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World Environment Day

पर्यावरण दिवस मनाने का औचित्य।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ पर्यावरण दिवस मनाने का औचित्य। ♦

जब हम नियमित पेड़-पौधे लगाएंगे, प्रदूषण को कम करेंगे तभी पर्यावरण दिवस मनाने का फायदा होगा।

पर्यावरण दिवस मनाने का औचित्य तभी पूरा होगा जब हम सचमुच में अपने आप को पर्यावरण के प्रति समर्पित करेंगे। सभी पेड़-पौधे लगाएंगे, पर्यावरण के प्रति सजग हो जाएंगे, साफ-सफाई रखेंगे और सबसे बड़ी समस्या प्रदूषण है; जिसका सभी को ध्यान रखना होगा।

क्योंकि प्रदूषण प्रकृति नहीं फैला रही, प्रदूषण हमारे द्वारा, हमारे वाहनों द्वारा, हमारी दैनिक क्रियाओं द्वारा हम धरती को प्रदूषित कर रहे हैं। जब तक प्रदूषण जारी रहेगा हमारा पर्यावरण दिवस मनाने का कोई फायदा नहीं होगा।

पर्यावरण को सुंदर बनाए रखना और प्रदूषण से रहित बनाए रखना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। जिससे हमारा देश तरक्की करेगा; प्रदूषण ने अपने पैर चारों तरफ फैला लिए हैं।

बड़े-बड़े महानगरों में ऐसे हालात है कि सांस लेने में भी तकलीफ होती है। सूरज जल्दी छिप जाता है। इसलिए हमें दैनिक कार्यों में गाड़ियों का प्रयोग जितना हो सके उतना कम करें। प्रकृति को बचाने के लिए कार्य करें ।

बहुत सारे लोगों ने अपने दैनिक जीवन में पेड़-पौधे लगाने का कार्य जारी रखा है और पर्यावरण के प्रति बहुत ही सजग हैं और अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं।हमें जीवन में प्रतिदिन पेड़-पौधों को अपने साथ लेकर चलना होगा।

जैसे हम खाने के बिना नहीं रह सकते। वैसे ही पेड़-पौधे के बिना भी हमारा जीवन अधूरा है। जैसे हमें जीवित रहने के लिए भोजन-पानी की आवश्यकता है वैसे ही प्रकृति को जिंदा रखने के लिए पेड़-पौधे, साफ-सफाई, प्रदूषण रहित धरा बनाने की आवश्यकता है।

जलवायु प्रदूषण को रोकना होगा और वृक्षों की कटाई रोकनी होगी। कटाई की जगह वृक्षों को लगाना होगा जिससे कि प्राकृतिक आपदा से हम बच सकें। पर्यावरण को बचाना, प्रकृति को बचाना हमारे हाथ में है।

अगर हम कम दूरी के लिए साइकिल का प्रयोग करें तो इससे प्रदूषण तो कम होगा ही साथ में पैसों की बचत भी होगी। बाकी आप अपने हाथ से बीज लगाकर और उसे बड़ा होते देख। प्रतिदिन उसकी देखभाल कर पानी देते हैं। जैसे-जैसे पत्ते आएंगे आपका प्रसन्नता 4 गुना होगी और प्रतिदिन आप उठ कर देखेंगे कितने बड़े हो गए हैं पत्ते और कितने न आ गए हैं। जब वही पौधा बड़ा हो जाएगा तकरीबन 1 वर्ष या 2 का होने पर जब उसके फल लगने लग जाएंगे।

उस खुशी का कोई ठिकाना नहीं होता। जब आप फल खाएंगे तो, जो स्वाद आपको आएगा। लाखों रुपए के फल खरीद के भी नहीं मिल सकता। मैंने भी बहुत पेड़-पौधे लगाए हैं जब मैं फल तोड़ती हूं उस खुशी को मैं बयां नहीं कर सकती? मेरे पास शब्द नहीं होते, उस खुशी को लिखने के लिए। जब हम ऐसे कार्य करते हैं तो हमें देख कर दूसरे भी वैसा ही कार्य करते हैं।

अपने बगीचे में गिलोय को लगाया हुआ है तो प्रतिदिन 5 से 10 लोग गिलोय लेने के लिए आते हैं। बड़ा अच्छा लगता है कि हमारे लगाए पौधे किसी के कुछ काम आ रहे हैं। कोई पपीते के पत्ते, कोई पुदीना, ऐसे ही बहुत सारे पेड़-पौधे मेरे पास लेने के लिए आते हैं।

