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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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happy new year wishes

शुक्रिया 2021

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ शुक्रिया 2021 ♦

शुक्रिया 2021 दुनियां की आँखें खोलने के लिए।
दुश्वारियों की कसौटी पर दम-खम तौलने के लिए।
अपनों को और स्वप्नों को खोने के बाद भी जिंदा हैं।
डंके की चोट पर सीना ठोककर ये सच बोलने के लिए।
शुक्रिया …….

हम अपनी संस्कृतियों का सम्मान भूल गए थे।
अपनी धरती की सरहद, आसमान भूल गए थे।
बेलगाम उड़ने लगे थे पतंग सा पछिया हवा में।
प्रकृति का भी है घर-आंगन, दालान भूल गए थे।
अपनी हद में ज़द में मिलकर लड़ने भिड़ने की।
और अपना घर, अपना अंतर टटोलने के लिए।
शुक्रिया …….

आगे की क्या दशा-दिशा हो, नीयति, नीति हो।
किसका कितना प्रतिकार हो किससे प्रीति हो।
मानवता शर्मशार हुई पर इंसानियत ने माना।
वही विकास है जिसमें प्रकृति की स्वीकृति हो।
“आपदा में मत अवसर ढ़ूंढ़ो, जियो और जीने दो”।
जहर घोलकर जाते जाते शहद घोलने के लिए।
शुक्रिया …….

♦ शैलेश कुमार मिश्र (शैल) – मधुबनी, बिहार ♦

  • “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है – भावनाओं के समय मन के यूँ उमड़ने – घुमड़ने की प्रक्रिया बीते वर्ष ने बहुत कुछ सीखा दिया, शुक्रिया 2021 दुनियां की आँखें खोलने के लिए। दुश्वारियों की कसौटी पर दम-खम तौलने के लिए। अपनों को और स्वप्नों को खोने के बाद भी जिंदा हैं। डंके की चोट पर सीना ठोककर ये सच बोलने के लिए। शुक्रिया ……. सारे गीले शिकवे भूलकर गले से गले मिलकर नया साल मनाया जाये। बिते वर्ष कई सारे सीख देकर गया। जितने दिन की ज़िन्दगी है, ज्ञान, ध्यान, योग के साथ-साथ सभी से प्रेम पूर्वक मिलजुल कर बिताया जाए। ना किसी को हम सताए, ना कोई दुःख दे। सभी मिलजुल कर सबके अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करें।

—•—•—•—

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यह कविता (शुक्रिया 2021) “शैलेश कुमार मिश्र (शैल) जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपने सच्चे मन से देश की सेवा के साथ-साथ एक कवि हृदय को भी बनाये रखा। आपने अपने कवि हृदय को दबाया नहीं। यही तो खासियत है हमारे देश के वीर जवानों की। आपकी कवितायें सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

About Yourself – आपके ही शब्दों में —

  • नाम: शैलेश कुमार मिश्र (शैल)
  • शिक्षा: स्नातकोत्तर (PG Diploma)
  • व्यवसाय: केन्द्रीय पुलिस बल में 2001 से राजपत्रित अधिकारी के रूप में कार्यरत।
  • रुचि: साहित्य-पठन एवं लेखन, खेलकूद, वाद-विवाद, पर्यटन, मंच संचालन इत्यादि।
  • पूर्व प्रकाशन: कविता संग्रह – 4, विभागीय पुस्तक – 2
  • अनुभव: 5 साल प्रशिक्षण का अनुभव, संयुक्त राष्ट्रसंघ में अफ्रीका में शांति सेना का 1 साल का अनुभव।
  • पता: आप ग्राम-चिकना, मधुबनी, बिहार से है।

आपकी लेखनी यूँ ही चलती रहे, जनमानस के कल्याण के लिए। उस अनंत शक्ति की कृपा आप पर बनी रहे। इन्ही शुभकामनाओं के साथ इस लेख को विराम देता हूँ। तहे दिल से KMSRAJ51.COM — के ऑथर फैमिली में आपका स्वागत है। आपका अनुज – कृष्ण मोहन सिंह।

  • जरूर पढ़े: चली जाती है।
  • जरूर पढ़े: अच्छा लगता है।

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©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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नया आ रहा है।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ नया आ रहा है। ♦

होने लगी है नए साल की, अब थोड़ी-थोड़ी सुगबुगाहटें।
पुराना जा रहा है, नया आ रहा है, ले करके नई आहटें।

हे प्रभु! रहम करना, मत देना नए साल में कोई कड़वाहटें।
विनय है विश्व बंधुत्व दे, फैलें दशों दिशाओं में नई चाहतें।

पापित – शापित को क्षमा करो, हो नए ज्ञान का विमल उद्भास।
सत्ता – समाज में सौहार्द्र बने और जगे धरा पर नूतन विश्वास।

सीमाएं हो जाए निर्द्वंद्व और रिहाइशें हो महफूज और आवाद।
रोग शोक की गुलामी की जंजीरों से, बच्चा-बच्चा होवे आजाद।

क्षमा, दया, समता और वैभव की उमंग विश्व में अब छा जाए।
हर मानव के भीतर मानवता के हर गुण, आटे में नमक से समा जाए।
आ रहा है…

