, देश के सिपाही पर कविता, देश प्रेम भक्ति कविता की चार पंक्तियां, वेदस्मृति ‘कृति’ जी की कविताएं, शहीद दिवस पर विशेष, शहीद दिवस पर शायरी, शहीदों की शहादत पर कविता, शहीदों की शहादत पर।, शहीदों पर हिंदी कविता, सैनिकों पर कविता हिन्दी में बलिदान, सैनिकों पर हिंदी में देशभक्ति कविता

फिर एक वर्ष का।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ फिर एक वर्ष का। ♦

फिर एक वर्ष का गमन हो रहा है,
नूतन का आगमन हो रहा है।
बीते पलों की यादें सहेज कर,
नव संकल्प का चयन हो रहा है।
फिर एक …….

खोये हैं बहुत से अपने सभी ने,
टूटे हैं बहुत से सपने सभी के।
है वातावरण प्रदूषण भरा सब,
हरियाली का हनन हो रहा है।
फिर एक …….

ये क़ुदरत कुपित बहुत इसलिए है,
रासायन धरा पर जो भर दिए हैं।
इस नव वर्ष में खिले बाग गुलशन,
जो अब उजड़ा चमन हो रहा है।
फिर एक …….

जाते वर्ष को करें अब नमन हम,
जीवन अपना करें अब सुमन हम।
व्यथा दूर अब करें हम सभी की,
नम जिसका भी नयन हो रहा है।
फिर एक …….

अब तो वर्ष इक्कीस जा ही रहा है,
सबको अलविदा ये कह ही रहा है।
अगले वर्ष अब बचाना है हमको,
क़ुदरत का जो भी पतन हो रहा है।
फिर एक वर्ष का …….

‘कृती’ गत समय ने रुलाया बहुत है,
लेकिन इसने सिखाया बहुत है।
ये कोविड विषाणु जाये जगत से,
केवल अब ये जतन हो रहा है।
फिर एक वर्ष का …….

♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

—————

  • “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — बीत रहा वर्ष बहुत दर्द दे गया, बहुत सारे परिवार ने अपनों को खो दिया, लेकिन इस संकट के समय ने इंसान को बहुत कुछ सिखाया भी। अब भी समय है हे मानव तू सुधर जा प्रकृति को निखारने वाला कार्य कर, तूने प्रकृति के साथ बहुत खिलवाड़ किया। अब सुधर जा वरना रोने के सिवा कुछ नहीं बचेगा। हे मानव तूने प्रकृति के पांचो तत्वों को अपवित्र और प्रदूषित किया हद से ज्यादा, अब प्रकृति को निखारने व बचाने वाला कार्य कर तू, समय रहते प्रकृति को उसके ओरिजिनल रूप में सुरक्षित करो। जितना ज्यादा हो सके पेड़ लगाएं, जिससे प्रकृति अपने सभी ऋतुओं का समय पर संचालन करें, और फिर से ये धरा खिलखिला उठे। चारो तरफ खुशिया ही खुशिया बिखर जाये।

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