मन प्रसन्न हो जाता है। हम किसी के काम आ रहे हैं। अगर हम सांस ले रहे हैं तो हमारा फर्ज बनता है कि प्रकृति को बदले में पेड़ और साफ सफाई दें ताकि आने वाली पीढ़ी हमें याद रखें कि उनके लगाए पेड़ के फल खा रहे हैं।

लकड़ी मिल रही है। छांव मिल रही है। सबसे बड़ी बात उस खुशी को मैं बयां नहीं कर सकती। चिड़िया, कोयल, कबूतर, तोता, गिलहरी आते हैं। पक्षियों की ची-ची से वातावरण में मधुर संगीत गूंजने लगता है।

गर्मियों के मौसम में कुछ पल पेड़ के नीचे शुद्ध हवा का आनंद लेने में जो मजा है, वह आनन्द हमें किसी एसी (AC) से नहीं मिल सकता। आओ हमसब मिलकर ये संकल्प ले की हमसब खुद प्रत्येक दिन पेड़-पौधे लगाएंगे और सभी को पेड़-पौधे लगाने के लिए जागरूक करेंगे।

♦ सीमा रंगा इन्द्रा जी – हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। जिसकी शुरुआत का उद्देश्य हमारे वातावरण को स्वच्छ व शुद्ध रखना है। जैसे हम खाने के बिना नहीं रह सकते। वैसे ही पेड़-पौधे के बिना भी हमारा जीवन अधूरा है। जैसे हमें जीवित रहने के लिए भोजन-पानी की आवश्यकता है वैसे ही प्रकृति को जिंदा रखने के लिए पेड़-पौधे, साफ-सफाई, प्रदूषण रहित धरा बनाने की आवश्यकता है। जलवायु प्रदूषण को रोकना होगा और वृक्षों की कटाई रोकनी होगी। कटाई की जगह वृक्षों को लगाना होगा जिससे कि प्राकृतिक आपदा से हम बच सकें। पर्यावरण को बचाना, प्रकृति को बचाना हमारे हाथ में है। आओ हमसब मिलकर ये संकल्प ले की हमसब खुद प्रत्येक दिन पेड़-पौधे लगाएंगे और सभी को पेड़-पौधे लगाने के लिए जागरूक करेंगे।

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यह लेख (पर्यावरण दिवस मनाने का औचित्य।) “श्रीमती सीमा रंगा इन्द्रा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें व कहानी सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं, कहानी और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम सीमा रंगा इंद्रा है। मेरी शिक्षा बी एड, एम. हिंदी। व्यवसाय – लेखिका, प्रेरक वक्ता व कवयित्री। प्रकाशन – सतरंगी कविताएं, देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं व लेख, दैनिक भास्कर, दैनिक भास्कर बाल पत्रिका, अमर उजाला, संडे रिपोर्टर, दिव्य शक्ति टाइम्स ऑफ़ डेजर्ट, कोल्डफीरर, प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, इंदौर समाचार लोकांतर, वूमेन एक्सप्रेस सीमांत रक्षक युगपक्ष, रेड हैंडेड, मालवा हेराल्ड, टीम मंथन, उत्कर्ष मेल काव्य संगम पत्रिका, मातृत्व पत्रिका, कोलकाता से प्रकाशित दैनिक पत्रिका, सुभाषित पत्रिका शब्दों की आत्मा पत्रिका, अकोदिया सम्राट दिव्या पंचायत, खबर वाहिनी, समतावादी मासिक पत्रिका, सर्वण दर्पण पत्रिका, मेरी कलम पूजा पत्रिका, सुवासित पत्रिका, 249 कविता के लेखक कहानियां प्रकाशित देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में समय-समय पर।

सम्मान पत्र -180 ऑनलाइन सम्मान पत्र, चार बार BSF से सम्मानित, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर सोसायटी से सम्मानित, नेहरू युवा केंद्र बाड़मेर से सम्मानित, शुभम संस्थान और विश्वास सेवा संस्थान द्वारा सम्मानित, प्रज्ञा क्लासेस बाड़मेर द्वारा, आकाशवाणी से लगातार काव्य पाठ, सम्मानित, बीएसएफ में वेलफेयर के कार्यों को सुचारु रुप से चलाने हेतु सम्मानित। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, प्रेसिडेंट ग्लोबल चेकर अवार्ड।

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