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Festival of Lights | दीपों का त्योहार।
दीपों का त्योहार दीपावली है आई
सबके मन में खुशियां है छाई।
घर को रंग रोगन कर होती है तैयारी
इससे घर की शोभा लगती है न्यारी।
दो दिन पहले धनतेरस है आती
कोई नई वस्तु भी खरीदी है जाती।
मिट्टी के दीपक सबको है भाते
जगमग जगमग जलकर घर की शोभा है बढ़ाते।
पटाखे फूलझड़ियां व आतिशबाजी खूब है चलते
आसमान को रंग बिरंगी रोशनी से है भरते।
रिश्तेदार व मित्रों को मेहमान है बुलाते
मिलजुलकर खुशियां खूब है मनाते।
घर पर पारम्परिक पकवान है बनाते
मिठाईयां भी एक दूसरे को खूब है बांटते।
दिनभर बधाई संदेशों का आना जाना लगा रहता
कोई हैपी दिवाली तो कोई शुभ दीपावली है कहता।
रात को मां लक्ष्मी की पूजा भी है होती
जलती रहती है मां की अखंड ज्योति।
भगवान् राम चौदह वर्ष बाद अयोध्या लौटे थे आज
उनकी पितृ भक्ति और भातृ प्रेम पर हमें है नाज़।
रात का दृश्य बड़ा मनमोहक है लगता
घर, गांव, शहर दुल्हन सा है सजता।
खुशियों का त्योहार है खूब खुशियां मनाओ
आपसी प्रेम भाव भी खूब बढ़ाओ।
♦ विनोद वर्मा जी / (मझियाठ बलदवाड़ा) जिला – मंडी – हिमाचल प्रदेश ♦
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- “विनोद वर्मा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — यह कविता दीपावली के पावन पर्व की खुशियों, परंपराओं और सांस्कृतिक महत्ता का सुंदर चित्रण करती है। इसमें बताया गया है कि दीपावली के आगमन पर लोगों के मन में उल्लास छा जाता है। घरों की सफाई, रंगाई-पुताई और सजावट से वातावरण नया और पवित्र हो उठता है। धनतेरस के दिन लोग नई वस्तुएं खरीदते हैं और मिट्टी के दीपक जलाकर अपने घरों को रोशनी से भर देते हैं। पटाखे, फूलझड़ियाँ और आतिशबाज़ी से आसमान रंग-बिरंगा हो जाता है। रिश्तेदारों और मित्रों के साथ मिलजुलकर मिठाइयाँ बांटने, शुभकामनाएँ देने और खुशियाँ मनाने का यह त्योहार लोगों को एकता और प्रेम का संदेश देता है। रात को माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है और उनकी अखंड ज्योति से घर में समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। यह भी स्मरण कराया गया है कि इसी दिन भगवान राम चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, इसलिए यह पर्व सत्य, निष्ठा और परिवार-प्रेम का प्रतीक है।
- अंत में, कवि ने संदेश दिया है कि दीपावली केवल दीपों का त्योहार नहीं, बल्कि आपसी प्रेम, एकता और खुशियों को बाँटने का अवसर है — जिससे जीवन में उजाला, सुख और सद्भावना बनी रहे।
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यह कविता (दीपों का त्योहार।) “विनोद वर्मा जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम विनोद कुमार है, रचनाकार के रुप में विनोद वर्मा। माता का नाम श्री मती सत्या देवी और पिता का नाम श्री माघु राम है। पत्नी श्री मती प्रवीना कुमारी, बेटे सुशांत वर्मा, आयुष वर्मा। शिक्षा – बी. एस. सी., बी.एड., एम.काम., व्यवसाय – प्राध्यापक वाणिज्य, लेखन भाषाएँ – हिंदी, पहाड़ी तथा अंग्रेजी। लिखित रचनाएँ – कविता 20, लेख 08, पदभार – सहायक सचिव हिमाचल प्रदेश स्कूल प्रवक्ता संघ मंडी हिमाचल प्रदेश।
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