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

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  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — हे प्रभु! रहम करना, मत देना नए साल में कोई कड़वाहटें। विनय है विश्व बंधुत्व दे, फैलें दशों दिशाओं में नई चाहतें। हे प्रभु! यही प्रार्थना है मेरी। बीत रहा वर्ष बहुत दर्द दे गया, बहुत सारे परिवार ने अपनों को खो दिया, लेकिन इस संकट के समय ने इंसान को बहुत कुछ सिखाया भी। अब भी समय है हे मानव तू सुधर जा प्रकृति को निखारने वाला कार्य कर, तूने प्रकृति के साथ बहुत खिलवाड़ किया। अब सुधर जा वरना रोने के सिवा कुछ नहीं बचेगा। हे मानव तूने प्रकृति के पांचो तत्वों को अपवित्र और प्रदूषित किया हद से ज्यादा, अब प्रकृति को निखारने व बचाने वाला कार्य कर तू, समय रहते प्रकृति को उसके ओरिजिनल रूप में सुरक्षित करो। जितना ज्यादा हो सके पेड़ लगाएं, जिससे प्रकृति अपने सभी ऋतुओं का समय पर संचालन करें, और फिर से ये धरा खिलखिला उठे। चारो तरफ खुशिया ही खुशिया बिखर जाये।

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यह लेख (नया आ रहा है।) “हेमराज ठाकुर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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फिर एक वर्ष का।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ फिर एक वर्ष का। ♦

फिर एक वर्ष का गमन हो रहा है,
नूतन का आगमन हो रहा है।
बीते पलों की यादें सहेज कर,
नव संकल्प का चयन हो रहा है।
फिर एक …….

खोये हैं बहुत से अपने सभी ने,
टूटे हैं बहुत से सपने सभी के।
है वातावरण प्रदूषण भरा सब,
हरियाली का हनन हो रहा है।
फिर एक …….

ये क़ुदरत कुपित बहुत इसलिए है,
रासायन धरा पर जो भर दिए हैं।
इस नव वर्ष में खिले बाग गुलशन,
जो अब उजड़ा चमन हो रहा है।
फिर एक …….

जाते वर्ष को करें अब नमन हम,
जीवन अपना करें अब सुमन हम।
व्यथा दूर अब करें हम सभी की,
नम जिसका भी नयन हो रहा है।
फिर एक …….

अब तो वर्ष इक्कीस जा ही रहा है,
सबको अलविदा ये कह ही रहा है।
अगले वर्ष अब बचाना है हमको,
क़ुदरत का जो भी पतन हो रहा है।
फिर एक वर्ष का …….

‘कृती’ गत समय ने रुलाया बहुत है,
लेकिन इसने सिखाया बहुत है।
ये कोविड विषाणु जाये जगत से,
केवल अब ये जतन हो रहा है।
फिर एक वर्ष का …….

♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

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  • “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — बीत रहा वर्ष बहुत दर्द दे गया, बहुत सारे परिवार ने अपनों को खो दिया, लेकिन इस संकट के समय ने इंसान को बहुत कुछ सिखाया भी। अब भी समय है हे मानव तू सुधर जा प्रकृति को निखारने वाला कार्य कर, तूने प्रकृति के साथ बहुत खिलवाड़ किया। अब सुधर जा वरना रोने के सिवा कुछ नहीं बचेगा। हे मानव तूने प्रकृति के पांचो तत्वों को अपवित्र और प्रदूषित किया हद से ज्यादा, अब प्रकृति को निखारने व बचाने वाला कार्य कर तू, समय रहते प्रकृति को उसके ओरिजिनल रूप में सुरक्षित करो। जितना ज्यादा हो सके पेड़ लगाएं, जिससे प्रकृति अपने सभी ऋतुओं का समय पर संचालन करें, और फिर से ये धरा खिलखिला उठे। चारो तरफ खुशिया ही खुशिया बिखर जाये।

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यह कविता (फिर एक वर्ष का।) ” वेदस्मृति ‘कृती’ जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी मुक्तक/कवितायें/गीत/दोहे/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी दोहे/कविताओं और लेख से आने वाली नई पीढ़ी और जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।

साहित्यिक नाम : वेदस्मृति ‘कृती’
शिक्षा : एम. ए. ( अँग्रेजी साहित्य )
बी.एड. ( फ़िज़िकल )
आई आई टी . शिक्षिका ( प्राइवेट कोचिंग क्लासेज़)
लेखिका, कहानीकार, कवियित्री, समीक्षक, ( सभी विधाओं में लेखन ) अनुवादक. समाज सेविका।

अध्यक्ष : “सिद्धि एक उम्मीद महिला साहित्यिक समूह”
प्रदेश अध्यक्ष : अखिल भारतीय साहित्य सदन ( महाराष्ट्र इकाई )
राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान बिहार प्रान्त की महिला प्रकोष्ठ,
श्री संस्था चैरिटेबल ट्रस्ट : प्रदेश प्रतिनिधि ( महाराष्ट्र )
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी परिषद में – सह संगठन मंत्री, मुंबई ज़िला, महाराष्ट्र
हिन्दी और अँग्रेजी दोनों विधाओं में स्वतंत्र लेखन।

अनेक प्रतिष्ठित हिन्दी/अँग्रेजी पत्र – पत्रिकाओं में नियमित रचनाएँ प्रकाशित।

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